अंतरराष्ट्रीय
भारत बनाम न्यूजीलैंड का दूसरा टेस्ट: बारिश के खतरे के बीच मैच की रणनीति बनाने को लेकर असमंजस में हैं दोनों टीमें
न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर में पहले टेस्ट में डेब्यू पर श्रेयस अय्यर की शानदार बल्लेबाजी ने भारतीय टीम प्रबंधन को असमंजस की स्थिति में ला दिया है। उन्हें यह तय करना है कि टीम में बल्लेबाजी क्रम में किसको स्थान दिया जाए और किसको नहीं। कप्तान विराट कोहली ने दूसरे टेस्ट में वापसी की है, जिन्होंने तीन टी20 और पहले टेस्ट मैच में नहीं खेला था। अय्यर ने पहली पारी (105) में डेब्यू पर शतक बनाया था और इसके बाद दूसरी पारी में 65 रन बनाए थे। ग्रीन पार्क में उनकी दूसरी पारी में भारतीय टीम द्वारा दिए गए 284 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड ने 165/9 पर कब्जा कर लिया, न्यूजीलैंड टीम के खिलाड़ी रवींद्र और पटेल के साथ लगभग 10 ओवरों में यह खेल चला। पहला टेस्ट भारत और न्यूजीलैंड का ड्रॉ होने के साथ दोनों टीमों का भाग्य मुंबई टेस्ट पर निर्भर करेगा। ऐसा करने के लिए दोनों टीमों को कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत है, खासकर भारत को।
कोहली और मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के सामने यह सवाल है कि टीम में किसे जगह दी जाए और किसे बाहर किया जाए। अय्यर को छोड़कर मिडी में उतरने वाले खिलाड़ियों ने कानपुर में दोनों पारियों में स्कोर में ज्यादा योगदान नहीं दिया। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का खराब फॉर्म चिंता का विषय बना हुआ है। अय्यर अच्छी फॉर्म में हैं और कानपुर में अपनी शानदार बल्लेबाजी के बाद काफी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। कोहली प्लेइंग इलेवन में शामिल हैं, क्योंकि उन्होंने 2016 में वानखेड़े में खेले गए आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार 235 रन बनाए थे।
टीम प्रबंधन को अब यह तय करना है कि क्या वे मौजूदा फॉर्म में कोहली के साथ अय्यर को प्लेइंग इलेवन में शामिल करते हैं कि पुजारा या रहाणे को बाहर बिठाते हैं। हालांकि टीम के विकेटकीपर रिद्धिमान साहा ने गर्दन की ऐंठन को ठीक कर लिया है, जिस वजह से वो कानपुर टेस्ट के बीच में विकेटकीपिंग नहीं कर पाए थे।
कम से कम पहले दिन मैच में मौसम बिगड़ने की संभावना हो सकती है क्योंकि मौसम विभाग ने बारिश की भविष्यवाणी की है। पूरे दिन बुधवार को बारिश हुई थी और हालांकि गुरुवार को बारिश नहीं होने के कारण ग्राउंड्समैन के लिए कुछ राहत थी, न्यूजीलैंड को वानखेड़े में बारिश के कारण अपना अभ्यास सत्र रद्द करना पड़ा।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को शुक्रवार के लिए बारिश और बादल छाए रहने की स्थिति को देखते हुए तीन स्पिनरों और दो पेस के गेंदबाजों को टीम में शामिल करने पर विचार करना होगा, कोहली ने कहा, “हम परिस्थितियों को देखेंगे और गेंदबाजी संयोजन पर निर्णय लेने से पहले चीजों पर चर्चा करेंगे। हम कर सकते हैं ‘यह भविष्यवाणी न करें कि पूरे पांच दिनों में स्थितियां समान रहेंगी। हमें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इन सभी बातों पर चर्चा करनी होगी।”
कोहली ने कहा कि अंतिम एकादश का फैसला करना कठिन फैसला नहीं होगा क्योंकि खिलाड़ी टीम की जरूरतों और मौसम की स्थिति से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि उनके और कोचिंग स्टाफ के बीच चर्चा के बाद यह सर्वसम्मति का फैसला होगा। जहां कोहली और द्रविड़ अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी संयोजन पर सवाल उठा रहे होंगे, वहीं न्यूजीलैंड की अपनी चिंताएं हैं।
हालांकि जिस तरह से उन्होंने पहला टेस्ट ड्रा कराने के लिए पकड़ बनाई थी, उसे देखते हुए टीम उच्च स्तर पर है, लेकिन उनके मध्य क्रम ने उतनी अच्छी तरह से काम नहीं किया है जितनी उन्हें उम्मीद थी। कप्तान केन विलियमसन और गैरी स्नेड को भी फैसला करना होगा कि क्या स्पिनर को उन्हें छोड़ना है और एक तेज गेंदबाज मैदान में उतारना है।
तेज गेंदबाज टिम साउदी ने कहा कि उन्हें इस पर अगले 24 घंटे में फैसला करना होगा। साउदी ने एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “ये निर्णय केन और गैरी को अगले 24 घंटों में लेने होंगे। वे दोपहर में विकेट पर एक नजर डालने की कोशिश करेंगे और बारिश और मौसम को देखते हुए निर्णय लेंगे।”
