राजनीति
भारतीय विश्वविद्यालयों संग एनईपी का अंतरराष्ट्रीयकरण चाहता है यूके का शिक्षा विभाग

इंग्लैंड के कई विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा से जुड़े लीडर्स का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया है। ब्रिटिश काउंसिल, भारत में यूके के इस महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी कर रहा है। प्रतिनिधिमंडल में यूनिवर्सिटीज यूके इंटरनेशनल (यूयूकेआई), शिक्षा विभाग (डीएफई यूके) और डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल ट्रेड (डीआईटी यूके) के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल एनईपी के अंतर्राष्ट्रीयकरण के ²ष्टिकोण को पूरा करने वाली साझेदारी और सहयोग पर चर्चा करेगा। इसका उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और अधिक से अधिक दो-तरफा छात्र और संकाय गतिशीलता को बढ़ावा देना भी है। प्रतिनिधिमंडल यूके इंटरनेशनल (यूयूकेआई), द रसेल ग्रुप, यूनिवर्सिटी वेल्स और 22 यूके उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे शीर्ष शिक्षा निकायों का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिससे यह देश का दौरा करने के लिए यूके से लीडर्स आफ हायर एजुकेशनका अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल बन गया है।
प्रतिनिधिमंडल के आगमन को लेकर यूजीसी संयुक्त सचिव, डॉ मंजू सिंह ने कहा, हम दोनों देशों को लाभान्वित करने वाली शिक्षा में द्विपक्षीय सहयोग जारी रखने के लिए यूके के उच्च शिक्षा लीडर्स के प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करते हैं। भारत और यूके के बीच छात्रों, फैकल्टी के साथ-साथ संस्थागत गतिशीलता की दो-तरफा गतिशीलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हम यूके के उच्च शिक्षा संस्थानों को ट्विनिंग, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए भारतीय समकक्षों के साथ काम करने के लिए आमंत्रित करते हैं। साथ ही वह गिफ्ट सिटी गुजरात में परिसरों की स्थापना का पता लगाएं।
आगामी 4 दिनों में 10 जून तक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, अहमदाबाद और कोलकाता आदि समेत 10 राज्यों के अधिकारियों, नीति निमार्ताओं और विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से मुलाकात करेगा।
2021 में भारत-ब्रिटेन ने भारत के एनईपी के आलोक में दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग का विस्तार करने के लिए महत्वाकांक्षी भारत-यूके रोडमैप 2030 की घोषणा की थी।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल यूनिवर्सिटी यूके इंटरनेशनल (यूयूकेआई) के निदेशक विविएन स्टर्न का कहना, हमें इस प्रमुख प्रतिनिधिमंडल के लिए भारत में यहां स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। भारत यूके के लिए एक प्रमुख भागीदार है, और उच्च शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के सभी पहलुओं में हमारे विश्वविद्यालयों के हमारे घनिष्ठ सहयोग से हमारे दोनों देशों के लिए बहुत बड़ा लाभ है। यह पहला बड़ा प्रतिनिधिमंडल है जिसे यूके ने कोविड -19 के आगमन के बाद से शुरू किया है, और यह महत्वपूर्ण है कि इस सप्ताह हमारे कई विश्वविद्यालय यहां हैं। नई शिक्षा नीति सहित नवीनतम विकास के बारे में, और भारत-यूके संबंधों के लिए आपकी महत्वाकांक्षाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, हम यहां भारतीय सहयोगियों से सुनने के अवसर की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं। यह हमारे विश्वविद्यालयों के बीच मौजूद गहरे और व्यापक संबंधों का जश्न मनाने और हमारे संस्थानों के साथ मिलकर काम करने और हमारे भविष्य के संबंधों की नींव रखने के कई तरीकों का जश्न मनाने का क्षण है।
बारबरा विकम ओबीई, निदेशक भारत, ब्रिटिश काउंसिल ने कहा, शिक्षा और अनुसंधान सहयोग भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारत के साथ संबंधों को मजबूत और विविधतापूर्ण बनाना यूके की प्राथमिकता है। महामारी के बाद की दुनिया में, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों को टीएनई के माध्यम से सीखने की गुणवत्ता में सुधार के लिए सबसे अच्छी स्थिति में रखा गया है और अनुसंधान नवाचार के लिए बल गुणक हैं जो सतत विकास और वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। ब्रिटिश काउंसिल में, हम हमेशा भारत की ज्ञान महत्वाकांक्षाओं के साथ साझेदारी करने के लिए नए अवसरों की तलाश करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर एनईपी के फोकस के साथ, यूके पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारियों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक से अधिक फैकल्टी और छात्र आदान-प्रदान हो और पहले से कहीं अधिक अनुसंधान उत्कृष्टता बढ़े।
