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Monday,05-May-2025
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राष्ट्रीय समाचार

सुप्रीम कोर्ट ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के परपोते की विधवा की लाल किले के स्वामित्व की मांग वाली याचिका खारिज की

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के परपोते दिवंगत मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की विधवा होने का दावा करते हुए कानूनी ‘उत्तराधिकारी’ होने के नाते लाल किले पर कब्जा मांगा था।

मामले के बारे में

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया, “केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? उन्हें भी क्यों छोड़ दिया जाए। रिट पूरी तरह से गलत है। खारिज।”

बेगम ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ अपील में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने 13 दिसंबर, 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अदालत के एकल न्यायाधीश के दिसंबर 2021 के फैसले के खिलाफ दायर उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनकी याचिका भी खारिज कर दी गई थी।

20 दिसंबर, 2021 को उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने लाल किले पर कब्जे की मांग वाली बेगम की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने में अत्यधिक देरी का कोई औचित्य नहीं है।

बेगम ने कहा था कि वह “लाल किले की असली मालिक हैं क्योंकि उन्हें यह संपत्ति उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से विरासत में मिली है और भारत सरकार ऐसी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रही है”।

उन्होंने दावा किया कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को संपत्ति से वंचित कर दिया था, जिसके बाद सम्राट को देश से निर्वासित कर दिया गया था और लाल किले पर मुगलों का कब्जा बलपूर्वक छीन लिया गया था।

याचिका में केंद्र को लाल किले को बेगम को सौंपने या सरकार द्वारा कथित अवैध कब्जे के लिए 1857 से लेकर अब तक के मुआवजे के अलावा पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा कि 1960 में जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में सरकार ने मिर्जा मुहम्मद बेदार बख्त को बहादुर शाह का उत्तराधिकारी माना था और उन्हें राजनीतिक पेंशन प्रदान की थी।

बताया गया कि 15 अगस्त 1965 को बेगम ने बेदार बख्त से विवाह किया और 22 मई 1980 को उनकी मृत्यु के बाद बेगम को तत्कालीन सरकार द्वारा 1 अगस्त 1980 से राजनीतिक पेंशन प्रदान की गई।

अपराध

देवबंद की पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट, कई मजदूरों की मौत

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सहारनपुर, 26 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले स्थित देवबंद में शनिवार सुबह एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई। यह हादसा निहालखेड़ी गांव के पास स्टेट हाईवे-59 पर स्थित एक अवैध फैक्ट्री में सुबह करीब 7 बजे हुआ। घटना के समय फैक्ट्री में 9 कर्मचारी काम कर रहे थे। विस्फोट इतना जोरदार था कि पूरी इमारत ध्वस्त हो गई, और मजदूरों के शव के टुकड़े 200 मीटर दूर तक बिखर गए। आशंका है कि मलबे में कुछ लोग दबे हो सकते हैं।

विस्फोट की आवाज 2 किलोमीटर तक सुनाई दी, जिससे आसपास के गांव दहल गए। एक व्यक्ति का आधा शरीर और दूसरे का हाथ 150 मीटर दूर मिला। घटना का वीडियो दिल दहला देने वाला है।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने इलाके को सील कर दिया और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों के परिजन मौके पर पहुंचे, जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। गुस्साए ग्रामीणों ने हाईवे जाम कर दिया और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। कई थानों की पुलिस फोर्स को बुलाया गया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

सूत्रों के मुताबिक, यह फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही थी, जहां प्रतिबंधित पटाखे बनाए जा रहे थे। विस्फोट इतना तेज था कि मजदूरों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है। हादसे में मरने वालों की पहचान अभी स्पष्ट नहीं हो सकी है।

यह सहारनपुर में इस तरह का पहला हादसा नहीं है। इससे पहले 2 मई 2022 को सरसावा थाना क्षेत्र के सौराना गांव में भी एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ था। उस समय भी मृतकों के शव के टुकड़े 200 मीटर दूर बिखरे थे।

स्थानीय लोग प्रशासन की लापरवाही से नाराज हैं। उनका कहना है कि अवैध फैक्ट्रियां बार-बार हादसों का कारण बन रही हैं, लेकिन प्रशासन केवल हादसे के बाद कार्रवाई करता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और मलबे से लोगों को निकालने का प्रयास जारी है।

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राजनीति

केंद्र सरकार ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ के लिए पेश करेगी डिजिटल पोर्टल: आयुष राज्य मंत्री

