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शरद पवार की कहानी : 27 की उम्र में विधायक, तीन बार सी.एम बने, इंदिरा से बगावत, सोनिया विरोध में पार्टी बनाई

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शरद पवार महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के बड़े नेताओं में से एक हैं। महज 27 साल की उम्र में शरद पवार विधायक बन गए थे। उनका सियासी सफर 50 साल से भी ज्यादा का है। ऐसे में आज हम उनके सियासी सफर की कहानी बताएंगे। कैसे उन्होंने राजनीति में कदम रखा और देश के सबसे बड़े नेताओं की सूची में शुमार हो गए? आइए जानते हैं…
(एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया है। शरद पवार ने अपने इस्तीफे में कई भावनात्मक बातें भी कही हैं। पवार ने कुछ दिनों पहले इसको लेकर इशारा भी किया था। पवार ने यह एलान पार्टी की बैठक के दौरान किया।
पवार महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के बड़े नेताओं में से एक हैं। महज 27 साल की उम्र में शरद पवार विधायक बन गए थे। उनका सियासी सफर 50 साल से भी ज्यादा का है। ऐसे में आज हम उनके सियासी सफर की कहानी बताएंगे। कैसे उन्होंने राजनीति में कदम रखा और देश के सबसे बड़े नेताओं की सूची में शुमार हो गए? आइए जानते हैं…
पुणे में जन्म हुआ, मां ने लड़ा था चुनाव
82 साल के शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को पुणे के बारामती में हुआ था। उनके पिता एक कोऑपरेटिव सोसायटी में वरिष्ठ पद पर थे। मां स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने वाली वह इकलौती महिला थीं। पूर्व क्रिकेटर सदाशिव शिंदे की बेटी प्रतिभा शरद पवार की पत्नी हैं।

एक इंटरव्यू में प्रतिभा ने बताया था कि शादी से पहले शरद पवार ने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। 1967 से 90 तक शरद बारामती सीट पर काबिज रहे, उसके बाद से यह सीट उनके भतीजे अजित पवार के पास है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले साल 2009 से बारामती की सांसद हैं।
केवल 27 साल की उम्र में बन गए थे विधायक
शरद पवार ने बेहद कम उम्र में ही राजनीति में अच्छी पकड़ बना ली थी। जब वह 27 साल के थे, तब पहली बार विधायक चुन लिए गए थे। साल 1967 में वह पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद शरद पवार सियासत की बुलंदियों तक पहुंचे। सियासत में उनके शुरुआती संरक्षक तत्कालीन दिग्गज नेता यशवंत राव चव्हाण थे।
इंदिरा से की बगावत
आपातकाल के दौरान शरद पवार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बगावत कर दी। इंदिरा से बगावत करने के बाद पवार ने कांग्रेस छोड़ दी। साल 1978 में जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। राज्य के मुख्यमंत्री बने। साल 1980 में इंदिरा सरकार की जब वापसी हुई तो उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई। तब 1983 में शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया।
उस साल हुए लोकसभा चुनाव में शरद पवार पहली बार बारामती से चुनाव जीते लेकिन साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को मिली 54 सीटों पर जीत ने उन्हें वापस प्रदेश की राजनीति की ओर खींच लिया। शरद पवार ने लोकसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व किया

राजीव के दौर में वापस कांग्रेस में आए
साल 1987 में वो वापस अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में वापस आ गए। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। पवार उन दिनों राजीव गांधी के करीबी बन गए। पवार को साल 1988 में शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम की कुर्सी मिली। चव्हाण को साल 1988 में केन्द्र में वित्त मंत्री बनाया गया।

1990 के विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में 141 पर कांग्रेस की जीत पाई लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाने में कामयाब रहे। इसके साथ पवार तीसरी बार सीएम बनने में कामयाब रहे

फिर पीएम पद के उम्मीदवार भी बन गए थे शरद पवार
बात साल 1991 की है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हो गई। देशभर में अजीब स्थिति थी। प्रधानमंत्री पद को लेकर चर्चा होने लगी। तब शरद पवार का नाम उन तीन लोगों में आने लगा, जिन्हें कांग्रेस के अगले प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था। पवार के अलावा इस दौड़ में नारायण दत्त तिवारी और पी वी नरसिम्हा राव शामिल थे।

नारायण दत्त तिवारी साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार की वजह से पीएम बनने से रह गए। ये मौका दूसरे सीनियर नेता पी वी नरसिम्हा राव को मिल गया जबकि शरद पवार को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। लेकिन फिर शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति के लिए वापस भेजा गया। सोनिया गांधी से विवाद और बना ली खुद की नई पार्टी
ये बात है साल 1998 की। मध्यावधि लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए, लेकिन साल 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग हुई तो शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए।

पवार और कुछ अन्य नेता नहीं चाहते थे कि विदेशी मूल की सोनिया पार्टी का नेतृत्व करें। सोनिया का विरोध करने के चलते पार्टी से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। कांग्रेस से निष्कासन के बाद शरद पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया।शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर पार्टी जरूर बनाई लेकिन साल 1999 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जनादेश न मिलने पर कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार भी बना ली। साल 2004 से साल 2014 तक पवार लगातार केंद्र में मंत्री रहे। साल 2014 का लोकसभा चुनाव शरद पवार ने ये कहकर नहीं लड़ा कि वो युवा नेतृत्व को पार्टी में आगे लाना चाहते हैं।

