राजनीति
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कई और विधायक भाजपा के संपर्क में
मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में कांग्रेस को और भी बड़े झटके लग सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में है। अगर ऐसा होता है तो राज्य में 26 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना तय है।
राज्य में कांग्रेस को लगातार झटके लग रहे हैं। पहले 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी और उसके बाद दो और विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी तथा सुमित्रा देवी ने पार्टी छोड़कर मुश्किल को और बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में कई और विधायक पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
राज्य के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि कांग्रेस के तीन विधायक अभी पाईप लाइन में है। वही मंत्री एदल सिंह कंसाना के मुताबिक यह संख्या 10 तक हो सकती है।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा रहे विधायकों के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है, “मुझे कोई चिंता नहीं नहीं है, क्योंकि मुझे तो पता था जिन्हें जाना था वे चले गए। वर्तमान की प्रदेश भाजपा सरकार के पास सिर्फ आरोप, बयान और घोषणाओं के अलावा कुछ बचा नहीं है। वे सोचते हैं कि आम जनता को मूर्ख बना लेंगे, वर्तमान में हर वर्ग परेशान है। पहले खरीद-फरोख्त कर सरकार बनाई, मंत्रिमंडल नहीं बना पाए, फिर विभाग नहीं बांट पाए और अब सरकार नहीं चला पा रहे हैं। जनता इन्हें सबक सिखाएगी।”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज बताते हैं। उनका कहना है कि “कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है, जहां वषरें से एक ही परिवार का नेतृत्व रहा है। एक नेता अध्यक्ष, सीएम और नेता प्रतिपक्ष सभी पदों पर कब्जा जमाता है। कांग्रेस के शासनकाल में जनप्रतिनिधियों का दम घुट रहा था, क्योंकि विकास कार्य ठप थे। जनता का कल्याण और क्षेत्र के विकास की तड़प उनके मन में रही है।”
राजनीति के जानकारों का मानना है की कग्रेस के कई नेताओं में इस बात की उम्मीद है कि उपचुनाव के बाद फिर कांग्रेस सत्ता में लौट सकती है, मगर भाजपा उनके इन मंसूबों को पहले ही ध्वस्त कर देना चाहती है। यही कारण है कि कांग्रेस के बड़ी संख्या में विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं और आने वाले समय में भी कई और विधायक शामिल हो जाएं तो अचरज नहीं होना चाहिए।
वर्तमान में विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 24 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं दो विधायकों के निधन होने के कारण स्थान रिक्त है। इस तरह कुल 26 स्थान रिक्त हैं, जहां उपचुनाव होने हैं। वर्तमान में 204 सदस्य हैं, जिनमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 90 और सपा, बसपा व निर्दलीय सात हैं।
राजनीति
बिहार चुनाव : भाजपा-जदयू में बराबर का सीट बंटवारा, ‘बड़े भाई’ का बढ़ता दबदबा

पटना, 13 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है। फॉर्मूले के तहत, भाजपा और जदयू इस बार 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों को 41 सीटें दी गई हैं।
सहयोगी दलों में लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 6-6 सीटें दी गई हैं। इस बार भाजपा और जदयू दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
इंफो इन डाटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “2025 के बिहार चुनावों में, भाजपा और जेडीयू प्रत्येक 101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि सहयोगी एलजेपी (आरवी), एचएएम और आरएलएम 41 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पहली बार, भाजपा और जेडीयू दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जो राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व और प्रभाव को दर्शाता है।”
इससे पहले के सीट बंटवारे पर अगर हम नजर डालें तो 2005 के अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू 139 सीटों और भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में जदयू को 88 सीटों पर, जबकि भाजपा को 55 सीटों पर सफलता मिली थी।
इसी तरह, 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू 141 और भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में जदयू ने 115 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को 91 सीटें मिलीं।
2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के रास्ते अलग-अलग हो गए थे। इस चुनाव में जदयू महागठबंधन के साथ थी और नीतीश कुमार ने राजद और कांग्रेस के सहयोग से सत्ता में वापसी की थी। इस चुनाव में भाजपा ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 53 सीटों पर ही जीत हासिल की थी। इसके अलावा, 86 सीटों पर एनडीए के सहयोगी दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें महज 5 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी।
वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू 115 सीटों पर, भाजपा 110 सीटों पर और अन्य सहयोगी दल 18 सीटों पर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटों पर और जदयू ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा, सहयोगी दल 8 सीट जीतने में कामयाब रहे थे।
हालांकि, 2025 में भाजपा और जदयू के बीच 101-101 सीटों का बराबर बंटवारा हुआ है। इस बदलाव से यह साफ है कि भाजपा बिहार की राजनीति में अब जूनियर पार्टनर नहीं रही। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह बराबरी का फॉर्मूला चुनावी मैदान में दोनों दलों के बीच समान साझेदारी का संदेश देगा।
राष्ट्रीय समाचार
जोगेश्वरी में निर्माण स्थल पर मौत की गहन जांच हो, अमित साटम ने बीएमसी को लिखा पत्र

