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ग्रेटा थनबर्ग और ‘सेल्फी यॉट’ पर मौजूद सभी एक्टिविस्ट को किया जा रहा डिपोर्ट: इजरायल

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तेल अवीव, 10 जून। राहत सामग्री के साथ गाजा जाने वाली एक नौका पर सवार जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित 12 यात्रियों को डिपोर्ट करने के लिए बेन गुरियन हवाई अड्डे पर लाया गया है। इस नौका को इजरायली बंदरगाह अशदोद में जब्त कर लिया गया था।

निर्वासन प्रक्रिया इजरायली बलों के समुद्र में इस जहाज को रोके जाने के बाद की गई है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “‘सेल्फी यॉट’ के यात्री इजरायल से प्रस्थान करने और अपने देश लौटने के लिए बेन गुरियन हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहीं, जो लोग निर्वासन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और इजरायल छोड़ने से इनकार करेंगे, उन्हें न्यायिक प्राधिकारी के समक्ष लाया जाएगा।”

एक्टिविस्ट्स का यह समूह, फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन (एफएफसी) द्वारा आयोजित एक मिशन का हिस्सा है, जो चावल और शिशु आहार सहित गाजा को महत्वपूर्ण सहायता पहुंचाने के लिए यात्रा पर निकला था।

मैडलीन नामक नाव को कथित तौर पर गाजा के तट से लगभग 185 किलोमीटर पश्चिम में रोका गया था।

समूह द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में इजरायली सेना को जहाज पर चढ़ते हुए दिखाया गया है, जबकि कार्यकर्ता अपने हाथ ऊपर उठाए खड़े हैं, उनमें से एक ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान कोई भी घायल नहीं हुआ।

जब्ती के बाद, इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि कार्यकर्ताओं को सोमवार शाम को चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया और उन्हें हमास के हमले से जुड़ी (7 अक्टूबर के नरसंहार पर बनी डॉक्युमेंट्री) दिखाई गई।

गैलेंट ने दावा किया कि “जब उन्होंने देखा कि यह किस बारे में है, तो उन्होंने इसे देखना जारी रखने से इनकार कर दिया,” उन्होंने थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं पर हमास के अत्याचारों को अनदेखा करने और “सच्चाई से अपनी आंखें बंद करने” का आरोप लगाया।

एफएफसी ने ऑपरेशन की कड़ी निंदा की। उन्होंने इजरायली सेना पर “हमला” करने और जहाज पर “अवैध रूप से चढ़ने” का आरोप लगाया।

गठबंधन ने कहा कि सहायता मिशन पूरी तरह से मानवीय था, जिसका उद्देश्य गाजा को राहत पहुंचाना था। जहाज पर सवार लोगों में ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और तुर्की के नागरिक शामिल थे।

ग्रेटा के अलावा, समूह में यूरोपीय संसद की फ़्रांसीसी सदस्य रीमा हसन और अल जजीरा के फ्रांसीसी पत्रकार उमर फयाद जैसे लोग शामिल थे।

फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने दृढ़ता से आवाज उठाते हुए हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने का इजरायल से आग्रह किया।

मैक्रों ने विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए फ़्रांस की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और कहा कि देश “सतर्क” है और “जब भी वे खतरे में होते हैं, तो अपने सभी नागरिकों के साथ खड़ा रहता है।”

फ़्रांसीसी सरकार ने इजरायल से कार्यकर्ताओं की “सुरक्षा” सुनिश्चित करने की भी मांग की, मैक्रों ने गाजा पर मानवीय नाकेबंदी को “एक घोटाला” और “अपमान” करार दिया।

अंतरराष्ट्रीय

तोशाखाना मामला: इमरान खान और बुशरा बीबी को 17 साल की सजा, 1.64 करोड़ का लगा जुर्माना

