राष्ट्रीय समाचार
पद्म पुरस्कार : जानिए, किस राज्य के कितने लोगों को कौन सा पुरस्कार मिला
नई दिल्ली, 31 जनवरी। भारत सरकार ने 25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित किया गया। इस बार कुल 7 व्यक्तियों को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 को पद्मश्री से नवाजा गया। यह पुरस्कार उन लोगों को दिए गए, जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण कार्य किए हैं और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें सबसे ज्यादा तमिलनाडु और महाराष्ट्र की 13/ 13 शख्सियतों को पद्म पुरस्कार मिले। इसके अलावा उत्तर प्रदेश 10 शख्सियतों को यह पुरस्कार मिले। साथ ही कर्नाटक और पश्चिम बंगाल की 9-9 शख्सियतों को यह पुरस्कार मिला है। आइए जानते हैं किस राज्य में कितने लोगों को यह पुरस्कार मिले।
आंध्र प्रदेश से कुल 5 नाम हैं:
नंदमुरी बालकृष्ण (कला) (पद्म भूषण), मदुगुला नागफानी शर्मा (कला) (पद्मश्री), मिरियाला अप्पाराव (मरणोपरांत) (कला) (पद्म श्री), वादिराज रघवेन्द्रचार्य पंचमुखी (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), के एल कृष्णा (साहित्य और शिक्षा) (पद्मश्री)।
अरुणाचल प्रदेश से 1 नाम है:
जुमदे योमगम गमलिन (सामाजिक कार्य) (पद्मश्री)।
असम से कुल 5 नाम हैं:
जतिन गोस्वामी (कला) (पद्म भूषण), अनिल कुमार बोरो (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), गीता उपाध्याय (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), जोनअचरण बथारी (कला) (पद्म श्री), रेबा कांत महंता (कला) (पद्म श्री)।
बिहार से कुल 7 नाम हैं:
शारदा सिन्हा (मरणोपरांत) (कला) (पद्म विभूषण), सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत) (लोक-कार्य) (पद्म भूषण), भीम सिंह भावेश (सामाजिक कार्य) (पद्म श्री), हेमंत कुमार (चिकित्सा) (पद्म श्री), किशोर कुनाल (मरणोपरांत) (सिविल सेवा), निर्मला देवी (कला) (पद्म श्री), विजय नित्यानंद सुरीश्वर जी महाराज (अन्य – आध्यात्मिकता) (पद्म श्री)।
चंडीगढ़ से 1 नाम है:
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जगदीश सिंह खेहर (लोक-कार्य) (पद्म विभूषण)।
छत्तीसगढ़ से 1 नाम है:
पांडी राम मंडावी (कला) (पद्म श्री)।
दिल्ली से कुल 8 नाम हैं:
3बिबेक देबरॉय (मरणोपरांत) (साहित्य एवं शिक्षा) (पद्म भूषण), कैलाश नाथ दीक्षित (पुरातत्व) (पद्म भूषण), बैरी गोडफ्रे जॉन (कला) (पद्म श्री), भारत गुप्त (कला) (पद्म श्री), सी एस वैद्यनाथन (सार्वजनिक मामले) (पद्म श्री), नीरजा भटला (चिकित्सा) (पद्म श्री), रामदराश मिश्रा (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), सुरेंद्र कुमार वसल (विज्ञान और इंजीनियरिंग) (पद्म श्री)।
गोआ से 1 नाम है:
लिबिया लोबो सरदेसाई (सामाजिक कार्य) (पद्म श्री)।
गुजरात से कुल 7 नाम हैं:
कुमुदिनी रजनीकांत लखिया (कला) (पद्म विभूषण), चंद्रकांत सोमपुरा (अन्य – वास्तुकला) (पद्म श्री), चंद्रकांत शेठ (मरणोपरांत) (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), परमार लवजीभाई नागजीभाई (कला) (पद्म श्री), रतन कुमार परिमू (कला) (पद्म श्री), तुषार दुर्गेशभाई शुक्ला (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), सुरेश हरिलाल सोनी (सामाजिक कार्य) (पद्म श्री)।
हरियाणा से 2 नाम हैं:
हरविंदर सिंह (खेल) (पद्म श्री), संत राम देसवाल (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री)। हिमाचल प्रदेश से 1 नाम है: हरिमन शर्मा (अन्य – कृषि) (पद्म श्री)।
जम्मू और कश्मीर से 2 नाम हैं:
फारूक अहमद मीर (कला), ललित कुमार मंगोत्रा (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री)। झारखंड से 1 नाम है: महाबीर नायक (कला) (पद्म श्री)।
