अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को बाधित करने के पाकिस्तान के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी दी
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम/एनएएम) को बाधित करने के पाकिस्तान के प्रयासों पर भारत ने उसे चेताया है।
भारत ने शुक्रवार को गुटनिरपेक्ष देशों के सदस्य देशों की मंत्री स्तरीय बैठक में पाकिस्तान के भारत विरोधी प्रलाप पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस मंच का उपयोग किसी सदस्य को दूसरे देश के खिलाफ अपना एजेंडा चलाने के लिए नहीं करना चाहिए। इससे मंच कमजोर होगा और वैश्विक नेतृत्व की क्षमता खो देगा।
भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने शुक्रवार को एनएएम की वर्चुअल मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा, “अगर हम अपने आंदोलन को ऐसे मंच तक सीमित करते हैं, जहां द्विपक्षीय शिकायतें या साथी सदस्य राष्ट्रों को शर्मसार करने के लिए ऐसा किया जाता है तो हम जल्द ही कमजोर और अप्रासंगिक इकाई बन जाएंगे और वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में हमारी कोई हिस्सेदारी नहीं रह जाएगी।”
मुरलीधरन ने आंदोलन के संस्थापक सिद्धांतों को अपनाने की 65वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित की गई बैठक के दौरान अपनी बात रखी। इसकी थीम, “कोविड-19 सहित उभरती वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ अधिक प्रासंगिक, संयुक्त और प्रभावी एनएएम” रही। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर राग अलापा था, जिस पर भारत ने उसे इशारों-इशारों में करारा जवाब दिया है।
मुरलीधरन ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही उसे अप्रासंगिक मुद्दों को उठाने के लिए जमकर लताड़ लगाई।
मुरलीधरन ने आगे कहा कि सदस्यों को उन मुद्दों को उठाने से पहले सोचना चाहिए जो एजेंडे में नहीं हैं। मुरलीधरन ने यह भी कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उद्देश्य कभी किसी दूसरे राज्य द्वारा किसी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को कम करना नहीं था और न ही हो सकता है।
उन्होंने बैठक में कोविड-19 संकट से निपटने पर जोर देते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की एनएएम की अनोखी परंपरा एक रास्ता प्रदान कर सकती है।
उन्होंने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन को याद किया, जिसमें कहा गया था, “संकट से लड़ने में मानवता की मदद करने के लिए भारत की अपार वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग किया जाएगा।”
मुरलीधरन ने इस दौरान आतंकवाद के मुद्दे को भी उठाया।
मुरलीधरन ने कहा कि आतंकवाद और उसके समर्थकों ने अपने आतंक को बेरोकटोक फैलाना जारी रखा है। गलत सूचना और फर्जी खबरें सामाजिक सामंजस्य और सामूहिक सुरक्षा पर कहर ढा रही हैं। जलवायु परिवर्तन एक अस्तित्वगत खतरा बन गया है। साइबर सुरक्षा के खतरे और सीमांत प्रौद्योगिकियों के असमान प्रभाव से अशांति पैदा हो रही है। दुनिया की अधिकांश आबादी के लिए विकास की चिंता सर्वोपरि हैं।
उल्लेखनीय है कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना 1961 में हुई थी। भारत गुट-निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन का संस्थापक सदस्य है। गुट-निरपेक्ष आंदोलन बांडुंग सिद्धांतों पर आधारित है, जो कि 1955 में बेलग्रेड शिखर सम्मेलन, एफ्रो-एशियाई सम्मेलन में अपनाया गया था।
शुक्रवार की बैठक के अपने भाषण में कुरैशी ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापते हुए कहा, “जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के संघर्ष को क्रूरता से दबाया जा रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत–अमेरिका वायुसेना का युद्धाभ्यास, आपसी तालमेल और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन

नई दिल्ली, 13 नवंबर: भारतीय वायुसेना और संयुक्त राज्य अमेरिका की वायुसेना के बीच एक बेहद महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वायु अभ्यास चल रहा है। दोनों देशों के इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य वायु सेनाओं के बीच आपसी समझ, सामरिक सहयोग और अंतरसंचालन क्षमता को बढ़ाना है।
गुरुवार, 13 नवंबर को इस अभ्यास का फाइनल व अंतिम दिन है। खास बात यह भी है कि इस अभ्यास में अमेरिकी वायुसेना ने अपने अत्याधुनिक बी-1बी लांसर सुपरसॉनिक बमवर्षक विमान के साथ भाग लिया है। सटीक व घातक मारक क्षमता बी-1बी लांसर अपनी लंबी दूरी की प्रहार क्षमता और सटीक टारगेट तकनीक के लिए प्रसिद्ध है।
