अंतरराष्ट्रीय
आईफोन 12 की पहली खेप 5 अक्टूबर को पहुंचेगी वितरकों के पास : रिपोर्ट

एप्पल द्वारा अपने बहु-प्रतीक्षित आईफोन 12 को लॉन्च किए जाने के बारे में बताने का इंतजार दुनिया को काफी लंबे समय से था। इंतजार की यह घड़ी अब यहीं खत्म होती है, क्योंकि नई रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि आईफोन 12 की पहली खेप 5 अक्टूबर को वितरकों के पास पहुंच रही है। एप्पल के जानकार और तकनीकी विश्लेषक जॉन प्रॉसेर के मुताबिक, इस खेप में 64जीबी/128जीबी/256जीबी वेरिएंट के आईफोन 12 मिनी 5.4 (निश्चित रूप से इसका आखिरी मार्केटिंग नाम) और 64जीबी/128जीबी/256जीबी वाले आईफोन 12 6.1 को शामिल किया जाएगा।
मंगलवार देर रात को उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, “13 अक्टूबर को इवेंट आयोजित किया जाएगा, जैसा कि मैंने पहले ही बताया हुआ है।”
उन्होंने दावा किया है कि दुकानों में सबसे पहले आईफोन मिनी को ही उपलब्ध कराया जाएगा, जो 5.4 इंच की होगी और आईफोन 12 मैक्स 6.1 इंच की होगी।
एप्पल द्वारा आईफोन 12 सीरीज के तहत चार नए डिवाइसों को लॉन्च करने की उम्मीद है, जिन्हें ओएलईडी डिस्प्ले और 5जी सपोर्ट के साथ पेश किए जाने की बात कही जा रही है। एक अन्य विश्लेषक मिंग-ची कूओ पहले ही इस बात का दावा कर चुके हैं।
उम्मीद की जा रही है कि एप्पल दक्षिण कोरिया में अपने नए आईफोन 12 सीरीज को पहले लॉन्च कर सकता है। लोकल टेलीकॉम ऑपरेटर्स के अधिकारियों के हवाले से योनहाप समाचार एजेंसी में बताया गया है कि वे अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में आईफोन 12 को बेचने की तैयारी में जुटे हैं।
विदेशी तकनीकी समीक्षकों ने अनुमान लगाया कि 13 अक्टूबर को आईफोन 12 का अनावरण किया जा सकता है और 23 अक्टूबर को चुनिंदा बाजारों में इसकी बिक्री शुरू हो सकती है।
राजनीति
झारखंड सरकार डिलीवरी ब्वॉय से लेकर कैब चलाने वालों के लिए विधेयक लाएगी

रांची, 10 फरवरी। फूड-पिज्जा की डिलीवरी या इस तरह के काम करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा और उनके वाजिब अधिकारों को झारखंड सरकार कानूनी तौर पर संरक्षण देगी। इसके लिए कानून बनाने की तैयारी कर ली गई है। इससे संबंधित विधेयक का ड्राफ्ट राज्य सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने तैयार कर लिया है।
इसे विधि और वित्त विभाग की सहमति के बाद कैबिनेट से पारित कराया जाएगा। फिर, इसे 24 फरवरी से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक का नाम “द झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन एंड वेलफेयर) बिल” रखा गया है। इस विधेयक में ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं, जिससे फूड डिलीवरी करने वाले, ई-कॉमर्स कंपनियों के डिलीवरी ब्वॉय, ओला-उबर-रैपिडो जैसी कंपनियों के ड्राइवर और इस प्रकृति के काम करने वाले वर्कर्स को मिनिमम वेज, बीमा, स्टाइपेंड और अन्य प्रकार की सामाजिक सुरक्षा हासिल हो सके।
अनुमान है कि पूरे झारखंड के विभिन्न जिलों में लगभग 12 लाख लोग ऐसे कामों में लगे हैं। विधेयक में प्रावधान किया जा रहा है कि ऐसे श्रमिकों का पंजीकरण करने के लिए एक प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा और प्रत्येक को एक यूनिक आईडी जारी की जाएगी।
गिग वर्कर्स के मामलों की सुनवाई के लिए “झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड” का गठन किया जाएगा। इस विधेयक का प्रस्तावित ड्राफ्ट सरकार ने पिछले साल जुलाई महीने में ही प्रकाशित किया था, जिस पर नियोजक कंपनियों, गिग वर्कर्स और आम लोगों से सुझाव मांगे गए थे।
इसके पहले राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत झारखंड राज्य न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद ने गिग वर्कर्स की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक कमेटी गठित की थी। झारखंड सरकार राज्य में काम करने वाली सभी प्राइवेट कंपनियों में 40 हजार रुपए मासिक तनख्वाह वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत पद राज्य के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का कानून बना चुकी है। इस कानून का पालन नहीं करने पर सैकड़ों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है।
राष्ट्रीय समाचार
कोयला आयात कम करना, घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर मुख्य फोकस : मंत्री