कर्नाटक से कुल 9 नाम हैं:
लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम (कला) (पद्म विभूषण), ए सूर्य प्रकाश (साहित्य एवं शिक्षा-पत्रकारिता) (पद्म भूषण), अनंत नाग (कला) (पद्म भूषण), भीमव्वा दोड्डबलप्पा शिल्लेक्याथारा (कला) (पद्म श्री), हसन रघु (कला) (पद्म श्री), रिकी ज्यान केज (कला) (पद्म श्री), वेन्कप्पा अंबाजी सुगतेकर (कला) (पद्म श्री), प्रशांत प्रकाश (व्यापार और उद्योग) (पद्म श्री), विजयलक्ष्मी देशमाने (चिकित्सा) (पद्म श्री)।
केरल से कुल 5 नाम हैं:
एम. टी. वासुदेवन नायर (मरणोपरांत) (साहित्य और शिक्षा) (पद्म विभूषण), जोस चाको पेरियाप्पुरम (चिकित्सा) (पद्म भूषण), पी आर श्रीजेश (खेल) (पद्म भूषण), इनिवालप्पिल मनि विजयन (खेल) (पद्म श्री), के ओमनाकुट्टी अम्मा (कला) (पद्म श्री)।
मध्य प्रदेश से 6 नाम हैं:
बुधेंद्र कुमार जैन (चिकित्सा) (पद्म श्री), भैरू सिंह चौहान (कला) (पद्म श्री), हरचंदन सिंह भट्टी (कला) (पद्म श्री), जगदीश जोशीला (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), सल्ली होलकर (व्यापार और उद्योग) (पद्म श्री), सुभाष खेतुलाल शर्मा (अन्य – कृषि) (पद्म श्री)।
महाराष्ट्र से कुल 13 नाम हैं:
मनोहर जोशी (मरणोपरांत) (लोक-कार्य) (पद्म भूषण), शेखर कपूर (कला) (पद्म भूषण), पंकज उधास (मरणोपरांत) (कला) (पद्म भूषण), अच्युत रामचंद्र पालव (कला) (पद्म श्री), अशोक लक्ष्मण सराफ (कला) (पद्म श्री), अश्विनी भिड़े देशपांडे (कला) (पद्म श्री), अरुंधती भट्टाचार्य (व्यापार और उद्योग) (पद्म श्री), चैत्रम देवचंद पवार (सामाजिक कार्य) (पद्म श्री), जसपिंदर नरूला (कला) (पद्म श्री), मारुति भुजंगराव चितंपल्ली (साहित्य और शिक्षा) (पद्म श्री), रणेंद्र भानु मजूमदार (कला) (पद्म श्री), वसुदेव कामथ (कला) (पद्म श्री), विलास डांगरे (चिकित्सा) (पद्म श्री)।
मणिपुर से 1 नाम है:
थियाम सूर्यमुखी देवी (कला) (पद्म श्री)
मेघालय से 1 नाम है:
डेविड आर सिएमलीह (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री)
मिजोरम से 1 नाम हैं:
रेंथलेई लालरवना (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री)
नागालैंड से 1 नाम है:
एल हांगथिंग (अन्य – कृषि – पद्म श्री)
ओडिशा से 4 नाम हैं:
अद्वैत चरण गदनायक (कला – पद्म श्री), अशोक कुमार महापात्र (चिकित्सा – पद्म श्री), दुर्गा चरण रंबीर (कला – पद्म श्री), प्रतिभा सत्पथी (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री)
पुड्डुचेरी से 1 नाम है:
पी डचनामूर्ति (कला – पद्म श्री)
पंजाब से 2 नाम हैं:
हरजिंदर सिंह नगरवाले (कला – पद्म श्री), ओंकार सिंह पहवा (व्यापार और उद्योग – पद्म श्री)
राजस्थान से 3 नाम हैं:
बैजनाथ महाराज (अन्य – आध्यात्मिकता – पद्म श्री), बेगम बतूल (कला – पद्म श्री), शीन काफ निजाम (शिव किशन बिस्सा) (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री)
सिक्किम से 1 नाम हैं:
नरेन गुरुंग (कला – पद्म श्री)
तमिलनाडु से 13 नाम हैं:
नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी (व्यापार और उद्योग – पद्म भूषण), एस अजित कुमार (कला – पद्म भूषण), शोभना चंद्रकुमार (कला – पद्म भूषण), के दामोदरन (अन्य – खान-पान – पद्म श्री), एम डी निवास (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म श्री), लक्ष्मीपति रामासुब्बैयर (साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता – पद्म श्री), गुरुवायुर दोरई (कला – पद्म श्री), आर अश्विन (खेल – पद्म श्री), आर जी चंद्रमोगन (व्यापार और उद्योग – पद्म श्री), राधाकृष्णन देवसेनापथी (कला – पद्म श्री), सीनी विश्वनाथन (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री), वेलु आसान (कला – पद्म श्री), पुरिसाई कन्नप्पा संबंदन (कला – पद्म श्री)
