महाराष्ट्र
यशवंत सिन्हा या द्रौपदी मुर्मू, क्या टूट जाएगी राष्ट्रपति चुनाव के बाद महाविकास अघाड़ी?

18 जुलाई को देश के राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है जिसमें एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि उनके विरोध में विपक्षी दलों द्वारा यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। महाराष्ट्र में फिलहाल शिवसेना ऐसे मोड़ पर खड़ी है। जहां एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ कुआं है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस वक़्त असमंजस की स्थिति से गुजर रहे हैं।
उसके सामने एक तरफ पार्टी को बचाने की जिम्मेदारी है तो दूसरी तरफ अगर वह मुर्मू को समर्थन देते हैं तो महाविकास अघाड़ी से निकलना पड़ सकता है। इस बारे में मंगलवार सुबह शिवसेना सांसद संजय राउत ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह इशारा दिया है कि शिवसेना, द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दे सकती है। दरअसल राउत ने आज सुबह कहा कि मुर्मू को समर्थन देने का मतलब बीजेपी को समर्थन देना नहीं है। आइये समझते हैं कि इस मामले में शिवसेना और उद्धव ठाकरे के पास क्या विकल्प हैं?
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में यह खबर भी आम है कि उद्धव ठाकरे द्वारा द्रौपदी मुर्मू का समर्थन एक राजनीतिक मजबूरी भी है। इस बारे में एनबीटी ऑनलाइन ने संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुरेश माने से बातचीत की। उन्होंने बताया कि फिलहाल इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शिवसेना के तमाम सांसद यह चाहते हैं कि इस बार पार्टी एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दे। इस बारे में लिखित और मौखिक रूप से सांसदों ने अपनी मांग उद्धव ठाकरे के सामने रखी है। उद्धव ठाकरे यह भी जानते हैं कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो बागी विधायकों की तरह उनके सांसद भी उन्हें धोखा दे सकते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी का व्हिप लागू नहीं होता। इसका सीधा मतलब यह है कि सांसद अपनी मर्जी के मुताबिक मतदान कर सकते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे मौजूदा सियासी हालातों में सांसदों पर दबाव भी नहीं बना सकते। लिहाजा उनके लिए सांसदों की बात मानने वाला रास्ता ज्यादा मुफीद रहेगा।
सुरेश माने ने बताया माना जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के बाद शिवसेना महाविकास अघाड़ी से निकल सकती है। इसके पीछे भी कई वजहें हैं। जिस दिन उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उसके कुछ घंटों पहले ही उन्होंने औरंगाबाद समेत तीन शहरों का नाम बदला था। ठाकरे ने औरंगाबाद को संभाजीनगर का नाम दिया था। इस बात का विरोध एमवीए में शामिल कांग्रेस ने भी किया था। इसके अलावा खुद एनडीए के संयोजक शरद पवार ने यह कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी आदेश पारित करने के बाद दी गई। औरंगाबाद शहर का नाम बदलना भी एमवीए में मतभेद का एक बड़ा कारण है।
दूसरी वजह यह भी है कि इस वक़्त उद्धव ठाकरे के सामने महाविकास अघाड़ी में बने रहने से ज्यादा जरूरी अपनी हर दिन बिखरती हुई पार्टी को बचाना है। सुरेश माने ने यह भी बताया कि उद्धव ठाकरे की नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी बन सकती है कि एनडीए की बैठक में उद्धव ठाकरे के विरोधी गुट के एकनाथ शिंदे को भी बुलाया गया है। इस बात पर शिवसेना अपना एतराज जता सकती है। इसका मतलब यह भी होता है कि एक तरह से शिवसेना को कम आंकने की कोशिश की जा रही है। जबकि अभी तक इस बात का फैसला नहीं हुआ है कि शिवसेना वाकई में किसकी है।
सुरेश माने के मुताबिक़ मुर्मू को समर्थन देना देने से उद्धव ठाकरे से शरद पवार नाराज भी हो सकते हैं। इस बात की भी संभावना है कि उद्धव ठाकरे आने वाले दिनों में महाविकास अघाड़ी सरकार से निकल भी जाएं। इस बात की भी उतनी ही संभावना है कि दोनों ही पार्टियां फिर से एक- दूसरे के साथ हाथ मिला लें। क्योंकि दोनों ही पार्टियों की अब अपनी- अपनी राजनीतिक मजबूरी है। यह भी हो सकता है कि शरद पवार यह मान लें कि केंद्र में शिवसेना जिसको चाहे उसको अपना समर्थन दे सकती है। लेकिन राज्य में वह एनसीपी के साथ रहे। क्योंकि शरद पवार भी इस बात को भलीभांति जानते हैं कि अकेले दम पर एनसीपी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकती। उन्हें शिवसेना और कांग्रेस का साथ लेना ही पड़ेगा। वहीं शिवसेना भी यह स्पष्ट कर चुकी है कि मुर्मू को समर्थन देने का मतलब बीजेपी को समर्थन देना बिल्कुल नहीं है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र मराठी हिंदी विवाद: कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी-मराठी भाषाई विवाद पर साफ कर दिया है कि भाषाई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई मराठी भाषा के नाम पर हिंसा भड़काता है या कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीरा रोड हिंदी मराठी हिंसा मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। मराठी और हिंदी भाषा के मामले में एक कमेटी बनाई गई है। इसकी सिफारिश पर छात्रों के लिए जो भी बेहतर होगा, सरकार उसे लागू करेगी। किसी के दबाव में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के लिए सिफारिश महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान ही की गई थी, लेकिन अब यही लोग विरोध कर रहे हैं। जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को 51 फीसदी मराठी वोट मिले हैं। भाषा के नाम पर हिंसा और भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मराठी हमारे लिए गर्व का स्रोत है, लेकिन हम हिंदी का विरोध नहीं करते। अगर दूसरे राज्य में किसी मराठी व्यापारी को उनकी भाषा बोलने के लिए कहा जाए, तो क्या होगा? असम में उन्हें असमिया बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र
कई मॉल में आग लगने की घटनाओं के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सभी मॉल का 90 दिन का ऑडिट कराने का आदेश दिया, उपयोगिता कटौती की चेतावनी दी

