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Friday,25-July-2025
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कोविड राहत : और राजस्व जुटाने को पेट्रोल, डीजल पर टैक्स बढ़ाए जाने के आसार

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Petrol

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट और बाद में राजस्व पर दबाव पड़ने से केंद्र फिर से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा सकता है।

सूत्रों ने संकेत दिया कि अगर सरकार को कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों से लड़ने के लिए अतिरिक्त आर्थिक सुधार पैकेजों को वित्तपोषित करने के लिए अधिक संसाधन जुटाने की जरूरत महसूस हुई तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3-6 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी जल्द ही हो सकती है।

इस स्तर की वृद्धि पूरे वर्ष के लिए सरकार को 60,000 रुपये की अतिरिक्त आय दे सकती है। शेष अवधि में, लगभग 30,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते थे।

सूत्रों ने बताया कि दोनों उत्पादों पर ड्यूटी स्ट्रक्चर देखने के लिए एक आंतरिक अवलोकन शुरू हो रही है और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है।

सरकार चाहती है कि पेट्रोल और डीजल पर किसी भी शुल्क वृद्धि से दोनों उत्पादों के खुदरा मूल्य में वृद्धि नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इसे उपभोक्ता पसंद नहीं करेंगे। इसके अलावा वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का प्रभाव देखने को मिल सकता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा समय में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाना उचित होगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले लगभग एक महीने से संशोधित नहीं की गई हैं, हालांकि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें नरम हो गई हैं और लगभग 40 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।

मार्च में, सरकार ने पेट्रोल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपये प्रति लीटर करने के लिए संसदीय मंजूरी ली थी, लेकिन तब लेवी नहीं बदला था। मई में इसने पेट्रोल पर 12 रुपये और डीजल पर 9 रुपये तक का विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क बढ़ाया। इससे सरकार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर की दर से उत्पाद शुल्क बढ़ाने का मौका मिल गया। इस विकल्प का अभी अवलोकन किया जा रहा है।

उपभोक्ताओं के लिए, ड्यूटी में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का ज्यादा असर नहीं होना चाहिए, क्योंकि खुदरा कीमतें अपरिवर्तित रह सकती हैं या मामूली रूप से बढ़ सकती हैं, क्योंकि तेल की कम कीमतें किसी भी वृद्धि के लिए उचित प्रतीत होंगी।

हालांकि, ईंधन पर करों में और वृद्धि से उत्पाद पर विश्व स्तर पर सबसे अधिक कर लगेगा। पेट्रोल और डीजल की कीमत का मौजूदा कर करीब 70 फीसदी है। ड्यूटी में और बढ़ोतरी के साथ यह 75-80 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकता है।

उच्च खुदरा मूल्य इस समय सरकार के लिए एक विकल्प नहीं है, क्योंकि यह मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है।

पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि के साथ सरकार इस साल 1.75 लाख करोड़ रुपये के करीब तेल राजस्व में वृद्धि करने के लिए पहले से ही तैयार है। यह 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त है जो वार्षिक उत्पाद शुल्क राजस्व के रूप में पेट्रोलियम उत्पादों से एकत्र होता है।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी: ऐतिहासिक संबंधों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक, 1993 की नींव पर 2025 की साझेदारी

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं। दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा है।

लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। खैर, इस यात्रा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें भी चर्चा में हैं। ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर गए थे।

1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जब वे भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती थे। अपनी पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त उनका अचानक ब्रिटेन जाना हुआ, जहां वह कुछ समय रुके। न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच। यह बस अमेरिका से लौटते समय एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था।

अपने पहले ब्रिटेन के पड़ाव में उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया। उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की। यह अनौपचारिक बातचीत थी। लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। अहम यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी।

भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे। उस समय 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था। इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं।

इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे। उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है।”

उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।

इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा।

सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए। कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे। ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी।

उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात के दौरान एशिया में राजनीतिक स्थिरता और भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘वैश्विक आतंकवाद’ था। वहां एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक बुराई है, चाहे वह भारत में हो, मध्य पूर्व में हो या उत्तरी आयरलैंड में।”

यह उल्लेखनीय है कि 9/11 के आतंकी हमलों से लगभग एक साल पहले ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद को मानवता के लिए एक साझा खतरा बताया था, जब अधिकतर वैश्विक नेतृत्व इस चुनौती की गंभीरता को समझने में पीछे था।

यही नहीं, नरेंद्र मोदी उन लोगों को नहीं भूलते जो भारत के साथ खड़े होते हैं, 2003 में इसका उदाहरण देखने को मिला।

अगस्त 2003 में भूकंप ने भुज ही नहीं पूरे गुजरात को हिला दिया। उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भुज भूकंप के बाद वे धन्यवाद देने के लिए ब्रिटेन दौरे पर गए। खचाखच भरे वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उनकी आवाज गूंज रही थी। नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आप सभी गुजरात के सच्चे मित्र हैं और मैं दोस्ती का ऋण चुकाने आया हूं।”

उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जिन्होंने 2001 के भूकंप के दौरान गुजरात के लिए सहायता, समर्थन और संसाधन जुटाए थे। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की न सिर्फ उनकी उदारता के लिए, बल्कि भारत के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव के लिए भी प्रशंसा की और उन्हें “गुजरात के सच्चे दोस्त” कहा।

इस यात्रा में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात हुई, जो उस समय लंदन में थे।

