राजनीति
नीतीश ‘बच गए तो काम के नहीं, बचे तो राम के’ तर्ज पर लड़ रहे कोरोना से जंग : कांग्रेस

बिहार कांग्रेस ने कोरोना संक्रमितों की बढ़ी संख्या को लेकर नीतीश सरकार पर जोरदार निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृद्घि हो रही है वहीं सरकार सभी नियमों और कानूनों का ताक पर रखकर मरीजों के इलाज का दावा कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल कोरोना की लड़ाई बैठकों के जरिए ‘बच गए तो काम के नहीं, बचे तो राम के’ तर्ज पर लड़ रहे हैं और स्र्फि उनकी नजर चुनाव पर है।
कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) का कहना है कि जो लेाग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, उन्हें घर से अलग क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाए। अगर संक्रमित लोग घर में आइसोलेट किए जा रहे हैं तो इससे संक्रमित के परिजनों तथा आसपास के लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा है।
कुमार ने कहा कि डब्लूएचओ से उलट बिहार सरकार कोरोना संक्रमितों को होम क्वारंटाइन की सलाह देकर उनसे छुटकारा पाने की कवायद में जुटी है। कुमार कहते हैं कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था देश के अन्य सभी राज्यों से फिसड्डी है। कोरोना की कौन कहे आम बीमारी की दवा भी शायद ही यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध है।
उन्होंने कहा, “इस स्थिति में सरकार को राजधानी पटना में स्थित बिहार संग्रहालय भवन में क्वारंटाइन सेंटर बनाना चाहिए, जिससे कोरोना संक्रमित सभी लोगों को सुरक्षित और इलाजरत रखा जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि ‘लॉकडाउन’ लगाकर ही सिर्फ कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सकता है। लॉकडाउन को कड़ाई से पालन भी करवाना होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास जब कोरोना से सुरक्षित नहीं रहा है तो गांवों की स्थिति समझी जा सकती है।
राजनीति
आज जब हालात सामान्य हो रहे हैं, तो प्रधानमंत्री मणिपुर जा रहे हैं: विजय वडेट्टीवार

मुंबई, 13 सितंबर। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर आगमन की आलोचना की।
विजय वडेट्टीवार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा था, वहां के लोगों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। तब प्रधानमंत्री ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी और आज जब वहां पर हालात सामान्य हो रहे हैं, स्थिति पटरी पर आ रही है, तो प्रधानमंत्री वहां जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मणिपुर की जातीय हिंसा में करीब 250 से भी ज्यादा लोग मारे गए। कई महिलाओं की अस्मत लूटी गई। लेकिन, अफसोस, तब प्रधानमंत्री ने वहां के लोगों की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। जब मणिपुर को प्रधानमंत्री मोदी की आवश्यकता थी, तब उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और जब हालात वहां पर दुरुस्त हो रहे हैं, तो वे वहां जाकर क्या साबित करना चाहते हैं?
इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने नागपुर में ओबीसी की बैठक पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आज नागपुर में ओबीसी की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में हम मोर्चा को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं। हमने सभी सीमाओं को परे रखकर इस बैठक में सभी पार्टी के नेताओं को शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया है। जिस तरह से ओबीसी आरक्षण में किसी दूसरे को घुसाने की कोशिश की गई, वो निंदनीय है। दूसरी तरफ, जहां ये लोग मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, तो वहीं ओबीसी समुदाय को यह कहकर आश्वस्त कर रहे हैं कि आप लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। आपके हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि दो रोटियां हैं, लेकिन खाने वाले पांच हैं। तो ऐसी स्थिति में अब सरकार क्या हासिल करना चाहती है? जिस तरह से मौजूदा समय में रेवड़ियां बांटी जा रही हैं, उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हमारे पास कई ऐसे नेताओं के नाम हैं जो अभी ओबीसी का प्रमाणपत्र लेकर घूम रहे हैं।
छगन भुजबल ने कहा कि दबाव में मराठा आरक्षण का फैसला लिया गया। इस संबंध में सवाल किए जाने पर विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अब अगर छगन भुजबल यह दावा कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर उनके पास इस संबंध में सोर्स भी होंगे, तो उन्हें अब अपने सोर्स का भी खुलासा करना चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि उन्हें यह जानकारी कहां से प्राप्त हुई?
इसके अलावा, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच होने जा रहे मैच पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल हैरान करने वाली बात है कि एक तरफ जहां केंद्र सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बात करती है, तो वहीं दूसरी तरफ ये लोग भारत और पाकिस्तान के बीच मैच कराने की बात कर रहे हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अब इस सरकार की भूमिका दो मुंहे सांप की तरह हो चुकी है। अब इस सरकार की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि इन लोगों के खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग हैं।
राष्ट्रीय समाचार
एंटीलिया आतंकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुंबई पुलिस इंस्पेक्टर सुनील माने को जमानत दी

