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Tuesday,08-July-2025
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ईद उल अजहा : कोरोना काल में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कहा, नियमों के तहत करें कुर्बानी

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 ईद उल अजहा (बकरीद) मुसलमानों के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस साल ईद उल अजहा का त्योहार 31 जुलाई या एक अगस्त को मनाया जाएगा। लेकिन, इस साल की ईद थोड़ी अलग रहेगी। मुस्लिम धर्म गुरुओं ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है जिसकी वजह से ईद पर सभी एहतियाती कदम उठाने होंगे। जमात ए इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने आईएएनएस को बताया, “हमने ये गुजारिश की है कि कुर्बानी कानून के मुताबिक करें और अगर हालात ठीक नहीं हों या किसी कारणवश कुर्बानी करने में परेशानी हो रही हो तो कुर्बानी करने के बजाए इसके पैसों को गरीब लोगों में बाट सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “सभी मुसलमानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि ईद पर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें और सरकार की तरफ से जो पाबंदिया लगाई गई हैं, उनको ध्यान में रखें। कहीं भी एक जगह पर इकट्ठे न हों। अगर आपके पड़ोसी किसी और धर्म से हैं, तो उनका भी ध्यान रखें, उन्हें आपकी वजह से कोई परेशानी न हो।”

इंजीनियर ने कहा, “हमने सरकार से भी अपील की है कि कुछ असामाजिक तत्व जो ईद पर माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं, उन पर निगरानी रखी जाए और माहौल खराब करने वालों पर कार्रवाई की जाए।”

आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के मुख्य इमाम डॉ. उमेर अहमद इलियासी ने बताया, “ईद की नमाज मुख्य रूप से ईदगाह में पड़ी जाती है लेकिन हमने नमाज को लेकर देश की साढ़े पांच लाख मस्जिदों में अपील की है कि ईद की नमाज सभी मस्जिदों में हों, ताकी लोग ईदगाह में भीड़ ने लगाएं और हर कोई सोशल डिस्टेंसिंग के साथ नमाज पड़ सके। हमने मुस्लिमों से अपील की है कि कुर्बानी करते वक्त सभी एहतियाती कदम उठाएं, खास तौर पर कुर्बानी करने का दिखावा न करें। किसी तरह का कोई वीडियो न बनाएं।”

उन्होंने कहा, “अगर आप कंटेनमेंट जोन में रहते हैं तो कोई एक जगह निर्धारित कर लें और वहां जाकर कुर्बानी करें लेकिन सरकार की तरफ से जो नियम बताए गए हैं, उनका पूरी तरह से पालन करें। कुर्बानी करते वक्त साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें ताकी और कोई बीमारी ने फैले। पहले ही एक बीमारी के खिलाफ पूरा देश लड़ रहा है। मुस्लिमों से गुजारिश है कि सड़कों पर कुर्बानी न करें। कुर्बानी के बाद जो वेस्ट मटेरियल होता है उसको दूर जाकर बड़े कूड़े घर मे फेंके, आस पास के कूड़ेदानों में न डालें।”

देश में कोरोना वायरस के कारण केंद्र सरकार या राज्य सरकार ने अभी बाजारों में जानवरों की बिक्री के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया है। इसको लेकर लोग चिंतित हैं और दूसरे विकल्प को तलाश रहे हैं।

ऐसे में डॉ. उमेर अहमद इलियासी का कहना है, “अगर आप के पास कुर्बानी के लिए कोई जानवर नहीं है और आप कुर्बानी देना चाहते हैं तो ऐसे हालात में आप कुर्बानी के पैसों को गरीबों में बांट सकते हैं। अगर आप के घर में पला हुआ बकरा है तो उसकी कुर्बानी की जा सकती है। कोशिश करें कि बड़े जानवर की कुर्बानी इस बार न करें।”

देश में ईद पर मुख्य रूप से बकरों की कुर्बानी दी जाती है लेकिन कोरोना ने चलते फिलहाल लोग घर से बाहर कम निकल रहे हैं। ऐसे में लोग व्हाट्सएप के जरिये भी बकरे पसंद कर रहें है और उन्हें खरीदा जा रहा है।

इसको लेकर दिल्ली मीट मर्चेंट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी इरशाद कुरैशी ने आईएएनएस को बताया, “मुझे कुछ लोगों ने व्हाट्सएप पर बकरे के वीडियो, तस्वीरें भेजीं लेकिन इसमें दिक्कत ये है कि लोगों के साथ धोखाधड़ी हो सकती है क्योंकि कुर्बानी के बकरों के सेहतमंद होने की शर्त के कारण इनको देख कर खरीदा जाता है, व्हाट्सएप पर कैसे कोई बकरे को ठीक तरह से देख सकता है।”