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नई दिल्ली, 26 अप्रैल। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि केंद्र सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में देश की स्थिति को मजबूत करना है।

राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि नया डिजिटल प्लेटफॉर्म अस्पताल, सुविधा प्रदाता, ट्रैवल एजेंट, होटल, ट्रांसलेटर और दूसरी सपोर्ट सुविधाओं को एक ही प्लेस पर इंटीग्रेट करेगा।

उन्होंने फिक्की के ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ (एमवीटी) कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन में कहा, “हमारा लक्ष्य ट्रीटमेंट से लेकर यात्रा व्यवस्था तक और उपचार के बाद की देखभाल को लेकर रोगी के अनुभव को बेहतर बनाना है।”

सरकार की रणनीति में हेल्थकेयर इकोसिस्टम को प्रमुख शहरों से आगे बढ़कर टियर-2 और टियर-3 क्षेत्रों तक बढ़ाना भी शामिल है।

इसके अलावा, सरकार ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ प्रॉसेस को बेहतर बनाने के लिए प्राइवेट प्लेयर्स के साथ अपने सहयोग को मजबूत करना चाहती है।

मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को मेडिकल टूरिज्म भी कहा जाता है, इसमें उन रोगियों को शामिल किया जाता है जो किसी हेल्थकेयर सर्विस के लिए विदेश यात्रा करते हैं।

नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद के. पॉल ने अपने भाषण में इस क्षेत्र में विनियमन के महत्व पर बात की।

उन्होंने उद्योग जगत के खिलाड़ियों से स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के लिए अनुपालन बोझ को कम करने के तरीकों पर सुझाव देने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के विकास में वीजा सुविधा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो अलग-अलग देशों के बीच पारदर्शिता और विश्वास निर्माण की जरूरत को उजागर करती है।”

टेलीमेडिसिन को लेकर पॉल ने कहा कि दूसरे देशों में रोगियों को दूर से सलाह देते समय कानूनी चुनौतियां पैदा होती हैं।

उन्होंने टेलीमेडिसिन में भारत की महत्वपूर्ण विशेषज्ञता को देखते हुए देश को इन मुद्दों को संबोधित करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।

भारत का एमवीटी बाजार (मेडिकल वैल्यू ट्रैवल मार्केट) 2024 में 7.69 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और 2029 तक इसके 14.31 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

देश वर्तमान में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 18 प्रतिशत रखता है, जो एमवीटी सूचकांक में दुनिया में 10वें स्थान पर है।

सरकार के नए डिजिटल पोर्टल से अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और देश की विविध चिकित्सा सेवाओं को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

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महाराष्ट्र

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने पहलगाम हमले को लेकर केंद्र सरकार से पूछा सवाल, ‘सामना’ में साधा निशाना

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मुंबई, 24 अप्रैल। शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने इस हमले में 26 लोगों की मौत के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कश्मीर में बढ़ती हिंसा पर सवाल उठाए।

‘सामना’ में लिखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदमों की बात करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी सीमा पार कर भारत में घुस रहे हैं और निर्दोष हिंदुओं की हत्या कर रहे हैं।

संपादकीय में दावा किया गया कि आतंकी पर्यटकों को संदेश देकर कहते हैं, “जाओ, मोदी को बताओ कि क्या हुआ।”

शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कश्मीर में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।

पार्टी ने मुखपत्र में कहा कि जब बंगाल में हिंसा होती है, तो ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की जाती है, लेकिन कश्मीर में बार-बार होने वाली हिंसा के लिए केंद्र सरकार जवाबदेही से बच रही है।

‘सामना’ में अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर भी सवाल उठाए गए। संपादकीय में लिखा है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया और दावा किया गया कि घाटी से आतंकवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन, इसके बाद भी हिंसा नहीं रुकी। 2019 से अब तक घाटी में 198 सुरक्षाकर्मी, 135 नागरिक और 700 संदिग्ध आतंकी मारे गए हैं, जो यह दर्शाता है कि कश्मीर में शांति नहीं है।

शिवसेना (यूबीटी) ने 2014 के चुनाव में कश्मीरी पंडितों के लिए किए गए वादों को भी याद दिलाया। पार्टी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का वादा पूरा नहीं हुआ, उल्टा हिंदू घाटी से पलायन कर रहे हैं। ‘सामना’ में केंद्र से सवाल किया गया कि अनुच्छेद 370 हटाने से क्या हासिल हुआ, जब घाटी में हर दिन खून बह रहा है।

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली। इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा किया है। शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र से कश्मीर में शांति स्थापित करने और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की है।

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