दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों के बीच कथित तौर पर धार्मिक ढांचों के रूप में अतिक्रमण पर चिंता जताई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई नहीं करने के लिए शहर के प्रशासन से पूछा कि एक सभ्य समाज इस तरह कैसे बचेगा।
पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, “अगर हमारी सड़क के बीच में ऐसी चीजें आ रही हैं, तब कोई सभ्य समाज कैसे बचेगा? आपको कड़े शब्दों में एक संदेश देना होगा कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए दो विधायकों के नाम सूची से हटाने को भी कहा।
पीठ ने कहा, “विधायकों की क्या जरूरत है? हमें विधायकों की जरूरत नहीं है।”
पीठ ने मामले में प्रतिवादी अधिकारियों से एक स्थिति रिपोर्ट मांगी और आगे की सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तारीख तय की। अदालत याचिकाकर्ता एस.डी. विंडलेश द्वारा दिल्ली के भजनपुरा इलाके में दो कथित इस्लामी धार्मिक ढांचों (मजार) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका के अनुसार, ये ढांचे यातायात में बाधा डाल रही थीं और यात्रियों को कठिनाई का कारण बन रही थीं। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान अपने दावों का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी हवाला दिया।
दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि इस तरह के विध्वंस का मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित है।