दरअसल कुछ व्यापारियों ने व्हॉट्सएप पर ग्रुप बनाया है। इसमें खरीदार और विक्रेता दोनों ही शामिल हैं। इस ग्रुप में विक्रेता बकरों की तस्वीरें, वीडियो और कीमत डालते हैं। ग्रुप के जिन सदस्यों को बकरा पसंद होता है, वो उसके मालिक से संपर्क करता है।

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राजनीति

मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार ने मराठी गौरव के तहत व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उद्धव और राज ठाकरे की आलोचना की 

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मुंबई: महाराष्ट्र के मंत्री आशीष शेलार ने शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे की संयुक्त रैली में दिए गए भाषणों को अप्रासंगिक, ध्यान भटकाने वाला और अस्पष्ट बताया।

रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए मुंबई भाजपा प्रमुख ने ठाकरे बंधुओं पर राज्य में हिंदी भाषा को ‘थोपने’ के विरोध के नाम पर अपने एजेंडे और नैरेटिव को बेचने की कोशिश करने के लिए कटाक्ष किया। आशीष शेलार ने कहा, “ठाकरे बंधुओं ने मराठी गौरव के लिए एक साथ आने का दावा किया, लेकिन असली मकसद अपना नैरेटिव बेचना और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना था।”

उन्होंने कहा कि संयुक्त रैली में दोनों नेताओं के भाषणों में सच्चाई से ज़्यादा राजनीतिक दिखावा था। “राज ठाकरे ने अपने भाषण में जो बातें कहीं, वे अधूरी और अप्रासंगिक थीं। वह दूसरे राज्यों से आए अप्रवासियों को डराने-धमकाने और उसे सही ठहराने का अपना नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे थे, जबकि उद्धव सत्ता से बेदखल होने के बारे में शिकायत करते और रोते हुए नज़र आए,” शेलार ने कहा।

राज ठाकरे के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कि गैर-मराठी भाषी लोगों की पिटाई की जानी चाहिए, लेकिन उसका वीडियो नहीं बनाया जाना चाहिए, भाजपा ने इसे बिल्कुल बेतुका और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा, “ऐसे बयान बहुत दर्दनाक हैं। मैं इस तरह के बयानों से बहुत आहत हूं।” आशीष शेलार ने केंद्र की तीन-भाषा नीति का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर इस तरह की राजनीति से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “वे पूछते हैं कि किन राज्यों में तीन-भाषा फॉर्मूला लागू किया गया। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 20 राज्यों ने तीन-भाषा फॉर्मूला अपनाया है। राज ठाकरे मुंबई के बच्चों के लिए इसका विरोध करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों के लिए इसका कभी विरोध नहीं किया। यह अन्याय है।”

उन्होंने कहा कि त्रिभाषा नीति के तहत बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का मौका मिलता है, लेकिन ये नेता उन्हें इस अवसर से वंचित करना चाहते हैं। ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन पर उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों का एक साथ आना अच्छा है और उनके परिवार भी इससे खुश होंगे, लेकिन यह उन्हें तय करना है कि वे एक साथ चुनाव लड़ेंगे या अलग-अलग।

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राजनीति

महाराष्ट्र की राजनीति: ठाकरे की रैली के बाद प्रताप सरनाईक ने एकनाथ शिंदे को लिखा भावुक पत्र, यूबीटी-एमएनएस गठबंधन को राजनीतिक नौटंकी बताया

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महाराष्ट्र: शनिवार को वर्ली में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संयुक्त रैली के बाद, परिवहन मंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता प्रताप सरनाईक ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक भावुक पत्र लिखा, जिसमें दोनों ठाकरे भाइयों और उनके नए गठबंधन पर तीखा हमला किया गया।

सरनाईक ने अपने पत्र में उद्धव और राज ठाकरे की मराठी भाषा और संस्कृति के प्रति घोषित चिंता के पीछे की ईमानदारी पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “अगर वे अब मराठी पहचान के नाम पर एकजुट हो रहे हैं, तो सालों पहले जब वे अलग हुए थे, तब वे किसके हितों की सेवा कर रहे थे?”

