राष्ट्रीय समाचार
एकनाथ शिंदे का विपक्ष पर तंज, खुद को कहते हैं हिंदुत्ववादी, लेकिन कुंभ स्नान करने नहीं गए
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मुंबई, 27 फरवरी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को महाकुंभ नहीं जाने वाले नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये लोग खुद को हिंदुत्ववादी कहते हैं, लेकिन कुंभ नहाने नहीं गए। 65 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कुंभ में स्नान किया। लेकिन, ये लोग कुंभ नहीं गए। यह काफी हैरान करने वाली बात है।
उन्होंने महाकुंभ के आयोजन को अद्भुत बताया। कहा कि 144 बाद इस तरह का आयोजन हुआ, जो अपने आप में हम सभी लोगों के लिए हर्ष की बात है, जो कोई भी वहां जाता है, उसका जन्म लेना सार्थक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि हम सभी लोगों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल से धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने इस तरह का आयोजन करवाया।
इसके साथ ही हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि उनके मार्गदर्शन में पूरा आयोजन बहुत अच्छे से संपन्न हुआ। उन्हीं के प्रयासों की वजह से लोगों को महाकुंभ में स्नान करने का मौका मिला।
उन्होंने कहा कि कुंभ के सफल आयोजन के लिए हमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करना चाहिए। उनके मार्गदर्शन में सुरक्षा के मोर्चे पर सराहनीय काम किया गया। सुरक्षा व्यवस्था के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति पैदा ना हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया। कुंभ के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि किसी को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। इस दिशा में प्रशासन मुस्तैद रहा। श्रद्धालुओं की जरूरतों का विशेष ध्यान रखा गया। प्रशासन ने इस दिशा में सराहनीय पहल की।
उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग इस बार कुंभ नहीं गए, हमें उनसे पूछना चाहिए कि आखिर आप क्यों नहीं गए।
राष्ट्रीय समाचार
संभल हिंसा मामला: जेल में बंद 17 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
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संभल, 27 फरवरी। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी। इस मामले में जेल में बंद 17 आरोपियों की कोर्ट ने गुरुवार को जमानत याचिका खारिज कर दी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट इससे पहले 42 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर चुका है। बवाल के आरोप में जेल में बंद अब तक कुल 59 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है। कोर्ट का कहना है कि सभी आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं।
शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने गुरुवार को बताया कि शाही जामा मस्जिद प्रकरण में 29 लोगों के प्रार्थना पत्र पहले खारिज हो चुके हैं। कोर्ट में आज 17 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई है। सभी 17 याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कुल मिलाकर अब 59 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है।
जानकारी के अनुसार, संभल हिंसा मामले में 80 आरोपी जेल में बंद हैं। हालांकि, आरोपी पक्ष के वकीलों ने हाल में जमानत याचिका खारिज होने पर हाईकोर्ट जाने की बात कही थी।
संभल के एसपी कृष्ण बिश्नोई ने शुक्रवार (21 फरवरी) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के मामले में अब तक कुल 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें से सात मामले संभल कोतवाली, चार मामले नखासा थाने और एक जीरो एफआईआर मुरादाबाद में दर्ज की गई है। छह मामलों में पुलिस ने चार्जशीट पेश कर दी है। सबसे पहले लिखी गई दो एफआईआर में उपनिरीक्षक शाह फैसल की पर्सनल बुलेट और सरकारी गाड़ियों को आग लगाने का प्रयास किया गया। सरकारी गाड़ी जल गई, जबकि उपनिरीक्षक की पर्सनल गाड़ी को जलने से बचा लिया गया। सीसीटीवी के आधार पर इस मामले में 23 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।
उन्होंने कहा कि दूसरे मामले में एक अपराधी ने फायरिंग की थी, जिसमें 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। इसके अलावा एक और मामले में 21 लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया था। नामजद अभियुक्त समेत 53 लोगों के खिलाफ इसमें चार्जशीट दायर की गई है। चौथे मामले में एसडीएम पथराव के दौरान घायल हुए थे। उसमें 37 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। साथ ही कोतवाली क्षेत्र के एक मामले में सीओ को पैर में गोली लगी थी। इस केस में 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है।
इसके अलावा, जामा मस्जिद के पास हथियारों को लूटने के मामले में 39 लोगों को जेल भेजा गया है। एसपी कृष्ण बिश्नोई ने बताया कि छह मुकदमों में शुरुआत से 36 लोग नामजद थे। इसके बाद 123 लोगों के नाम प्रकाश में आए थे। कुल मिलाकर 159 लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनमें से 80 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। साथ ही 79 लोगों की गिरफ्तारी अभी बाकी है।