सबसे युवा मुख्यमंत्री, बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे
शरद पवार के नाम महाराष्ट्र का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पवार 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन रहे और 2010 में आईसीसी के अध्यक्ष बने।

कैंसर से जंग जीते, डॉक्टर ने कहा था- केवल छह महीने जिंदा रहेंगे
शरद पवार ने कैंसर से जंग जीती है। एक टीवी चैनल में पवार ने बताया कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कैंसर का पता चला था। इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए। वहां के डॉक्टरों ने भारत के ही कुछ एक्सपर्ट्स के पास जाने को कहा। तब कृषि मंत्री रहते हुए पवार ने 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लिया।

यह बहुत दर्दनाक था। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि सुबह नौ से दो बजे तक वह मंत्रालय में काम करते। फिर 2.30 बजे अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी लेते। दर्द इतना होता था कि घर जाकर सोना ही पड़ता। इसी दौरान एक डॉक्टर ने उनसे कहा कि जरूरी काम पूरे कर लें। आप सिर्फ छह महीने और जी सकेंगे। पवार ने डॉक्टर से कहा कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आप भी मत करो। पवार ने लोगों को नसीहत दी कि कैंसर से बचना है तो तंबाकू का सेवन तुरंत बंद कर दें।

पत्नी के सामने रखी थी एक बच्चे की शर्त
शरद पवार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शादी से पहले उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार के सामने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। उन्होंने कहा था, ‘हमारी एक ही संतान होगी, चाहे वह लड़का हो या लड़की।’ इसके बाद 30 जून 1969 को पुणे में सुप्रिया का जन्म हुआ।

चुनाव

महाराष्ट्र: प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर एक नज़र, जिनका उद्घाटन सरकार 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले करने की योजना बना रही है।

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मुंबई: महाराष्ट्र में चुनाव नजदीक आते ही मंत्रीगण बड़ी योजनाओं और परियोजनाओं का उद्घाटन और घोषणा करने में व्यस्त हो गए हैं, ताकि वे अपने कार्यकाल के कामों को प्रदर्शित कर सकें और आगामी चुनावों के लिए मतदाताओं को लुभा सकें। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अटल सेतु, मुंबई कोस्टल रोड के खंड और अन्य सहित मेगा इंफ्रा परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।

महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में सरकार बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के उद्घाटन और घोषणाओं की झड़ी लगा रही है। 13 सितंबर को सीएम एकनाथ शिंदे ने मुंबई के कोस्टल रोड के एक अहम हिस्से का उद्घाटन किया। वहीं, शुक्रवार को पीएम मोदी अमरावती में एक मेगा टेक्सटाइल पार्क की आधारशिला रखने के लिए राज्य में थे। उन्होंने सोमवार को कोल्हापुर-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई।

हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक राज्य चुनावों के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है, लेकिन नवंबर में चुनाव होने की उम्मीद है। आइए कुछ प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नज़र डालें जिनका सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले महाराष्ट्र में उद्घाटन/घोषणा/पुरस्कार कर सकती है।

मुंबई और पुणे में मेट्रो परियोजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी 4 अक्टूबर को मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो 3 लाइन के चरण 1- आरे से बीकेसी का उद्घाटन कर सकते हैं। इसी यात्रा के दौरान, उनसे दो ठाणे क्रीक पुलों में से एक का उद्घाटन करने की उम्मीद है, जिससे नवी मुंबई की ओर जाने वाले मोटर चालकों को बड़ी राहत मिलेगी।

वहीं, प्रधानमंत्री 26 सितंबर को पुणे में सिविल कोर्ट से स्वर्गेट तक नई भूमिगत मेट्रो का उद्घाटन करेंगे और स्वर्गेट-काटराज तथा पिंपरी-चिंचवाड़-निगडी एलिवेटेड रूट की आधारशिला रखेंगे।

दोनों मेट्रो परियोजनाएं महाराष्ट्र के लिए महत्वाकांक्षी परिवहन अवसंरचना परियोजनाएं हैं। मुंबईकर 2014 से भूमिगत मेट्रो का इंतजार कर रहे हैं। मेट्रो 3 कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज़ ​​तक 33 किलोमीटर लंबी भूमिगत मेट्रो लाइन है। दूसरे चरण का काम अगले साल पूरा होने वाला है।

समृद्धि एक्सप्रेसवे

एमएसआरडीसी ने पिछले महीने कहा था कि महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग का अंतिम चरण सितंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा। इगतपुरी और अमाने (भिवंडी) के बीच 76 किलोमीटर का हिस्सा पूरा हो जाने के बाद, पूरा एक्सप्रेसवे परिचालन के लिए तैयार हो जाएगा।

