पर्यावरण
दिल्ली से बाली जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से वापस लौटी
नई दिल्ली, 18 जून। इंडोनेशिया के रिसॉर्ट द्वीप बाली से आने-जाने वाली दर्जनों उड़ानें बुधवार को माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी ज्वालामुखी के फटने के बाद रद्द कर दी गईं, जिसके बाद एयर इंडिया की दिल्ली से बाली जाने वाली फ्लाइट एआई2145 को यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए वापस दिल्ली लौटने की सलाह दी गई।
यह विस्फोट फ्लोरेस के पूर्वी द्वीप पर हुआ। 1,584 मीटर ऊंचे ज्वालामुखी को देखते हुए अधिकारियों को इंडोनेशिया के चार-स्तरीय पैमाने पर इसके अलर्ट स्टेटस को उच्चतम स्तर तक बढ़ाना पड़ा।
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, “एआई2145 फ्लाइट सुरक्षित रूप से दिल्ली वापस लौट गई है और सभी यात्री उतर गए हैं।”
प्रवक्ता ने कहा, “यात्रियों को हुई असुविधा के लिए हम खेद व्यक्त करते हैं। प्रभावित यात्रियों को होटल में ठहरने की सुविधा प्रदान कर उन्हें हुई परेशानी को दूर करने का हर संभव प्रयास किया गया है। अगर यात्री चाहें तो कैंसलेशन या कॉम्प्लीमेंट्री रिशेड्यूलिंग पर उन्हें पूरा रिफंड भी ऑफर किया जा रहा है।”
बाली एयरपोर्ट ऑपरेटर अंगकासा पुरा इंडोनेशिया के अनुसार, “पूर्वी नुसा तेंगारा में लेवोटोबी लाकी-लाकी ज्वालामुखी के कारण गुस्ती नगुराह राय एयरपोर्ट पर कई उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।”
एयरएशिया द्वारा संचालित कई घरेलू उड़ानें भी रद्द कर दी गई हैं। जेटस्टार ने कहा कि बाली से आने-जाने वाली उड़ानें रद्द कर दी गई हैं, लेकिन राख का बादल साफ होने की उम्मीद के कारण दोपहर की कुछ उड़ानें शाम तक के लिए टाल दी गई हैं।
बाली के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वेब पोर्टल पर एयर न्यूजीलैंड, सिंगापुर की टाइगरएयर और चीन की जुनेयाओ एयरलाइंस की उड़ानें भी रद्द दिखाई गई हैं।
इंडोनेशिया डिजास्टर मिटिगेशन एजेंसी ने कहा कि मंगलवार देर रात ज्वालामुखी के आसपास के गांवों पर इसकी राख गिरनी शुरू हो गई थी, जिसे देखते हुए एक बस्ती को खाली करवाना पड़ा।
पूर्वानुमानों के अनुसार, ज्वालामुखी राख का बादल आज रात तक साफ होने की उम्मीद है।
‘लेवोटोबी’ इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित एक ट्विन ज्वालामुखी है। इसकी लेवोटोबी लाकी-लाकी और लेवोटोबी पेरेम्पुआन स्ट्रेटोवोलकैनो दो चोटियां हैं। अधिक सक्रिय लेवोटोबी लाकी-लाकी, ऊंचे लेवोटोबी पेरेम्पुआन से लगभग 2.1 किमी उत्तर-पश्चिम में है।
पर्यावरण
चक्रवाती तूफान की वजह से तमिलनाडु में भारी बारिश की चेतावनी

चेन्नई, 27 नवंबर: दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे सटे श्रीलंका तट पर बन रहा वेदर सिस्टम गुरुवार को एक गहरे डिप्रेशन में बदल गया। मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह गुरुवार शाम तक एक साइक्लोनिक तूफान में बदल जाएगा।
रीजनल मीटियोरोलॉजिकल सेंटर (आरएमसी) ने बताया कि यह सिस्टम शनिवार तक दक्षिण-पश्चिम खाड़ी और श्रीलंका के तट से होते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर उत्तरी तमिलनाडु, पुडुचेरी और उससे सटे दक्षिण आंध्र प्रदेश तट की ओर बढ़ने की उम्मीद है।
जब यह सिस्टम साइक्लोनिक ताकत तक पहुंच जाएगा, तो इसका नाम साइक्लोन डिटवाह रखा जाएगा। यह नाम यमन ने वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) और यूएन इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक के सदस्य देशों द्वारा फाइनल की गई ट्रॉपिकल साइक्लोन के नामों की लिस्ट में दिया था।
आरएमसी ने गुरुवार को दक्षिण तमिलनाडु और डेल्टा जिलों में भारी बारिश के अपने पहले के अनुमान को दोहराया है, जिसके बाद शुक्रवार से पूरे राज्य में बारिश में तेज बढ़ोतरी होगी।
डेल्टा और आसपास के जिलों में शुक्रवार को भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है, जबकि शनिवार को उत्तरी तमिलनाडु के जिलों में भारी बारिश की उम्मीद है क्योंकि मौसम का सिस्टम तट के साथ ऊपर की ओर बढ़ रहा है।
दक्षिणी जिलों में कई दिनों तक लगातार बारिश के बाद, बुधवार को बारिश की गतिविधियां काफी कम हो गईं। गुरुवार को सुबह 8.30 बजे खत्म हुए 24 घंटों के दौरान, केवल कुछ जगहों पर हल्की बारिश का पूर्वानुमान था।
रामनाथपुरम जिले के थंगाचिमदम में सबसे ज्यादा बारिश हुई, जबकि तिरुनेलवेली के ऊथु में (जहां इस हफ्ते की शुरुआत में बड़े पैमाने पर बाढ़ आई थी) 1 सीएम बारिश रिकॉर्ड की गई। बारिश के बढ़ने की उम्मीद को देखते हुए आरएमसी ने चेन्नई, कुड्डालोर, एन्नोर, थूथुकुडी, नागपट्टिनम और कराईकल जैसे खास बंदरगाहों पर तूफान की चेतावनी के सिग्नल लगाने की सलाह दी है।
नाविकों को अगले अपडेट तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और आस-पास के इलाकों में जाने से सावधान किया गया है।