राजनीति
बंगाल : सीएम ममता बनर्जी का आरोप, ‘वोटर लिस्ट में हेराफेरी के लिए सक्रिय हुईं दो ऑनलाइन एजेंसियां’
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कोलकाता, 27 फरवरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दावा किया कि भाजपा ने राज्य की मतदाता सूची में हेराफेरी के लिए दो ऑनलाइन एजेंसियों की नियुक्ति की है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हो गई हैं कि दूसरे राज्यों के मतदाता 2026 के बंगाल विधानसभा चुनावों में मतदान कर सकें।
मुख्यमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस की एक बैठक में कहा, “जहां तक मुझे जानकारी मिली है, इस उद्देश्य के लिए दो एजेंसियों, एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स और कंपनी इंडिया 360, को नियुक्त किया गया है। इन एजेंसियों ने डेटा एंट्री ऑपरेटरों से संपर्क किया। उन्होंने कुछ गलत ब्लॉक-स्तरीय रिटर्निंग अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसा किया। वे दूसरे राज्यों के मतदाताओं के नामों को पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के ईपीआईसी नंबर से जोड़ रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने हरियाणा, गुजरात, बिहार, पंजाब और राजस्थान जैसे दूसरे राज्यों के मतदाताओं के कुछ खास उदाहरण देखे हैं।
उन्होंने दावा किया, “सबसे ज्यादा ऐसे मतदाता हरियाणा और गुजरात से हैं।”
उन्होंने भी कहा कि दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में चुनाव से पहले भी यही गड़बड़ी की गई थी, जिससे भाजपा को वहां जीत हासिल करने में मदद मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वहां अन्य पार्टियां इस चाल को नहीं पकड़ पाईं। लेकिन बंगाल में हम इस चाल को पहले ही पहचान लेने में सक्षम हैं, इसलिए हम यहां इस साजिश को कभी सफल नहीं होने देंगे।”
ममता ने अपनी पार्टी की जिला स्तरीय कोर कमेटियों के गठन की घोषणा की, जिनका एकमात्र काम संबंधित जिलों में इस तरह की कथित गड़बड़ी की पहचान करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ये जिला स्तरीय कोर कमेटियां अपने-अपने जिलों से उस उद्देश्य के लिए बनाई गई एक केंद्रीकृत समिति को रिपोर्ट भेजेंगी। केंद्रीकृत समिति का नेतृत्व पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी करेंगे। फर्जी मतदाताओं की पहचान का काम अगले 10 दिन के अंदर पूरा करना होगा। अगर समिति इस काम में विफल रहती है, तो मैं खुद फर्जी मतदाताओं की पहचान करूंगी।”
इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पार्टी के लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर एक मामले में दायर आरोपपत्र में “एक अभिषेक बनर्जी” की पूरी पहचान उजागर करने में अनिच्छा जताने पर सवाल उठाया।
राजनीति
आप का आरोप : दिल्ली में भाजपा की तानाशाही जारी, विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोक
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नई दिल्ली, 27 फरवरी। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि जब से भाजपा की सरकार आई है, विधानसभा परिसर में आप के चुने हुए विधायकों को घुसने नहीं दिया जा रहा है, जो लोकतंत्र की हत्या और तानाशाही की मिसाल है।
आप नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने विधानसभा परिसर के बाहर तैनात होकर आप के विधायकों को अंदर जाने से रोक दिया। उनका कहना है कि पुलिस के पास इस कार्रवाई का कोई वैध आदेश नहीं था, फिर भी पुलिस ने इस फैसले को लागू किया।
आतिशी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया, “दिल्ली में भाजपा सरकार आते ही तानाशाही की शुरुआत हो गई है। चुने हुए विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।”
वहीं, “आप” के अन्य नेता संजीव झा ने भी इस मुद्दे पर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि स्पीकर के आदेश पर विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोका गया है। यह हमारे विशेषाधिकार का उल्लंघन है और स्पीकर इस मामले पर बात करने को भी तैयार नहीं हैं।”
“आप” का आरोप है कि स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने आदेश जारी किया है कि “आप” के विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोका जाए, जबकि यह कदम लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसके अलावा, “आप” विधायक विधानसभा में बाबासाहेब के नारे लगाने पर तीन दिन के लिए निलंबित किए गए थे। अब, विधायकों को भवन में प्रवेश तक नहीं करने दिया जा रहा है। आप का कहना है कि यह घटना दिल्ली विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुई है, और “आप” इसे तानाशाही का प्रतीक मान रही है।
“आप” नेताओं का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र की हत्या करती हैं और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करती हैं।
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