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Saturday,21-June-2025
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गांधी उपनाम के सहारे नेहरू-गांधी परिवार ने चलाई अपनी राजनीतिक दुकान : भाजपा

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भाजपा ने कांग्रेस आलाकमान (नेहरू – गांधी ) परिवार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि महात्मा गांधी की इच्छा के विपरीत गांधी उपनाम के सहारे नेहरू-गांधी परिवार ने अपनी राजनीतिक दुकान चलाई है। भाजपा ने विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अपने ‘घमंडिया फाइल्स’ अभियान के तहत गुरुवार को 13 वां एपिसोड जारी कर यह आरोप लगाया।

भाजपा ने कहा, “महात्मा गांधी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का सपना देखा था। वह कांग्रेस को भंग करना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक महात्वाकांक्षा रखने वाले नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया। घमंडिया फाइल्स के एपिसोड 13 में देखिए, कैसे गांधी उपनाम के सहारे नेहरू-गांधी परिवार ने अपनी राजनीतिक दुकान चलाई।”

भाजपा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घमंडिया फाइल्स के एपिसोड 13 के तहत 3 मिनट 52 सेकंड का वीडियो जारी कर कहा, “कांग्रेस को परिवारवाद पसंद है। महात्मा गांधी के उपनाम के सहारे अपनी राजनीतिक दुकान चलाने वाले नेहरू गांधी परिवार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ही नहीं बल्कि पूरे देश को धोखे में रखा। महात्मा गांधी ने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखा था। वह चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं रखने वाले जवाहरलाल नेहरू ने गांधी की इच्छा पर अपने सपनों को सर्वोपरि रखा और फिर शुरू हुआ नेहरू गांधी परिवार की वंश बेल का खेल। कांग्रेस अध्यक्ष पद से लेकर प्रधानमंत्री पद तक नेहरू गांधी परिवार ने खुद को ही तवज्जो दी। कांग्रेस में इस परिवार ने किसी नेता का कद बढ़ने ही नहीं दिया और कांग्रेस को एक फ्रेंचाइजी की तरह चला कर रखा। इन्होंने देश में ऐसा माहौल बनाया कि लगने लगा कि नेहरू गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का कोई वजूद ही नहीं है। कांग्रेस आज भी मोतीलाल नेहरू के बने रास्ते पर ही चल रही है जिन्होंने पुत्र मोह में जवाहरलाल नेहरू को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हाशिये पर डालने की कोशिश की थी और फिर वही कांग्रेसी परंपरा बन गई। आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद अपने पास रखा।”

भाजपा ने अपने वीडियो में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी पर जमकर निशाना साधा। वीडियो में सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने और राहुल गांधी के पहले महासचिव और फिर अध्यक्ष बनने के प्रकरण का भी जिक्र किया गया और मनमोहन सिंह को रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री बताया गया है।

भाजपा ने कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को कठपुतली अध्यक्ष बताते हुए कहा, “साल 2022, कांग्रेस में 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई कांग्रेसी अध्यक्ष नियुक्त हुआ। मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बने तो जरूर, लेकिन वह भी सिर्फ कठपुतली अध्यक्ष ही साबित हुए। योग्यता पर परिवार को आगे रखना, यही गांधी परिवार की हमेशा से मंशा रही है, तभी तो गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। घमंडिया गठबंधन में शामिल ज्यादातर राजनीतिक दल अपने परिवार को बचाने निकले हैं और कांग्रेस उसी घमंडियां गठबंधन की अगुआ पार्टी है। क्योंकि हो सकता है कि आने वाले समय में कांग्रेस की परिवारवादी बेल नेहरू-गांधी परिवार से निकलकर गांधी-वाड्रा परिवार में बदल जाए।”

राजनीति

जयंती विशेष: गणेश घोष, एक क्रांतिकारी जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए

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नई दिल्ली, 21 जून। गणेश घोष एक क्रांतिकारी और राजनेता थे। आजादी के बाद वे कई बार विधायक, सांसद रहे और देश के नीति निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।