मुंबई: मुंबई के लिंक स्क्वायर मॉल (29 अप्रैल, 2025) और ड्रीम मॉल, भांडुप में बार-बार आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में अग्नि सुरक्षा उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा की है। मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को सूचित किया कि महाराष्ट्र के सभी मॉल का अग्नि ऑडिट 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा न करने पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी जाएगी, ऐसा सामंत ने एमएलसी कृपाल तुमाने द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगे से अग्नि सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामंत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ड्रीम मॉल, भांडुप सुरक्षा उल्लंघन के बाद बंद है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ नगर निगमों को मॉल में अग्नि सुरक्षा अनुपालन का सत्यापन शुरू करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, महाराष्ट्र अग्नि निवारण और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सदस्यों अभिजीत वंजारी और मनीषा कायंडे के साथ मॉल को अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने में अनियमितताओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल, ऑर्किड सेंट्रल मॉल (मुंबई सेंट्रल) और प्राइम मॉल (विले पार्ले) में आग लगने की घटनाओं सहित कई घटनाओं की ओर इशारा किया, जिससे इन परिसरों में अग्नि शमन प्रणालियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठे।
विधान पार्षदों ने आरोप लगाया कि स्थानीय नगरपालिका अग्निशमन विभाग और नागरिक प्राधिकरण अग्नि सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में लापरवाह रहे हैं, और यह जानने की मांग की कि इन आग की घटनाओं के बाद क्या जांच की गई?, अग्नि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए गए?, सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
एक लिखित उत्तर में, शहरी विकास विभाग (उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन) ने पुष्टि की कि कई मॉलों में अग्निशमन प्रणालियाँ काम नहीं कर रही थीं, जिनमें शामिल हैं:
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल, ड्रीम मॉल, भांडुप, ऑर्किड सेंट्रल मॉल, मुंबई सेंट्रल, प्राइम मॉल, विले पार्ले
बीएमसी ने इन मॉल के मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र अग्नि निवारण एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की है।
तब से, ऑर्किड सेंट्रल मॉल और प्राइम मॉल में अग्नि प्रणालियों को पुनः सक्रिय कर दिया गया है, ड्रीम मॉल और लिंक स्क्वायर मॉल में प्रणालियां निष्क्रिय बनी हुई हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार बंद करना पड़ रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
राज्य सरकार ने मॉल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी के आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि कार्यात्मक अग्नि प्रणालियों को बनाए रखने और कानून के अनुसार अर्धवार्षिक अग्नि ऑडिट कराने की जिम्मेदारी मॉल मालिकों की है।
सरकार ने कहा कि मुंबई फायर ब्रिगेड आकस्मिक निरीक्षण करती है और नियमों का पालन न करने वाली संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र
हिंदी मराठी विवाद आदेश की प्रति जलाने पर मामला दर्ज

मुंबई: मुंबई हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश की प्रति जलाने के मामले में मुंबई पुलिस ने दीपक पवार, संतोष शिंदे, संतोष खरात, शशि पवार, योगिंदर सालुलकर, संतोष वीर समेत 200 से 300 कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा और पुलिस अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में धारा 189(2), 190,223, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष सूरज धुंडीराम खोत, 32 वर्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।
विवरण के अनुसार, 29 जून को दोपहर 2 से 3:30 बजे के बीच मराठी पाटकर सिंह से सटे बीएमसी रोड पर प्राथमिक शिक्षा में हिंदी यानी तीसरी भाषा को अनिवार्य करने के खिलाफ सरकारी आदेश की प्रति बिना अनुमति के जलाई गई और सरकारी आदेश का उल्लंघन किया गया। आरोपियों ने इस प्रदर्शन के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली थी और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने की है। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया गया है।
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