व्यापार
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में 2025 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान
नई दिल्ली, 10 जनवरी। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। ये मुख्य रूप से निजी खपत और निवेश पर आधारित है।
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख आर्थिक रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सेवाओं और कुछ विनिर्मित वस्तुओं में भारत की मजबूत निर्यात वृद्धि से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा।
दूसरी ओर, “चीनी अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत में कमी, संपत्ति क्षेत्र में कमजोरी और बढ़ते व्यापार तनाव के बीच धीरे-धीरे नरमी की प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2024 में 4.9 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था।”
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में वैश्विक वृद्धि 2.8 प्रतिशत पर रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अर्थव्यवस्थाओं में कम मुद्रास्फीति और मौद्रिक सहजता 2025 में वैश्विक आर्थिक गतिविधि को मामूली बढ़ावा दे सकती है।
हालांकि, अनिश्चितता अभी भी बड़ी है, जिसमें भू-राजनीतिक संघर्षों, बढ़ते व्यापार तनाव और दुनिया के कई हिस्सों में उधार लेने की बढ़ी हुई लागत से जोखिम है।
ये चुनौतियां विशेष रूप से कम आय वाले और कमजोर देशों के लिए गंभीर हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा, “देश इन खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमारी परस्पर जुड़ी अर्थव्यवस्था में, दुनिया के एक तरफ के झटके दूसरी तरफ कीमतों को बढ़ाते हैं। हर देश प्रभावित है और उसे समाधान का हिस्सा बनना चाहिए – प्रगति को आगे बढ़ाना चाहिए।”
“हमने एक रास्ता तय कर लिया है। अब इसे पूरा करने का समय आ गया है। आइए हम सब मिलकर 2025 को ऐसा साल बनाएं जब हम दुनिया को सभी के लिए समृद्ध भविष्य की राह पर ले जाएं।”
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पूर्वी और दक्षिण एशिया में बढ़ते नकारात्मक जोखिम हैं जो आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रमुख जोखिमों और चुनौतियों में भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विवाद और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव शामिल है, जो मुद्रास्फीति के दबाव को फिर से बढ़ा सकता है और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।
इसके अलावा, चीन के संपत्ति बाजार में लंबे समय से जारी कमजोरी और कई दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक और बाहरी ऋण के उच्च स्तर आर्थिक स्थिरता को और भी अधिक प्रभावित कर सकते हैं।
इन जोखिमों और चुनौतियों के जवाब में, पूर्वी और दक्षिण एशिया की सरकारों ने अनुकूलित नीतियां लागू की हैं।
मुद्रास्फीति में कमी ने क्षेत्र के कई केंद्रीय बैंकों को 2024 में ब्याज दरों को कम करने के लिए प्रेरित किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय फ्रंट पर, क्षेत्र के देश राजकोषीय स्थान को दोबारा पाने और रणनीतिक सार्वजनिक व्यय और सुधारों के माध्यम से आर्थिक गतिविधि को सपोर्ट करने पर ध्यान दे रहे हैं।
राजनीति
केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी किए 1.73 लाख करोड़ रुपये
नई दिल्ली, 10 जनवरी। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्य सरकारों को कर में हिस्सेदारी के रूप में 1,73,030 करोड़ रुपये जारी किए। यह आंकड़ा दिसंबर 2024 में जारी किए 89,086 करोड़ रुपये के हस्तांतरण से अधिक है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस महीने में किया गया अधिक हस्तांतरित राज्यों को पूंजीगत व्यय में तेजी लाने और विकास एवं कल्याण संबंधी खर्च को फाइनेंस करने में मदद करेगा।
शुक्रवार को घोषित पैकेज के तहत 26 राज्यों को पैसे जारी किए गए हैं।
इसमें पश्चिम बंगाल के लिए 13,017.06 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश के लिए 7,002.52 करोड़ रुपये, कर्नाटक के लिए 6,310.40 करोड़ रुपये, असम के लिए 5,412.38 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ के लिए 5,895.13 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश के लिए 1,436.16 करोड़ रुपये, केरल के लिए 3,330.83 करोड़ रुपये, पंजाब के लिए 3,126.65 करोड़ रुपये और तमिलनाडु के लिए 7,057.89 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश को 31,039.84 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 10,930.31 करोड़ रुपये, गुजरात को 6,017.99 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 13,582.86 करोड़ रुपये, मणिपुर को 1,238.9 करोड़ रुपये और मेघालय को 1,327.13 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
कर हस्तांतरण केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए करों की शुद्ध आय को राज्यों को वितरित करने की प्रक्रिया है।
केंद्र सरकार वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर नियमित किस्तों में राज्यों को कर वितरित करती है।
वित्त आयोग कॉरपोरेट कर, आयकर और केंद्रीय जीएसटी सहित सभी करों की कुल शुद्ध आय में राज्यों के हिस्से की सिफारिश करता है।
15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र सरकार के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत 2021-26 की अवधि के लिए राज्यों को आवंटित किया जाए। इसे वर्टिकल हस्तांतरण के रूप में जाना जाता है।
इसने राज्यों के बीच धन वितरित करने के लिए मानदंड की भी सिफारिश की थी, जिसे हॉरिजॉन्टल हस्तांतरण के रूप में जाना जाता है।
व्यापार
मर्सिडीज-बेंज इंडिया इस साल 8 नए मॉडल और 20 टच पॉइंट करेगी पेश
