महाराष्ट्र
क्या शिंदे और उद्धव आ सकते है एक साथ! क्या मातोश्री के पास ही रहेगी शिवसेना की कमान?

महाराष्ट्र की सियासत में हर दिन एक नई कहानी सामने आ रही है। एक तरफ से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद काफी ज्यादा एक्टिव नजर आ रहे हैं। पार्टी को बिखरने से बचाने के लिए वह लगातार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के साथ हर दिन शिवसेना नेताओं के जुड़ने की खबरें सामने आ रही है। फिलहाल शिवसेना के 12 सांसदों ने भी शिंदे गुट को अपना समर्थन दिया है। एकनाथ शिंदे ने सोमवार को उद्धव को एक बड़ा झटका देते हुए उनकी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर नई कमेटी का गठन किया है। इस नई कार्यकारिणी में शिंदे खुद मुख्य नेता बन गए हैं। इस खास बात यह है कि उन्होंने उद्धव ठाकरे को अभी भी शिवसेना का अध्यक्ष पद दिया हुआ है। आखिर एकनाथ शिंदे ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे उनकी क्या मजबूरी है। आइए जानते हैं
एकनाथ शिंदे की रणनीति को समझने के लिए एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने महाराष्ट्र की राजनीति और संविधान के जानकार एडवोकेट डॉ. सुरेश माने बातचीत की। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल यह बात सिर्फ न्यूज़ के जरिये सुनी और देखि जा रही है। आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। माने ने कहा कि अगर शिंदे ने उद्धव ठाकरे को अध्यक्ष बनाया है। तो इसका मतलब यह है कि कार्यकारिणी गठित करने का अधिकार अध्यक्ष के पास ही होता। ग्रुप लीडर इस तरह की कार्यकारिणी का गठन नहीं कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे विधायक दल के नेता हैं किसी पार्टी के अध्यक्ष नहीं है। किसी भी विधायक दल के नेता या संसदीय दल के नेता को राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन का अधिकार नहीं होता है। यह अधिकार सिर्फ पार्टी अध्यक्ष को होता है और पार्टी अध्यक्ष के लेटर से ही यह फाइनल होता है। सुरेश माने ने बताया कि शिंदे द्वारा उद्धव को अध्यक्ष बनाए जाने के कई मायने हो सकते हैं। पहला यह कि जो सामान्य शिवसैनिक हैं उनके विरोध को कम करने का हथकंडा हो सकता है। ताकि आम शिवसैनिक उनके खिलाफ ज्यादा आक्रामक न हों। इसके अलावा लोगों के बीच में यह संदेश जा सके कि हम अभी भी उद्धव ठाकरे को शिवसेना अध्यक्ष मान रहे हैं।
दूसरी वजह यह है कि एकनाथ शिंदे ऐसा करके दो तरफा खेल रहे हैं। इस कदम के जरिये शिंदे बीजेपी पर भी यह दबाव बनाना चाहते हैं। वो यह दिखाना चाहते हैं कि हम अभी भी एक हैं। साथ ही इसके जरिये शिवसेना की तरफ से होने वाला विरोध भी कम होगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पार्टी बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पहले विधायक फिर महानगरपालिका और उसके बाद नगरपालिका के नगरसेवकों ने उद्धव ठाकरे से किनारा कर एकनाथ शिंदे गुट का दामन थाम लिया था। ऐसे में उद्धव ठाकरे के सामने अब पार्टी बचाने की चुनौती आ गई है। इसी के मद्देनजर आज शाम उद्धव ठाकरे ठाकरे सभी जिला अध्यक्षों और विभाग अध्यक्षों से ऑनलाइन मीटिंग करेंगे। आपको बता दें कि बीते एक महीने में यह चौथी बड़ी बैठक है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि हम किसी भी लड़ाई के लिए तैयार हैं, चाहे वह चुनाव चिन्ह के लिए हो या पार्टी संगठन के लिए। कुछ एक सांसद और विधायक हमें छोड़ सकते हैं। लेकिन अकेले विधायक और सांसद शिवसेना नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिवसैनिक विद्रोहियों के लिए भविष्य में कोई भी चुनाव जीतना मुश्किल बना देंगे। उन्होंने पार्टी से अलग हुए गुट को शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे द्वारा वर्षों तक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मदद दिए जाने का जिक्र किया। राउत ने शिंदे पर भी तंज कसते हुए कहा कि उन्हें दिल्ली की यात्राएं करनी पड़ीं क्योंकि वह बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा, मुझे याद नहीं है कि शिवसेना के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी या नारायण राणे मंत्रिमंडल में विस्तार और अन्य मुद्दों के लिए कभी राष्ट्रीय राजधानी के चक्कर लगाते थे।
शिवसेना को अलविदा कहने वाले पूर्व मंत्री रामदास कदम ने कहा कि 52 सालों तक पार्टी में काम करने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुझे निकाल दिया। इसका आत्म परीक्षण जरूर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख के बेटे मुख्यमंत्री बनकर राष्ट्रवादी और कांग्रेस के साथ सत्ता में बैठे थे। यह हममें से किसी को भी मंजूर नहीं था। हमारे इलाके में जानबूझकर शिवसेना को कमजोर किया जा रहा था। एनसीपी नेता अजित पवार उनके लोगों को हमारे इलाके में काम करने के लिए पैसे दे रहे थे। कदम ने कहा अगर यही हालात रहे तो अगले चुनाव में शिवसेना के 10 विधायक जीत कर नहीं आएंगे।
महाराष्ट्र
एएनसी की कार्रवाई, करोड़ों का ड्रग्स जब्त, 6 गिरफ्तार