ताजा अपडेट के मुताबिक, समुद्र के ऊपर डीप डिप्रेशन के बने रहने की वजह से कन्याकुमारी, थूथुकुडी और तिरुनेलवेली जिलों में हल्की बारिश हो सकती है।
पर्यावरण
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली-एनसीआर के लिए ‘ग्रीनिंग स्ट्रेटेजी’ पर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की

नई दिल्ली, 27 नवंबर: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को हरित बनाने के लिए पौधरोपण प्रयासों की चल रही तैयारियों की समीक्षा की गई।
समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 2026-27 के लिए निर्धारित पौधरोपण गतिविधियों की चल रही तैयारियों का आकलन किया और सभी एनसीआर राज्यों को वन भूमि, बंजर भूमि, सार्वजनिक स्थलों, आर्द्रभूमि, जलग्रहण क्षेत्रों, सामुदायिक वनों, नगर वन/नमो पार्कों और प्रस्तावित या मौजूदा चिड़ियाघरों का विस्तृत जिलावार मानचित्रण करने का निर्देश दिया।
मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एनसीआर के सभी इको-क्लबों की पहचान की जानी चाहिए और जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ पौधरोपण और रखरखाव गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए उनका मानचित्रण किया जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों को पंचवर्षीय जिला-स्तरीय सूक्ष्म योजनाओं का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें वार्षिक पौधरोपण लक्ष्य, कार्यान्वयन एजेंसियां, सामुदायिक सहभागिता के अवसर, नर्सरी क्षमता और हरित भारत मिशन, नगर वन योजना, प्रतिपूरक वनरोपण कोष, हरित ऋण कार्यक्रम (जीसीपी), मनरेगा और नदी पुनरुद्धार योजनाओं सहित वित्त पोषण स्रोतों की रूपरेखा प्रस्तुत की जाए।
केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय के अधिकारियों से राज्यों द्वारा तैयार की गई जिलावार सूक्ष्म योजनाओं को समेकित करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक पंचवर्षीय हरित योजना तैयार करने को भी कहा।
मंत्रालय ने कहा कि इस एकीकृत योजना के आधार पर आवश्यक सुविधा सुनिश्चित करने के लिए समन्वित कार्रवाई शुरू की जाएगी, जो अन्य लाभों के साथ-साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा निगरानी किए जा रहे हरित पौधरोपण प्रयासों को पूरा करने में भी सहायक होगी।
बयान में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस संबंध में अगली बैठक शीघ्र ही आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
पर्यावरण
भारत स्वच्छ ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ रहा, सोलर पावर के उत्पादन में दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंचा : भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 20 नवंबर: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के लिए तेजी से कम उठा रहा है। देश दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा सोलर पावर उत्पादक बन गया है।
केंद्रीय मंत्री की ओर से यह बयान ब्राजील के बेलेम में यूएनएफसीसीसी सीओपी30 के साइडलाइन में हुए इंटरनेशनल सोलर अलायंस- स्मॉल आइलैंड डेवलपिंग स्टेट्स (आईएसए-एसआईडीएस) प्लेटफॉर्म के हाई-लेवल मिनिस्टीरियल लीडरशिप सेशन में दिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में स्थापित ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट के आंकड़े को पार कर चुकी है। इसमें से 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रिन्यूएबल सोर्स से आता है, जो कि एनडीसी के लक्ष्य से पांच वर्ष पहले है।
सेशन में यादव ने केंद्र सरकार की पीएम सूर्य घर रूफटॉप सोलर प्रोगाम के बारे में बताया, जिसे 20 लाख से ज्यादा परिवार अपना चुके हैं।
आगे, मंत्री ने कहा, “खेती के लिए सोलर हमारे किसान समुदाय के लिए एक नई किरण है।”
सोलर पंप और सोलराइज्ड फीडर खेती को अधिक भरोसेमंद बना रहे हैं और ये खेती की सभी जरूरतों के लिए दिन में सोलर से चलने वाली साफ एनर्जी देते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने पीएम जनमन स्कीम के जरिए दूर-दराज और जंगली इलाकों को रोशन करने की कोशिशों और एनर्जी स्टोरेज में भारत के बड़े कदम का भी जिक्र किया।
यादव ने कहा, “भारत दुनिया के कुछ सबसे बड़े ‘सोलर और बैटरी’ प्रोजेक्ट बना रहा है, जिसमें लद्दाख का एक प्रोजेक्ट भी शामिल है जो पूरे शहर को रोशन करने के लिए क्लीन एनर्जी स्टोर करेगा।”
उन्होंने कहा कि ऐसे मॉडल एसआईडीएस के लिए डीजल इंपोर्ट कम करने, एनर्जी की लागत कम करने और क्लाइमेट रेजिलिएंस को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
यह इवेंट ‘यूनाइटिंग आइलैंड्स, इंस्पायरिंग एक्शन – लीडरशिप फॉर एनर्जी सिक्योरिटी’ थीम के तहत ऑर्गनाइज किया गया था।
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