राजनीति
आठवें वेतन आयोग के गठन को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली, 16 जनवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी साझा करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के मद्देनजर लिया गया है। आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं, लेकिन इसका कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है। हालांकि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसके लिए 2025 तक पर्याप्त समय दिया गया है। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 तक लागू होने की उम्मीद है।”
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को लाभ मिलेगा। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग कर रहे थे। ये संगठन सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे। ताकि कर्मचारियों के वेतन संबंधी मुद्दों का समाधान हो सके। कई बार कर्मचारी यूनियनों ने केंद्र सरकार से इस विषय में स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 28 फरवरी 2014 को गठित सातवें वेतन आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। इस समय सीमा के आधार पर आठवें वेतन आयोग के 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद की जा रही है।
आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है।
अपराध
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 5 साल से फरार रोहित बलारा को किया गिरफ्तार, पैरोल पर आने के बाद से था फरार

नई दिल्ली, 16 दिसंबर: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पैरोल पर 5 साल से फरार रोहित बलारा को द्वारका से गिरफ्तार किया है। आरोपी को नेब सराय थाना क्षेत्र में 8 वर्षीय नाबालिग लड़के के साथ यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और वह 2021 से फरार था।
पुलिस के अनुसार, रोहित बलारा को कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2021 में 90 दिनों की इमरजेंसी पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया। जेल प्रशासन की तरफ से बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और लगातार फरार चल रहा था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी के लिए कई बार इसके घर और अन्य स्थानों पर तलाशी ली, लेकिन वो वहां नहीं मिला। पुलिस के आने की सूचना उसे पहले ही मिल जाती थी और वो फरार हो जाता था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला क्राइम ब्रांच को दिया गया। इस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर गौतम मलिक ने किया। टीम ने मुखबिर की सूचना और एडवांस्ड मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से फरार आरोपी बलारा को द्वारका से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम लगातार छापेमारी कर रही थी। बलारा पुलिस से बचने के लिए लगातार अपने ठिकाने भी बदल रहा था। आखिरकार टीम को पुख्ता सूचना मिली कि रोहित बलारा द्वारका में छिपा हुआ है। सूचना मिलने पर टीम ने इलाके को घेरकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि रोहित बलारा नेब सराय का ही निवासी है और उसने स्थानीय सरकारी स्कूल से सातवीं तक पढ़ाई की है। वर्ष 2019 में लंबी जांच और ट्रायल के बाद उसे दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई थी। गिरफ्तारी के साथ ही वर्षों से फरार आरोपी को भगाने में कई लोग शामिल थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है, जल्द ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। रोहित बलारा से पूछताछ भी की जा रही है, जिससे सभी लोगों का नाम जल्द से जल्द सामने आ सके।
राजनीति
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को राहत: कमलनाथ बोले- सत्य की जीत हुई

भोपाल, 16 दिसंबर: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चरित्र पर दाग लगाने की नाकाम कोशिश की गई, लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई।
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत के सार्वजनिक जीवन में देश के लिए जितना त्याग गांधी-नेहरू परिवार ने किया है, उतना शायद ही किसी परिवार ने किया हो। लेकिन भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही गांधी-नेहरू परिवार का चरित्र हनन करने की कोशिश करती रही है। ऐसा ही मामला नेशनल हेराल्ड को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ बनाया गया था।”
उन्होंने कहा कि अब दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की शिकायत को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ईडी की शिकायत स्वीकार योग्य नहीं है और पीएमएलए के तहत भी मामला बनाए रखने योग्य नहीं है। ऐसे में नेशनल हेराल्ड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता, इसलिए केस खारिज किया गया।
कमलनाथ ने आगे कहा, “मोदी सरकार ने आधारहीन दावे पेश कर झूठे मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चरित्र पर दाग लगाने की नाकाम कोशिश की थी, लेकिन अंत में सत्य की ही जीत हुई। सत्यमेव जयते।”
बता दें कि ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई अन्य नेताओं पर साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था। एजेंसी ने आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की लगभग 2 हजार करोड़ रुपए की संपत्तियों को अवैध रूप से हासिल किया गया था।
ईडी के अनुसार, गांधी परिवार के पास यंग इंडियन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिसने कथित तौर पर 90 करोड़ रुपये के लोन के बदले एजेएल की संपत्तियों पर धोखाधड़ी से कब्जा कर लिया था।
राजनीति
बिहार को विकसित बनाने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में सात निश्चय-3 को मिली मंजूरी

पटना, 16 दिसंबर: बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में प्रदेश को विकसित बनाने के लिए सात निश्चय-3 के गठन को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सिर्फ एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक के बाद बताया गया कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव एवं सरकार के गठन के पश्चात “न्याय के साथ विकास” पर आधारित साझा कार्यक्रम के संकल्प को दोहराते हुए आगामी पांच वर्ष (2025-2030) में बिहार को देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के निमित्त सरकार प्रतिबद्ध है।
इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2025 से 2030 तक के लिए सात निश्चय-3 का गठन किया जा रहा है। बताया गया कि सात निश्चय-3 में दोगुना रोजगार – दोगुनी आय, समृद्ध उद्योग-सशक्त बिहार, कृषि में प्रगति- प्रदेश की समृद्धि, उन्नत शिक्षा- उज्जवल भविष्य, सुलभ स्वास्थ्य-सुरक्षित जीवन, मजबूत आधार-आधुनिक विस्तार और सबका सम्मान-जीवन आसान जैसे सात योजनाओं के जरिए शिक्षा, उद्योग और कृषि पर विशेष जोर दिया गया है।
सरकार ने सात निश्चय-3 के तहत बिहार में दोगुना रोजगार, किसानों की दोगुनी आय, उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए विकसित बिहार का लक्ष्य रखा है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सात निश्चय के जरिए बिहार में विकास की योजनाओं को लागू किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 24 नवंबर 2005 से राज्य में कानून का राज कायम है और बीते 20 वर्षों में सभी वर्गों एवं क्षेत्रों के विकास के लिए निरंतर जुटी है।
इसके तहत सात निश्चय (2015-2020) और सात निश्चय-2 (2020-2025) के तहत तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद अब सात निश्चय-3 को लागू करने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार को विकसित बिहार बनाने का वादा किया है। इसके तहत सरकार लगातार काम कर रही है।
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