अपराध
अंकिता हत्याकांड मामले में तीनों आरोपी एसआईटी के तीन दिन की रिमांड पर

अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में तीनों आरोपियों को पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। उत्तराखंड की कोटद्वार कोर्ट ने पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपियों को तीन दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया है। जब इस केस की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। टीम को लीड कर रहीं डीआईजी पी. रेणुका देवी ने भी कहा था कि आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लेने के लिए आवेदन किया जाएगा। जिसके बाद कोटद्वार कोर्ट ने पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपियों को तीन दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया। अब पुलिस आरोपी पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ कर सकेगी। अभी तक पुलकित समेत तीनों आरोपियों से उनकी गिरफ्तारी के समय ही पूछताछ की गई थी।
अभी तक तीनों आरोपियों ने पुलिस को जो बताया उसी के आधार पर पुलिस जांच रिपोर्ट तैयार कर रही है। एसआईटी तो अभी तक तीनों आरोपियों से मिली भी नहीं है। अब एसआईटी पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपियों से कड़ी पूछताछ कर अंकिता हत्याकांड से जुड़े हर पहलू पर सवाल कर सकती है। साथ ही एसआईटी तीनों आरोपियों को घटनास्थल पर भी ले जाकर दुबारा क्राइम सीन रिक्रिएट करेंगी।
साथ ही आपको ये भी बता दें कि अभी तक पुलिस को अंकिता का मोबाइल भी नहीं मिला है। जाहिर है जब अंकिता को नहर में पुलकित आर्य ने धक्का दिया था। तो उसके मोबाइल के बारे में भी पुलकित समेत तीनों आरोपियों को ही पता होगा। एसआईटी पुलकित आर्य से कड़ाई से पूछताछ कर मोबाइल के बारे में पता लगाएगी। इसके साथ ही पुलकित आर्य का मोबाइल भी इस केस की अहम कड़ी है। एसआईटी पुलकित आर्य का मोबाइल भी ढूंढने की कोशिश करेगी।
उधर, दूसरी तरफ गुरुवार को अपने बयान दर्ज कराने के लिए पुष्प भी लक्ष्मण झूला थाने पहुंचा। जहां एसआईटी ने उसको गोपनीय जगह पर ले जाकर बयान दर्ज किए। पुष्प ने अंकिता से दोस्ती होने से लेकर मौत तक की हर बात पुलिस को बतायी है।
अंकिता हत्याकांड में एसआईटी छ: दिनों से जांच कर रही है। कई लोगों से पूछताछ और बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें रिजॉर्ट के कर्मचारी, काम छोड़कर जा चुके कर्मचारी, अंकिता का दोस्त पुष्प (फोन पर बातचीत) भी शामिल हैं। अंकिता भंडारी के दोस्त पुष्पदीप से गुरुवार को पूरे दिन एसआईटी ने विस्तार से पूछताछ की और उसके बयान दर्ज किए। पूछताछ में पता चला कि अंकिता भंडारी का दोस्त पुष्पदीप 14-15 सितंबर को वनंत्रा रिजॉर्ट में रुका था। जिसके बाद 16 सितंबर को पुष्पदीप वापस जम्मू लौटा था।
एसआईटी ने घटना की रात जो हुआ, उसे समझने के लिए कई घटनास्थलों का मुआयना भी किया है। रिजॉर्ट से भी बहुत से साक्ष्य लिए गए हैं। इन्हीं सब कड़ियों को हत्याकांड से जोड़ने के लिए एसआईटी ने पुलकित, अंकित और सौरभ की तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी थी।
उधर अंकिता के मर्डर के दूसरे दिन 19 सितंबर को सुबह आरोपी पुलकित आर्य इलाके के पटवारी वैभव प्रताप से मिला था। ये वही पटवारी वैभव प्रताप है जिसके पास सबसे पहले अंकिता की गुमशुदगी की शिकायत की गई थी। पटवारी वैभव को सस्पेंड किया जा चुका है। 19 सितंबर की सुबह पटवारी से पुलकित की मुलाकात करना भी अब जांच के दायरे में है।
अपराध
ठाणे अपराध: रेलवे स्टेशन के पास जुर्माना वसूलने पर 30 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक ने ट्रैफिक पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर हमला किया; मामला दर्ज

ठाणे: शुक्रवार दोपहर ठाणे में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई के बाद 30 वर्षीय एक गुस्साए ऑटो रिक्शा चालक ने एक यातायात पुलिस उपनिरीक्षक पर कथित तौर पर हमला कर दिया।
आरोपी की पहचान ठाणे के राबोडी निवासी सदरुद्दीन काज़ी के रूप में हुई है। ठाणे यातायात पुलिस में तैनात पुलिस उप-निरीक्षक विजय बाबूराव कांबले (55) घटना के समय ठाणे रेलवे स्टेशन के पास यातायात प्रबंधन की ड्यूटी पर थे।
यह विवाद शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे हुआ, जब काज़ी को निर्धारित ऑटो-रिक्शा स्टैंड के बाहर एक यात्री को उठाते हुए देखा गया। यह उल्लंघन देखकर, पुलिस उपनिरीक्षक कांबले ने काज़ी से संपर्क किया और ऑनलाइन जुर्माना लगाया, जिसके बाद तीखी बहस हुई। बात जल्द ही मारपीट में बदल गई।
