राष्ट्रीय समाचार
शिवपुरी में लोगों का ठंड से हाल बेहाल, अलाव का सहारा ले रहे हैं लोग

नई दिल्ली,17 जनवरी। पूरे उत्तर भारत में इस समय ठंड से लोग बेहाल हैं। मध्य प्रदेश में भी इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
शिवपुरी जिले में लोग सर्दी के सितम से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। कोहरे और तेज हवाओं के चलते यहां के यातायात पर भी असर पड़ रहा है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है। घने कोहरे के कारण यहां विजिबिलिटी बेहद कम रही। यहां पिछले कई दिनों से धूप नहीं निकल रही है।
शिवपुरी निवासी राहुल मिश्रा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”यहां पिछले कई दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। पिछले तीन दिनों से हमें सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हुए हैं। सभी लोग बढ़ती सर्दी से परेशान हैं। लोग आग के सहारे सर्दी से बचने का प्रयास कर रहे हैं।”
वहीं एक अन्य शिवपुरी निवासी सौरभ दुबे ने मीडिया से कहा, ”यहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। शिवपुरी शिमला की तरह ठंडा हो रहा है। लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। मगर यह ठंड हमारी फसलों के लिए फायदेमंद है। सर्दी के समय में बाजार में भी थोड़ा उछाल आ जाता है। लोग ऐसे में ज्यादा खरीदारी करते हैं।”
नरेंद्र राठौर ने भी रोजमर्रा की दिक्कतों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”शिवपुरी में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। यहां कई दिनों से धूप नहीं निकली है। लोग आग के सहारे ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। बाजार में मंदी देखने को मिल रही है। मगर यह किसानों के लिए फायदेमंद है। ऐसे में उनकी फसलों को लाभ हो रहा है।”
वहीं पूरे उत्तर भारत में लोग ठंड और कोहरे की मार से परेशान हैं, जिसका असर ट्रेन और उड़ानों पर भी पड़ रहा है। मैदानी इलाकों के अलावा उत्तराखंड और हिमाचल में कई जगहों पर बर्फबारी देखने को मिल रही है। मौसम विभाग ने कहा कि मैदानी इलाकों में अगले कुछ दिनों में बारिश के आसार नजर आ रहे हैं।
दुर्घटना
जोगेश्वरी के ओशिवारा फर्नीचर मार्केट में भीषण आग लगी, किसी के हताहत होने की खबर नहीं; तस्वीरें सामने आईं

मुंबई: जोगेश्वरी पश्चिम के ओशिवारा फर्नीचर मार्केट में एक फर्नीचर गोदाम में मंगलवार सुबह भीषण आग लग गई। मुंबई फायर ब्रिगेड (एमएफबी) ने सुबह 11:52 बजे घटना की सूचना दी, 11:46 बजे इसे लेवल-2 की आग के रूप में वर्गीकृत किया। घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
आग की घटना का विवरण
स्वामी विवेकानंद मार्ग पर ए1 दरबार रेस्टोरेंट के पास ग्राउंड फ्लोर पर फर्नीचर गोदाम में आग लग गई। गोदाम से घना धुआं और लपटें उठती देखी गईं, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मी और अन्य आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंचीं।
अधिकारियों ने तुरंत मुंबई फायर ब्रिगेड, पुलिस, अडानी बिजली अधिकारियों, वार्ड कर्मचारियों और 108 एम्बुलेंस सेवाओं सहित कई एजेंसियों को मौके पर बुलाया। सौभाग्य से, अभी तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
आग को आस-पास की इमारतों तक फैलने से रोकने के लिए अग्निशमन अभियान जारी है, जिसमें आग पर काबू पाने और आस-पास के इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आग लगने का कारण अभी तक अज्ञात है और घटना के पीछे का सटीक कारण जानने के लिए आगे की जांच की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय
6 अमेरिकी सांसदों ने अदाणी ग्रुप पर डीओजे की कार्रवाई की जांच करने की मांग उठाई

