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Monday,01-December-2025
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मुंबई: डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड स्कीम में 65 वर्षीय व्यक्ति ने गंवाए ₹61 लाख

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एक 65 वर्षीय व्यक्ति धोखेबाजों का शिकार हो गया और डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी में 61.19 लाख रुपये खो दिया।

घोटालेबाजों ने खुद को संचार मंत्रालय और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर पीड़ित से संपर्क किया और उसे बताया कि उसके नाम से जारी सिम कार्ड का इस्तेमाल अश्लील सामग्री प्रसारित करने के लिए किया गया है।

उन्होंने बताया कि पीड़ित के नाम पर एक बैंक खाता खोला गया था और उसका इस्तेमाल 2 करोड़ रुपए की ठगी करने के लिए किया गया। घोटालेबाजों ने पीड़ित को फ्लैट बेचने के बाद मिले पैसे ट्रांसफर करने के लिए उकसाया।

पुलिस के अनुसार, पीड़ित रत्नागिरी का रहने वाला है। 20 दिसंबर को उसे एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को संचार मंत्रालय से होने का दावा किया। फोन करने वाले ने पीड़ित को बताया कि उसके नाम पर एक सिम जारी किया गया है और उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया जा रहा है। पीड़ित ने ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार किया, जिसके बाद फोन करने वाले ने कहा कि वह कॉल को मुंबई पुलिस को ट्रांसफर कर रहा है, जो मामले की जांच कर रही है।

बाद में अंधेरी पुलिस स्टेशन का सब-इंस्पेक्टर होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने पीड़ित से बात की। घोटालेबाज ने पीड़ित के साथ एक फर्जी शिकायत कॉपी भी साझा की, जिसमें कहा गया था कि सिम कार्ड का इस्तेमाल अश्लील सामग्री प्रसारित करने के लिए किया गया था। घोटालेबाज ने पीड़ित को बताया कि उसके नाम पर एक बैंक खाता खोला गया था और उसी का इस्तेमाल 2 करोड़ रुपये की लूट के लिए किया गया था। फिर उन्होंने पीड़ित को बताया कि उनके बैंकिंग लेन-देन का सरकारी ऑडिटर द्वारा ऑडिट किया जाएगा और पीड़ित को अपने वित्त का विवरण साझा करने के लिए प्रेरित किया।

पीड़ित इस जाल में फंस गया और उसने जालसाज को बताया कि उसने अपना फ्लैट बेच दिया है और 26 दिसंबर तक उसके बैंक खाते में 58 लाख रुपए आने की उम्मीद है। पीड़ित ने जालसाजों द्वारा बताए गए बैंक खातों में 61.19 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए, लेकिन जब जालसाजों ने और पैसे मांगे तो पीड़ित को शक हुआ। इसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया और मामले में अपराध दर्ज करवाया।

ठाणे पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (धोखाधड़ी), 319 (छद्म रूप में धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66सी (पहचान की चोरी), 66डी (कम्प्यूटर संसाधन का उपयोग करके छद्म रूप में धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है।

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जॉइंट हेल्थ रिसर्च रोडमैप बनाने की कवायद; सीएसआईआर, आईसीएमआर ने की हाई-लेवल बैठक

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नई दिल्ली, 25 नवंबर: काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने मंगलवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ जॉइंट हेल्थ रिसर्च के लिए एक इंटीग्रेटेड रोडमैप को मजबूत करने के लिए एक हाई-लेवल बैठक की। साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने यह जानकारी दी।

राजधीनी दिल्ली स्थित सीएसआईआर साइंस सेंटर में हुई इस मीटिंग की को-चेयर सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. एन कलैसेल्वी और आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल और हेल्थ रिसर्च डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी डॉ. राजीव बहल ने को-चेयर की।

मंत्रालय ने कहा कि बातचीत के दौरान दोनों ऑर्गनाइजेशन ने सीएसआईआर मॉलिक्यूल्स के क्लिनिकल ट्रायल्स में जाने, सीएसआईआर लैब्स में आईसीएमआर-सपोर्टेड सेंटर्स ऑफ एडवांस्ड रिसर्च की स्थिति और बड़े प्रोजेक्ट्स के इम्प्लीमेंटेशन सहित चल रहे बड़े कोलेबोरेटिव इनिशिएटिव्स की प्रोग्रेस का रिव्यू किया।