तेलंगाना से 2 नाम हैं:
दुर्वुर नागेश्वर रेड्डी (चिकित्सा – पद्म विभूषण), मंडा कृष्ण मडिगा (सार्वजनिक मामले – पद्म श्री)
त्रिपुरा से 1 नाम है:
अरुणोदय साहा (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री)
उत्तर प्रदेश से 10 नाम हैं:
रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता – पद्म भूषण), साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य – पद्म भूषण), अशुतोष शर्मा (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म श्री), गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री), हृदय नारायण दीक्षित (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री), नारायण (भुलै भाई) (मरणोपरांत) (सार्वजनिक मामले – पद्म श्री), सत्यपाल सिंह (खेल), सैयद ऐनुल हसन (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री), श्याम बिहारी अग्रवाल (कला – पद्म श्री), सोनिया नित्यानंद (चिकित्सा – पद्म श्री)।
उत्तराखंड से 2 नाम हैं:
ह्यू और कॉलीन गांटज़र (मरणोपरांत) (द्वय – साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता – पद्म श्री), राधा बहिन भट्ट (सामाजिक कार्य – पद्म श्री)।
पश्चिम बंगाल से 9 नाम हैं:
अरिजीत सिंह (कला – पद्म श्री), गोकुल चंद्र दास (कला – पद्म श्री), ममता शंकर (कला – पद्म श्री), पवन गोयनका (व्यापार और उद्योग – पद्म श्री), सज्जन भजंका (व्यापार और उद्योग – पद्म श्री), स्वामी प्रदीप्तानंद (कार्तिक महाराज) (अन्य – आध्यात्मिकता – पद्म श्री), तेजेंद्र नारायण मजूमदार (कला – पद्म श्री), नागेंद्र नाथ रॉय (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री), विनायक लोहानी (सामाजिक कार्य – पद्म श्री)।
अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में 10 नाम हैं:
ओसामु सुजुकी (मरणोपरांत), (जापान) (व्यापार और उद्योग – पद्म विभूषण), विनोद धाम (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म भूषण) (संयुक्त राज्य अमेरिका), अजय वी भट्ट (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म श्री) (संयुक्त राज्य अमेरिका), अरविंद शर्मा (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री) (कनाडा), चेतन ई चितनिस (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म श्री) (फ्रांस), नितिन नोहरिया (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री) (संयुक्त राज्य अमेरिका), सेथुरामन पंचानाथन (विज्ञान और इंजीनियरिंग – पद्म श्री) (संयुक्त राज्य अमेरिका), स्टीफन नैप्प (साहित्य और शिक्षा – पद्म श्री) (संयुक्त राज्य अमेरिका), शेखा शैखा अली अल-जबर अल-सबाह (चिकित्सा – पद्म श्री) (कुवैत), जोनास मासेटी (अन्य – आध्यात्मिकता – पद्म श्री) (ब्राजील)।
राष्ट्रीय समाचार
राज्यसभाः सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीनेशन की मांग, हर साल हो रही है 75 हजार महिलाओं की मौत

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: हर साल सर्वाइकल कैंसर से देश में लगभग 75 हजार महिलाओं की मौत हो रही है। सोमवार को यह जानकारी राज्यसभा में दी गई। इस गंभीर विषय पर जानकारी देते हुए राज्यसभा सांसद सुलता देव ने कहा कि हर साल करीब 1 लाख 25 हजार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की पहचान होती है, इनमें से 75 हजार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