महाराष्ट्र
आईएसआई एजेंट ज्योति मल्होत्रा की मुंबई यात्रा, वह किन लोगों से मिली यात्रा के दौरान, कहां रुकी और किसने सहायता प्रदान की, जांच जारी

मुंबई: मुंबई पाकिस्तानी जासूस ज्योति मल्होत्रा ने भी मुंबई में निरीक्षण किया। ज्योति की जांच के दौरान यह बात सामने आई। ज्योति ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण स्थानों की गुप्त सूचनाएं और विवरण एकत्र किए थे। ज्योति ने यात्रा कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियों को यूट्यूब पर अपलोड करके पाकिस्तान में भारतीय स्थानों का विवरण भी उपलब्ध कराया है। ज्योति की मुंबई यात्रा के बाद अब एजेंसियों ने उनकी यात्रा से संबंधित विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्योति ने 2023 में मुंबई का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने तीन शहरों का भी दौरा किया था।
ज्योति का मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त कर लिया गया है। ज्योति 12 मई 2023 को राजधानी एक्सप्रेस से मुंबई आईं. 14 मई को उन्होंने शहर में कई स्थानों का दौरा किया। वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करती थीं। वह 20 जुलाई 2023 को गरीब रथ एक्सप्रेस से मुंबई पहुंचीं और कुछ दिनों तक कई स्थानों का विवरण रिकॉर्ड किया और एकत्र किया। वह 3 अक्टूबर 2023 को विमान से मुंबई आईं और 22 दिन तक यहां रहीं। इस दौरान उन्होंने मेट्रो ट्रेन और अन्य साधनों से मुंबई की यात्रा भी की। वीडियोग्राफी और ट्रॉपिकल चैनल ने 25 अक्टूबर 2024 को विमान से दिल्ली की यात्रा, मुंबई की तीन यात्राएं और शहर का निरीक्षण और अवलोकन, जुलाई में लक्जरी बस द्वारा मुंबई की यात्रा, अगस्त में कांकोली एक्सप्रेस द्वारा अहमदाबाद की यात्रा और 2024 में पंजाब मेल द्वारा दिल्ली की यात्रा का विवरण भी साझा किया। ज्योति जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे कर रही हैं।
मुंबई यात्रा के दौरान उन्होंने लालबाग के राजा के दर्शन भी किए। मुंबई यात्रा के दौरान उसने यहां किससे संपर्क किया और इसके पीछे क्या मकसद था, इसकी जांच की जा रही है। ज्योति ने न केवल भारत की यात्रा की है, बल्कि उन्होंने विभिन्न देशों की भी यात्रा की है। यहां तक कि पाकिस्तान में आईएसआई ने भी उनकी मेजबानी की है। उसने भारत के बारे में कई गुप्त जानकारियां पाकिस्तान को दी हैं। इतना ही नहीं, यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि ज्योति ने मुंबई यात्रा के दौरान पाकिस्तान को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की क्या जानकारी और विवरण दिया है, तथा ज्योति के सहयोगियों और संपर्कों से पूछताछ की प्रक्रिया भी जारी है। एनआईए भी ज्योति से पूछताछ कर रही है।
राजनीति
संजय राउत ने राहुल गांधी के सवाल को बताया जनता की आवाज, बोले- पाकिस्तान पर नहीं कर सकते भरोसा

मुंबई, 23 मई। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो सवाल पूछे हैं, वे देश के 140 करोड़ लोगों के मन की बात है।
संजय राउत ने कहा, “राहुल गांधी ने पूछा है कि पाकिस्तान पर भरोसा क्यों करें? यह सवाल गलत कैसे हो सकता है? पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ भाजपा के ट्रोलर्स को ही शायद यह सवाल नहीं समझ आता।”
संजय राउत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ट्रंप से भारत को क्या फायदा हुआ? ट्रंप ने तो भारत को नुकसान ही पहुंचाया। हमारा आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जमीन हड़पने के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए था। हमने पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने के लिए लड़ाई शुरू की थी, लेकिन ट्रंप ने हमारा साथ देने के बजाय नुकसान पहुंचाया। राहुल गांधी का यह सवाल जनता की आवाज है। अगर राहुल गांधी ने यह सवाल पूछा है, तो मैं समझता हूं कि यह जनता के मन की बात है।”
