पर्यावरण
मौसम विभाग ने तमिलनाडु के तीन जिलों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की
चेन्नई, 14 जनवरी। मौसम विभाग ने तमिलनाडु के तीन जिलों थूथुकुडी, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी में बुधवार को भारी बारिश होने की भविष्यवाणी की है।
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी) के अनुसार, तमिलनाडु और पुडुचेरी के कई हिस्सों में 17 जनवरी तक हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। चेन्नई में मंगलवार और बुधवार को गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
शहर में अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है, जबकि बादल छाए रहने की स्थिति में न्यूनतम तापमान 23 डिग्री से 24 डिग्री के बीच रहने की संभावना है।
आरएमसी ने कहा कि ऊपरी वायु परिसंचरण (अपर एयर सर्कुलेशन) के कारण 16 जनवरी तक चेन्नई और उसके आसपास के जिलों में हल्की बारिश होगी। भारी बारिश मंजोलाई बेल्ट तक ही सीमित रहेगी, जबकि चेन्नई से लेकर डेल्टा जिलों और थूथुकुडी तक के तटीय क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, एक निम्न दबाव प्रणाली के कारण 19 से 21 जनवरी के बीच राज्य में बारिश होने का अनुमान है। तमिलनाडु में पूर्वोत्तर मानसून के मौसम में 14 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जो मौसमी औसत 393 मिमी के मुकाबले 447 मिमी दर्ज की गई है। चेन्नई में 845 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो औसत से 16 प्रतिशत अधिक है, जबकि कोयंबटूर में 47 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
बता दें कि तमिलनाडु में 29 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच आए चक्रवात फेंगल ने तबाही मचाई थी। इसके कारण 12 लोगों की मौत हो गई थी। 2,11,139 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई थी। 1,649 किलोमीटर लंबे विद्युत कंडक्टर, 23,664 बिजली के खंभे और 997 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गए थे और 9,576 किलोमीटर लंबी सड़कें, 1,847 पुलिया तथा 417 टैंक नष्ट हो गए थे। विल्लुपुरम, तिरुवन्नामलाई और कल्लाकुरिची जिलों में एक दिन में 50 सेमी से अधिक बारिश हुई, जो पूरे मौसम के औसत के बराबर थी।
चक्रवात के कारण भयंकर बाढ़ आई और फसलें बर्बाद हो गई थी और पूरे राज्य में 69 लाख परिवार और 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर चक्रवात फेंगल को एक गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया था।
पर्यावरण
कश्मीर में भीषण ठंड, श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे गिरा
श्रीनगर, 13 जनवरी। जम्मू एवं कश्मीर में सोमवार को न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया। बढ़ती ठंड के चलते वहां सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है।
श्रीनगर शहर में न्यूनतम तापमान माइनस 5.1 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि गुलमर्ग और पहलगाम में यह माइनस 6.5 और माइनस 8.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
जम्मू शहर में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस, कटरा शहर में 6, बटोटे में 2.6, बनिहाल में माइनस 0.6 और भद्रवाह में माइनस 0.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
मौसम विभाग ने एक बयान में कहा, “13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में मौसम मुख्य रूप से साफ और शुष्क रहेगा। 14 जनवरी को बादल छाए रहेंगे और मौसम शुष्क रहेगा। 15 और 16 जनवरी को आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और 16 जनवरी की सुबह के समय ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी होगी। 17 से 19 जनवरी को आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और 19 तारीख तक बारिश की संभावना नहीं दिख रही है।”
इसके साथ ही पर्यटकों और यात्रियों को यातायात विभाग द्वारा जारी एडवायजरी का पालन करने की सलाह दी गई है।
जम्मू संभाग में लोगों ने ‘लोहड़ी’ त्योहार मनाया, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने का प्रतीक है। आम तौर पर माना जाता है कि लोहड़ी के बाद मौसम में थोड़ा सुधार देखने को मिलता है, लेकिन घाटी में 40 दिनों की भीषण ठंड 30 जनवरी तक जारी रहती है।
स्थानीय रूप से ‘चिल्लई कलां’ कहलाने वाली भीषण सर्दी की 40 दिनों की अवधि 21 दिसंबर से शुरू हुई और 30 जनवरी को समाप्त होगी।
डॉक्टरों ने लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सलाह दी है कि वे लंबे समय तक बाहर न रहें, इससे हाइपोथर्मिया हो सकता है। जिससे शरीर में रक्त जम जाता है और दिल के दौरे का खतरा बना रहता है।
