व्यापार
रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी स्नैपड्रैगन 7एस जेन 3 चिप के साथ देगा जबरदस्त परफॉरमेंस
नई दिल्ली, 13 जनवरी। आज जब डिजिटल तकनीक हमारे जीवन को पूरी तरह बदल रही है, स्मार्टफोन उद्योग भी एक नई क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। पारंपरिक स्मार्टफोन से आगे बढ़ते हुए अब “सुपरफोन” का युग आ चुका है। ये नए डिवाइस सामान्य मोबाइल क्षमताओं से कहीं अधिक उन्नत हैं। इनमें प्रोसेसिंग पावर, शानदार कैमरा क्षमता और बेहतरीन यूजर्स अनुभव का जबरदस्त तालमेल देखने को मिलता है।
आधुनिक उपयोगकर्ता केवल बातचीत करने वाले फोन नहीं चाहते। वे ऐसे डिवाइस चाहते हैं जो गेमिंग से लेकर प्रोफेशनल फोटोग्राफी तक, हर काम को बिना किसी रुकावट के कर सकें। साथ ही, बेहतर बैटरी और मजबूत कनेक्टिविटी की भी जरूरत होती है। इस बढ़ती मांग ने कंपनियों को मोबाइल तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
इस बदलाव की अगुवाई कर रहा है रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी फोन जो स्नैपड्रैगन 7एस जेन 3 5जी चिपसेट पर आधारित है। यह चिपसेट टीएसएमसी की 4एनएम तकनीक से बना है, जिसमें पावर और एफिशिएंसी का बेहतरीन संतुलन है। इसकी परफॉर्मेंस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यह 820,000 से अधिक एएनटीयूटीयू स्कोर हासिल करता है।
यह डिवाइस 12 जीबी + 14 जीबी एलपीडीडीआर4एक्स डायनामिक रैम और यूएफएस 3.1 स्टोरेज के साथ आता है, जिससे ऐप्स तेज़ी से लोड होते हैं और मल्टीटास्किंग में कोई दिक्कत नहीं होती। गेमिंग के लिए यह फोन बेहतरीन है, जहां फ्री फायर और बीजीएमआई जैसे गेम्स 90 एफपीएस पर आसानी से चलते हैं।
इस चिपसेट में स्पेक्ट्रा ट्रिपल आईएसपी इंटीग्रेटेड है, जो कैमरा को जबरदस्त बनाता है। रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी में 50एमपी का सोनी आईएमएक्स896 सेंसर है, जिससे आप बेहद स्पष्ट और डिटेल वाली तस्वीरें ले सकते हैं। इसमें एक ही समय पर फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी है, जिससे क्रिएटिविटी के नए आयाम खुलते हैं।
फोन में 6.83 इंच का 1.5के एएमओएलईडी स्क्रीन है, जो 120 हर्टज रिफ्रेश रेट के साथ आता है। यह स्क्रीन न केवल देखने में शानदार है, बल्कि स्मूद अनुभव भी देती है।
रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी अपने शानदार फीचर्स और दमदार परफॉर्मेंस के साथ प्रीमियम तकनीक को आम लोगों तक पहुंचा रहा है। यह फोन 16 जनवरी को लॉन्च होगा और सुपरफोन युग की शुरुआत का संकेत देगा।
राष्ट्रीय समाचार
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 11 जनवरी। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों, हवाई यात्रियों की संख्या, बढ़ते टोल और जीएसटी कलेक्शन जैसे सकारात्मक सूचकांकों के साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4 प्रतिशत थी। अब तक, रबी की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक रही है और यह कृषि विकास के लिए अच्छा संकेत है।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीएसटी कलेक्शन में भी 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो उपभोग मांग में तेजी का संकेत है।
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि की बेहतर संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा, जबकि शहरी मांग में भी सुधार के संकेत मिलते हैं। दिसंबर 2024 में मुद्रास्फीति में कमी आई और आने वाले महीनों में इसमें और कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, रुपये का अवमूल्यन एक प्रमुख जोखिम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तहत अमेरिकी नीतियों पर अधिक स्पष्टता होने तक वैश्विक और घरेलू फाइनेंशियल सिस्टम में कुछ हद तक अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है। हम 2025 में भारत की विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं।”
कुछ हाई फ्रिक्वेंसी सूचकांकों ने डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, इलेक्ट्रॉनिक आयात और फर्टिलाइजर बिक्री में वृद्धि के साथ मांग में तेजी का संकेत दिया है।
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि त्योहारों के बाद की इन्वेंट्री और सीमित नए लॉन्च के कारण यात्री वाहनों की कुल बिक्री कम रही।
ग्रामीण फ्रंट पर, नकदी प्रवाह के मुद्दों और ईवी बाजार की ओर रुख के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, निजी खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2023-24 के चार प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में 7.3 प्रतिशत रहेगी, जिससे आने वाले महीनों में स्थिर वृद्धि की संभावना बढ़ गई है।
इसमें यह भी बताया गया है कि नवंबर 2024 तक (12 मनी मार्केट अकाउंट के आधार पर) केंद्र का राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत पर स्थिर था। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर 2024 तक कुल व्यय में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर 2024 में भी उसी स्तर पर थी।
राजस्व व्यय की वृद्धि अक्टूबर 2024 तक 8.7 प्रतिशत थी जो नवंबर 2024 तक के आंकड़े में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई। वहीं, इस दौरान पूंजीगत व्यय की गिरावट की दर कम हुई।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आय के मामले में, नवंबर 2024 तक केंद्र की शुद्ध राजस्व वृद्धि भी 8.7 प्रतिशत पर स्थिर रही। प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार हुआ (11.1 प्रतिशत के मुकाबले 12.1 प्रतिशत), जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि थोड़ी धीमी हुई (10.5 प्रतिशत के मुकाबले 9.2 प्रतिशत) जबकि गैर-कर संग्रह स्थिर रहा।
व्यापार
भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में 11.4 बिलियन डॉलर का हुआ निवेश : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 11 जनवरी। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म सीबीआरई के अनुसार, भारत के रियल एस्टेट सेक्टर ने 2024 में 11.4 बिलियन डॉलर का इक्विटी निवेश आकर्षित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इक्विटी निवेश में वृद्धि, मुख्य रूप से डेवलपर्स और संस्थागत निवेशकों से भूमि अधिग्रहण के साथ-साथ रियल एस्टेट के सभी एसेट क्लास में विकास में प्रवाहित हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निवेश प्राइमरी रहा, जिसकी 2024 कैलेंडर वर्ष में कुल इक्विटी निवेश में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
सिंगापुर, अमेरिका और कनाडा ने वर्ष के दौरान भारतीय रियल एस्टेट में कुल इक्विटी निवेश में कुल मिलाकर 25 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया।
2024 में कुल इक्विटी निवेश में लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा डेवलपर्स ने कैपिटल इनफ्लो में सबसे आगे रखा, इसके बाद संस्थागत प्लेयर्स ने 36 प्रतिशत, निगमों ने 11 प्रतिशत, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) ने 4 प्रतिशत और दूसरी कैटेगरी ने लगभग 5 प्रतिशत हिस्सा लिया।
सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ – भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका अंशुमान मैगजीन ने कहा, “हमें निवेश एक्टिविटी में विशेष रूप से बिल्ट-अप ऑफिस एसेट्स और रेजिडेंशियल डेवलपमेंट साइट्स में निरंतर गति देखे जाने की उम्मीद है।
ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स पर बढ़ते फोकस से लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सेक्टर में मजबूत वृद्धि होगी, जिससे डेवलपर्स और निवेशकों दोनों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।”
एसेट क्लास को लेकर, 2024 में इक्विटी निवेश मुख्य रूप से लैंड/डेवलपमेंट साइट्स द्वारा संचालित किया गया, जो कुल हिस्सेदारी का 39 प्रतिशत था।
इसके बाद ऑफिस सेक्टर में 32 प्रतिशत, रिटेल सेक्टर में 9 प्रतिशत, रेजिडेंशियल सेक्टर में 8 प्रतिशत, इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स में 6 प्रतिशत, होटल में 2 प्रतिशत और दूसरे सेक्टर में 4 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रही।
सीबीआरई भारत के वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) को लेकर भी उत्साहित है, जिसने 2024 में 29.4 मिलियन वर्ग फीट पर मजबूत लीजिंग बनाए रखी।
भारत के शीर्ष नौ शहरों में कुल लीजिंग एक्टिविटी में 37 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ और सालाना आधार पर लगभग 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग और बीएफएसआई सहित क्षेत्रों की कंपनियां अपने जीसीसी के लिए ट्रेडिशनल और फ्लेक्सिबल दोनों तरह के ऑफिस स्पेस की मांग को बढ़ावा देंगी, साथ ही ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और लाइफ साइंस जैसे विशिष्ट क्षेत्रों से भी मांग जारी रहेगी।
राष्ट्रीय समाचार
2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 9 जनवरी। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि होने का अनुमान है। यह तेजी मजबूत हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर की वजह से देखी जा रही है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, अगले वित्त वर्ष के दौरान नोमिनल जीडीपी वृद्धि लगभग 10.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वृद्धि के प्रमुख संकेतकों में मजबूत हवाई यात्री यातायात, सेवा पीएमआई में वृद्धि और जीएसटी संग्रह में वृद्धि शामिल है।
इसके अतिरिक्त, रबी फसल की अधिक बुवाई से कृषि विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थिर आधार प्रदान करेगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत त्योहारी मांग और आर्थिक गतिविधि में लगातार सुधार के कारण लचीलापन दिखाया है।
यह लचीलापन हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर के रूप में दिखाई देता है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में शानदार वृद्धि दिखाई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 में मंदी तो रहेगी, लेकिन अच्छी बात यह है कि वित्त वर्ष 2025 में निजी और सरकारी खपत में क्रमशः 7.3 प्रतिशत और 4.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, निर्यात वृद्धि में वित्त वर्ष 2024 में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 5.9 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की संभावना है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2024-25 की दूसरी छमाही में सरकारी व्यय में तेजी आने की उम्मीद है, जो विकास के लिए अहम होगा। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में उच्च विकास को लेकर आशावाद देखा गया है।
हालांकि, रिपोर्ट वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण नकारात्मक जोखिमों के बारे में चेतावनी देती है।
रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ वॉर का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में आने वाला अमेरिकी प्रशासन संरक्षणवादी व्यापार नीतियों को लागू कर सकता है। इस तरह के उपाय वैश्विक व्यापार को बाधित कर सकते हैं और संभावित रूप से जवाबी कार्रवाई को गति दे सकते हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक स्थिरता को खतरा हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा टैरिफ नीतियों को लागू करने के बाद कई तरह के आर्थिक और रणनीतिक जोखिम बने हुए हैं। इसका वैश्विक व्यापार पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर, ध्यान मुख्य आर्थिक घटनाओं पर केंद्रित रहेगा, जिसमें केंद्रीय बजट, तीसरी और चौथी तिमाही में कॉर्पोरेट प्रदर्शन और भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति निर्णय शामिल हैं।
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