राष्ट्रीय
चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा बड़ा निर्यातक बना भारत
केंद्र सरकार ने बुधवार को दावा किया कि चीनी उत्पादन के मामले में अब देश पहले स्थान पर पहुंच गया है जबकि निर्यात के मामले में भारत दूसरे पायदान पर है। खाद्य एवं जनवितरण विभाग के संयुक्त सचिव सुबोध सिंह ने मीडियाकर्मियों को बताया कि साल 2022-23 में भारत ने ब्राजील से भी अधिक चीनी का उत्पादन किया है।
उन्होंने कहा कि 2018-19 में इथेनॉल उत्पादन के लिए तीन लाख मीट्रिक टन चीनी के उपयोग के अलावा 332 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ था, 2019-20 में नौ लाख मीट्रिक टन इथेनॉल उत्पादन के लिए रखे जाने के बाद 274 लाख मीट्रिक टन चीनी, 2020-21 में इथेनॉल उत्पादन के लिए 22 लाख मीट्रिक टन चीनी रखे जाने के बाद 310 लाख मीट्रिक टन चीनी तथा 2021-22 में 35 लाख मीट्रिक टन इथेनॉल उत्पादन के लिए रखे जाने के बाद 335 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
चीनी उत्पादन के साथ-साथ चीनी का निर्यात भी बढ़ रहा है। चीनी सत्र 2017-18 में 6.2 लाख मीट्रिक टन, चीनी सत्र 2018-19 में 38 लाख मीट्रिक टन तथा चीनी सत्र 2019-20 में 59.60 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया था।
संयुक्त सचिव ने कहा कि चीनी सत्र 2020-21 में 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन निर्यात करीब 70 लाख मीट्रिक टन चीनी हुई। चालू चीनी सत्र 2021-22 में 100 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात किया जाना है, जिसमें से करीब 90 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात का ठेका मिल चुका है। करीब 82 लाख मीट्रिक टन चीनी शुगर मिलों से निर्यात के लिए डिस्पैच की जा चुकी है और करीब 78 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात हो चुकी है। इस चीनी सत्र में चीनी निर्यात का आंकड़ा रिकॉर्ड स्तर पर है।
देश में करीब 80 फीसदी चीनी का उत्पादन महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में होता है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने चीनी सत्र 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और कीमत में स्थिरता बनाये रखने के लिये एक जून 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक चीनी निर्यात की सीमा 100 लाख मीट्रिक टन निर्धारित कर दी है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को इस बाबत आदेश देते हुए कहा कि इस फैसले से यह सुनिश्चित हो जायेगा कि चीनी सत्र के अंत में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 60-65 लाख मीट्रिक टन पर बना रहे, ताकि घरेलू इस्तेमाल के लिये यह स्टॉक दो-तीन महीने चल जाये। उन महीनों में चीनी की घरेलू मांग लगभग 24 लाख मीट्रिक टन रहती है।
गन्ने की पेराई कर्नाटक में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में, महाराष्ट्र में अक्टूबर से ले कर नवंबर के अंतिम सप्ताह तक और उत्तरप्रदेश में नवंबर में शुरू हो जाती है। आमतौर पर नवंबर माह तक चीनी की आपूर्ति पिछले वर्ष के स्टॉक से की जाती है।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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