राजनीति
शिवराज की आधी आबादी में पैठ को और गहरा करने की कवायद

Shivraj-Singh-Chauhan
मध्य प्रदेश की आधी आबादी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खास नजर है और इस वर्ग के लिए नई योजनाओं की शुरुआत के साथ उनके मान, सम्मान और सुरक्षा का भरोसा दिलाकर मुख्यमंत्री इस वर्ग के बीच अपनी पैठ को और मजबूत बनाना चाह रहे हैं।
मुख्यमंत्री चौहान के हाथों में चौथी बार राज्य की कमान है। बीते तीन कार्यकाल में चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान विवाह योजना, साइकिल योजना जैसी अनेक योजनाओं को अमली जामा पहनाया था, वहीं नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया। यही कारण रहा कि उनकी पहचान राज्य की लड़़कियों के बीच मामा और महिलाओं के बीच भाई की छवि बन गई थी। इसकी ब्रांडिंग में तत्कालीन सरकार भी पीछे नहीं रही थी।
चौथी बार सत्ता में आने के बाद चौहान पिछले कार्यकाल में बनाई गई योजनाओं से आगे निकलकर आधी आबादी को नए तरीके से लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चौहान ने काम की तलाश में जाने वाली बालिकाओं के पंजीयन की व्यवस्था किए जाने के संकेत दिए हैं। इसके लिए वे अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इसकी वजह यह है कि राज्य के विभिन्न स्थानों से युवतियां काम की तलाश में बाहर जाती हैं और उनमें से बड़ी संख्या में युवतियां वापस ही नहीं लौटतीं।
एक तरफ जहां बालिकाओं के गायब होने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए महिला जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं की रक्षा के लिए जिन लोगों ने रक्षक की भूमिका निभाई, उनके लिए सरकार ने सम्मान अभियान शुरू किया है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री चौहान अब हर क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा, रक्षा और सम्मान के लिए खड़े होते नजर आना चाहते हैं।
चौहान ने राज्य की चौथी बार सत्ता मार्च 2020 में संभाली थी। उसके बाद अप्रैल से 31 दिसंबर तक के आंकडे जारी कर सरकार की ओर से दावा किया गया है कि अप्रैल-2019 से दिसम्बर-2019 तक की अवधि की तुलना में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में उल्लेखनीय कमी आई है। इस तरह तुलनात्मक अवधि में 15.2 प्रतिशत महिला अपराधों में कमी आई है। अप्रैल 2019 से दिसम्बर-2019 के नौ माह की अवधि में कुल 24 हजार 187 मामले दर्ज किये गये, जबकि अप्रैल-2020 से दिसम्बर-2020 के नौ माह की अवधि में महिला अपराधों के 20 हजार 522 मामले ही दर्ज हुए।
एक तरफ जहां चौहान महिला सुरक्षा और सम्मान के लिए पहल कर रहे हैं, वहीं उन्होंने शादी के लिए बालिका की आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की पैरवी की है। चौहान की इस पैरवी ने नई बहस को जन्म दे दिया है।
वहीं युवती राजेश्वरी देवी का कहना है कि, “यह पहल अच्छी है क्योंकि जब 18 साल की आयु थी तब नौकरी आदि जल्दी मिल जाया करती थी और बहुसंख्यक लडकियां परिजनों की बात मानकर शादी कर लेती थीं, मगर अब युवतियों के नौकरी की तलाश में कई साल गुजर जाते हैं। इतना ही नहीं युवतियां अपने फैसले भी खुद करने लगी हैं, इसलिए अगर शादी की उम्र बढ़ाई जाती है तो अच्छा होगा।”
वहीं मुख्यमंत्री चौहान की घोषणाओं पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। प्रवक्ता दुर्गेष शर्मा का कहना है कि, “चौहान ने अपने पिछले कार्यकालों में हजारों घोषणाएं की थी, जो पूरी नहीं हुई, अब बीते नौ माह में भी सैकड़ों घोषणाएं किए जा रहे है। चौहान का भरोसा सिर्फ घोषणाएं करने में है, उन्हें पूरा करने में नहीं। राज्य में महिलाओं और बेटियों में असुरक्षा का भाव बढ़ा है, क्योंकि अपराध बढ़े है। “
राजनीति के जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री चौहान आधी आबादी के बीच अपनी पैठ बनाए रखना चाहते हैं, यही कारण है कि पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार द्वारा महिला उत्थान के लिए बनाई गई योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाते आए हैं। चौहान एक तरफ जहां पुरानी योजनाओं को शुरू करने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं नए कदम बढ़ा रहे है इसका मकसद महिलाओं में गहरी पैठ बढ़ाना है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र मराठी हिंदी विवाद: कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी-मराठी भाषाई विवाद पर साफ कर दिया है कि भाषाई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई मराठी भाषा के नाम पर हिंसा भड़काता है या कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीरा रोड हिंदी मराठी हिंसा मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। मराठी और हिंदी भाषा के मामले में एक कमेटी बनाई गई है। इसकी सिफारिश पर छात्रों के लिए जो भी बेहतर होगा, सरकार उसे लागू करेगी। किसी के दबाव में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के लिए सिफारिश महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान ही की गई थी, लेकिन अब यही लोग विरोध कर रहे हैं। जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को 51 फीसदी मराठी वोट मिले हैं। भाषा के नाम पर हिंसा और भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मराठी हमारे लिए गर्व का स्रोत है, लेकिन हम हिंदी का विरोध नहीं करते। अगर दूसरे राज्य में किसी मराठी व्यापारी को उनकी भाषा बोलने के लिए कहा जाए, तो क्या होगा? असम में उन्हें असमिया बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र
कई मॉल में आग लगने की घटनाओं के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सभी मॉल का 90 दिन का ऑडिट कराने का आदेश दिया, उपयोगिता कटौती की चेतावनी दी

