राष्ट्रीय
‘रूरल टूरिज्म का गेटवे साबित हो सकता है यूपी का ‘शुगर बेल्ट’ एक जिला एक उत्पादन
उत्तर प्रदेश सरकार का इरादा अगर परवान चढ़ता है तो शुगर बेल्ट रूरल एवं विलेज टूरिज्म की संभावनाओं को नई ऊंचाइयां दे सकता है। खासकर गन्ना उत्पादन में अग्रिम पश्चिमी यूपी और गन्ना को ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) घोषित किए गए जिलों के लिए शुगर टूरिज्म पर्यटन की संभावनाओं का नया गेटवे साबित हो सकता है। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने विभाग के अधिकारियों को अगले 100 दिनों के भीतर 8,000 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं और छह महीने के लिए 12,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देशानुसार विभाग अगले पांच वर्षों में गन्ने की उत्पादकता को वर्तमान 81.5 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लिए भी प्रयासरत है।
मालूम हो कि गुड़ को सरकार ने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी यानी एक जिला, एक उत्पाद में शामिल किया है। इस क्रम में गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का ओडीओपी घोषित किया गया है। गन्ने के सह-उत्पादों के जरिए गन्ना उत्पादक किसानों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिए प्रदेश सरकार मुजफ्फरनगर और लखनऊ में गुड़ महोत्सव भी आयोजित कर चुकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस रूरल एंड विलेज टूरिजम पर है। ऐसे में शुगर टूरिज्म इस दिशा में नायाब पहल साबित हो सकती है। कुछ दिन पहले मंत्रिपरिषद के सामने कृषि उत्पादन से जुड़े सात विभागों की प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने इसका जिक्र भी किया था। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह शुगर टूरिज्म के लिए कार्ययोजना को तैयार करें। इसके लिए गन्ने से बनने वाले सह-उत्पादों को माध्यम बनाया जाए। गन्ना विकास संस्थान में शुगर म्यूजियम की स्थापना भी शुगर पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।
उल्लेखनीय है कि गन्ने से गुड़, सिरका, अलग-अलग फ्लेवर की चाकलेट, कैंडी, ताजा और अधिक समय तक चलने वाला जूस इत्यादि बनाए जा सकते हैं। मुजफ्फरनगर के किसान तो गन्ने के रस से 100 से अधिक तरह के उत्पाद बनाते हैं। इनमें से कुछ उत्पाद ऐसे हैं जिनकी देश-विदेश में इतनी मांग है कि वह आपूर्ति नहीं कर पाते। गन्ने के सह-उत्पादों के जरिए शुगर टूरिज्म की बहुत संभानाए हैं, क्योंकि ये उत्पाद सेहत के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। चीनी को छोड़ दें तो गन्ने का सबसे प्रमुख सह-उत्पाद गुड़ है। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। प्रसंस्करण के जरिए इसे और पौष्टिक एवं पसंद के अनुरूप बनाया जा सकता है।
गन्ना प्रदेश की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है। प्रदेश के करीब 65 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने पहले ही कार्यकाल से प्रयास रहा है कि गन्ने के जरिए किसानों के जीवन में मिठास घुले। इसके लिए सरकार ने 14 दिन के तय समय में भुगतान की पारदर्शी व्यवस्था कायम की। नई चीनी मिलें लगवाईं, कुछ मिलों का क्षमता विस्तार भी करवाया गया। योगी-2 में भी यह सिलसिला जारी रहेगा, जिसकी पूरी कार्ययोजना सरकार ने तैयार कर ली है। किसान गन्ने की पेराई के लिए सिर्फ मिलों के भरोसे न रहें, इसके लिए खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। नतीजतन, अभी तक योगी सरकार के कार्यकाल में किसानों को तकरीबन 1.71 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है, जो कि बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए भुगतान का तीन गुना है। वहीं, सपा सरकार के समय किए गए भुगतान का डेढ़ गुना है।
अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि पश्चिम यूपी का मुजफ्फरनगर अपने गुड़ उत्पाद के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा अयोध्या का ओडीओपी उत्पाद भी गुड़ है। शुगर टूरिज्म के लिए यहां पर संभावनाएं बहुत हैं। इसी कारण सरकार ने गुड़ महोत्सव का अयोजन करवाया था। आने वाले समय यहां पर बहुत सारी संभावनाएं हैं।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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