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भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला, आईटी शेयरों पर दबाव

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नई दिल्ली, 24 सितंबर। भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में खुला। शुरुआती सत्र में बाजार के ज्यादातर सूचकांक दबाव के साथ कारोबार कर रहे थे। सुबह 9:29 पर सेंसेक्स 311.90 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,790.20 और निफ्टी 106.40 अंक या 0.42 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,062.65 पर था।
बाजार में गिरावट का नेतृत्व आईटी शेयरों की ओर से किया जा रहा है। निफ्टी आईटी इंडेक्स 0.81 प्रतिशत, निफ्टी ऑटो 0.49 प्रतिशत, निफ्टी फार्मा 0.25 प्रतिशत, निफ्टी एफएमसीजी 0.19 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी 0.27 प्रतिशत के साथ लाल निशान में था।
वहीं, निफ्टी पीएसयू बैंक 0.51 प्रतिशत और निफ्टी मेटल 0.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।
सेंसेक्स पैक में ट्रेंट, मारुति सुजुकी, टाटा स्टील, एसबीआई, एशियन पेंट्स, एनटीपीसी और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स थे। टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, टीसीएस, टाइटन, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा, एचसीएल टेक, अल्ट्राटेक सीमेंट, एचडीएफसी बैंक और पावर ग्रिड टॉप लूजर्स थे।
मिडकैप और स्मॉलकैप में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 177.05 अंक या 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,319.55 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 14.30 अंक या 0.08 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,206.05 पर था।
बाजार के जानकारों ने कहा कि निफ्टी सितंबर 2024 के उच्चतम स्तर से करीब 4 प्रतिशत नीचे है और अधिक मूल्यांकन बाजार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अगर इस मूल्यांकन को उचित ठहराना है तो आने वाले वर्षों में बाजार की आय में तेजी से बढ़त होनी चाहिए।
लेकिन स्मॉलकैप सेगमेंट में वैल्यूएशन अभी भी ऊंचा बना हुआ है और इसमें और गिरावट की संभावना है। निवेशकों को बाजार में गिरावट पर निवेश करते समय वैल्यूएशन और विकास की संभावनाओं पर ध्यान देना चाहिए।
वैश्विक बाजारों में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। टोक्यो और सोल लाल निशान में थे, जबकि शंघाई, हांगकांग और बैंकॉक हरे निशान में थे। अमेरिकी बाजार मंगलवार के सत्र में लाल निशान में बंद हुए थे।
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आरबीआई की बैंकों से अपील, अनक्लेम डिपॉजिट को लौटाने के लिए प्रयास तेज करें

नई दिल्ली, 24 सितंबर। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से अपील की है कि 67,000 करोड़ रुपए से अधिक से अनक्लेम डिपॉजिट उनके सही मालिकों को लौटाने के प्रयास तेज करें।
अनक्लेम डिपॉजिट में निष्क्रिय बचत खाते और चालू खाते, मैच्योर हो चुकी एफडी, अनक्लेम डिविडेंड, ब्याज वारंट और बीमा आय शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इन निष्क्रिय खातों के मालिकों का पता लगाने और उनका निपटान करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अक्टूबर से दिसंबर तक एक विशेष आउटरीच पहल की योजना बनाई गई है।
दस वर्षों तक निष्क्रिय रहने वाले बचत और चालू खातों में शेष राशि या मैच्योरिटी डेट से दस वर्षों के भीतर क्लेम न किए गए एफडी को अनक्लेम डिपॉजिट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और बाद में बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित डीईए कोष में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
आरबीआई की यह पहल कम साक्षरता और जागरूकता वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगी और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में स्थानीय प्रचार करेगी।
राज्य स्तरीय बैंक समितियां (एसएलबीसी) अनक्लेम डिपॉजिट के आंकड़ों का आयु प्रोफाइल और बकेट-वार संकेंद्रण के आधार पर विश्लेषण करेंगी ताकि अधिक स्थानीयकृत विश्लेषण प्रदान किया जा सके, साथ ही जमाओं का पता लगाने और उनका निपटान करने के लिए विशेष प्रयास किए जा सकें।
उदगम पोर्टल, आरबीआई द्वारा शुरू किया गया एक केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो जनता को भारत के विभिन्न बैंकों में अपनी अनक्लेम डिपॉजिट खोजने में मदद करता है।
यह पोर्टल वर्तमान में लगभग 30 बैंकों की भागीदारी के साथ लगभग 90 प्रतिशत दावा न किए गए जमा मूल्य को कवर करता है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार, सभी बीमा कंपनियों, जिनके पास पॉलिसीधारकों से 10 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए दावा न की गई राशि है, को उसे हर वर्ष ब्याज सहित वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में स्थानांतरित करना आवश्यक है।
इसके अलावा, दावा न की गई राशि को वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में स्थानांतरित करने के बाद भी, पॉलिसीधारक या दावेदार 25 वर्ष तक की अवधि के लिए अपनी संबंधित पॉलिसियों के तहत देय राशि का दावा करने के पात्र बने रहते हैं।
वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष का उपयोग राष्ट्रीय वृद्धजन नीति और राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति के अनुरूप वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने वाली ऐसी योजनाओं के लिए किया जाता है।
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भारत के सबसे अमीर शख्स बनने के करीब पहुंचे गौतम अदाणी, दो दिन में 13 अरब डॉलर बढ़ी संपत्ति