घटनास्थल पर मौजूद अन्य यातायात पुलिस कर्मी कांबले की मदद के लिए दौड़े और आरोपी को रोका। इसके बाद काजी को ठाणे नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इसके बाद काजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
ठाणे नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक भरत चौधरी ने कहा, “हमने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि आरोपी के ऑटो रिक्शा पर पहले भी कई बार जुर्माना लगाया जा चुका है। आगे की जाँच जारी है।”
अपराध
बैंक धोखाधड़ी मामला : सीबीआई ने फरार आरोपी दिनेश गहलोत को किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में फरार घोषित आरोपी दिनेश डी. गहलोत को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 31 मई 2004 को दर्ज किया गया था, जिसमें दिनेश डी. गहलोत पर बैंक ऑफ बड़ौदा से जाली दस्तावेजों के जरिए हाउसिंग लोन लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप था। जांच पूरी होने के बाद 30 अप्रैल 2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, दिनेश ने कोर्ट में पेश होने या समन/वारंट का जवाब देने से इनकार कर दिया और 2024 से फरार था। इसके बाद गहलोत के खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे। 9 दिसंबर 2024 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने उसके खिलाफ प्रोक्लेमेशन वारंट जारी किया था।
सीबीआई ने बताया कि दिनेश बार-बार अपना ठिकाना बदलता था और स्थानीय लोगों से अपनी असली पहचान छिपाकर कम संपर्क रखता था, जिससे उसकी तलाश मुश्किल हो रही थी।
सीबीआई ने आधुनिक तकनीक और डिजिटल ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल कर उसकी लोकेशन का पता लगाया। गहन जांच और स्थानीय पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिनेश को नोएडा से 20 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक-आधारित खुफिया प्लेटफार्मों का एकीकरण और जांच अधिकारियों के लगातार तथा समन्वित प्रयासों से लंबे समय से फरार अपराधियों को खोजने और पकड़ने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की परिचालन क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने कांदिवली में 60 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया; 943 फर्जी बैंक खातों का खुलासा, 12 गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच (यूनिट 2) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, भारत भर में बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सैकड़ों फर्जी बैंक खातों के ज़रिए अवैध लाभ कमा रहा था। जाँच में 60.82 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े 943 बैंक खातों का पता चला है और अब तक 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
यह घोटाला मुंबई के कांदिवली स्थित दो फर्मों—’डीजी सर्ज कंसल्टेंसी’ और ‘प्रिटिट लॉजिस्टिक्स’—की आड़ में चल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि दोनों कंपनियाँ साइबर अपराधियों के लिए बैंक खाते खोलने का माध्यम थीं। एक गुप्त सूचना के आधार पर, अपराध शाखा ने 12 अगस्त को इन फर्मों पर छापा मारा और वैभव पटेल, सुनील कुमार पासवान, अमनकुमार गौतम, खुशबू सुंदरजाला और रितेश बांदेकर समेत प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने 2 लैपटॉप, 25 मोबाइल फ़ोन, 25 बैंक पासबुक, 30 चेकबुक, 46 एटीएम कार्ड, स्वाइप मशीन और विभिन्न दूरसंचार कंपनियों के 104 सिम कार्ड ज़ब्त किए। समता नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और 3(5) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। आगे की जाँच के बाद, 12 और गिरफ़्तारियाँ की गईं।
यह गिरोह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा था। उन्होंने ₹7,000-₹8,000 में बैंकिंग क्रेडेंशियल खरीदे, इन जानकारियों का इस्तेमाल करके खाते खोले और उन्हें धोखेबाजों को मुहैया कराया, जिन्होंने डिजिटल अरेस्ट स्कीम, निवेश धोखाधड़ी और फर्जी ई-कॉमर्स सौदों जैसे घोटाले किए। इन घोटालों से प्राप्त अवैध धन को इन फर्जी खातों के माध्यम से भेजा जाता था।
ज़ब्त किए गए लैपटॉप के डेटा विश्लेषण से पता चला कि गिरोह ने 943 बैंक खाते बनाए थे। इनमें से 181 खाते साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जा रहे थे, और देश भर में 339 शिकायतों से जुड़े थे—जिनमें मुंबई में 16, महाराष्ट्र भर में 46 और अन्य राज्यों से 277 शिकायतें शामिल थीं।
पुलिस ने पुष्टि की है कि विभिन्न साइबर धोखाधड़ी योजनाओं के तहत इन खातों के माध्यम से 60.82 करोड़ रुपये निकाले गए। इनमें से 1.67 करोड़ रुपये मुंबई के मामलों से जुड़े हैं। 10.57 करोड़ रुपये महाराष्ट्र से संबंधित धोखाधड़ी से निकाले गए।
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