SUPRIM COURT
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एंटीलिया आतंकी हमले और उसके बाद ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किए गए बर्खास्त मुंबई पुलिस निरीक्षक सुनील माने को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि माने मुकदमा शुरू हुए बिना ही साढ़े चार साल से ज़्यादा समय हिरासत में बिता चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हमारी राय है कि याचिकाकर्ता को निचली अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए।” पीठ ने यह भी बताया कि माने की स्थिति सह-आरोपी और सेवानिवृत्त एसीपी प्रदीप शर्मा से “कमोबेश मिलती-जुलती” है, जिन्हें 2023 में ज़मानत दी गई थी।
माने के वकील सोमवार को मुंबई की निचली अदालत में ज़मानत की औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए जाएँगे। अदालत उनकी रिहाई की शर्तें तय करेगी, जिसके बाद माने लगभग साढ़े चार साल बाद जेल से बाहर आ सकेंगे।
माने को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था। यह मामला 25 फरवरी, 2021 को शुरू हुआ, जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के बाहर जिलेटिन की छड़ों और एक धमकी भरे पत्र से भरी एक एसयूवी मिली थी। कुछ दिनों बाद, 5 मार्च को, एसयूवी से जुड़े मनसुख हिरेन का शव ठाणे की एक खाड़ी से बरामद हुआ।
एनआईए के अनुसार, माने 2 मार्च, 2021 को बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाज़े और सेवानिवृत्त एसीपी शर्मा के साथ एक साज़िश बैठक में शामिल था, जहाँ हिरेन भी मौजूद था। जाँचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि माने ने तावड़े नाम के एक इंस्पेक्टर के रूप में खुद को पेश किया, हिरेन को एक जगह पर फुसलाया और उसे दूसरों को सौंप दिया, जिन्होंने बाद में उसकी हत्या कर दी। एजेंसी ने आगे दावा किया कि माने को उस गाड़ी का विवरण दिया गया था जिसका इस्तेमाल हिरेन को उसके कथित हत्यारों तक पहुँचाने के लिए किया गया था।
माने ने लगातार आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि अंबानी के आवास के पास विस्फोटक रखने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और न ही हिरेन की हत्या में उनकी कोई संलिप्तता थी। उनकी पिछली ज़मानत याचिका नवंबर 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि माने को मुकदमे में सहयोग करना होगा और अनावश्यक देरी से बचना होगा। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि ज़मानत की शर्तों का उल्लंघन करने पर ज़मानत रद्द हो सकती है।
एंटीलिया आतंकी हमले के मामले में तीन सेवारत पुलिस अधिकारियों सहित दस आरोपी शामिल हैं। मुख्य आरोपी सचिन वाझे अभी भी हिरासत में है। मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है।
खेल
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है, क्योंकि भारतीय सैनिक सीमा पर अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि दोनों देशों के बीच रविवार को होने वाले एशिया कप मैच का बहिष्कार करना दुनिया को आतंकवाद पर हमारे रुख से अवगत कराने का एक अवसर है।
ठाकरे ने कहा, “यह क्रिकेट मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है। क्या हमें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए जबकि हमारे सैनिक सीमा पर अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं?”
भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ठाकरे ने क्रिकेट मैच को देशभक्ति का मजाक बताया।
ठाकरे परिवार के मुंबई स्थित आवास मातोश्री में बाल ठाकरे और पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बीच हुई एक पुरानी मुलाकात का जिक्र करते हुए उद्धव ने कहा, “मेरे पिता ने जावेद मियांदाद से कहा था कि जब तक पाकिस्तान से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां जारी रहेंगी, तब तक कोई क्रिकेट नहीं होगा।”
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