नई दिल्ली, 23 सितंबर। देश के दिग्गज उद्योगपति और अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी की संपत्ति में बीते दो कारोबारी सत्रों में 13 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी शेयरों की कीमत में तेजी आने के कारण हुई है।
ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, अदाणी की संपत्ति बढ़कर 95.7 अरब डॉलर हो गई है। वहीं, देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की संपत्ति 98.6 अरब डॉलर रह गई है।
गौतम अदाणी की संपत्ति में इस साल 17.1 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है, जबकि मुकेश अंबानी की संपत्ति में 8.02 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
अदाणी ग्रुप के शेयरों में बढ़ोतरी की वजह सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की ओर से शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग मामले में क्लीन चिट देना है।
शॉर्ट-सेलर द्वारा व्यापक रूप से प्रचारित दावों के झूठे होने की पुष्टि करने वाले अपने अंतिम आदेश में, सेबी ने निष्कर्ष निकाला कि अदाणी समूह ने दो निजी फर्मों के माध्यम से धन का प्रवाह करके किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया, जिससे छिपे हुए संबंधित पक्ष लेनदेन और धोखाधड़ी के दावों को प्रभावी ढंग से खारिज कर दिया गया।
बीते तीन कारोबारी सत्रों में अदाणी पावर का शेयर करीब 30 प्रतिशत, अदाणी टोटल गैस का शेयर भी करीब 18 प्रतिशत, अदाणी ग्रीन एनर्जी का शेयर करीब 15 प्रतिशत, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर का दाम 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है।
इस दौरान अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 11 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दे चुका है, जबकि अदाणी पोर्ट्स के शेयर ने करीब 3 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
दुनिया के अरबपतियों की सूची में 452 अरब डॉलर के साथ एलन मस्क शीर्ष पर हैं। इसके बाद 388 अरब डॉलर के साथ लैरी एलिसन दूसरे, 269 अरब डॉलर के साथ मार्क जुकरबर्ग तीसरे, 250 अरब डॉलर के साथ जेफ बेजोस चौथे और 221 अरब डॉलर के साथ लैरी पेज पांचवे स्थान पर होंगे।
मौजूदा में समय में अरबपतियों की सूची में मुकेश अंबानी 98.6 अरब डॉलर के साथ 18 वें स्थान पर, गौतम अदाणी 95.7 अरब डॉलर के साथ 19 वें स्थान पर हैं।
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एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी का भारतीय आईटी कंपनियों पर बहुत कम होगा असर : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 23 सितंबर। पिछले 10 वर्षों में बढ़ते लोकलाइजेशन और ऑफशोरिंग के कारण भारतीय आईटी सर्विस कंपनियों की एच-1बी वीजा पर घटती निर्भरता को देखते हुए वीजा फीस बढ़ाने से कंपनियों पर इसका प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर मध्यम अवधि में इसका असर देखने को मिल सकता है। अमेरिका में डिलीवरी की बढ़ी हुई लागत से कंपनियों को अपने ऑपरेटिंग मॉडल की दोबारा समीक्षा करने और बचाव की रणनीति अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
यह प्रभाव कंपनी का अमेरिका में विस्तार, ऑनसाइट वर्कफोर्स मिक्स और नॉन-लोकल टैलेंट पर निर्भरता को देखते हुए अलग-अलग हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “क्योंकि एच-1बी लॉटरी और याचिकाएं आमतौर पर Q4-Q1 में होती हैं, इसलिए वित्त वर्ष 27 पिटीशन साइकल में इसका असर दिखने की संभावना है। इसके जवाब में, सेवा प्रदाताओं के ऑफशोरिंग को तेज करने, कनाडा और मैक्सिको में नियरशोर ऑपरेशन का विस्तार करने, भौगोलिक विविधता के लिए यूरोप और एपीएसी में अधिग्रहण करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऑटोमेशन और एआई में निवेश करने की उम्मीद है।”
ये बदलाव भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर को प्रतिभा के लिए आकर्षक बना सकते हैं, खासकर जब ऑनसाइट अवसर कम हो रहे हों और ग्राहक बेहतर दर और दक्षता की मांग कर रहे हों।
भारत के इक्विटी मार्केट में निकट अवधि में कुछ अस्थिरता हो सकती है, लेकिन कुल मिलाकर मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत की तुलना में अभी भी अधिक है।
वीक डिमांड आउटलुक के कारण पिछले 6-12 महीनों में आईटी सेक्टर का मूल्यांकन कम हुआ है।
घरेलू खपत में सुधार और निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी से भारतीय बाजार में कुल कॉर्पोरेट आय का आउटलुक बेहतर हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक चुनौतियां पैदा करते हैं बावजूद इसके भारत के मैक्रोइकॉनमिक आधार मजबूत बने हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की दूसरी छमाही में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते, मजबूत घरेलू मांग और कमाई में सुधार से मार्केट में आने वाली महीनों में सकारात्मक माहौल बन सकता है।
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