मुंबई: मुंबई के लिंक स्क्वायर मॉल (29 अप्रैल, 2025) और ड्रीम मॉल, भांडुप में बार-बार आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में अग्नि सुरक्षा उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा की है। मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को सूचित किया कि महाराष्ट्र के सभी मॉल का अग्नि ऑडिट 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा न करने पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी जाएगी, ऐसा सामंत ने एमएलसी कृपाल तुमाने द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगे से अग्नि सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामंत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ड्रीम मॉल, भांडुप सुरक्षा उल्लंघन के बाद बंद है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ नगर निगमों को मॉल में अग्नि सुरक्षा अनुपालन का सत्यापन शुरू करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, महाराष्ट्र अग्नि निवारण और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सदस्यों अभिजीत वंजारी और मनीषा कायंडे के साथ मॉल को अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने में अनियमितताओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल, ऑर्किड सेंट्रल मॉल (मुंबई सेंट्रल) और प्राइम मॉल (विले पार्ले) में आग लगने की घटनाओं सहित कई घटनाओं की ओर इशारा किया, जिससे इन परिसरों में अग्नि शमन प्रणालियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठे।
विधान पार्षदों ने आरोप लगाया कि स्थानीय नगरपालिका अग्निशमन विभाग और नागरिक प्राधिकरण अग्नि सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में लापरवाह रहे हैं, और यह जानने की मांग की कि इन आग की घटनाओं के बाद क्या जांच की गई?, अग्नि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए गए?, सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
एक लिखित उत्तर में, शहरी विकास विभाग (उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन) ने पुष्टि की कि कई मॉलों में अग्निशमन प्रणालियाँ काम नहीं कर रही थीं, जिनमें शामिल हैं:
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल, ड्रीम मॉल, भांडुप, ऑर्किड सेंट्रल मॉल, मुंबई सेंट्रल, प्राइम मॉल, विले पार्ले
बीएमसी ने इन मॉल के मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र अग्नि निवारण एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की है।
तब से, ऑर्किड सेंट्रल मॉल और प्राइम मॉल में अग्नि प्रणालियों को पुनः सक्रिय कर दिया गया है, ड्रीम मॉल और लिंक स्क्वायर मॉल में प्रणालियां निष्क्रिय बनी हुई हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार बंद करना पड़ रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
राज्य सरकार ने मॉल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी के आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि कार्यात्मक अग्नि प्रणालियों को बनाए रखने और कानून के अनुसार अर्धवार्षिक अग्नि ऑडिट कराने की जिम्मेदारी मॉल मालिकों की है।
सरकार ने कहा कि मुंबई फायर ब्रिगेड आकस्मिक निरीक्षण करती है और नियमों का पालन न करने वाली संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र
हिंदी मराठी विवाद आदेश की प्रति जलाने पर मामला दर्ज

मुंबई: मुंबई हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश की प्रति जलाने के मामले में मुंबई पुलिस ने दीपक पवार, संतोष शिंदे, संतोष खरात, शशि पवार, योगिंदर सालुलकर, संतोष वीर समेत 200 से 300 कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा और पुलिस अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में धारा 189(2), 190,223, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष सूरज धुंडीराम खोत, 32 वर्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।
विवरण के अनुसार, 29 जून को दोपहर 2 से 3:30 बजे के बीच मराठी पाटकर सिंह से सटे बीएमसी रोड पर प्राथमिक शिक्षा में हिंदी यानी तीसरी भाषा को अनिवार्य करने के खिलाफ सरकारी आदेश की प्रति बिना अनुमति के जलाई गई और सरकारी आदेश का उल्लंघन किया गया। आरोपियों ने इस प्रदर्शन के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली थी और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने की है। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया गया है।
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