राजनीति
सड़क परिवहन मंत्री को प्राथमिक परिवहन प्रश्न का उत्तर देने में विफल रहने पर स्पीकर ओम बिरला ने बैठने को कहा।

लोकसभा बजट सत्र के दौरान एक अलग ही नजारा देखने को मिला।
दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा लोकसभा में सांसदों के सवालों का जवाब दे रहे थे। प्रश्नकाल के दौरान एक सांसद ने मंत्री से सवाल का जवाब मांगा। उन्होंने पूछा, ‘किसी भी सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के नियम क्या हैं?’ सवाल मंत्री की समझ से परे था। उन्होंने सांसद के विभागीय सवाल का जवाब खोला और पढ़ना शुरू किया। तभी स्पीकर ने जवाब पढ़ते समय मंत्री को बीच में ही टोक दिया। उन्होंने सवाल को स्पष्ट करने का प्रयास किया। सवाल समझ में न आने पर मंत्री ने उन्हें रोककर बैठने को कहा।
वास्तव में क्या हुआ?
राजस्थान के करौली-धौलपुर से कांग्रेस सांसद भजन लाल जाटव ने मंत्री अजय टम्टा से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के मानदंड के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि हमारे संसदीय क्षेत्र में तीन तीर्थ स्थल हैं। क्या आप मुंबई मोटरवे, पिनान, महुआ से करौली, करौली से कैलादेवी और पिनान से महुआ को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने पर विचार कर रहे हैं? इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मजाक में कहा, “आप पीडब्ल्यूडी मंत्री रह चुके हैं, आपको पता होना चाहिए कि एनएच कैसे घोषित किया जाता है।” सांसद भजन लाल जाटव ने इस संबंध में मानदंड जानने की इच्छा जताई।
अजय टम्टा ने जवाब देने के लिए उठते हुए कहा कि लोकसभा सदस्य ने महाराष्ट्र के बारे में सवाल पूछा था। विपक्ष ने दावा किया कि महाराष्ट्र नहीं बल्कि राजस्थान दोषी है। लोकसभा अध्यक्ष ने मंत्री को इस बारे में सूचित भी किया। ओम बिरला ने सांसद का सवाल फिर से पूछा। मंत्री इस पर एक बार फिर राजस्थान में विभाग के काम के बारे में जानकारी देना चाहते थे।
स्पीकर का हस्तक्षेप
स्पीकर ने जवाब में कहा कि उन्हें राजस्थान के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें एनएच घोषणा के लिए जरूरी शर्तों के बारे में जानने की जिज्ञासा है। इसके बाद मंत्री ने 2014 से पहले और बाद के एनएच के बारे में जानकारी देनी शुरू की। उन्होंने कहा कि 2014 तक 91,281 किलोमीटर एनएच थे। पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 1,41,136 किलोमीटर एनएच का निर्माण हुआ है। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें बैठने का इशारा किया।
सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई
सोशल मीडिया पर चर्चा और तेज हो गई है। संसदीय कार्यवाही का वीडियो सार्वजनिक होने के बाद से ही यूजर्स इस पर सवाल पूछ रहे हैं।
लोग पूछते हैं कि जब मंत्री जी ही अनिश्चित हैं तो जवाब कैसे मिलेगा। यूपी में जवाब देने को लेकर बहस बहुत गरमा गई है।
एक यूजर ने दावा किया कि स्पीकर विपक्षी पार्टी के सदस्यों के बोलने पर उन्हें बीच में ही रोक देते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं। मंत्री के प्रति उनका ऐसा व्यवहार उचित नहीं है।
राजनीति
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने निजी स्कूल में फीस अनियमितता की शिकायत पर दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान मॉडल टाउन स्थित एक निजी स्कूल में अभिभावकों द्वारा फीस वसूली में अनियमितता और बच्चों को स्कूल से निकाले जाने की शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लिया है।
सीएम ने इस मामले में तत्काल जां-च के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। सीएम रेखा गुप्ता ने साफ किया है कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समानता और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता अटूट है और किसी भी अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएम रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया। वीडियो के कैप्शन में सीएम ने कहा, “आज (मंगलवार को) जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान क्वीन मैरी स्कूल, मॉडल टाउन से संबंधित एक मामला सामने आया, जिसमें बच्चों के परिजनों ने गलत तरीके से फीस वसूली और बच्चों को स्कूल से निकाले जाने की शिकायत दर्ज की। इस विषय पर तुरंत संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को तत्काल जांच कर कड़ी और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समान अवसर और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। किसी भी प्रकार का अन्याय, शोषण या अनियमितता को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है, इसमें कोई ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी। हमारा संकल्प स्पष्ट है, हर बच्चे को न्याय, सम्मान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए।”
सीएम के द्वारा जारी वीडियो में एक छात्रा के पिता कह रहे हैं कि गैर कानूनी फीस न भरने के कारण हमारी बच्ची को स्कूल में बंधक बना कर रखा गया। बच्ची ने इसकी शिकायत हमसे की। इसके बाद हम स्कूल प्रशासन के पास गए और इस मामले की शिकायत की। उनका रवैया नहीं बदला। आज भी स्कूल से फोन आया और कहा गया कि अपने बच्चे को स्कूल से ले जाइए, जब तक आप फीस नहीं भरते।
दुर्घटना
कर्नाटक के बेलगावी में पटरी से उतरी मालगाड़ी, तीन डिब्बे क्षतिग्रस्त

बेलगावी, 15 अप्रैल। कर्नाटक के बेलगावी में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी के पटरी से उतर जाने की घटना सामने आई है, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। यह हादसा बेलगावी रेलवे स्टेशन से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर हुआ, जब मालगाड़ी बेलगावी से हुबली की ओर जा रही थी। उसी समय यह घटना हुई।
बताया जा रहा है कि चलती हुई ट्रेन के तीन डिब्बे अचानक पटरी से उतर गए, जिससे रेल यातायात पर भी अस्थायी असर पड़ा है। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे और पुलिस के आला अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए और स्थिति का जायजा लिया। फिलहाल किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
हादसा सुबह के समय हुआ जब अधिकतर लोग अपने दैनिक कार्यों की शुरुआत कर रहे थे। ऐसे में हादसे के बाद आसपास के इलाके के लोग मौके पर जमा हो गए और कुछ ही देर में घटनास्थल पर भारी भीड़ लग गई। घटना के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मालगाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतरकर दूसरी लाइन के बिल्कुल पास खड़े हैं। राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।
रेलवे अधिकारियों ने तुरंत तकनीकी टीम को मौके पर बुलाया और हादसे की जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती जांच के मुताबिक यह संभावना जताई जा रही है कि तकनीकी खराबी या पटरियों में किसी तरह की समस्या के चलते यह दुर्घटना हुई हो सकती है, लेकिन अभी तक किसी निश्चित कारण की पुष्टि नहीं की गई है।
फिलहाल रेलवे अधिकारी घटनास्थल पर जांच कर रहे हैं और पटरी से उतरने के कारणों की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि घटना की जांच के बाद ही इसपर कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल अधिकारी जांच में जुटे हैं।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
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