नई दिल्ली, 10 जनवरी। लग्जरी कार निर्माता मर्सिडीज-बेंज इंडिया 2025 में कम से कम आठ नए मॉडल पेश करने की योजना बना रही है, क्योंकि पिछले साल घरेलू बाजार में कंपनी ने 19,565 यूनिट की बिक्री के साथ शानदार प्रदर्शन किया था। कंपनी ने अब तक की सबसे अधिक बिक्री दर्ज की थी। बिक्री में वृद्धि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में हाई-एंड कारों की बढ़ती मांग के कारण देखी गई।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया के एमडी संतोष अय्यर के अनुसार, 2025 के लिए रोडमैप साफ है और कंपनी “प्रोडक्ट पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित करेगी और पूरे भारत में लग्जरी टच पॉइंट बढ़ाएगी”।
जर्मन ऑटोमोबाइल निर्माता अगले तीन वर्षों में भारत में 450 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है और इस साल के अंत तक 20 नए टच-पॉइंट लॉन्च करने का लक्ष्य बना रही है।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया इस साल दूसरी तिमाही तक अपने मच-अवेटेड मॉडल ‘एएमजी जीएलई 53 कूप’ को भी लॉन्च करने की योजना बना रही है।
पिछले साल, ऑटोमेकर ने सालाना आधार पर 12.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और सभी चार तिमाहियां “वास्तव में मजबूत” रहीं।
अय्यर के अनुसार, पिछले साल की दूसरी छमाही में मजबूत वृद्धि “हमारे इलेक्ट्रिक कार पोर्टफोलियो में नए लॉन्च, लॉन्ग-व्हीलबेस ई-क्लास के कारण संभव हुई।”
इस बीच, मर्सिडीज-बेंज इंडिया के ओवरऑल कार पोर्टफोलियो में ईवी की हिस्सेदारी पिछले साल 6 प्रतिशत से अधिक हो गई, जो पेनिट्रेशन में सालाना आधार पर 94 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
ऑटोमेकर ने बीते साल 2024 में एफ1 हाइब्रिड टेक्नोलॉजी से लैस अपना नया ‘एएमजी सी 63 एस ई परफोर्मेंस’ मॉडल लॉन्च किया, जिसकी कीमत 1.95 करोड़ रुपये है। कंपनी का उद्देश्य अपने हाई-एंड वाहनों की बिक्री को बढ़ाना है, जिनकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये से अधिक है।
लग्जरी कारों की बिक्री में वृद्धि उच्च मध्यम वर्ग की बढ़ती आय को भी दर्शाती है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रही है।
यह 1 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले वर्ग में आयकरदाताओं की अधिक संख्या से भी दिखाई देता है।
व्यापार
सपाट खुला भारतीय शेयर बाजार, मजबूत नतीजों के बाद टीसीएस का शेयर करीब 4 प्रतिशत चढ़ा
मुंबई, 10 जनवरी। भारतीय शेयर बाजार हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सपाट खुला। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मजबूत तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद आईटी सेक्टर में खरीदारी देखी गई। शुरुआती कारोबार में टीसीएस का शेयर 3.7 प्रतिशत उछलकर 4,186 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया।
आईटी सेक्टर 2 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था।
सुबह करीब 9.34 बजे सेंसेक्स 177.53 अंक या 0.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,442.68 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 68.50 अंक या 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,458 पर कारोबार कर रहा था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 656 शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि 1,477 शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
निफ्टी बैंक 67.95 अंक या 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 49,435.55 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 273 अंक या 0.49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 55,472.90 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 101.50 अंक या 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,016.85 पर था।
बाजार के जानकारों के अनुसार, क्योंकि नतीजों का मौसम शुरू हो चुका है, इसलिए नतीजों के जवाब में बाजार में कई स्टॉक-स्पेसिफिक एक्टिविटी देखने को मिलेंगी।
उन्होंने कहा, “टीसीएस के नतीजों से संकेत मिलता है कि आईटी सेक्टर में मजबूती बनी रहेगी।”
सेंसेक्स पैक में, टीसीएस, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एचसीएलटेक, टाटा मोटर्स, नेस्ले इंडिया और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स थे। वहीं, इंडसइंड बैंक, जोमैटो, एनटीपीसी, एसबीआई, पावरग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा स्टील, एक्सिस बैंक, टाइटन और एशियन पेंट्स टॉप लूजर्स थे।
अमेरिकी बाजारों में आखिरी कारोबारी सत्र में बुधवार को डाउ जोन्स 0.25 प्रतिशत चढ़कर 42,635.20 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.16 प्रतिशत बढ़कर 5,918.30 पर और नैस्डैक 0.06 प्रतिशत गिरकर 19,478.88 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में जकार्ता और सोल हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। हांगकांग, चीन, बैंकॉक और जापान लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
जानकारों ने कहा, “अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित कार्रवाइयों के बारे में अनिश्चितता के मद्देनजर निकट भविष्य में बाजार में तेजी की संभावना नहीं है।”
उन्होंने कहा, “विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली में कोई राहत नहीं दिख रही है, जो गुरुवार को 7,170 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इससे बाजार पर दबाव बना रहेगा।”
घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 9 जनवरी को 7,639.63 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
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