अपराध
ईडी राज सिंह गहलोत से जम्मू-कश्मीर बैंक से लेनदेन को लेकर करेगा पूछताछ

एंबिएंस ग्रुप ऑफ कंपनीज के अध्यक्ष राज सिंह गहलोत, जिन्हें पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था और सात दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा है। राज सिंह गहलोत से अब इस बारे में पूछताछ की जाएगी कि पैसा अलग-अलग देशों में कंपनियों को कैसे भेजा गया और कैसे उन्होंने जम्मू-कश्मीर बैंक को 289.08 करोड़ रुपये के स्थान पर 128 करोड़ रुपये में मामला सुलझाया।
ईडी ने गहलोत को 28 जुलाई को गिरफ्तार किया था और 30 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएमएलए कोर्ट में पेश किया था।
कोर्ट ने उन्हें सात दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है।
जांच से जुड़े ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान पाया गया कि गहलोत ने अन्य उद्देश्यों के लिए धन को अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट करके ऋण राशि को धोखाधड़ी से निकालने के लिए एक आपराधिक साजिश में प्रवेश किया था, जैसे कि समूह की अन्य कंपनियों के ऋण का निपटान करना और एंबिएंस ग्रुप की अन्य परियोजनाओं के लिए सावधि जमा करने के साथ-साथ मटेरियल का डायवर्जन करना शामिल है।
उन्होंने बताया , “469 करोड़ रुपये की राशि को गहलोत द्वारा नियंत्रित संस्थाओं और व्यक्तियों के लिए डायवर्ट किया गया, जिसके लिए वह अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं।”
एक अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान गहलोत ने ईडी को गुमराह किया था और लगातार यह दिखाने की कोशिश की थी कि उसने मंजूर किए गए कर्ज का कोई डायवर्जन नहीं किया है।
अधिकारी ने कहा, “जबकि तलाशी के दौरान इक्ठ्ठे किए गए दस्तावेजी सबूतों से पता चला है कि गहलोत द्वारा किए गए सबमिशन झूठे और भ्रामक थे।”
ईडी के अधिकारी ने यह भी बताया कि एजेंसी गहलोत से यह समझने के लिए पूछताछ करेगी कि ऋण की राशि को छीनने के लिए पैसे की लेयरिंग और एकीकरण कैसे किया गया था।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर बैंक के प्रबंधक ने ईडी को दिए अपने बयान में कहा था कि गहलोत को ऋण नियमों के विचलन में जारी किया गया था।
एक अधिकारी ने कहा, “इसके अलावा, 289.28 करोड़ रुपये की बकाया देनदारी के खिलाफ, बैंक अधिकारियों ने 128.94 करोड़ रुपये की राशि के लिए आरोपी के साथ खाते का निपटान करने का प्रयास किया।”
ईडी गहलोत से पूछताछ करेगी कि उसने बैंक को 289.28 करोड़ रुपये के कर्ज को 128.94 करोड़ रुपये में कैसे निपटाया और इससे लाभान्वित होने वाले सभी लोग कौन थे?
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी के अधिकारी गहलोत से लेन-देन के विवरण जैसे डिजिटल फॉर्म सहित दस्तावेजों के साथ भी सामना करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि एजेंसी कई आरोपियों के बयानों से गहलोत का भी सामना करेगी।
ईडी ने अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल) को स्वीकृत ऋण के संबंध में जम्मू-कश्मीर बैंक के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
ईडी ने कहा कि एएचपीएल ने जम्मू-कश्मीर बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ से 810 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।
अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली के शाहदरा स्थित सीबीडी में एक पांच सितारा होटल के निर्माण और विकास के उद्देश्य से ऋण स्वीकृत किया गया था।
उन्होंने कहा कि कुल 902 करोड़ रुपये के ब्याज के साथ ऋण राशि को एनपीए घोषित किया गया है।
ईडी के अलावा, एंबिनेस समूह के अध्यक्ष की भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही है।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई को गुरुग्राम में लगभग 18.98 एकड़ भूमि पर एक व्यावसायिक भवन के कथित अवैध निर्माण के मामले की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसमें अन्य लोगों की मिलीभगत से इमारत के उप-नियमों और वैधानिक प्रावधानों का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया था।
यह आरोप लगाया गया था कि जिस जमीन पर एंबिएंस मॉल बनाया गया था, वह एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए थी।
सीबीआई ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर एक निजी व्यक्ति, गहलोत, एंबिएंस लिमिटेड और एंबिएंस डेवलपर्स एंड इंफ्रास्ट्रक्च र प्राइवेट लिमिटेड और हुडा के अज्ञात अधिकारियों और अज्ञात निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
अपराध
दिल्ली पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 38 बांग्लादेशी घुसपैठियों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, 30 मई। अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए और राजधानी दिल्ली में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों पर दिल्ली पुलिस ने एक्शन तेज कर दिया है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के अभियान को सफलता भी मिल रही है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 38 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, दिल्ली पुलिस की नॉर्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट इकाई ने एक विशेष अभियान के तहत दिल्ली के विभिन्न इलाकों से 38 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह सभी घुसपैठिए बिहार के रास्ते दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली में गिरफ्तार हुए घुसपैठिए दिल्ली में रहने से पहले हरियाणा के नूंह में भी रहे और वहां काम कर काफी समय गुजारा। इसके बाद ये लोग दिल्ली में एक फैक्ट्री में काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये लोग अवैध रूप से शहर में रह रहे थे और इनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें पुलिस ने दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में छापेमारी कर इन लोगों को हिरासत में लिया। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान और उनके ठिकानों की जांच की जा रही है। पकड़े गए 38 बांग्लादेशियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
दिल्ली में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई को लेकर दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त, अपराध शाखा, देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। पिछले छह महीनों में, भारत सरकार की चल रही “पुश-बैक” रणनीति के तहत दिल्ली में लगभग 700 अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश वापस भेजा गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के आंकड़ों के अनुसार, निर्वासित व्यक्तियों की संख्या के मामले में दिल्ली सभी राज्यों में सबसे ऊपर है। कई राज्यों में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई तेज हो गई है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गोवा में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए जाने के बाद, उन्हें निर्वासित करने के लिए सौंप दिया गया है।
अपराध
दिल्ली के जनकपुरी में कार्यालय में चोरी मामले में 19 वर्षीय आरोपी गिरफ्तार