वाशिंगटन, 11 फरवरी। छह अमेरिकी सांसदों ने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है, जिसमें डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) द्वारा अदाणी ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ अभियोग की जांच की मांग की गई है।
छह अमेरिकी सांसदों, जिसमें लांस गूडेन, पैट फालोन, माइक हैरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिममन्स और ब्रायन बाबिन शामिल हैं, ने पत्र में कहा कि डीओजे की कार्रवाई गुमराह करने वाली थी। इसमें भारत जैसे रणनीतिक सहयोगी के साथ अमेरिका के संबंधों को नुकसान पहुंचने का जोखिम था।
अमेरिकी सांसदों ने पत्र में लिखा, “यह मामला इस आरोप पर आधारित है कि इस कंपनी के सदस्यों द्वारा विशेष रूप से भारत में स्थित भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की तैयारी की गई थी। मामले को उचित भारतीय अधिकारियों को देने के बजाय बाइडन डीओजे ने कंपनी के अधिकारियों को दोषी ठहराने का फैसला किया।”
सांसदों ने पत्र में आगे लिखा कि किसी मामले को इस तरह से आगे बढ़ाने का “कोई अनिवार्य कारण” नहीं था जो भारत जैसे सहयोगी के साथ संबंधों को जटिल बना सके, जब तक कि कुछ बाहरी कारक इसमें शामिल न हों।
इसके अतिरिक्त पत्र में लिखा गया कि इस गुमराह करने वाले निर्णय से राष्ट्रपति ट्रंप के ओवल कार्यालय में लौटने से ठीक पहले भारत जैसे रणनीतिक साझेदार के साथ हमारे संबंधों को नुकसान पहुंचने का खतरा था।
पिछले साल नवंबर में डीओजे की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को अदाणी ग्रुप ने खारिज करते हुए आधारहीन बताया था।
अमेरिकी सांसदों ने पत्र में आगे कहा, “हम आपसे बाइडन प्रशासन के डीओजे के आचरण की जांच करने का अनुरोध करते हैं और सच्चाई को उजागर करने के समन्वित प्रयास के लिए इस मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड हमारे साथ साझा करने के लिए आपकी सराहना करेंगे।”
पिछले महीने प्रमुख अमेरिकी मीडिया संस्थान फोर्ब्स ने कहा था कि अदाणी समूह के अधिकारियों पर डीओजे का अभियोग एक बड़ी रणनीतिक भूल थी।
राष्ट्रीय समाचार
मेडिकल क्लेम के भुगतान में शारीरिक और मानसिक बीमारी के नाम पर भेदभाव नहीं करें : झारखंड हाईकोर्ट

रांची, 11 फरवरी। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मानसिक बीमारी के इलाज में होने वाले खर्च को मेडिकल क्लेम के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता। कोई भी कंपनी अपने मौजूदा या सेवानिवृत्त कर्मियों को मेडिकल क्लेम के भुगतान में शारीरिक और मानसिक बीमारी के नाम पर भेदभाव नहीं कर सकती।
यह फैसला जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने झारखंड स्थित कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के एक रिटायर एग्जीक्यूटिव की याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया। अदालत ने बीसीसीएल को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता की पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य उपचार पर किए गए खर्च का भुगतान करे।
बीसीसीएल ने कोल इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों में लागू “कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम फॉर एक्जीक्यूटिव्स ऑफ सीआईएल एंड इट्स सब्सिडियरीज” के प्रावधान का हवाला देते हुए मानसिक बीमारी के इलाज में किए गए खर्च का भुगतान करने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 21 यह स्पष्ट करती है कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों के इलाज में भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अधिनियम का हवाला देते हुए कहा है कि प्रत्येक बीमाकर्ता को मानसिक रोगों के उपचार के लिए उसी तरह की स्वास्थ्य बीमा सुविधा प्रदान करनी होगी, जैसे कि शारीरिक बीमारियों के लिए की जाती है।
कोर्ट ने कहा, “भारत सरकार के अधिनियम के अनुसार, किसी भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में मानसिक रोगों के उपचार को बाहर करने के लिए प्रावधान नहीं हो सकता।” कोर्ट ने पाया कि कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनियों में मेडिकल बीमा की जो योजना लागू है, उसमें मानसिक रोगों के उपचार के खर्च के भुगतान का प्रावधान नहीं है। लेकिन, यह प्रावधान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के सीधे विरोध में है।
कोर्ट ने कहा, “कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियां संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में आती हैं। उनकी कोई भी नीति या संकल्प संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के खिलाफ नहीं हो सकती। यदि कोई संकल्प या उसका कोई भाग किसी संसदीय कानून के विपरीत है, तो वह भाग अमान्य माना जाएगा।”
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