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Wednesday,08-October-2025
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राष्ट्रीय समाचार

पीएम मोदी के सत्ता में 24 साल पूरे होने पर रवि शंकर प्रसाद ने दी बधाई, कहा-यह समर्पण और राष्ट्रभक्ति की यात्रा

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में 24 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद रवि शंकर प्रसाद ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण और सेवा की प्रेरणादायक कहानी है। यह यात्रा 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शुरू हुई थी और आज वह देश के पीएम हैं।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने लगभग 13 वर्षों तक गुजरात का नेतृत्व किया और उसे देश के सबसे विकसित और सुशासित राज्यों में शामिल किया। उनके शासनकाल में पारदर्शिता, विकास और प्रशासनिक ईमानदारी के नए मानक स्थापित हुए।

प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने तक उनकी हर नीति और निर्णय ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर आधारित रहा है। पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए, गरीबों के जीवन में परिवर्तन लाए और भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त पहचान दिलाई।

भाजपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सेवा-यात्रा समर्पण, राष्ट्रभक्ति और जनकल्याण की मिसाल है। आज भारत नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। देश के 4 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को अपने पक्के मकान मिल चुके हैं। यह सिर्फ योजनाओं की सफलता नहीं, बल्कि सबके विकास का सच्चा प्रतीक है।

रवि शंकर प्रसाद ने आगे कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। यह हर भारतीय के परिश्रम, प्रतिभा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का परिणाम है।

इसी बीच पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता पर हुए हमले पर भी रवि शंकर प्रसाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब किसी क्षेत्र में बाढ़ या प्राकृतिक आपदा आती है तो जनप्रतिनिधि का कर्तव्य होता है कि वह जाकर स्थिति का जायजा ले, लेकिन अगर कोई सांसद या विधायक ऐसा करता है और उस पर घातक हमला किया जाता है, तो यह लोकतंत्र पर हमला है।

प्रसाद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरा देश देख रहा है कि निर्दोष जनप्रतिनिधियों पर कैसे हमला हुआ, कैसे खून बहा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ममता जी, कृपया लोकतंत्र की बातें करना बंद कीजिए, जब आपके शासन में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं है।

राजनीति

सीजेआई से दुर्व्यवहार माफी के लायक नहीं: बॉम्बे बार एसोसिएशन

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मुंबई, 7 अक्टूबर: बॉम्बे बार एसोसिएशन (बीबीए) ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में सीजेआई बीआर गवई से दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने इस घटना को बेहद शर्मनाक, निंदनीय और ‘माफी के लायक नहीं’ करार दिया है।

बीबीए ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह हमला न केवल एक न्यायाधीश पर था, बल्कि पूरे न्यायिक संस्थान की गरिमा, मर्यादा और सम्मान पर हमला है। एसोसिएशन ने इसे कानूनी पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए पूरी तरह से अनुचित और अस्वीकार्य व्यवहार करार दिया।

बीबीए ने अपने बयान में स्पष्ट कहा, “ऐसा घृणित और अस्वीकार्य आचरण एक वकील के रूप में किसी भी व्यक्ति के लिए पूरी तरह से अनुचित है। यह न्यायालय की प्रतिष्ठा और न्याय व्यवस्था की नींव को हिला देने वाला है।”

एसोसिएशन ने इस कृत्य की खुले तौर पर कड़ी निंदा की और कहा कि किसी भी हाल में ऐसे व्यवहार को जायज नहीं ठहराया जा सकता, जो न्यायपालिका की साख और अधिकार को कमजोर करता हो।

बीबीए ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश ने जिस धैर्य और संयम के साथ इस संकटपूर्ण स्थिति को संभाला, वह न्यायपालिका के सर्वोच्च पद की गरिमा को दर्शाता है। उनका व्यवहार पूरे देश के न्यायिक तंत्र के लिए प्रेरणादायक मिसाल है।”

बॉम्बे बार एसोसिएशन ने मांग की है कि इस घटना में शामिल वकील के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

बयान के अंत में बीबीए ने दोहराया कि वह न्यायपालिका की गरिमा, कानून के राज और वकीलों के आचरण की मर्यादा बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

एसोसिशन की ओर से कहा गया, “हम न्यायपालिका के साथ खड़े हैं और संविधान की मूल भावना और विधि के शासन की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।”

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के आरोपी सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर ने कहा, “अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व वाली बार काउंसिल ने सोमवार की रात मुझे निलंबित करने का एक पत्र भेजा, जिसे मैं आपको दिखा सकता हूं। यह पत्र उनका आदेश और एक निरंकुश फरमान है।

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के अनुसार, जब भी किसी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए, वकील का पक्ष सुना जाना चाहिए और उसके बाद ही बर्खास्त, रोल से हटाया या निलंबित किया जा सकता है।”

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बॉलीवुड

अक्षय कुमार ने सीएम फडणवीस से की अपील, महाराष्ट्र पुलिस के जूतों का डिजाइन अपडेट करें

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मुंबई, 7 अक्टूबर: मुंबई में इन दिनों भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘फिक्की फ्रेम्स’ का 25वां संस्करण चल रहा है। इस दौरान बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मुलाकात की।

इस बातचीत में अक्षय कुमार ने महाराष्ट्र पुलिस के जूतों के डिजाइन में बदलाव का सुझाव दिया।