दूसरे टेस्ट के लिए न्यूजीलैंड की तैयारी मौसम के कारण बाधित हो गई थी और टीम मैच में जाने के लिए अभ्यास करने में असमर्थ थी। “मुझे लगता है कि आप इसके बारे में बहुत कुछ नहीं कर सकते। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास अंतिम सप्ताह था। जो खिलाड़ी नहीं खेल रहे थे उन्हें पिछले सप्ताह प्रशिक्षण के लिए कुछ समय मिला।”
भारत की तरह न्यूजीलैंड का भी वानखेड़े स्टेडियम में अच्छा रिकॉर्ड है। पिछली बार उन्होंने यहां नवंबर 1988 में एक टेस्ट खेला था और उसमें जीत हासिल की थी।
विकेट के बारे में बात करते हुए कोहली ने कहा कि वानखेड़े की पिच गेंद को एक अच्छी उछाल देती है “हमें उम्मीद है कि पिच में कुछ अच्छी उछाल मिलेगी, वानखेड़े की पिच सभी प्रकार के गेंदबाजों के लिए फायदेमंद है और जब आप बल्लेबाजी करते हैं, तो आप भी यहां रन बना सकते हैं।”
दोनों टीमों के खिलाड़ी इस प्रकार हैं :
भारत : विराट कोहली (कप्तान), शुभमन गिल, मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, श्रेयस अय्यर, सूर्यकुमार यादव, रिद्धिमान साहा (विकेटकीपर), केएस भरत (विकेटकीपर), रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, इशांत शर्मा, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव और प्रसिद्ध कृष्णा।
न्यूजीलैंड : केन विलियमसन (कप्तान), टॉम लैथम, विल यंग, केन विलियमसन, रॉस टेलर, हेनरी निकोल्स, टॉम ब्लंडेल (विकेटकीपर), काइल जैमीसन, टिम साउथी, नील वैगनर, एजाज पटेल, विल सोमरविले, रचिन रवींद्र , डेरिल मिशेल और मिशेल सेंटनर।
अंतरराष्ट्रीय
भारत ने अफगानिस्तान को फिर से भेजी मदद, जीवनरक्षक चिकित्सीय सहायता काबुल पहुंची

काबुल, 28 नवंबर : भारत हमेशा से अफगानिस्तान के लिए मजबूती से खड़ा रहा है। समय-समय पर मदद की खेप भेजता है। भारत ने निरंतर समर्थन को दोहराते हुए, शुक्रवार को अफगानिस्तान को 73 टन जीवनरक्षक दवाइयों, टीकों और आवश्यक पोषक सप्लीमेंट्स की खेप भेजी। यह सहायता अफगान स्वास्थ्य प्रणाली की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से काबुल पहुंचाई गई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के स्वास्थ्य प्रयासों को मजबूती देते हुए भारत ने 73 टन जीवनरक्षक दवाइयां, टीके और आवश्यक सप्लीमेंट्स तत्काल चिकित्सा जरूरतों के लिए काबुल पहुंचाए हैं। अफगान लोगों के प्रति भारत का अटूट समर्थन जारी है।”
पिछले सप्ताह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी के बीच मुलाकात हुई थी। बैठक में व्यापार, संपर्क और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा हुई।
जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी से मुलाकात कर खुशी हुई। व्यापार, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। अफगान जनता के विकास और कल्याण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।”
इससे पहले भी भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित परिवारों की मदद के लिए खाद्य सामग्री भेजी थी। बाल्ख, समनगन और बगलान प्रांतों में आए विनाशकारी भूकंप में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।
10 अक्टूबर को भारत ने अतिरिक्त खाद्य सहायता भी भेजी थी। उसी दिन विदेश मंत्री जयशंकर की अफगान समकक्ष मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से नई दिल्ली में मुलाकात हुई। बैठक में विकास सहयोग, व्यापार, अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता व स्वतंत्रता, आपसी संपर्क और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर वार्ता हुई।
जयशंकर ने मुत्ताकी की भारत यात्रा को “द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” बताया और अफगानिस्तान को पांच एम्बुलेंस सौंपने की घोषणा भी की।
भारत की यह मानवीय सहायता अफगानिस्तान के लिए हाल के महीनों में की गई कई निरंतर मददों की नवीनतम कड़ी है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और जन-संपर्क आधारित रिश्तों को मजबूत करती है।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान ने तीसरे देश के जरिए नहीं भेजा अमेरिका को कोई मैसेज, खामेनेई बोले-झगड़े बढ़ा रहा अमेरिका

तेहरान, 28 नवंबर : हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। ट्रंप से मुलाकात के पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की एक चिट्ठी मिली थी। इस चिट्ठी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस चिट्ठी में अमेरिका के लिए एक मैसेज था। हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को मनगढ़ंत बताया है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार खामेनेई ने गुरुवार रात को टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया के इन सभी दावों को खारिज कर दिया। अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो मैसेज भेजा था, वह वॉशिंगटन के लिए था।