701 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सेस-कंट्रोल एक्सप्रेसवे का निर्माण फरवरी, 2019 में शुरू हुआ था और 625 किलोमीटर लंबी सड़क मार्च, 2024 में चालू हो गई थी।

ठेके देने की दिशा में आगे बढ़ रही कुछ अन्य परियोजनाओं में ठाणे की इंटीग्रल रिंग मेट्रो, पुणे आउटर रिंग रोड, विरार-अलीबाग मल्टी मॉडल कॉरिडोर, जालना-नांदेड़ एक्सप्रेसवे और विदर्भ क्षेत्र में कुछ और एक्सप्रेसवे शामिल हैं।

सरकार का कार्यकाल नवंबर के अंत में समाप्त हो रहा है। राज्य के मंत्री कह रहे हैं कि अगले 15 दिनों में आचार संहिता लागू हो जाएगी और दिवाली के बाद नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है।

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अपराध

पुणे विस्फोट मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुनीब इकबाल मेमन को जमानत दी

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने 20 सितंबर को 2012 के पुणे सीरियल ब्लास्ट मामले के एक आरोपी मुनीब इकबाल मेमन को जमानत दे दी। मुनीब ने करीब 12 साल जेल में बिताए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेमन को अपनी रिहाई के लिए 1 लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करानी होगी।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और शर्मिला यू. देशमुख की खंडपीठ ने मेमन की अपील के जवाब में यह फैसला सुनाया, जिसमें विशेष अदालत के फरवरी के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। सितंबर 2022 में, जस्टिस मोहिते-डेरे ने पहले मेमन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें यह मानने के लिए उचित आधार की कमी थी कि वह आरोपों का दोषी नहीं है।

उच्च न्यायालय ने सुनवाई प्रक्रिया में तेजी लाते हुए निचली अदालत को दिसंबर 2023 तक कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है। मेमन के वकील मुबीन सोलकर ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल, 42 वर्षीय दर्जी को 12 वर्षों से अधिक समय तक बिना सुनवाई के हिरासत में रखा गया, जिससे शीघ्र सुनवाई के उनके अधिकार का उल्लंघन हुआ, जिसके लिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

ये विस्फोट 1 अगस्त 2012 को पुणे के जंगली महाराज रोड पर हुए थे, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया था। घटनास्थल पर एक बम को भी निष्क्रिय कर दिया गया था, जो नहीं फटा था। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने घटना में कथित संलिप्तता के लिए मेमन के साथ-साथ सात अन्य को भी गिरफ्तार किया था।

मेमन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों के तहत कई आरोप हैं।

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चुनाव

प्रकाश अंबेडकर की VBA ने महाराष्ट्र चुनाव 2024 के लिए 11 उम्मीदवारों की घोषणा की; पहली सूची में नागपुर, नांदेड़, औरंगाबाद सीटें शामिल हैं।

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मुंबई: महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और महायुति गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए बैठकों का दौर जारी है, वहीं वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने शनिवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। प्रकाश अंबेडकर की अगुआई वाली पार्टी ने अपनी पहली सूची में 11 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए हैं।

महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। अभी तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद है कि नवंबर के मध्य में मतदान होगा और अगले 15 दिनों में आचार संहिता लागू हो जाएगी।

वीबीए के 11 उम्मीदवार छत्रपति शंभाजीनगर, नागपुर और नांदेड़ जैसे शहरों के निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेंगे। अन्य सीटों में लोहा, शेवगांव, रावेर, सिंधखेड़, खानपुर, धामनगांव रेलवे और वाशिम शामिल हैं।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के दौरान प्रकाश अंबेडकर महाराष्ट्र में एमवीए (शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी), कांग्रेस) का समर्थन कर रहे थे। हालांकि, सीट बंटवारे पर बातचीत विफल हो गई और एमवीए ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया।

प्रकाश अंबेडकर ने क्या कहा

पहली उम्मीदवार सूची की घोषणा करते हुए, वीबीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कहा, “अपनी पवित्र विचारधारा के प्रति सच्चे रहते हुए, हमने वंचित, बहुजन समूहों को प्रतिनिधित्व दिया है, जिसका उद्देश्य सच्चा प्रतिनिधित्व और राजनीतिक शक्ति हासिल करना और कुछ जातियों के परिवारों के आधिपत्य को तोड़ना है।”

ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता शमीभा पाटिल को रावेर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है और पारधी समुदाय से आने वाले किसन चव्हाण को शेवगांव से उम्मीदवार बनाया गया है।

अंबेडकर ने कहा कि, “आने वाले दिनों में और नामों की घोषणा की जाएगी। हम बहुत प्रमुख राजनीतिक दलों के संपर्क में हैं और जल्द ही और दल हमारे गठबंधन में शामिल होंगे।”

अंबेडकर ने कहा, “ओबीसी-मराठा के बीच दंगे को रोकने में विफल रहने के बाद मुख्यधारा की पार्टियों ने हिंदू-मुस्लिम विभाजन की पुरानी और आजमाई हुई पद्धति का सहारा लिया है। मुख्यधारा की पार्टियों की चुप्पी पर सवाल उठाया जाना चाहिए।”

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