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इस्लामाबाद, 20 दिसंबर : पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को बड़ा झटका लगा है। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत ने शनिवार को तोशाखाना-2 मामले में दोनों को 17-17 साल की कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने दोनों पर 1.64 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

पाकिस्तानी मीडिया द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष न्यायाधीश (सेंट्रल) शाहरुख अर्जुमंद ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया, जहां इमरान खान पहले से ही बंद हैं।

यह मामला मई 2021 का है, जब इमरान खान को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने एक आधिकारिक दौरे के दौरान बुल्गारी ब्रांड का महंगा आभूषण सेट उपहार में दिया था। आरोप है कि बाद में सरकारी खजाने से इस कीमती तोहफे को बेहद कम कीमत पर खरीद लिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है।

केस की सुनवाई के दौरान इमरान खान ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 342 के तहत विशेष अदालत में अपना बयान दर्ज कराते हुए अभियोजन पक्ष के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा मामला दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।

उन्होंने तर्क दिया कि वे पाकिस्तान दंड संहिता के तहत लोक सेवक की श्रेणी में नहीं आते, क्योंकि प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्हें उस उपहार के विशिष्ट विवरणों की जानकारी नहीं थी, जो उनकी पत्नी को दिया गया था। पीटीआई के संस्थापक ने कहा कि तोशाखाना नीति 2018 के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। दान की सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रोटोकॉल अनुभाग को विधिवत दी गई, उसका मूल्यांकन किया गया और भुगतान राष्ट्रीय खजाने में जमा होने के बाद उसे कानूनी रूप से अपने पास रख लिया गया। उन्होंने कहा कि हमने तोशखाना नीति का भावनापूर्वक पालन किया है।

अदालत ने इमरान खान को पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 34 और धारा 409 के तहत 10 साल की कठोर कैद, जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(2) के तहत 7 साल की सजा सुनाई। इसी तरह बुशरा बीबी को भी उन्हीं धाराओं के तहत कुल 17 साल की सजा सुनाई।

अदालत के आदेश में कहा गया कि सजा तय करते समय इमरान खान की उम्र और बुशरा बीबी के महिला होने के पहलू को ध्यान में रखा गया। इसी आधार पर अपेक्षाकृत नरमी बरती गई और कम सजा दी गई। साथ ही अदालत ने कहा कि जेल में बिताई गई अवधि को सजा में जोड़ा जाएगा। फैसले के बाद इमरान खान और बुशरा बीबी के वकीलों ने संकेत दिए हैं कि वे इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

इस मामले में दोनों को पिछले साल दिसंबर में आरोपी बनाया गया था। इस साल अक्टूबर में इमरान और बुशरा बीबी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था।

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अंतरराष्ट्रीय

‘अमेरिका ने लिया बदला’, यूएस ने सीरिया में आईएसआईएस के कई ठिकानों पर की एयरस्ट्राइक

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वाशिंगटन, 20 दिसंबर : संयुक्त राज्य अमेरिका ने सेंट्रल सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कई ठिकानों पर हवाई हमले किए। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई पिछले सप्ताह अमेरिकी कर्मियों पर हुए जानलेवा हमले के जवाब में की गई है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बताया कि इन हमलों में आईएसआईएस के लड़ाकों, उनके ढांचे और हथियार ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस अभियान का नाम ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे और कार्रवाई हो सकती है।

हेगसेथ ने कहा कि यह किसी युद्ध की शुरुआत नहीं है, बल्कि बदला लेने की घोषणा है। उनके अनुसार, अमेरिका ने अपने दुश्मनों को खोजकर मारा है और आगे भी ऐसा करता रहेगा।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया : “आज पहले, अमेरिकी सेना ने सीरिया में ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक शुरू किया ताकि 13 दिसंबर को पल्मायरा, सीरिया में अमेरिकी सेना पर हुए हमले के सीधे जवाब में आईएसआईएस लड़ाकों, इंफ्रास्ट्रक्चर और हथियारों के ठिकानों को खत्म किया जा सके।

