महाराष्ट्र
महाराष्ट्र सरकार की ऑक्सीजन का राशनिंग करने की योजना का डॉक्टरों ने किया विरोध

महाराष्ट्र सरकार ने कोविड-19 सार्वजनिक और निजी अस्पताल के वार्ड/आईसीयू में मरीजों के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन की राशनिंग करने का फैसला किया है, जिसका चिकित्सा बिरादरी ने विरोध किया है।
राज्य में डॉक्टरों ने इस कदम को ‘दुनिया में अभूतपूर्व’, ‘भयानक’ करार देते हुए निंदा किया है, यह कुछ ऐसा है जो कोरोना मरीजों की मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि “यह बेहतर होगा कि सरकार सभी निजी अस्पतालों को अपने दम पर चलाए।”
प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रदीप व्यास द्वारा जारी 18 सितंबर के एक सर्कुलर के अनुसार, कोविड ऑक्सीजन वार्ड या इंटेसिंव केयर यूनिट में मरीजों की संख्या की तुलना में ऑक्सीजन की बहुत अधिक खपत होने–राष्ट्रीय औसत से तीन बार से अधिक खपत होने के कारण यह फैसला लिया गया।
व्यास ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की वर्तमान खपत प्रतिदिन 600 टन से ऊपर है और विकास की तेज दर से, आशंका है कि यह कुछ दिनों के बाद राज्य में विनिर्माण क्षमता को पीछे छोड़ सकता है।
व्यास ने गंभीर रूप से कहा, “भारत सरकार ने महाराष्ट्र में जो मरीज ऑक्सीजन पर है, उनकी संख्या पर विचार करते हुए प्रतिदिन महाराष्ट्र में इस्तेमाल होने रही ऑक्सीजन की मात्रा पर गंभीर चिंता जताई है।”
एक तथ्य यह है कि लगभग 1,08,000 रोगियों का एक आंकड़ा – जिन्हें छुट्टी दे दी गई है – मैनुअल सारणीकरण में विसंगति के कारण सरकारी रिकॉर्ड पर अपडेट नहीं किया गया है।
इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र में कम संख्या में डिस्चार्ज और कम रिकवरी दर दिखाई गई है, लेकिन अगर इस आंकड़े का हिसाब लगाया जाए, तो यह राज्य में लगभग 15 प्रतिशत रोगियों के आक्सीजन उपचार प्राप्त करने की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा तिक राष्ट्रीय औसत 5-6 प्रतिसथ से बहुत अधिक है।
व्यास ने कहा, “तो, यह स्पष्ट है कि ऑक्सीजन का कोई विवेकपूर्ण इस्तेमाल नहीं है।” उन्होंने कहा कि पैसे बनाने के लिए निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को ऑक्सीजन पर रखने का चलन सा बन गया है और ऐसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है।
सरकार ने अब आदेश दिया है कि वाडरें में ऑक्सीजन की खपत 7 लीटर प्रति मिनट और आईसीयू में 12 लीटर प्रति मिनट तक सीमित होनी चाहिए।
सभी अस्पतालों को लीक के कारण मेडिकल ऑक्सीजन के अपव्यय को रोकने के लिए खपत को लेकर इन प्रतिबंधों का पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है।
महाराष्ट्र इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष अविनाश भोंडवे ने एक मरीज के जीवन की कीमत पर प्रशासन के इस आदेश को ‘सबसे बड़ा और सबसे क्रूर हमला’ करार दिया।
भोंडवे ने आईएएनएस को बताया, “यह चिकित्सकों की पेशेवर स्वायत्तता पर एक और सीधा प्रहार है, डॉक्टरों की चिकित्सकीय कुशलता पर एक अनुचित सवाल है। यह ऑक्सीजन की आपूर्ति की खराब बंदोबस्त को कवर करने का एक प्रयास है।”
उन्होंने कहा कि कुछ मरीज ऐसे हैं जिन्हें 20 लीटर / मिनट की आवश्यकता होगी और कुछ को 80 लीटर / मिनट तक भी चाहिए होगा, जिसे हाई फ्लो नेजल ऑक्सीजन (एचएफएनओ) के रूप में जाना जाता है और 7-12 लीटर की ऐसी सीमाएं रखना बिल्कुल बेतुका है और यह फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गठित कोविड स्पेशल टास्क फोर्स की सलाह के बिना भी लिया गया है।
आईएमए के राज्य सचिव पंकज भंडारकर ने कहा, “पूरे चिकित्सा पेशे के लिए इससे अधिक हास्यास्पद, अपमानजनक कुछ नहीं हो सकता है जो घातक कोविड महामारी से लड़ रहा है और जिसने खुद को मानवता की सेवा में समर्पित किया है।”
एक पूर्व पदाधिकारी और आईएमए सदस्य पार्थिव सांघवी ने कहा कि सभी मेडिकोज इस आदेश के विरोध में हैं, क्योंकि इसका प्रभाव इस बात पर पड़ सकता है कि कोई मरीज बचता है या मर जाता है।
भोंडवे ने कहा कि केवल बड़े कोविद अस्पतालों की स्थापना करना पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह चिकित्सा बुनियादी ढांचे और डॉक्टर हैं जो अंतत: रोगी को ठीक करने में मदद करते हैं, लेकिन “यदि रोगियों को कुछ भी होता है, तो डॉक्टर पीटे जाते हैं।”
आईएएनएस द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे और व्यास से संपर्क नहीं हो सका।
बॉलीवुड
कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट से एफआईआर रद्द करने की लगाई गुहार