सरनाइक ने ठाकरे बंधुओं पर आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों से पहले मराठी मुद्दों का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “एक मराठी लोककथा है जिसमें एक राक्षस का जीवन तोते में छिपा है। इन नेताओं के लिए, उनका जीवन बीएमसी की सत्ता में निहित है।” “उनकी आत्मा निगम के खजाने में बसती है।”

परिवहन मंत्री ने आरोप लगाया कि उद्धव के नेतृत्व वाले गुट ने मराठी गौरव की आड़ में सालों तक बीएमसी पर शासन किया, लेकिन मराठी लोगों की सही मायने में सेवा करने में विफल रहे। उन्होंने मराठी-माध्यम स्कूलों की गिरावट और कोविड-19 संकट के दौरान कथित भ्रष्टाचार जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए लिखा, “उन्होंने मराठी गौरव की टोपी पहनी, लेकिन उसी समुदाय को मूर्ख बनाया, जिसकी रक्षा करने का दावा किया था।”

राज ठाकरे पर सीधा निशाना साधते हुए सरनाईक ने याद दिलाया कि राज ने मराठी पहचान को लेकर मतभेदों का हवाला देते हुए 2006 में शिवसेना छोड़ दी थी, लेकिन अब उन्होंने उन्हीं नेताओं के साथ हाथ मिला लिया है। उन्होंने सवाल किया, “यह किस तरह की राजनीति है? क्या जनता इतनी भोली हो गई है कि उसे यह सब समझ में नहीं आ रहा है?”

सरनाइक ने युवाओं के रोज़गार और आर्थिक सशक्तिकरण जैसे वास्तविक मुद्दों को दरकिनार करने के लिए ठाकरे बंधुओं की भी निंदा की। उन्होंने कहा, “जबकि वे भाषा को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हैं, इन नेताओं के बेटे अंग्रेज़ी शादी के निमंत्रण भेजते हैं और उनके अनुयायी वातानुकूलित दफ़्तरों से मराठी युवाओं को सड़कों पर उतरते हुए देखते हैं।”

उन्होंने दोनों पार्टियों- यूबीटी और एमएनएस- पर मराठी युवाओं को जानबूझकर कारोबारी अवसरों से दूर रखने का आरोप लगाया। सरनाइक ने आरोप लगाया, “अगर युवा आत्मनिर्भर हो गए, तो उनकी राजनीतिक दुकानें बंद हो जाएंगी।” उन्होंने चेतावनी दी कि मुंबई के लोग अब ठाकरे के नेतृत्व वाली राजनीति के “पाखंड, स्वार्थ और छल” से थक चुके हैं।

एकनाथ शिंदे के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हुए सरनाईक ने लिखा, “आप बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के सच्चे पथप्रदर्शक हैं। स्वास्थ्य जोखिमों के बावजूद, आप लोगों के लिए अथक काम करना जारी रखते हैं। 30 वर्षों तक आपके साथ काम करने वाले व्यक्ति के रूप में, मुझे आपके साथ खड़े होने पर गर्व है।”

उन्होंने पत्र का समापन विकास-केंद्रित एजेंडे को जारी रखने के आह्वान के साथ किया: “मराठी लोग और उनका दिल आपके साथ है। हमें आगे बढ़ाते रहिए।”

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राजनीति

शिवसेना यूबीटी-एमएनएस प्रमुख, ठाकरे के अलग हुए चचेरे भाई, 2 दशक बाद वर्ली में ‘विजय’ रैली में फिर मिले

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मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के मुख्य नेता उद्धव और राज ठाकरे करीब 20 साल के मनमुटाव के बाद फिर से एक साथ आए हैं। महाराष्ट्र में हिंदी लागू करने के राज्य सरकार के फैसले को पलटने के लिए वर्ली के एनएससीआई डोम में यह सभा हुई।

दोनों भाई एक साथ मंच पर मौजूद हैं और कई मुख्य अतिथियों के साथ बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों का अभिवादन कर रहे हैं। इस पहल को ‘आवाज़ मराठीचा’ (मराठी की आवाज़) नाम दिया गया, जहाँ राज्य में मराठी भाषा को संरक्षित करने की स्मृति को दोनों नेताओं और उनके अनुयायियों द्वारा सम्मानित किया गया।

कई मशहूर हस्तियों और राजनेताओं ने भाग लिया, जैसे भरत जाधव, सिद्धार्थ जाधव, तेजस्विनी पंडित, जितेंद्र अवहाद, प्रियंका चतुर्वेदी, सुप्रिया सुले और कई अन्य नेता।

ठाकरे बंधुओं के आगमन से पहले, प्रशंसक मराठी लोक संगीत और नृत्यों का आनंद ले रहे थे, कार्यक्रम की शुरुआत ‘जय जय महाराष्ट्र माझा’ गीत के वाद्य यंत्रों के साथ हुई। ठाकरे भाई वर्ली में एनएससीआई डोम के मुख्य मंच पर एक साथ आए और एक-दूसरे के बगल में खड़े होकर दर्शकों की ओर हाथ हिलाया।

उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर, सावित्रीबाई फुले और केशव सीताराम ठाकरे, जो कि जोड़े के दादा और बालासाहेब ठाकरे के पिता थे, से आशीर्वाद लेने से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को माला पहनाई। ठाकरे भाइयों ने दर्शकों को संबोधित किया।

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