बयान में आगे कहा गया कि शहरों, अस्पतालों और समुदायों में कई पैथोजन्स के लिए वेस्टवॉटर सर्विलांस को जारी रखने और बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही, वन हेल्थ मिशन के जरिए मिलकर किए जाने वाले कामों को मजबूत करने पर आम सहमति बनी।

एक्सपर्ट्स ने नए मॉलिक्यूल्स और दवाओं के डेवलपमेंट में सीएसआईआर और आईसीएमआर की अपनी-अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर भी चर्चा की, जिसमें सिस्टमैटिक क्लिनिकल ट्रायल्स और आईसीएमआर की बड़े जानवरों की टॉक्सिसिटी टेस्टिंग सुविधाओं का इस्तेमाल शामिल है।

एसआईआर-आईसीएमआर पीएचडी कार्यक्रम की समीक्षा की गई। इसमें युवा शोधकर्ताओं के लिए ज्यादा अवसर बढ़ाने पर जोर दिया गया, जिसमें आईसीएमआर की फेलोशिप को सीएसआईआर की फेलोशिप के साथ जोड़ना भी शामिल है।

डॉ. कलैयसेल्वी और डॉ. बहल ने कहा कि सीएसआईआर की वैज्ञानिक और तकनीकी ताकत को आईसीएमआर के सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों के साथ मिलाकर काम करना चाहिए, ताकि देश के लिए बड़े और महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए जा सकें।

मंत्रालय ने आगे कहा, “उन्होंने टेक्नोलॉजी के को-डेवलपमेंट के लिए समय पर प्रोग्रेस, बेहतर कोऑर्डिनेशन और स्ट्रक्चर्ड मैकेनिज्म की जरूरत पर जोर दिया, जिसमें एक जॉइंटली प्लान्ड, डिजिटली कंट्रोल्ड मेडिकल इमरजेंसी ड्रोन सर्विस भी शामिल है।”

बयान में यह भी कहा गया कि एक्सपर्ट्स ने कोलेबोरेशन को तेज करने, जॉइंट प्रोजेक्ट डेवलपमेंट को आसान बनाने और बायोमेडिकल साइंस, डायग्नोस्टिक्स, डिजिटल हेल्थ और एनवायर्नमेंटल हेल्थ सर्विलांस जैसे उभरते डोमेन में एंगेजमेंट बढ़ाने पर जोर दिया।

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क्या यात्रियों को पटरियों पर चलने के लिए मजबूर किया गया? जीआरपी ने शुरू की जांच, क्या सीएसएमटी पर सैंडहर्स्ट रोड के पास दो यात्रियों की मौत की वजह हड़ताल है?

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मुंबई: राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि क्या छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर रेलवे कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन के पास लोकल ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हुई।

6 नवंबर को एक तेज़ रफ़्तार लोकल ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। बताया जा रहा है कि सभी पाँचों पीड़ित एक अन्य लोकल ट्रेन से उतरकर पटरी पार कर रहे थे, जो रेलकर्मियों की अचानक हड़ताल के कारण बीच सेक्शन में रुकी हुई थी।

मिडिया से बात करते हुए , जांच से परिचित वरिष्ठ जीआरपी अधिकारी ने कहा कि जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या यात्रियों को खड़ी ट्रेन से कूदकर पटरियों पर चलने के लिए मजबूर किया गया था।

मृतक की पहचान हेली मोहमाया (19) के रूप में हुई है; हालाँकि, दूसरे मृतक की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। कैफ चोगले (22), खुश्बू मोहमाया (45) और याफ़िज़ा चोगले (62) घायल हुए हैं। जीआरपी दूसरे मृतक की पहचान का पता लगाने और पीड़ितों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है।

चल रही जाँच का हवाला देते हुए, डीसीपी (मध्य रेलवे) प्रज्ञा जेज ने कहा कि सभी पहलुओं की जाँच की जा रही है। सीएसएमटी जीआरपी के वरिष्ठ निरीक्षक संभाजी कटारे ने कहा, “हम सभी संभावित सबूत इकट्ठा कर रहे हैं।”

सीएसएमटी रेलवे स्टेशन पर अचानक विरोध प्रदर्शन 9 जून को हुई मुंब्रा ट्रेन दुर्घटना के संबंध में दो रेलवे इंजीनियरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में किया गया। इस दुर्घटना में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

मुंब्रा दुर्घटना में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए दो इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जाँच में पाया गया कि दुर्घटना से चार दिन पहले बदले गए ट्रैक के एक हिस्से को बिना वेल्ड किए छोड़ दिया गया था, जिसके कारण ट्रेन पटरी से उतर गई और पाँच यात्रियों की मौत हो गई।