उन्होंने आगे कहा, “जैसा कि हमने उस बर्बर हमले के तुरंत बाद कहा था, अगर आप दुनिया में कहीं भी अमेरिकियों को निशाना बनाते हैं, तो आप अपनी छोटी, बेचैन जिंदगी यह जानते हुए बिताएंगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका आपको ढूंढेगा और बेरहमी से मार डालेगा। आज, हमने अपने दुश्मनों को ढूंढकर मार डाला। उनमें से बहुतों को हमने मार दिया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे।”

ये हवाई हमले पिछले सप्ताह पल्मायरा के पास हुए उस हमले के बाद किए गए, जिसमें दो अमेरिकी सैनिकों और एक अमेरिकी नागरिक दुभाषिये की मौत हो गई थी, जबकि तीन अन्य सैनिक घायल हुए थे। हमलावर ने अमेरिकी और सीरियाई बलों के काफिले पर हमला किया था, जिसे बाद में मार गिराया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घटना के बाद “बहुत गंभीर जवाबी कार्रवाई” का वादा किया था। व्हाइट हाउस की उप प्रेस सचिव अन्ना केली ने कहा कि ये हवाई हमले उसी वादे को पूरा करने की कार्रवाई हैं।

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अंतरराष्ट्रीय

हमास जब तक हथियार छोड़ेगा नहीं, तब तक गाजा में शांति संभव नहीं है: अमेरिका

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वाशिंगटन, 20 दिसंबर : अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ शब्दों में कहा कि गाजा में स्थायी और टिकाऊ शांति तभी संभव है, जब हमास को भविष्य में इजरायल पर हमला करने की क्षमता से पूरी तरह वंचित कर दिया जाए। शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुबियो ने कहा कि शांति प्रयासों का केंद्र बिंदु हमास का निरस्त्रीकरण होना चाहिए।

रुबियो ने कहा, “आप ऐसी स्थिति में शांति की कल्पना नहीं कर सकते, जहां हमास भविष्य में इजरायल को धमकी दे सके। इसलिए निरस्त्रीकरण बेहद जरूरी है।” हालांकि उन्होंने बातचीत या संभावित समझौतों के विस्तृत ब्योरे देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि किसी भी समझौते की बुनियाद यही सिद्धांत होगा।

उन्होंने गाजा के पुनर्निर्माण को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया। रुबियो ने कहा कि जब तक सुरक्षा की ठोस गारंटी नहीं होगी, तब तक कोई भी देश या निवेशक गाजा में पैसा लगाने को तैयार नहीं होगा। अगर लोगों को लगे कि दो-तीन साल में फिर से युद्ध हो जाएगा, तो कोई भी वहां निवेश नहीं करेगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में हमास फिर से रॉकेट दागता है, इजरायली नागरिकों की हत्या करता है, या 7 अक्टूबर जैसे किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देता है, तो शांति की सारी कोशिशें नाकाम हो जाएंगी। उन्होंने दोहराया कि कोई भी फिर से युद्ध नहीं चाहता।

रुबियो ने यह भी कहा कि निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें हमास की सहमति के साथ-साथ इजरायल की सहमति भी आवश्यक होगी, तभी कोई व्यवस्था काम कर पाएगी।

गौरतलब है कि गाजा में मौजूदा युद्ध की शुरुआत हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद हुई थी, जिसमें करीब 1,200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने गाजा में व्यापक सैन्य अभियान चलाया। इस युद्ध में अब तक हजारों फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और गाजा में भारी तबाही हुई है।

अमेरिका इजरायल के समर्थन के साथ-साथ मानवीय सहायता और युद्ध के बाद की योजना पर भी जोर देता रहा है। वाशिंगटन का मानना है कि गाजा का भविष्य तभी सुरक्षित हो सकता है, जब वहां से सशस्त्र गुटों का नियंत्रण खत्म हो और एक प्रभावी शासन व्यवस्था स्थापित हो।

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