मुंबई: एंटी नारकोटिक्स सेल ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर कार्रवाई के दौरान 7.01 करोड़ रुपये मूल्य की एमडी और नेट्रोपम टैबलेट सहित एक नाइजीरियाई समेत छह ड्रग तस्करों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। मुंबई के वकोला में एक नाइजीरियाई से 5.23 करोड़ रुपये मूल्य की 523 ग्राम कोकीन जब्त की गई। घाटकोपर, कुर्ला सीएसटी, मजगांव, ताड देव, बोरीवली इलाकों में की गई छापेमारी में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके कब्जे से 54.65 लाख रुपये मूल्य की मेफेडोन एमडी जब्त की गई। ये पांच अंतरराज्यीय ड्रग गिरोह का हिस्सा हैं। इस ऑपरेशन में नेट्रोपम टैबलेट सहित अन्य ड्रग्स भी जब्त किए गए। मुंबई पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर डीसीपी नुनाथ धुळे ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
महाराष्ट्र
मुंबई अंडरवर्ल्ड डॉन डीके राव जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन गिरोह के सदस्य गैंगस्टर डीके राव को जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार करने का दावा किया है। इसके साथ ही पुलिस ने उसके दो साथियों अनिल सिंह और मेनिट भूटा को भी गिरफ्तार किया है। गैंगस्टर ने मेनिट भूटा के साथ मिलकर एक निवेशक से 1.25 करोड़ रुपये वसूले थे और उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए डीके राव को गिरफ्तार कर लिया और उसकी रिमांड हासिल कर ली। मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक होटल मालिक को धमकाने और 2.5 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में डीके राव को भी गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही उसके साथियों को भी गिरफ्तार किया गया था।
उपनगरीय साकीनाका इलाके में एक होटल मालिक को धमकी दी गई थी और इस मामले में मामला दर्ज किया गया था, जिसमें डीके राव जमानत पर हैं। बीती रात डीके राव अपने पुराने मामले की सुनवाई के सिलसिले में सत्र न्यायालय में पेश हुए थे। वह एक अपॉइंटमेंट के लिए गए थे और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस उनसे और उनके साथियों से पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि धारावी इलाके में डीके राव की अब भी पकड़ और दहशत है और वह साप्ताहिक समन समेत अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है। अंडरवर्ल्ड में दहशत फैलाने वाले इस मामले में अब क्राइम ब्रांच ने अपना शिकंजा कस लिया है। इस मामले में क्राइम ब्रांच डीके राव के सहयोगियों से भी पूछताछ करेगी। इसके साथ ही, क्राइम ब्रांच उन पीड़ितों से भी पूछताछ करेगी जो डीके राव के उत्पीड़न का शिकार हुए थे।
महाराष्ट्र
वारिस पठान को पता है नितेश राणे क्या कर रहे हैं। नितेश राणे की पठान को धमकी

मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा नेता और मंत्री नितेश राणे ने एक बार फिर मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला और कहा कि यह उनके पिता का पाकिस्तान और कराची नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्र और देव भाऊ की सरकार है। ऐसे में अगर कोई व्यवस्था और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, तो उसे जवाब दिया जाएगा। नितेश राणे ने एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा और कहा कि जिस जगह ओवैसी की रैली हुई, वह अहमदनगर नहीं, बल्कि अहलिया नगर है। सरकार ने अहमदनगर और औरंगाबाद का नाम बदल दिया है, इसके बावजूद लोग अहमदनगर को अहलिया नगर और औरंगाबाद को छत्रपति संभाजी नगर कहने से बचते हैं। ऐसे लोग भारत के संविधान को नहीं, बल्कि शरिया को मानते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ओवैसी राज्य का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तो सरकार को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उन्हें रैली करने की अनुमति दी जाए या नहीं, क्योंकि वह अपनी राजनीतिक रैली के लिए यहां आते हैं।
एडवोकेट वारिस पठान को धमकी देते हुए नितेश राणे ने कहा कि वारिस पठान जानते हैं कि नितेश राणे क्या हैं। उन्होंने कहा कि वारिस पठान समय और जगह तय कर लें, नितेश राणे ज़रूर आएंगे, तब पता चलेगा कि क्या होगा। नितेश राणे ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ उकसावे का परिचय देते हुए कहा कि जब हमारे देवी-देवताओं की मूर्ति का अपमान किया जाता है और हिंसा की जाती है, तब भाईचारा कहाँ चला जाता है और भारत का संविधान कहाँ चला जाता है? उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य की शांति भंग करने की कोशिश करता है, तो उसे पता होना चाहिए कि यहाँ देवेंद्र फडणवीस की हिंदुत्ववादी सरकार है।
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