बता दें कि घाटी में बिजली की कमी के कारण लोग खुद को गर्म रखने के लिए पारंपरिक तरीकों पर अधिक निर्भर हैं। विलो विकर की टोकरी में बुने हुए मिट्टी के चूल्हे को ‘कांगड़ी’ कहा जाता है, जिसमें अंगारे भरे जाते हैं और ढीले से गर्म कपड़े ‘फिरन’ के नीचे रखा जाता है। जब सभी आधुनिक हीटिंग उपकरण उनकी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते, तब भी फिरन और कांगड़ी कश्मीरियों का साथ देते हैं।
पर्यावरण
दिल्ली-एनसीआर में घना कोहरा, हल्की बारिश और तापमान में गिरावट की आशंका
नई दिल्ली, 11 जनवरी। दिल्ली-एनसीआर में शनिवार सुबह कोहरे की चादर छाई रही। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बादल छाए रहने और हल्की बारिश की आशंका जताई है।
इसके साथ ही ठंड की स्थिति बनी रहने की उम्मीद है, जिससे घने कोहरे और शीत लहर से तत्काल राहत नहीं मिलेगी।
आईएमडी ने 11 और 12 जनवरी को सुबह के समय हल्की बारिश या बूंदाबांदी के साथ आसमान में बादल छाए रहने का अनुमान लगाया है। पिछले 24 घंटों के दौरान तापमान में भारी गिरावट देखी गई, जिसमें तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। अधिकतम तापमान 18-22 डिग्री सेल्सियस के बीच और न्यूनतम तापमान 6-8 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया।
हालांकि, दिन चढ़ने के साथ-साथ कोहरा छंटने की उम्मीद है, लेकिन हल्की बारिश इसके प्रभाव को बढ़ा सकती है। आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में और गिरावट आने का अनुमान है और यह लगभग 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
सफदरजंग में विजिबिलिटी की स्थिति शुरू में 1:30 बजे 50 मीटर तक गिर गई, लेकिन बाद में 200 मीटर तक सुधर गई। पालम में विजिबिलिटी सुबह 2 बजे तक शून्य हो गई, साथ ही 6-8 किमी/घंटा की रफ्तार से पूर्वी हवाएं चल रही थीं।
धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हुआ और सुबह 7 बजे तक यह 500 मीटर तक पहुंच गया, क्योंकि हवाएं 15-18 किमी/घंटा की गति से पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर मुड़ गईं।
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने सुबह 6 बजे एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि कम विजिबिलिटी के कारण कैट-3 अनुपालन से लैस नहीं होने वाली उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, कम विजिबिलिटी प्रक्रियाओं के साथ उड़ान संचालन सामान्य बताया गया।
इस बीच, वायु गुणवत्ता में गिरावट के बीच गुरुवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत तीसरे स्टेज के प्रतिबंधों को फिर से लागू किया गया। यह निर्णय मौसम की स्थिति में सुधार के कारण पहले हटाए गए प्रतिबंधों के बाद आया है।
दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को लगातार ठंड और कोहरे की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि तापमान में गिरावट जारी है और विजिबिलिटी कम बनी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय
2024 रहा अब तक का सबसे गर्म वर्ष
ब्रुसेल्स, 10 जनवरी। यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (सी3एस) ने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2024, 1850 के बाद से वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष रहा। 1850 में वैश्विक तापमान की माप शुरूआत हुई थी।
मीडिया ने यूरोपीय जलवायु निकाय की प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से बताया कि 2024 पहला कैलेंडर वर्ष है, जिसमें औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जो कि पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित एक महत्वपूर्ण सीमा है।
2024 में वैश्विक औसत तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था। यह 2023 से 0.12 डिग्री सेल्सियस अधिक था जो अब तक सबसे गर्म वर्ष था। कोपरनिकस ने कहा कि यह पूर्व-औद्योगिक स्तर के अनुमान से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
कोपरनिकस ने कहा कि यह पूर्व-औद्योगिक स्तर के अनुमान से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
बयान में कहा गया कि 2023 और 2024 के लिए दो साल का औसत भी पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया है।
पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से भी कम पर सीमित रखना है। इस सदी के अंत तक इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य है।
बयान में कहा गया है, “हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हमने पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित सीमा का उल्लंघन किया है – यह कम से कम 20 वर्षों के औसत तापमान विसंगतियों को संदर्भित करता है – लेकिन यह रेखांकित करता है कि वैश्विक तापमान आधुनिक मानव द्वारा अनुभव किए गए तापमान से कहीं अधिक बढ़ रहा है।”
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