राष्ट्रीय रेलवे मजदूर संघ (एनआरएमयू) और सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमयू) ने संयुक्त रूप से गुरुवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया और एफआईआर वापस लेने की मांग की।

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महागठबंधन का घोषणापत्र बिहार की जनता की ‘उम्मीद’ : मुकेश सहनी

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Mukesh

पटना, 29 अक्टूबर: विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने महागठबंधन की तरफ से जारी किए गए घोषणापत्र जनता की उम्मीद बताया। सहनी महागठबंधन की ओर से उप-मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में दावा किया कि जो काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 सालों में सत्ता में रहते नहीं कर पाएं, हम लोग सत्ता में आने के बाद उस काम को हर कीमत पर पूरा करके रहेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति विकास से अछूता नहीं रहे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास प्रदेश के विकास के लिए कोई भी विजन नहीं है। अगर होता, तो आज प्रदेश की स्थिति ऐसी नहीं होती। आज की तारीख में हमारे लोगों को दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है। उनकी भी ख्वाहिश है कि वो भी अपने ही प्रदेश में रहे। अपने परिवार के बीच में अपने लोगों के बीच में रहे।

साथ ही, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास बिहार के विकास के लिए कोई योजना भी नहीं है। यही कारण है कि वो हमारे मेनिफेस्टो की नकल कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई विजन नहीं है। आप देख लीजिए, जितनी भी योजनाएं वो वर्तमान में बिहार में चला रहे हैं, उसकी जड़े कहीं न कहीं महागठबंधन से मिलती जुलती है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि इनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई लेना-देना नहीं है। ये लोग कभी-भी बिहार के विकास के बारे में नहीं सोचते हैं। इन लोगों का एकमात्र मकसद सिर्फ सत्ता में बने रहना होता है।

उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि ‘माय बहन मान योजना’ के तहत सभी को 2,500 रुपये दिया जाएगा, तो नीतीश कुमार ने भी इस योजना की नकल शुरू कर दी। उन्होंने बिहार के लोगों को 10 हजार रुपये देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद हमने विधवा पेंशन के तहत 1100 रुपये देने का बात की, तो इन लोगों ने 15,00 रुपये देने का ऐलान कर दिया। जब हमने कहा था कि हम 200 यूनिट बिजली फ्री करेंगे, तो उन्होंने फ्री बिजली देने का ऐलान कर दिया। ये काम तो वो पहले भी कर सकते थे। लेकिन, हमारी घोषणा के बाद ही क्यों किया? इससे यह साफ जाहिर होता कि इन लोगों के पास बिहार के विकास के लिए कोई लेना देना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि हमने ऐलान किया है कि बिहार में सभी लोगों को नौकरी दी जाएगी और वो हम देकर रहेंगे। जिस तरह से हमने अब तक सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है, ठीक उसी प्रकार से हम लोगों को बिहार में नौकरी देकर रहेंगे। लेकिन, दुख की बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते हैं कि बिहार के लोगों को नौकरी मिले। ये लोग सिर्फ चाहते हैं कि बिहार के लोग दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाए। लेकिन, अब इस तरह की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा, उन्होंने ‘जननायक’ को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोई भी जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से जननयाक होता है। हमें उस रास्ते पर चलना होगा। इस बारे में किसी भी प्रकार की गलत बात का प्रचार करने से बचना होगा, ताकि हमारे लोग गुमराह नहीं हों। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित कई नेता जननायक बन सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको उस रास्ते पर चलना होगा।

उन्होंने कहा कि अब समय आ चुका है कि हम लोग खुलकर विकास करें। लेकिन, यह दुख की बात है कि हमारे नेता 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज देकर कह रहे हैं कि यही विकास है। ऐसा करके ये लोग देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

साथ ही, उन्होंने कहा कि अगर कोई सत्ता में रहते हुए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके किसी को परेशान करेगा, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम भी जब सत्ता में आएंगे, तो इस तरह की स्थिति को हर कीमत पर रोकने की कोशिश करेंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश में किसी भी व्यक्ति के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।

उन्होंने एसआईआर पर कहा कि हम इस पर क्या ही कहेंगे। अब अगर किसी ने मन बना ही लिया है कि वो वोट चोरी करके रहेगा, तो करें। अब क्या ही कर सकते हैं।

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