कुछ इसी तरह पीएम मोदी का ब्रिटेन के प्रति जुड़ाव 2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती पर देखने को मिला। हालांकि, वह स्वयं ब्रिटेन नहीं गए थे, बल्कि गांधीनगर से ही डिजिटल माध्यम (‘जूम’) के जरिए लंदन के मेफेयर में मौजूद श्रोताओं को संबोधित किया था। उत्साही श्रोताओं से मोदी ने कहा, “गुजरात और विकास एक-दूसरे के पर्याय हैं। गुजरात इतिहास रच रहा है।”

फ्रेंड्स ऑफ गुजरात, गुजरात समाचार और ‘एशियन वॉयस’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रिटिश सांसद, लॉर्ड्स और समुदाय के नेताओं समेत 90 विशिष्ट अतिथि शामिल थे। इनमें लॉर्ड गुलाम नून भी शामिल थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ सीधे तौर पर जीवंत संवाद किया।

उस समय नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महात्मा मंदिर 18 हजार गांवों की मिट्टी से बनेगा और ब्रिटेन में रहने वाले गौरवशाली गुजराती भी इसमें योगदान देंगे।

यह संदेश स्पष्ट था कि नरेंद्र मोदी के लिए प्रवासी भारतीय सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि वे भारत-निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं।

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अंतरराष्ट्रीय

मानवता की हत्या: एनसीपी ने ब्रिक्स में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा का समर्थन किया

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नई दिल्ली, 7 जुलाई। ब्रिक्स नेताओं द्वारा पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा करने के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे “मानवता की हत्या” कहा, साथ ही आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करने की सार्वभौमिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।

“यह वास्तव में मानवता की हत्या है। जब भी किसी देश का नागरिक आतंकवाद या ऐसे किसी कृत्य का शिकार होता है, तो यह मानवता पर हमला होता है। आतंकवाद का किसी भी रूप में समर्थन नहीं किया जा सकता। जो कहा गया वह सच है, भारत में हाल ही में हुआ हमला निश्चित रूप से मानवता पर हमला था,” रोहित पवार ने कहा।

पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा अंजाम दिया गया यह हमला राजनीतिक नेताओं सहित रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी तीखी निंदा कर रहा है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक रुख की पुष्टि की गई।

दूसरी ओर, कांग्रेस नेता मनोज कुमार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के जवाबी हमलों के दौरान स्थिति से निपटने पर निराशा व्यक्त की और पाकिस्तान के साथ समझौते तक पहुँचने में कथित बाहरी हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की।

“पूरी दुनिया ने इसकी निंदा की। लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ: जब हमारी सेना इन आतंकवादियों को खत्म करने के लिए मजबूती से आगे बढ़ रही थी, तो उसे क्यों रोका गया?” उन्होंने पूछा।

“रोकने का आदेश किसने दिया? ट्रम्प ने ट्वीट करके अभियान को रोकने के लिए दबाव क्यों डाला? और आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते देखना इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है? एक संप्रभु राष्ट्र को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। ऐसा लगता है कि अब देश को हमारे प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि ट्रम्प चला रहे हैं। पहलगाम हमला भयानक था और दुनिया इसके लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं करेगी।”

ब्रिक्स नेताओं द्वारा अपनाए गए रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, इसके वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों से निपटने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में कहा गया है, “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं… हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।” ब्रिक्स नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को किसी धर्म, जातीयता या राष्ट्रीयता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और सभी अपराधियों और उनके समर्थकों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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अंतरराष्ट्रीय

भारत की नई उड़ान : स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए शुभांशु शुक्ला, फ्लोरिडा से एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च

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नई दिल्ली, 25 जून। भारत ने अंतरिक्ष की ओर नई उड़ान भरी है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए हैं। फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में कॉम्प्लेक्स 39ए से एक्सिओम-4 मिशन को लॉन्च किया गया। शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री एक्सिओम स्पेस के एक मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर निकले हैं।

सफल लॉन्चिंग के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सोशल मीडिया के जरिए अपडेट दिया। नासा ने ‘एक्स’ पर लिखा, “हमने एक्सिओम मिशन 4 की उड़ान भरी है। एक्स-4 मिशन 25 जून को सुबह 2:31 बजे (भारतीय समयानुसार, दोपहर 12:01 बजे) पर लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भर गया, जिसमें चार निजी अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक के मिशन के लिए स्पेस स्टेशन पर गए।”

एक्सिओम स्पेस ने भी पोस्ट किया है, जिसने लिखा, “एएक्स-4 के लिए उड़ान। एएक्स-4 का चालक दल स्पेस स्टेशन की ओर बढ़ रहा है।”

इस मिशन में शामिल स्पेसएक्स ने जानकारी दी कि ड्रैगन फाल्कन 9 के दूसरे चरण से अलग हो गया है। नासा ने अंतरिक्ष यान के अलग होने की पुष्टि की। नासा ने लिखा, “अपने स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान में स्वतंत्र रूप से उड़ान भरते हुए एएक्स-4 के चालक दल स्पेस स्टेशन की अपनी यात्रा के एक कदम और करीब आ गए हैं।”

फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होने के बाद क्रू नए स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर ऑर्बिटिंग प्रयोगशाला की यात्रा करेगा। ये 14 दिन का मिशन है। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और नासा के संयुक्त सहयोग से विकसित उन्नत खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोगों का संचालन करेंगे।

बेटे को अंतरिक्ष में उड़ान भरते हुए देखकर शुभांशु शुक्ला का परिवार काफी भावुक हो गया। शुभांशु की मां की आंखों में आंसू भर आए। लखनऊ में शुभांशु शुक्ला के माता-पिता ने एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग की लाइव तस्वीरें देखीं। मिशन के उड़ान भरने पर वे जश्न मनाते हुए नजर आए।

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