गणेश घोष का जन्म चटगांव में एक बंगाली कायस्थ परिवार में 22 जून 1900 को हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।

1922 में उन्होंने कलकत्ता के बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। वह चटगांव युगांतर पार्टी के सदस्य रहे। 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगांव शस्त्रागार छापे में उन्होंने भाग लिया था। इस वजह से उन्हें चटगांव से भागना पड़ा। वह हुगली के चंदननगर में रहने लगे। कुछ ही दिन के बाद पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर के उनके घर पर हमला कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस गिरफ्तारी अभियान के समय पुलिस ने उनके एक युवा साथी क्रांतिकारी जीबन घोषाल उर्फ ​​माखन को मार डाला था।

पुलिस ने गणेश घोष को गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा किया और 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेज दिया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेल में बिताए। 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़ गए। 1952, 1957 और 1962 में बेलगछिया से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। 1971 की लोकसभा में वे फिर से कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। इस बार उन्हें एक युवा नेता के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

यह युवा नेता कोई और नहीं, प्रिय रंजन दास मुंशी थे। सिर्फ 26 साल की उम्र में दास ने गणेश घोष को हराया था। गणेश घोष की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कोलकाता में हुई थी।

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महाराष्ट्र

ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी की स्मृति को सलाम: अबू आसिम आज़मी

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मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि भाजपा के दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फिलिस्तीन की आजादी का समर्थन किया था और उस पर जुल्म और अत्याचार का विरोध किया था, लेकिन आज देश इजरायल परस्त है। उन्होंने इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति पर ईरान का समर्थन किया और ईरान के लिए दुआ की और कहा कि अल्लाह उसे उत्पीड़ितों के लिए कार्य क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं यही प्रार्थना करता हूं। अबू आसिम आजमी ने ईरानी धर्मगुरु और नेता अयातुल्ला खुमैनी के साहस और समर्थन को सलाम किया और कहा कि ईरान जुल्म के खिलाफ खड़ा है, इसलिए हम उसके लिए दुआ करते हैं।

आजमी ने कहा कि जिस तरह से भारतीय नागरिकों को ईरान से भारत लाया गया है, उसी तरह इजरायल में युद्ध के शिकार हुए भारतीयों को भी उनके वतन वापस लाया जाना चाहिए। आजमी ने कर्नाटक सरकार द्वारा हाउसिंग सोसाइटियों में मुसलमानों को 15% आरक्षण देने के फैसले का भी स्वागत किया और कहा कि अगर हाउसिंग सोसाइटियों में 15% आरक्षण दिया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यहां सभी को समान न्याय और अधिकार का अधिकार है।

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महाराष्ट्र

हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को भुगतान करने का आदेश दिया

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मुंबई: हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को बड़ा झटका दिया है। मुंडे को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता, भोजन और भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने धनंजय मुंडे को चार सप्ताह के भीतर गुजारा भत्ता का 50 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए करुणा मुंडे ने मुंडे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंडे अच्छे हैं लेकिन उनका दलाल गिरोह उन्हें गुमराह कर रहा है। करुणा मुंडे ने इस फैसले का स्वागत किया है। पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का मामला बांद्रा फैमिली कोर्ट में चल रहा था। करुणा ने मुंडे से गुजारा भत्ता मांगा था। मुंडे से 2 लाख रुपये गुजारा भत्ता मांगा गया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुंडे को बड़ा झटका दिया है। बांद्रा कोर्ट ने कई महीने पहले करुणा शर्मा को 1 लाख 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था अगस्त 2022 से जून 2025 या 34 महीने की अवधि के लिए कुल 43 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है और चार सप्ताह के भीतर 21 लाख 87 हजार 500 रुपये यानी 50% राशि बांद्रा कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। करुणा मुंडे ने धनंजय मुंडे पर परेशान करने और धमकाने और उनके मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो भेजने का भी गंभीर आरोप लगाया है।

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