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा, “वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है, जो सरासर झूठ है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजेशकियन की चिट्ठी में कहा गया कि ईरान टकराव नहीं चाहता है। उसका मकसद क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करना है और वह कूटनीति के जरिए न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो।
खामेनेई ने अपने भाषण के दौरान इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की। ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और रिसोर्स के फायदे के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, ईरानी अधिकारियों ने पहले ही इस बात को साफ कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो चिट्ठी दी गई, वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर थी।
तेहरान और वॉशिंगटन ने इसी साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी बैन पर बातचीत की थी। दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई। इसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक हमले कर दिए।
इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और सीनियर कमांडर मारे गए। इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की।
22 जून को अमेरिकी सेना ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान ने अगले दिन कतर में अमेरिकी अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ईरान और इजरायल के बीच 24 जून से सीजफायर लागू हुआ।
अंतरराष्ट्रीय
ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया को राहत? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकता है आखिरी फैसला!

नई दिल्ली, 6 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
5 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अधिकांश जजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए।
निचली फेडरल कोर्ट ने इससे पहले टैरिफ के मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। निचले कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बता दें, टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली। कोर्ट ने ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा, “आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं। वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं।”
इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा, “मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं। यह सच है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है और यह केवल आकस्मिक है।”
इसके अलावा जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा, “अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है।”
जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने तर्क दिया कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के दौरान ‘आयात को विनियमित करने’ की इजाजत देता है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल के तर्क से जस्टिस एमी कोनी बैरेट सहमत नहीं थीं। उन्होंने सॉयर से कहा, “क्या आप संहिता में ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां ‘आयात को विनियमित करना’ वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?”
इसके अलावा, जस्टिस बैरेट ने कहा कि अगर कांग्रेस भविष्य में आपातकालीन टैरिफ पर किसी भी सीमा को मंजूरी देना चाहती है, तो उसे राष्ट्रपति के वीटो को पार करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
जस्टिस बैरेट ने पूछा, “अगर कांग्रेस कहती है, ‘अरे, हमें यह पसंद नहीं है, इससे राष्ट्रपति को आईईईपीए के तहत बहुत ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं,’ तो उसे आईईईपीए से उस टैरिफ शक्ति को वापस लेने में बहुत मुश्किल होगी, है ना?”
हालांकि, कोर्ट की तरफ से मामले में अब तक आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
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