ARREST
नई दिल्ली, 30 मई। दिल्ली के जनकपुरी इलाके में जनक सिनेमा कॉम्प्लेक्स में स्थित “प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन” के कार्यालय में 13 मई को हुई चोरी की घटना में शामिल 19 वर्षीय चोर को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया है।
कार्यालय के मालिक ने बताया कि जब वह उस दिन (13 मई) अपने कार्यालय पहुंचे थे, तो उन्होंने पाया कि स्लाइडिंग खिड़की तोड़कर अज्ञात चोर ने 3 मोबाइल फोन, 12 टैबलेट और एक लैपटॉप चार्जर चुरा लिया। इस घटना की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की।
जनकपुरी थाने के प्रभारी (एसएचओ) के.के. तिवारी के नेतृत्व में और राजौरी गार्डन की सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सुश्री नीरज टोकस के मार्गदर्शन में एक विशेष जांच टीम गठित की गई।
इस टीम में हेड कांस्टेबल संदीप, रामकिशन, अंकित, महिला हेड कांस्टेबल वंदना और कांस्टेबल समरजीत शामिल थे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आसपास के कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। फुटेज की जांच करने के बाद पुलिस ने तकनीकी निगरानी का सहारा लिया, जिसके जरिए चोरी हुए एक मोबाइल फोन का स्थान दिल्ली के महावीर एन्क्लेव में ट्रैक किया गया।
पुलिस ने तुरंत महावीर एन्क्लेव में छापेमारी की और वहां 19 वर्षीय रोहन उर्फ खनका को गिरफ्तार कर लिया, जो राकेश का बेटा है और महावीर एन्क्लेव का निवासी है। उसके कब्जे से चोरी हुआ एक मोबाइल फोन बरामद किया गया। आगे की तलाशी में उसके घर से चोरी की गई 11 टैबलेट भी बरामद की गईं।
पुलिस ने बताया कि शेष चोरी की संपत्ति, जिसमें दो अन्य मोबाइल फोन और एक लैपटॉप चार्जर शामिल हैं, बरामद की गई है।
आरोपी रोहन से पूछताछ में पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर जांच और तेज की जा रही है। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में अन्य संभावित संलिप्त लोगों की तलाश कर रही है और जल्द ही बाकी चोरी का सामान भी बरामद करने की उम्मीद है।
अपराध
सीबीआई ने पासपोर्ट सेवा केंद्र लोअर परेल के जूनियर पासपोर्ट असिस्टेंट और एजेंट को भ्रष्टाचार के मामले में किया गिरफ्तार

नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने के मामले में कार्रवाई, पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेजे गए आरोपी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK), लोअर परेल, मुंबई में तैनात एक ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और एक निजी व्यक्ति (एजेंट) को गिरफ्तार किया है। यह मामला नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी कराने और इसके बदले रिश्वत लेने से जुड़ा है।
सीबीआई ने इस संबंध में ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और अन्य निजी पासपोर्ट एजेंटों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया कि वर्ष 2023-2024 के दौरान उक्त सरकारी कर्मचारी ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और उसके तहत पासपोर्ट संबंधित कार्यों के लिए अनुचित लाभ प्राप्त किया।
जांच में सामने आया कि आरोपी कर्मचारी ने एजेंट और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर कई अज्ञात आवेदकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करवाए। इन आवेदनों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता विवरण और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज लगाए गए थे, जो जांच में नकली पाए गए।
इसके अलावा, आरोपी कर्मचारी और एजेंट के बीच बातचीत के चैट में इन फर्जी पासपोर्ट आवेदकों से संबंधित रिश्वत की लेन-देन की चर्चा भी उजागर हुई है। जांच में यह भी सामने आया कि पासपोर्ट आवेदन में दिए गए मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहे हैं और तत्काल योजना के तहत जारी किए गए इन पासपोर्टों की बाद में हुई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट नकारात्मक पाई गई, क्योंकि दिए गए पते फर्जी थे।
जांच में सहयोग न करने और टालमटोल रवैया अपनाने पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें विशेष सीबीआई अदालत, मुंबई में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। यह हिरासत 2 जून 2025 तक जारी रहेगी।
मामले की जांच जारी है।
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