इस मृत्यु के आंकड़े को रोकने व सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए उन्होंने सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीनेशन का विषय सदन में उठाया। बीजू जनता दल की राज्यसभा सांसद सुलता देव ने सदन को बताया कि सर्वाइकल कैंसर एक बहुत बड़ा विषय है। यह ऐसा है जिससे महिलाएं प्रभावित होती हैं। उन्होंने राज्यसभा सभा में कहा कि सर्वाइकल कैंसर से हर साल देश में 75 हजार महिलाओं की मृत्यु भी हो रही है।
सुलता देव ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन मौजूद है जिससे इस बीमारी को रोका जा सकता है। यह एक विशेष वायरस होता है जिसके कारण सर्वाइकल कैंसर होता है। इस वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन मौजूद है। वैक्सीन से काफी प्रिवेंशन हो सकता है और ऐसे में सरकार का यह दायित्व है कि वह यह वैक्सीन मुहैया करवाए। वैक्सीन उपलब्ध करवाने के लिए सरकार को आगे बढ़कर आना चाहिए।
राज्यसभा को जानकारी देते हुए सुलता देव ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर से हमारी माताएं-बहनें बहुत प्रभावित एवं पीड़ित हैं। इससे उनकी मृत्यु भी हो रही है तो ऐसी स्थिति को देखते हुए सरकार को महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन लगानी चाहिए। यह हमारे लिए बहुत जरूरी है कि देश की महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए। नारी का सम्मान तभी सही मायने में हो सकेगा जब उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सकेगा।
उन्होंने राज्यसभा में कहा कि पूरे घर का ध्यान रखते रखते अक्सर महिलाएं अपना ध्यान नहीं रख पाती हैं। ऐसे में सरकार को सर्वाइकल कैंसर के प्रति सजगता बरतते हुए यह वैक्सीन उपलब्ध करानी चाहिए। 9 से 14 साल की लड़कियों को इस वैक्सीन की दो डोज के जरिए सुरक्षित किया जा सकता है। यदि यह वैक्सीनेशन छूट गया है तो 15 से 26 साल की उम्र की लड़कियों को तीन डोज दी जा सकती हैं। वहीं इससे बड़ी उम्र की महिलाओं को डॉक्टर की सलाह पर यह वैक्सीनेशन करवाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि महिलाएं इस देश की आधी आबादी हैं, इस आधी आबादी का ध्यान कौन रखेगा? कैंसर एक भयंकर बीमारी है। कैंसर होने पर उपचार के लिए सारी जमीन जायदाद बिक जाती है। लेकिन सर्वाइकल कैंसर एक अकेली ऐसी कैंसर की बीमारी है जिसके लिए वैक्सीनेशन उपलब्ध है, तो ऐसी स्थिति में हमें यह वैक्सीन एशियन उपलब्ध करवाना चाहिए। इस रोग से बचाव किया जा सकता है और उपचार से बेहतर है कि बचाव किया जाए। सरकार ने अपने बजट में भी सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीनेशन की बात कही है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि महिलाओं के सुरक्षित जीवन को ध्यान में रखते हुए यह वैक्सीनेशन उपलब्ध कराया जाए।
राजनीति
जो महापुरुष उनके नहीं, उन्हें भी भाजपा अपनाना चाहती है : अखिलेश यादव

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा चल रही है। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर सबकुछ अपनाने का आरोप लगाया।
लोकसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “वंदे मातरम के 150 वर्ष के होने के उपलक्ष्य में हम राष्ट्रीय गीत को सदन में याद कर रहे हैं। हमें इस बात का गर्व है। हम इस मौके पर बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को भी याद करें, जिन्होंने इतना शानदार गीत राष्ट्र को दिया, जिसने लाखों-लाख लोगों को जागृत किया और उनके बीच उत्साह भरा।”
उन्होंने कहा, “आजादी के उस समय पर, जिस समय अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही थी, वंदे मातरम हमें ऊर्जा और ताकत देता था। वंदे मातरम हमें एकजुट करके अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का माध्यम बनता था। जब कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया, उसके बाद इसकी आम लोगों के बीच भी पहुंच हो गई। जब भी लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ना होता था, तब वंदे मातरम का नारा देकर लोगों को जोड़ने का काम किया जाता था। हमारा कोई भी आंदोलन रहा हो, उसमें हम सभी इस नारे के साथ चले।”