मुंबई, 13 अक्टूबर: जोगेश्वरी पूर्व में 8 अक्टूबर को एक निर्माणाधीन साइट पर ईंट गिरने से 22 वर्षीय संस्कृति अमीन की मृत्यु के बाद मुंबई भाजपा अध्यक्ष और विधायक अमित साटम ने बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी को पत्र लिखकर घटना की गहन जांच की मांग की है।
उन्होंने बीएमसी से शहरभर के सभी निर्माण स्थलों पर सुरक्षा मानकों की जांच और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अमित साटम ने अपने पत्र में कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि इस निर्माण स्थल पर पहले भी सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की शिकायतें थीं, लेकिन बीएमसी ने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने मांग की कि अगर ये आरोप सही हैं, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। साथ ही, उन्होंने बीएमसी से सभी निर्माण स्थलों का ऑडिट करने और सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। साटम ने सुझाव दिया कि जहां कहीं भी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो, वहां तुरंत सुधार किए जाएं और जरूरत पड़ने पर निर्माण कार्य रोकने के लिए नोटिस जारी किया जाए।
साटम ने कहा, “निर्माण स्थलों पर सुरक्षा जनता के हित में सबसे जरूरी है। बीएमसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी जगह सुरक्षा नियमों का पालन हो। अगर कोई लापरवाही बरती गई, तो दोषी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए।” उन्होंने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए शहरव्यापी सुरक्षा ऑडिट की जरूरत पर जोर दिया।
यह हादसा जोगेश्वरी (पूर्व) में एक पुनर्विकास प्रोजेक्ट के दौरान हुआ, जहां निर्माण स्थल से गिरी ईंट ने संस्कृति अमीन की जान ले ली। इस हादसे ने निर्माण स्थलों पर सुरक्षा के प्रति लापरवाही का गंभीर मुद्दा उठाया है।स्थानीय लोग और विधायक साटम चिंतित हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। बीएमसी ने अभी तक इस पत्र पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही जांच और कार्रवाई शुरू होगी।
महाराष्ट्र
मुंबई दिवाली से पहले नागरिकों के चेहरों पर मुस्कान… 1 करोड़ रुपये से अधिक का सामान लौटा, पुलिस के प्रदर्शन की सराहना, लोगों में खुशी का माहौल

मुंबई: मुंबई पुलिस ने दिवाली से पहले नागरिकों के खोए और चोरी हुए सामान लौटाकर और उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेरकर उनकी खुशियाँ लौटा दी हैं। मुंबई के ज़ोन 8 के डीसीपी मनीष कलवानिया ने आज दिवाली से पहले नागरिकों का खोया और अन्य सामान लौटाया, जिसकी कीमत एक करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें 2000 मोबाइल फ़ोन भी शामिल हैं। डीसीपी ने कहा कि चोरी और खोए हुए सामान की वापसी से लोगों की खुशी दोगुनी हो गई है क्योंकि ज़्यादातर लोगों ने अपने सामान की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन पुलिस ने उनके चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है। मुंबई पुलिस ने विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर लोगों का सामान लौटाने की प्रक्रिया शुरू की है। यह प्रक्रिया मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती की पहल पर शुरू की गई है। चोरी और खोए हुए सामान की वापसी के बाद मुंबई में लोगों का पुलिस पर भरोसा और मज़बूत हुआ है और अब पुलिस ऐसे मामलों में बेहतर प्रदर्शन कर रही है जिनमें लोगों का सामान चोरी हो गया है या गायब हो गया है। पुलिस अब कई ऐसे लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है जो अपना सामान भूल गए थे या उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका सामान उन्हें फिर से मिल पाएगा।
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