संजय राउत ने आगे कहा, “हमारा खून खौलता है। हमारी रगों में देशभक्ति और भारत प्रेम का खून दौड़ता है। जब हमारे 26 निर्दोष लोग मारे गए, जब हमारी महिलाओं का सिंदूर मिटा, तब भी हमारा खून खौलता है। हमारे पास खून के अलावा कुछ नहीं, और वही खून देश के लिए बहता है।”
संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या भाजपा डोनाल्ड ट्रंप की पोस्टर बॉय बन गई है? राहुल गांधी ने क्या गलत सवाल पूछा है? पहले सवाल को समझिए। जब आपको सवाल की समझ नहीं होती तो आपको विपक्ष के सांसदों को विदेश भेजना पड़ता है ताकि वे देश की भूमिका स्पष्ट करें।”
उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शरीफ ने कहा था कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने देखा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। यह कहने की हिम्मत उन्हें कैसे हो गई? 1971 में जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को हराया था, तब भी पाकिस्तान की भाषा ऐसी नहीं थी। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में हमने पाकिस्तान को लोहे के चने चबवाए थे। तब भी उनके नेताओं की भाषा इतनी उग्र नहीं थी। लेकिन आज मोदी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कह रहे हैं कि उन्होंने भारत से 1971 का बदला लिया है, यह सरकार के लिए शर्म की बात है।”
तमिलनाडु में टीएएसएमएसी छापों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर राउत ने कहा, “ईडी भाजपा, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का हथियार है। मैं भी ईडी का शिकार रहा हूं। मेरे जैसे कई लोग इससे गुजर चुके हैं। जब तक ईडी है, तब तक मोदी-शाह और भाजपा का राज है।”
राजनीति
मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की उठी मांग

भोपाल 23 मई। भारतीय सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर पाकिस्तान को सबक सिखाया है। मध्य प्रदेश के राजनेताओं ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अगली पीढ़ी जान सके।
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के भाजपा और कांग्रेस के नेता ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की बड़ी सफलता मानते हैं। उनका मानना है कि सेना के शौर्य और पराक्रम को अगली पीढ़ी को भी जानना जरूरी है। यह तभी संभव है जब स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाए।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया है। ऐसे ही भोपाल से भाजपा के सांसद आलोक शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि किस प्रकार से देश की सेना के वीर सैनिकों ने हिंदुस्तान की रक्षा की और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।
उन्होंने आगे कहा कि पूरा देश सिंदूर विजय का उत्सव मना रहा है, जगह-जगह तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं, देश की जनता अपनी सेना का आभार व्यक्त कर रही है और देश के कई हिस्सों के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जा रहा है। इसलिए मध्य प्रदेश में भी इसे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
वहीं भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि हमारी सेना ने उतनी देर में आतंकवादियों के नौ ठिकानों को नष्ट कर दिया जितनी देर में हम होटल में नाश्ता करते हैं। स्वदेशी हथियारों से दुश्मन के ठिकानों को कब्र में बदल दिया। अगली पीढ़ी इसे जान सके, इसके लिए जरूरी है कि स्कूल के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जाए।
भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा था और इस दौरान भारत की ओर से लड़ी गई आजादी की लड़ाई की याद आ गई। भारत की दो महिला सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह से देश का प्रतिनिधित्व किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। साथ में यह भी शामिल किया जाना चाहिए कि मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों ने किस तरह से महिला सैन्य अधिकारी का अपमान किया था, जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए।
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