अखिलेश यादव ने कहा, “वंदे मातरम को लेकर हमने लोगों को इतना एकजुट कर दिया कि अंग्रेज उससे घबराने लगे। जहां भी अंग्रेज देखते थे कि यह नारा लगाया जा रहा है, वहां पर लोगों के ऊपर देशद्रोह का कानून लगाकर जेल भेज देते थे। जिस समय बंगाल में बच्चों ने अपने क्लासरूम में यह गीत गाया, उस समय भी अंग्रेजों ने उनके खिलाफ मुकदमा लगाकर जेल भेजने का काम किया। वंदे मातरम को अंग्रेजों ने बैन भी कर दिया, लेकिन हमारे लोगों ने इसे नहीं माना और जनता के बीच इसे आगे बढ़ाते रहे।”
सपा अध्यक्ष ने कहा, “भाजपा बहुत कुछ अपनाना चाहती है। जब हम इस खास मौके पर वंदे मातरम को याद कर रहे हैं, तो सत्ता पक्ष की भारतीय जनता पार्टी में हमें समय-समय पर देखने को मिलता है कि जो महापुरुष उनके नहीं हैं, उन्हें वे अपनाना चाहते हैं। उनकी पार्टी का जिस समय गठन हो रहा था, उस समय उनके अध्यक्ष को जो पहला भाषण देना था, उस पर भी बहस चल रही थी। बहस इस बात की थी कि उनकी पार्टी सेक्युलर रास्तों पर जाएगी या नहीं। तमाम विरोध के बाद जब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे, तो उन्होंने भाषण में समाजवादी आंदोलन, समाजवादी और सेक्युलर विचारधारा अपनाई।”
राजनीति
फसल की सरकारी खरीद नहीं हो रही, सरकार असल मुद्दों से भटका रही ध्यान: सपा सांसद अवधेश प्रसाद

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सभी जिलाधिकारियों को अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के दिए निर्देशों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि योगी सरकार असल मुद्दों से ध्यान हटाकर दूसरे रास्ते पर चल रही है, जबकि प्रदेश में बहुत सारी गंभीर समस्याएं मौजूद हैं।
अवधेश प्रसाद के मुताबिक आज सबसे बड़ी समस्या किसानों की है। किसानों की धान की फसल घरों में पड़ी है, लेकिन सरकारी खरीद एकदम ठप है। इससे बिचौलियों को मनचाही कीमत पर किसानों का शोषण करने की खुली छूट मिल गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई इलाकों में तो एक बोरी भी सरकारी खरीद नहीं हुई है। वह खुद भी यात्रा के दौरान देखकर आए हैं कि किसानों की हालत कितनी खराब है।
सपा सांसद ने अयोध्या जनपद का एक और मामला उठाया। उन्होंने कहा कि चौरासी कोसी परिक्रमा के नाम पर हजारों किसानों की जमीन को बिना मुआवजा दिए अधिग्रहीत किया जा रहा है और बुलडोजर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों को बचाने और पशुओं को ठंड में संभालने के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में 5000 से ज्यादा किसानों ने परेशानियों के चलते अपनी जान तक दे दी, लेकिन उस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही।
सांसद ने प्रदेश में बढ़ते दलित उत्पीड़न का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अत्याचार के मामलों में रोज बढ़ोतरी हो रही है और योगी सरकार में रिकॉर्ड टूट रहे हैं। काकोरी में हुए एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि रामपाल पासी नाम के एक बुजुर्ग के साथ कितनी अमानवीय हरकत हुई। बीमारी की हालत में मंदिर के पास बैठने पर उन्हें पीटा गया और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया।
अवधेश प्रसाद का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनता की असली समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
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