नई दिल्ली, 8 फरवरी। भारत सरकार ने एक बार फिर दोहराया है कि कोयले के आयात को कम करना और घरेलू उत्पादन बढ़ाना उसकी प्राथमिकता है। कोयला क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार है और देश के औद्योगिक व आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।
भारत के पास दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है और यह कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का 55 प्रतिशत कोयले से पूरा होता है।
देश में लगभग 74 प्रतिशत बिजली उत्पादन ताप विद्युत संयंत्रों (थर्मल पावर प्लांट) पर निर्भर है। इसलिए एक मजबूत और टिकाऊ कोयला क्षेत्र की जरूरत बनी रहती है, यह बात कोयला एवं खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कही। उन्होंने यह भी बताया कि कोयला मंत्रालय इस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
सरकार के प्रयासों से आयातित कोयले पर निर्भरता कम हुई है। अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच कोयला आयात में 5.35 प्रतिशत की कमी आई, जिससे लगभग 3.91 अरब डॉलर (30,007.26 करोड़ रुपये) की बचत हुई। खासकर, घरेलू बिजली संयंत्रों में उपयोग होने वाले कोयले का आयात 23.56 प्रतिशत घटा है।
मंत्रालय की ‘मिशन कोकिंग कोल’ योजना का लक्ष्य 2029-30 तक देश में कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाकर 140 मिलियन टन (एमटी) करना है, जिससे इस्पात क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम हो सके।
भारत का कोयला उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में 997.82 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2014-15 में 609.18 मिलियन टन था। पिछले दस वर्षों में इस क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 5.64 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 11.71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जनवरी 2025 तक कोयला मंत्रालय ने 184 खदानों का आवंटन किया, जिनमें से 65 को खनन शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। इन खदानों से कुल 136.59 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34.20 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 में उत्पादन 170 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है।
आठ कोर उद्योगों में कोयला क्षेत्र ने सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है, दिसंबर 2024 में इसमें 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे की माल ढुलाई से होने वाली कुल आय का लगभग 50 प्रतिशत कोयला परिवहन से आता है। साथ ही, कोयला क्षेत्र में लगभग 4.78 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है।
व्यापार
वैश्विक स्तर पर चैटजीपीटी हुआ डाउन, यूजर्स को लॉगइन करने में हो रही परेशानी

नई दिल्ली, 6 फरवरी। दुनिया में सबसे अधिक चर्चित चैटबॉट ओपनएआई का चैटजीपीटी वैश्विक स्तर पर डाउन हो गया है। यूजर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे एक्स पर शिकायत की है कि चैटजीपीटी काम नहीं कर रहा है।
चैटजीपीटी को लेकर यूजर्स अलग-अलग देशों से शिकायत दर्ज करा रहे हैं और ऐसा लगता है कि करीब पूरी दुनिया में यूजर्स को चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने में समस्या आ रही है।
जानकारी के मुताबिक, ऐप किसी भी कमांड का जवाब नहीं दे रहा है और कुछ यूजर्स को लॉगइन करने में भी समस्या आ रही है। वहीं, कुछ यूजर्स द्वारा चैट रिक्वेस्ट भेजने पर ओपनएआई का चैटबॉट “इंटरनल सर्वर एरर” दिखा रहा है।
ऑनलाइन आउटेज ट्रैक करने वाले प्लेटफॉर्म डाउनडिटेक्टर के अनुसार, इससे हजारों यूजर्स प्रभावित हुए हैं। हालांकि, ओपनएआई ने अभी तक आउटेज के कारण या इसके दायरे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
डाउनडिटेक्टर पर पिछले 24 घंटों में चैटजीपीटी आउटेज के ग्राफ में उछाल आया और जैसे-जैसे अधिक लोग इस समस्या की रिपोर्ट कर रहे हैं, यह ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
डाउनडिटेक्टर पर कोई भी अपनी समस्या रिपोर्ट कर सकता है, लेकिन जब भी किसी विशेष ऐप या वेबसाइट पर यूजर्स को समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो शिकायतों के आधार पर तैयार ग्राफ तेजी से बढ़ता है।
यूजर्स ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की।
एक यूजर ने लिखा कि चैटजीपीटी करीब 20 मिनट से जवाब नहीं दे रहा है। मुझे 2015 की तरह महसूस हो रहा है, जब गूगल सर्च कई घंटों के लिए ऑफलाइन हो जाता था।
एक अन्य यूजर ने लिखा कि चैटजीपीटी डाउन हो गया है और कोई भी चैट रिक्वेस्ट भेजने पर “इंटरनल सर्वर एरर” लिखा आ रहा है।
चैटजीपीटी की यह पहली आउटेज नहीं है। इससे पहले 23 जनवरी को यूजर्स चैटजीपीटी के वेब और ऐप को पूरी दुनिया में एक्सेस नहीं कर पा रहे थे। इस दौरान डाउनडिटेक्टर पर हजार से भी ज्यादा शिकायतें रिपोर्ट की गई थीं।
पिछले वर्ष क्रिसमस के एक दिन बाद भी ओपनएआई का चैटबॉट काम नहीं कर रहा था। इस दौरान कई यूजर्स ने शिकायत की थी कि चैटजीपीटी काम नहीं कर रहा है।
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