राजनीति
उत्तर प्रदेश: कांग्रेस ने संगठन में फेर-बदल कर चला सियासी दांव
कांग्रेस पार्टी में लेटर बम से मचे बवाल के बाद उत्तर प्रदेश संगठन में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा था। ऐसे में कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को और मजबूत बनाने के लिए पार्टी ने बिखरे पड़े बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर बड़ा डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया है। साथ ही साथ ही प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा जैसे प्रमुख नेताओं को बड़ी जिम्मेंदारी देकर तेज हुई ब्राह्मणों की सियासत में भी बड़ा दांव चला है।
गुलामनबी आजाद की छुट्टी कर प्रियंका के कंधे पर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी दलित और ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में कर विधानसभा चुनाव में लाभ लेना चाह रही है।
पार्टी से नाराज चल रहे जितिन प्रसाद पर भरोसा करके उनको केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के साथ ही पश्चिम बंगाल जैसे चुनौतीपूर्ण और अहम राज्य के प्रभारी की अहम जिम्मेदारी दी है। पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी को पहली बार केंद्रीय कार्यसमिति का स्थायी सदस्य बनाया गया है। वहीं, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ही प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में तवज्जो देकर ब्राह्मणों का हमदर्द बताने का प्रयास किया है।
वहीं दलितों को राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए पीएल पुनिया पर एक बार फिर भरोसा जताया है। पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला और विवेक बंसल को भी अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, इस बार कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश को अधिक तवज्जो दी गई है। इसका लाभ निश्चित ही विधानसभा चुनाव में मिलेगा। बड़े समांजस्य के साथ वरिष्ठ नेताओं को जगह दी गई है। उनके समर्थक पार्टी को आने वाले समय में लाभ पहुंचाएंगे।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने निश्चित रूप से यूपी को नेताओं को अपनी नई समिति में शामिल करके एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है। एक तरफ ब्राह्मण नेताओं को सम्मान देकर अपने खोए सर्वण वोट बैंक को संजोने का प्रयास किया है, तो वहीं दलित नेताओं को जिम्मेदारी देकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि इसका लाभ आने वाले चुनावों में कितना मिलेगा, यह कह पाना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।
दुर्घटना
मुंबई: बांद्रा वर्ली सीलिंक पर कार में आग लगने से भीषण ट्रैफिक जाम;

मुंबई: मुंबई के बांद्रा वर्ली सीलिंक पर बुधवार देर रात एक कार में आग लग गई। बताया जा रहा है कि होंडा सेडान कार तेज़ रफ़्तार में साइड बैरियर से टकरा गई और फिर सड़क पर आग लग गई। इस घटना के कारण सीलिंक पर भीषण जाम लग गया, जिससे वाहन चालक असमंजस में पड़ गए और काफी देर तक फंसे रहे।
घटना के वीडियो इंटरनेट पर सामने आए हैं, जिनमें आग लगने से कार पूरी तरह जलकर खाक हो गई है। घटनास्थल पर अग्निशमन अधिकारियों द्वारा आग बुझाने का काम देखा जा सकता है। घटना में किसी के हताहत होने की कोई पुष्ट रिपोर्ट नहीं है।
यह ब्रेकिंग न्यूज़ है। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।
महाराष्ट्र
कल्याण कॉलेज नमाज़ विवाद: SIO ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

SIO ने मुंबई के कल्याण कॉलेज में नमाज़ पढ़ने पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, SIO के स्टेट सेक्रेटरी अज़ीज़ अहमद ने कहा कि कल्याण के आइडियल कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च में हुई घटना बहुत निंदनीय और अस्वीकार्य है, जहाँ बजरंग दल से जुड़े गुंडों ने कॉलेज कैंपस में घुसकर, नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम स्टूडेंट्स को धमकाया और परेशान किया और यहाँ तक कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने बैठाने की कोशिश की। यह घटना धार्मिक आज़ादी और एकेडमिक कैंपस की पवित्रता पर सीधा हमला है।
SIO इस घटना की कड़ी निंदा करता है और प्रभावित स्टूडेंट्स के साथ पूरी एकजुटता दिखाता है। हम महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से मांग करते हैं कि वे जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हम पूरे स्टूडेंट कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वे धार्मिक सद्भाव बनाए रखें और ऐसे सांप्रदायिक रवैये के खिलाफ एकजुट रहें और मजबूत एकजुटता दिखाएं।
राष्ट्रीय समाचार
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: ईएसआईसी के दो अधिकारियों को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

CRIME
विजयवाड़ा, 26 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) विजयवाड़ा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर (आरआरओ) और सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर (एसएसओ) का नाम शामिल है। दोनों ने एक शख्स से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई के मुताबिक, मामला 2020 का है। शिकायतकर्ता ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए एक प्रोप्राइटरशिप फर्म शुरू की थी और उसे ईएसआईसी में रजिस्टर भी कराया था। तकनीकी वजहों से एफसीआई ने उसकी फर्म को तीन साल के लिए डिबार कर दिया, जिससे वह कोई ठेका नहीं ले सका।
20 नवंबर 2025 को दोनों ईएसआईसी अधिकारी शिकायतकर्ता के घर पहुंचे और उसका घर कुर्क करने का नोटिस थमा दिया। साथ ही कहा कि अगर 31 दिसंबर 2025 तक कुर्की और नीलामी की कार्रवाई रोकनी है, तो 50 हजार रुपये देने होंगे, जिसमें 30 हजार आरआरओ के लिए और 20 हजार एसएसओ खुद के लिए मांगे।
शिकायत मिलते ही सीबीआई ने 25 नवंबर को केस दर्ज किया और अगले ही दिन जाल बिछाया। सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर को जैसे ही शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते देखा गया, सीबीआई की टीम ने उसे धर दबोचा। इसके बाद रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों को आज विजयवाड़ा में सीबीआई के स्पेशल जज कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी अभी जारी है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। आम लोगों को परेशान कर रिश्वत मांगने वालों पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
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