अक्षय कुमार ने जूतों के चलते पुलिसवालों को होने वाली समस्याओं को गिनाते हुए कहा, “सर, यह फिल्म इंडस्ट्री से संबंधित नहीं है, लेकिन मैंने मुंबई पुलिस के जूतों पर ध्यान दिया है। उनमें ऊंची एड़ी होती है और उनमें दौड़ना आसान नहीं होता। एक एथलीट और खिलाड़ी होने के नाते, मैं समझता हूं कि इससे पुलिस को दौड़ते समय पीठ की समस्या या स्लिप डिस्क की समस्या भी हो सकती है। अगर उनके जूतों को फिर से डिजाइन किया जा सके, तो यह महाराष्ट्र पुलिस के लिए बहुत फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे वे किसी भी अपराधी से तेज दौड़ सकेंगे।”

महाराष्ट्र पुलिस के जूतों पर गौर करने वाले संभवत: अक्षय कुमार पहले अभिनेता हैं। इस कार्यक्रम में अक्षय ने अपनी आने वाली फिल्म ‘हैवान’ में एक नकारात्मक किरदार निभाने के बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की राय भी ली।

अक्षय कुमार ने पूछा, “मैं एक ऐसी फिल्म कर रहा हूं जिसमें मैं एक नकारात्मक किरदार निभा रहा हूं। मैं सोच रहा था कि मुझे यह करना चाहिए या नहीं। फिल्म का नाम ‘हैवान’ है, लेकिन फिल्म के अंत में मैं, यानी ‘हैवान’, हार जाता हूं।”

इस पर सीएम फडणवीस ने जवाब दिया, “हां, आपको जरूर यह फिल्म करनी चाहिए। आप जैसे बहुमुखी अभिनेता को हर तरह की भूमिकाएं निभानी चाहिए। यह आपके लिए एक उपलब्धि ही साबित होगी। लेकिन नायक के किरदार वाली और फिल्में भी करते रहिए।”

बता दें कि ‘फिक्की फ्रेम्स’ का 25वां संस्करण 7-8 अक्टूबर तक मुंबई में चलेगा। इस दौरान एकता कपूर, सिद्धार्थ रॉय कपूर, हंसल मेहता, शूजित सरकार, प्रतीक गांधी, हुमा कुरैशी, कोंकणा सेन शर्मा, दिव्या दत्ता और किरण राव जैसी मशहूर हस्तियां इसमें शामिल होंगी। वे यहां पर अलग-अलग सत्रों में फिल्म उद्योग से जुड़ी चर्चाओं में हिस्सा लेंगे।

‘हैवान’ की बात करें तो, इस फिल्म में अक्षय 17 साल बाद अभिनेता सैफ अली खान के साथ फिर से काम कर रहे हैं। प्रियदर्शन इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं। यह फिल्म 2016 की मलयालम थ्रिलर ‘ओप्पम’ का हिंदी रीमेक है।

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राजनीति

सीजेआई गवई पर हमले के खिलाफ देशभर में वकीलों का प्रदर्शन जारी

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई बीआर गवई के खिलाफ दुर्व्यवहार की कोशिश के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों ने कहा कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था की नींव को हिलाने की साजिश है। यह संविधान के खिलाफ सीधा हमला है।

प्रदर्शन कर रहे वकीलों में से एक ने मीडिया से कहा, “यह देश भारत के संविधान से चलेगा, न कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों से।”

उन्होंने आगे कहा, “हर रोज दलितों की हत्याएं हो रही हैं, अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं और ‘हिंदू खतरे में है’ जैसे नारों से देश में नफरत फैलाई जा रही है।”

एक अन्य अधिवक्ता ने कहा, “जो कुछ भी कोर्ट में हुआ, वह केवल चीफ जस्टिस के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका पर हमला है। हमारी मांग है कि इस पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”

वकीलों ने प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते हुए कहा, “कानून के राज पर हमला नहीं सहेंगे, सीजेआई पर हमला बंद करो, न्याय की गरिमा को बचाओ, संविधान की रक्षा करो।”

यहीं नहीं, मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के सामने भी वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। करीब 50 से ज्यादा वकीलों ने हाथों में तख्तियां और नारे लेकर प्रदर्शन किया और जस्टिस गवई पर हुए हमले की कड़ी निंदा की।

वकीलों ने बताया कि यह प्रदर्शन सिर्फ मदुरै में सीमित नहीं रहेगा। एक वकील ने कहा, “यह विरोध प्रदर्शन देशभर में चलेगा। आज जिला न्यायालयों में छुट्टी थी, लेकिन आने वाले समय में इसे और बड़ा बनाया जाएगा। यह एक चेतावनी है कि न्यायपालिका को डराने की कोशिशें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।”

महाराष्ट्र के कोल्हापुर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर मुख्य न्यायाधीश पर हमले के खिलाफ इंडिया फ्रंट ने विरोध प्रदर्शन किया।

वहीं, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के आरोपी सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर ने कहा, “अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व वाली बार काउंसिल ने सोमवार की रात मुझे निलंबित करने का एक पत्र भेजा, जिसे मैं आपको दिखा सकता हूं। यह पत्र उनका आदेश और एक निरंकुश फरमान है। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के अनुसार, जब भी किसी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए, वकील का पक्ष सुना जाना चाहिए और उसके बाद ही उन्हें बर्खास्त, रोल से हटाया या निलंबित किया जा सकता है।”

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