मुंबई, 7 अप्रैल। कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने अदालत से मुंबई पुलिस के उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।
कुणाल कामरा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार के मौलिक अधिकार के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एसवी कोटवाल और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ करेगी।
बता दें, मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ तीन अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इन तीनों मामलों में महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों से जीरो एफआईआर के तहत शिकायतें मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर की गई हैं। यह एफआईआर बुलढाना, नासिक और ठाणे जिलों से दर्ज की गई थीं और अब इनकी जांच मुंबई के खार पुलिस स्टेशन द्वारा की जा रही है।
मुंबई पुलिस के अनुसार कामरा पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। खार पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। इस संबंध में कुणाल कामरा को तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है, लेकिन वह पुलिस स्टेशन में उपस्थित नहीं हुए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायत में दावा किया गया कि कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए एक पैरोडी गीत गाया था। युवा सेना के सदस्य रूपेश मिश्रा ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया। पुलिस ने पहले ही कामरा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर उन पर टिप्पणी करने वाले कामरा को तीन बार समन जारी हो चुका है। हालांकि, वह पेश नहीं हुए। मुंबई के खार थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, दूसरा समन भेजे जाने के बाद से कामरा पुलिस के संपर्क में नहीं हैं। कुणाल को पहला समन 25 मार्च को जारी हुआ था, जिसे लेकर कुणाल ने 2 अप्रैल तक का समय मांगा था, लेकिन पुलिस ने मोहलत देने से इनकार करते हुए उन्हें 27 मार्च को दूसरा समन जारी किया और 31 मार्च को खार पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा।
खार पुलिस हैबिटेट स्टूडियो से जुड़े कई लोगों से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज कर चुकी है। मामले से जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ जारी है।
महाराष्ट्र
बीर मक्का मस्जिद बम विस्फोट यूएपीए का कार्यान्वयन

मुंबई: पुलिस ने बीर अर्द मसला मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए एक्ट लागू कर दिया है। 30 मार्च की मध्य रात्रि को विजय अगोन और श्री राम अशोक ने मस्जिद में बम रखा और उसमें विस्फोट कर दिया। यह विस्फोट जेटलाइनर और डेटोनेटर की मदद से किया गया। इस मामले में पुलिस ने पहले आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन उसके बाद मुस्लिम संगठनों ने आरोपियों पर यूएपीए एक्ट और एनएसए के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी।
बीड विस्फोट की जांच स्थानीय अपराध शाखा द्वारा की गई थी, जिसमें अपराध शाखा ने पाया कि विस्फोट बहुत शक्तिशाली था और इसमें जेटलाइनर छड़ों के साथ डेटोनेटर का भी इस्तेमाल किया गया था। इसी आधार पर क्राइम ब्रांच की सिफारिश पर यूएपीए एक्ट लागू किया गया है। पुलिस ने दोनों आतंकवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। बीड विस्फोट के बाद से महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) पुलिस के साथ मिलकर इसकी जांच कर रहा है। एटीएस इस मामले में आतंकवादियों से संबंध और वित्तपोषण की जांच कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि आरोपियों को जेटलाइनर की छड़ें कैसे उपलब्ध कराई गईं और बिना लाइसेंस या परमिट के उन्हें जेटलाइनर की छड़ें किसने उपलब्ध कराईं। इसके साथ ही यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि इस मामले में और कितने लोग और साजिशकर्ता शामिल हैं।
एटीएस ने कहा कि बीड बम विस्फोट के हर पहलू और बिंदु पर जांच जारी है, हालांकि, एटीएस ने अब तक इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें आरोपियों के परिवार के सदस्य और शुभचिंतक के साथ-साथ उनके दोस्त और परिचित भी शामिल हैं। एटीएस बीड मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में विस्फोट से पहले की साजिश को उजागर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि विस्फोट से पहले आरोपी विजय अगोन ने एक वीडियो जारी कर स्टेटस पर अपलोड कर मुसलमानों को मस्जिद हटाने की धमकी दी थी और उसके बाद ही यहां विस्फोट हुआ था। स्थानीय पुलिस ने एक दिन पहले ही आरोपियों के खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने का मामला भी दर्ज किया था और अगले दिन मस्जिद में विस्फोट कर दिया गया।
अपराध
अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला को मिली जमानत, सोमवार को होगी रिहाई।

मुंबई: अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला, जिन्हें नवंबर 2024 में उनके आवास से मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, को मुंबई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। गुलीवाला पिछले चार महीने से अधिक समय से हिरासत में थीं।
अदालत ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनमें उनका पासपोर्ट जमा करना, यात्रा पर प्रतिबंध और जांच अधिकारी के समक्ष सप्ताह में तीन बार उपस्थित होना शामिल है, जब तक कि आरोप पत्र दाखिल नहीं हो जाता।
गुलीवाला के वकील, अयाज खान, ने दलील दी कि उन्हें बरामद वस्तुओं की जानकारी नहीं थी और वह उस परिसर की अकेली निवासी नहीं थीं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि छापे के दौरान सीसीटीवी सिस्टम बंद कर दिया गया था और कोई वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं की गई थी।
विशेष लोक अभियोजक विभावरी पाठक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि गुलीवाला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
अदालत ने यह देखते हुए कि जब्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, गुलीवाला को जमानत दी, लेकिन सख्त शर्तों के साथ।
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