भारतीय वायुसेना की ओर से यहां विभिन्न अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, परिवहन विमान और वायु रक्षा प्रणालियों ने हिस्सा लिया है। अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने एक साथ कई जटिल युद्ध परिदृश्यों पर कार्य किया है। इनमें एयर डिफेंस ऑपरेशन, स्ट्राइक मिशन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, हवा में ईंधन भरना और संयुक्त मिशन योजना शामिल रही।
इस दौरान पायलटों और तकनीकी दलों ने एक-दूसरे की रणनीतियों, तकनीकों और संचालन प्रक्रियाओं से महत्वपूर्ण अनुभव साझा किया। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य के बहुराष्ट्रीय अभियानों में बेहतर सामंजस्य स्थापित करना और उभरते सुरक्षा परिदृश्य में संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत बनाना है। भारतीय वायुसेना के मुताबिक भारत व अमेरिकी वायु सेना के बीच यह अभ्यास 10 नवंबर को शुरू हुआ था और आज 13 नवंबर को पूरा होने जा रहा है।
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को और सुदृढ़ करेगा तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा। संयुक्त वायुसेना अभ्यास के दौरान अमेरिकी व भारतीय वायुसेना के जांबाजों ने एक दूसरे देश के पायलटों की पेशेवर क्षमता और सामरिक सोच को नजदीक से अनुभव किया।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के नए आयाम खोलते हैं। संयुक्त रूप में यह संकल्प भी है कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी आगे भी और मजबूत होगी तथा साझा सुरक्षा हितों की रक्षा में निरंतर सहयोग जारी रहेगा।
गौरतलब है कि जहां एक ओर दोनों देशों की वायु सेनाएं यह संयुक्त अभ्यास कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी इन दिनों अमेरिका की एक महत्वपूर्ण आधिकारिक यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा बुधवार 12 नवंबर को शुरू हुई थी।
नौसेना के मुताबिक एडमिरल त्रिपाठी की इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय नौसेना और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना के बीच पहले से प्रगाढ़ और सुदृढ़ समुद्री साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाना है। भारतीय नौसेना और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना के बीच ये मजबूत संबंध, भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग का एक प्रमुख स्तंभ है।
भारतीय नौसेना प्रमुख 17 नवंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के दौरान नौसेना प्रमुख, अमेरिकी युद्ध विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात व वार्ता करेंगे। इन बैठकों में अन्य वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ भी विचार-विमर्श होगा।
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‘ट्रंप ने यौन पीड़िता के साथ घंटों बिताए,’ डेमोक्रेट्स ने जारी किया ईमेल, व्हाइट हाउस ने आरोपों को किया खारिज

नई दिल्ली, 13 नवंबर: जेफरी एपस्टीन से दोस्ती अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारी पड़ रही है। बुधवार को एपस्टीन फाइल से जुड़े दस्तावेज को सार्वजनिक किया गया, जिसे लेकर अमेरिका के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
डेमोक्रेट्स ने यौन अपराधी जेफरी की ओर से भेजे गए ईमेल जारी किए। इस ईमेल में दावा किया गया है कि ट्रंप जेफरी के साथ काफी करीब से संपर्क में थे और उसके घर में यौन पीड़िता के साथ घंटों समय भी बिताया था। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, “ये ईमेल इस फैक्ट के अलावा कुछ भी साबित नहीं करते कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ भी गलत नहीं किया।” लेविट ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि ईमेल में एपस्टीन ने कहा था कि ट्रंप ने एक पीड़िता के साथ “मेरे घर पर घंटों बिताए।”
लेविट ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर ट्रंप को बदनाम करने का आरोप लगाया। लेविट ने आगे कहा कि ट्रंप ने जेफरी एपस्टीन को अपने फ्लोरिडा क्लब से “पीडोफाइल (बाल यौन अपराधी)” और “घिनौना” कहकर बाहर निकाल दिया।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने आगे कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा यही कहते रहे हैं कि वे और जेफरी पाम बीच से थे। जेफरी एपस्टीन तब तक मार-ए-लागो के सदस्य थे जब तक कि राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें बाहर नहीं निकाल दिया, क्योंकि जेफरी एपस्टीन एक पीडोफाइल और घिनौना इंसान था।”
