राजनीति
हेमा मालिनी : बाल शोषण एक जघन्य अपराध, इसे रोका जाना चाहिए
दिग्गज अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने नवोदित निर्देशक सैफ हैदर हसन की हिंदी फीचर फिल्म ‘यस पापा’ का टीजर साझा किया, जो बाल सुरक्षा और यौन शोषण पर आधारित है। इस बारे में बात करते हुए कि उन्होंने फिल्म को समर्थन देने का फैसला क्यों किया, हेमा मालिनी ने कहा: “यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और जब क्रिएटिव प्रोड्यूसर राम कमल मुखर्जी ने मुझे टीजर दिखाया, तो मुझे लगा कि हमें इस समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए फिल्में बनानी चाहिए। बाल शोषण एक जघन्य अपराध है, और इन अपराधियों को दंडित करने की आवश्यकता है। इस संवेदनशील विषय को ध्यान से देखने के लिए फिल्म निर्माता सैफ हैदर हसन को बधाई।”
फिल्म एक पीड़ित लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे उसके ही पिता ने सालों तक प्रताड़ित किया था।
निर्देशक सैफ हैदर हसन ने कहा, “बचपन से, लड़कियों को सिखाया जाता है कि जब भी वे अपने घरों की सुरक्षा से बाहर कदम रखें तो सावधान रहें। लेकिन कोई भी तैयार नहीं है अगर शिकारी एक ही छत के नीचे रह रहा हो। कोई भी तैयार नहीं है अगर शिकारी वह है जो रक्षा करने वाला है। इस मामले में, शिकारी उसका पिता है। समाचार पत्र इस तरह के अमानवीय कृत्य के कम से कम चार मामलों की रिपोर्ट करते हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं।”
अभिनेत्री गीतिका त्यागी ने फिल्म में एक बच्चे के रूप में यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली नायिका की भूमिका निभाई है। पीड़िता के रूप में उसकी यात्रा के माध्यम से, हम उसके दर्दनाक बचपन को कोर्ट रूम ड्रामा के साथ शानदार ढंग से प्रकट करते हैं।
गीतिका त्यागी ने कहा: “सैफ इस फिल्म के माध्यम से जो एक बिंदु बना रहे हैं, वह यह है कि इस गंभीर और भयानक मुद्दे पर चुप्पी तोड़ना कितना आवश्यक है।”
राष्ट्रीय समाचार
राज्यसभा में उठा हानिकारक कफ सिरप व घटिया दवाओं का मुद्दा

नई दिल्ली, 3 दिसंबर: राज्यसभा में बुधवार को खाद्य-मिलावट, निम्न गुणवत्ता वाली दवाइयों तथा हानिकारक कफ-सिरप के मुद्दा उठाया गया। इस दौरान सरकार से इस पर तुरंत और सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई। राज्यसभा में यह विषय शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाया।
उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में खाद्य-मिलावट, निम्न गुणवत्ता वाली दवाइयों तथा दूषित कफ-सिरप के मुद्दे को सदन के समक्ष रखा। उन्होंने सरकार से इस पर तुरंत और सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। शून्यकाल में विशेष उल्लेख करते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि देश के बाजारों में मिलावटी खाद्य पदार्थों और घटिया दवाइयों की उपलब्धता एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों द्वारा लिखे जा रहे कई कफ-सिरप दूषित पाए गए हैं, जिनके सेवन से शिशुओं की मौत तक हुई है। सांसद ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भी लिखा है। दूषित कफ-सिरप से लेकर बाजार में खुलेआम बिक रही कम गुणवत्ता वाली दवाइयां और मिलावटी खाद्य पदार्थ, इन सभी पर तुरंत नियंत्रण जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मिलावटी खाद्य भी बेहद खतरनाक व हानिकारक है और यह कैंसर जैसे गंभीर रोग का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि मिलावट का यह कारोबार बेहद खतरनाक है और यह हर परिवार के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। उन्होंने एफएसएसएआई की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए।
राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि रैंडम एफएसएसएआई रेड तो सुर्खियों में आ जाती हैं, लेकिन जमीन पर उसके परिणाम दिखाई नहीं देते। राज्यसभा सांसद ने नियम तोड़ने वालों पर कठोर दंड और सख्त प्रवर्तन की जरूरत की बात कही। प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन से आग्रह किया कि सरकार ऐसी मिलावट और घटिया दवाइयों पर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक अभियान, सख्त दंडात्मक कार्रवाई, और नियमित बाजार-निगरानी लागू करे, ताकि नागरिकों की सेहत सुरक्षित रह सके।
वहीं शून्य काल के दौरान ही कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने बैंकों का मुद्दा सदन के समक्ष उठाया। उन्होंने कहा कि किसी बैंक के डूब जाने पर खाताधारक को अधिकतम 5 लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है। उन्होंने इसे अपर्याप्त बताया। डांगी ने सदन में कहा कि बैंकों में जिन लोगों के पांच लाख रुपए से अधिक जमा है उनमें अधिकांश बुजुर्ग व्यक्ति हैं। कई बुजुर्गों के 5 लाख से अधिक रुपए बैंकों में जमा होते हैं जिनके माध्यम से वे अपनी गुजर बसर करते हैं, ऐसे में यदि कोई बैंक डूब जाता है तो केवल 5, लाख रुपये तक लौटाने की व्यवस्था है।
उन्होंने बैंक की इस इंश्योरेंस गारंटी को 25 लाख रुपए तक किए जाने के बात सदन के समक्ष रखी। डांगी ने कहा कि पांच लाख रुपए का इंश्योरेंस बढ़ाकर कम से कम 25 लाख रुपए किया जाना चाहिए। इसका सबसे अधिक लाभ बुजुर्ग व्यक्तियों को मिल सकेगा।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: गोरेगांव कॉलेज में कक्षाओं में बुर्का पर प्रतिबंध लगाने पर विवाद, छात्रों ने नियम का विरोध किया;

मुंबई: मुंबई के गोरेगांव स्थित विवेक विद्यालय जूनियर कॉलेज एक नए ड्रेस कोड को लागू करने के बाद जांच के दायरे में आ गया है, जिसके तहत छात्राओं को कक्षाओं के अंदर बुर्का पहनने पर रोक लगा दी गई है। इस बदलाव ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है, क्योंकि इस पोशाक को पहनने की अनुमति वर्षों से थी।
मुंबई के कॉलेज अक्सर रिप्ड जींस, शॉर्ट्स या क्रॉप टॉप जैसे परिधानों पर प्रतिबंध लगाते हैं, लेकिन इस संस्थान ने अब बुर्का और नकाब जैसे धार्मिक आवरणों को भी इस सूची में शामिल कर लिया है, क्योंकि धर्म या सांस्कृतिक असमानता को दर्शाने वाले कपड़ों से बचना ज़रूरी है। हालाँकि, हिजाब और हेडस्कार्फ़ की अनुमति जारी रहेगी।
मीडिया द्वारा साझा किए गए एक वीडियो के एक्स पर वायरल होने के बाद विवाद बढ़ गया , जिसमें बुर्का पहने छात्राओं को कॉलेज के प्रवेश द्वार पर रोका जा रहा है। एक छात्रा इस घटना के बारे में बताती है, और बाद में क्लिप में समूह को प्रिंसिपल से मिलते हुए दिखाया गया है, जो नियम वापस लेने के उनके अनुरोध को अस्वीकार करने पर अड़ी हुई दिखाई देती हैं।
कई छात्राओं ने बताया कि अब वे बुर्का पहनकर कैंपस आती हैं, क्लास से पहले वॉशरूम में अपने सामान्य कपड़े पहन लेती हैं और बाद में फिर से बुर्का पहन लेती हैं। मीडिया के हवाले से एक एफवाईजेसी छात्रा ने कहा, “मैंने ज़िंदगी भर बुर्का पहना है। बिना बुर्के के क्लास में बैठना असहज लगता है । “
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रतिबंध केवल जूनियर कॉलेज सेक्शन पर लागू होता है; सीनियर कॉलेज पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। इस फैसले पर सवाल उठाने वाले छात्रों ने दावा किया कि अगर वे इस नीति से असहमत हैं तो उन्हें अपना प्रवेश रद्द करने के लिए कहा गया है।
1 दिसंबर को, प्रभावित छात्रों के एक समूह ने, AIMIM की वकील जहाँआरा शेख के साथ, गोरेगांव पश्चिम के तीन डोंगरी पुलिस स्टेशन का रुख किया। प्रिंसिपल को बातचीत के लिए बुलाया गया। शेख ने पुष्टि की कि अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। मिड -डे के अनुसार, उन्होंने कहा, “हमने प्रिंसिपल से नियम हटाने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह प्रबंधन से सलाह लेंगी। हम दो दिन में फिर से अधिकारियों से मिलेंगे।” कॉलेज प्रबंधन ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
वेनेजुएला में ड्रग तस्करों पर जमीन से हमला करेगा अमेरिका, ट्रंप के फैसले पर उठे सवाल

वॉशिंगटन, 3 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला पर जल्द ही हमला करने के संकेत दे दिए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस कैबिनेट मीटिंग में कहा कि उनकी सरकार बहुत जल्द ड्रग तस्करों को टारगेट करते हुए जमीन पर हमले शुरू करेगी।
ट्रंप ने मंगलवार को मीटिंग में कहा, “हम जमीन पर ये हमले शुरू करने जा रहे हैं। जमीनी हमला बहुत आसान है और हम जानते हैं कि ड्रग तस्कर कौन से रास्ते अपनाते हैं।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार रात अमेरिकी सैनिकों को दिए अपने थैंक्स गिविंग स्पीच में, एयर फोर्स के 7वें बॉम्ब विंग को वेनेज़ुएला के ड्रग तस्करों को रोकने के लिए उनके कामों की सराहना की। बता दें, बॉम्ब विंग अमेरिकी वायु सेना की एक सैन्य इकाई है, जो बम बरसाने वाले विमानों का संचालन करती है।
अपने भाषण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया, “समुद्र के रास्ते लगभग 85 फीसदी तस्करी रोक दी गई है और हम उन्हें जमीन के रास्ते रोकना शुरू करेंगे।”
इससे पहले गुरुवार रात राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों को दिए अपने थैंक्सगिविंग स्पीच में वेनेजुएला के ड्रग तस्करों को रोकने के लिए एयर फोर्स के सातवें बॉम्ब विंग के कामों की सराहना की थी। बॉम्ब विंग अमेरिकी वायु सेना की एक सैन्य इकाई है, जो बम बरसाने वाले विमानों का संचालन करती है।
अपने भाषण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया, “समुद्र के रास्ते लगभग 85 फीसदी तस्करी रोक दी गई है और हम उन्हें जमीन के रास्ते रोकना शुरू करेंगे।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2 सितंबर से पेंटागन ने कैरिबियन और पूर्वी प्रशांत महासागर में ड्रग तस्करी से जुड़े जहाजों पर कम से कम 21 ज्ञात हमले किए हैं। इन हमलों में जहाज पर सवार कम से कम 83 लोग मारे गए।
पिछले कुछ महीनों में वॉशिंगटन ने यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड समेत करीब एक दर्जन वॉरशिप और करीब 15,000 सैनिकों को कैरेबियन सागर में तैनात किया गया है। यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड एक बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है।
इसकी कोस्टलाइन का एक बड़ा हिस्सा वेनेजुएला से मिलता है। इस इलाके में कम से कम बीते तीन दशकों से इतनी भारी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी नहीं देखी गई।
कई अमेरिकी सांसदों और आलोचकों ने सवाल उठाया है कि क्या सच में काउंटर नारकोटिक्स ही अमेरिका का एकमात्र मकसद है? इसके साथ ही अमेरिकी सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या कैरेबियन सागर में अमेरिकी सैन्य हमले कानूनी हैं?
इससे पहले वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने ड्रग्स के धंधे से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया था। राष्ट्रपति मादुरो ने ट्रंप पर उनके देश में सरकार बदलने के मकसद से युद्ध की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
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