बता दें, यह मेल अप्रैल 2011 से जुड़ा है, जो जेफरी ने अपनी पुरानी सहयोगी गिस्लेन मैक्सवेल को भेजा था। इस मेल में एपस्टीन ने दावा किया कि ट्रंप ने एक महिला के साथ काफी समय बिताया, जिसकी पहचान बाद में व्हाइट हाउस ने एपस्टीन की मुख्य अभियुक्त वर्जीनिया गिफ्रे के रूप में की।
एपस्टीन ने मैक्सवेल को लिखा, “मैं चाहता हूं कि आप यह समझें कि यह पीड़िता मेरे घर में ट्रंप के साथ कई घंटे रही… लेकिन उनका नाम कभी सामने नहीं आया।”
इसपर एपस्टीन की मौत के बाद यौन तस्करी की दोषी ठहराए गई मैक्सवेल ने इसका जवाब दिया, “मैं इसके बारे में सोच रही थी।”
इसके अलावा, लेखक माइकल वोल्फ को 31 जनवरी, 2019 को लिखे एक अन्य ईमेल में, एपस्टीन ने कथित तौर पर लिखा, “बेशक उन्हें लड़कियों के बारे में पता था, इसलिए उन्होंने गिस्लेन को ऐसा करने से मना किया था।”
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पीएम मोदी का भूटान दौरा : चतुर्थ नरेश की 70वीं जयंती पर होंगे शामिल, पुनात्सांगछू-II परियोजना का करेंगे उद्घाटन

नई दिल्ली, 11 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह भूटान के लिए रवाना हो गए। यह दो दिवसीय आधिकारिक दौरा 11-12 नवंबर तक चलेगा, जो भारत-भूटान मैत्री के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगा।
प्रस्थान से पहले जारी पीएम मोदी ने कहा, “मैं 11-12 नवंबर तक भूटान साम्राज्य का दौरा करूंगा। महामहिम चतुर्थ नरेश की 70वीं जयंती के अवसर पर भूटान के लोगों के साथ शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात होगी।”
इस यात्रा का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भूटान इस वर्ष अपने चतुर्थ नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती मना रहा है, जिन्हें ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’ (जीएनएच) सूचकांक का जनक माना जाता है।
यात्रा के दौरान वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का आयोजन हो रहा है, जिसमें भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। पीएम मोदी ने इसे दोनों देशों के ‘सभ्यतागत और गहरे आध्यात्मिक संबंधों’ का प्रतीक बताया।
पिपरहवा (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त ये अवशेष बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र हैं और इनकी भूटान में प्रदर्शनी दोनों राष्ट्रों की सांस्कृतिक निकटता को रेखांकित करेगी।
इसके अलावा, पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव होगा। यह 1020 मेगावाट की परियोजना भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी का नया मील का पत्थर साबित होगी। भारत ने इस परियोजना के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है, जो भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ भारत को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराएगी।
पीएम मोदी ने कहा, “मैं महामहिम भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, महामहिम चतुर्थ नरेश और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे से मिलने के लिए उत्सुक हूं। मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा हमारी मित्रता के बंधन को और गहरा करेगी और साझा प्रगति एवं समृद्धि की दिशा में हमारे प्रयासों को सशक्त बनाएगी।”
भारत और भूटान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध का आधार दोनों देशों के बीच गहरा आपसी विश्वास, समझ और सद्भावना है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “भूटान के लिए प्रस्थान, जहां मैं विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूंगा। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान चतुर्थ नरेश का 70वां जन्मदिन मना रहा है। मैं भूटान नरेश, महामहिम चतुर्थ नरेश और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे के साथ वार्ता करूंगा। हमारी ऊर्जा साझेदारी को बढ़ावा देते हुए, पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया जाएगा। यह यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा भरेगी।”
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