व्यापार
भारत में 2026 तक बनने वाले 70 प्रतिशत मॉल ‘ए प्लस’ कैटेगरी के होंगे: रिपोर्ट

मुंबई, 15 अप्रैल। भारत के रिटेल रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव हो रहा है और 2025 एवं 2026 तक बनने वाले 12.3 मिलियन वर्ग फुट नए ग्रेड ए मॉल स्पेस में से 70 प्रतिशत से अधिक सुपीरियर ग्रेड (ए प्लस) के होंगे। यह जानकारी मंगलवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं, अधिक खर्च और ब्रांडों एवं डेवलपर्स दोनों की रणनीति में बदलाव के कारण हो रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया कि यह नए मॉल बेहतर गुणवत्ता, सेवा और अनुभव प्रदान करेंगे, जो स्पेस के विस्तार करने से लेकर स्टैंडर्ड अपग्रेड होने तक के बदलाव को दर्शाएंगे।
कुशमैन एंड वेकफील्ड के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर, सौरभ शतदल ने कहा कि भारत का रिटेल सेक्टर तेजी से बदल रहा है और उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं।
उन्होंने आगे कहा, “आज के खरीदार सोच-समझकर डिजाइन की गई जगहों की तलाश कर रहे हैं और खरीदारी का अनुभव प्रोडक्ट जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है। ब्यूटी, वेलनेस, फूड और बेवरेज और एथलीजर जैसी टॉप परफॉर्मेंस कैटेगरी भारतीय रिटेल सेक्टर के इस नए फेस को आकार देने में मदद कर रही हैं।”
सुपीरियर ग्रेड मॉल, जो आमतौर पर जाने-माने डेवलपर्स या संस्थागत निवेशकों के अधीन होते हैं और अपनी हाई ऑक्यूपेंसी रेट (85 प्रतिशत से अधिक), प्रीमियम ब्रांड मिक्स और रिच कस्टमर सर्विसेज के लिए जाने जाते हैं।
मौजूदा समय में, भारत में 61.5 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रेड ए मॉल स्पेस हैं, जिसमें से 63 प्रतिशत सुपीरियर ग्रेड के हैं।
इन मॉलों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, 2019 से औसत किराए में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में इन मॉलों में किराया औसतन 315 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह है।
दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे जैसे मेट्रो शहर हाई-क्वालिटी वाले रिटेल स्पेस में अग्रणी बने हुए हैं, अकेले दिल्ली-एनसीआर में 21.75 मिलियन वर्ग फुट ग्रेड ए मॉल हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस बदलाव में भारत के युवा और तेजी से समृद्ध होते मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। 30 वर्ष से कम आयु के भारतीय उपभोक्ता अधिक प्रीमियम और अनुभव-आधारित खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।
राष्ट्रीय समाचार
ट्रंप के टैरिफ़ को लेकर अनिश्चितता के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट

मुंबई, 11 जुलाई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता के बीच, विभिन्न क्षेत्रों और देशों में टैरिफ़ बढ़ाने की धमकी जारी रहने के बीच, शुक्रवार को भारतीय शेयर बाज़ार के सूचकांक गिरावट के साथ खुले।
सुबह 9.20 बजे, सेंसेक्स 224 अंक या 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,965 पर और निफ्टी 65 अंक या 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,289 पर था।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में मामूली खरीदारी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 60 अंक या 0.10 प्रतिशत बढ़कर 59,220 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 11 अंक या 0.06 प्रतिशत बढ़कर 18,967 पर था।
विश्लेषकों के अनुसार, अनिश्चितता और अत्यधिक अस्थिरता से भरे मौजूदा माहौल को देखते हुए, व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे विशेष रूप से लीवरेज्ड पोजीशन के मामले में, सतर्क “प्रतीक्षा करें और देखें” का रुख अपनाएँ। तेजी पर आंशिक मुनाफावसूली और कम स्टॉप-लॉस लगाने की सलाह दी जाती है।
सेंसेक्स में एचयूएल, एशियन पेंट्स, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, टाटा स्टील, एसबीआई, अदानी पोर्ट्स, टाटा स्टील, सन फार्मा और आईटीसी प्रमुख लाभ में रहे। टीसीएस, इंफोसिस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व और ट्रेंट प्रमुख नुकसान में रहे।
क्षेत्रीय मोर्चे पर, पीएसयू बैंक, वित्तीय सेवाएँ, फार्मा, एफएमसीजी और धातु हरे निशान में रहे, जबकि ऑटो, आईटी, रियल्टी और मीडिया लाल निशान में रहे।
एशिया में, शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख रहा। जापान का निक्केई 225 और दक्षिण कोरिया का कोस्पी स्थिर कारोबार कर रहे थे। हालाँकि, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग एक प्रतिशत से अधिक चढ़ गए।
अमेरिका में रातोंरात, वॉल स्ट्रीट के प्रमुख सूचकांकों, एसएंडपी 500 और तकनीक-प्रधान नैस्डैक कंपोजिट ने रिकॉर्ड उच्च स्तर दर्ज किया। डॉव जोन्स 0.43 प्रतिशत चढ़ा और एसएंडपी 500 में 0.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 10 जुलाई को 221 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी उसी दिन 591 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
ट्रंप ने कनाडा पर 35 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि अगर ओटावा जवाबी कार्रवाई करता है तो और भी शुल्क लगाए जाएँगे। ये टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी होंगे। हाल ही में, ट्रंप ने ब्राजील के आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जब तक कि ब्राजील पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो के खिलाफ कानूनी कार्यवाही बंद नहीं कर देता।
व्यापार
आईटी और धातु शेयरों में बिकवाली के बीच भारतीय शेयर बाजार में गिरावट

मुंबई, 9 जुलाई। आईटी और धातु शेयरों, खासकर वेदांता और हिंदुस्तान जिंक में बिकवाली के बीच बुधवार को उतार-चढ़ाव भरे सत्र के बाद भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए।
सेंसेक्स 176.43 अंक या 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,536.08 पर बंद हुआ। 30 शेयरों वाला यह सूचकांक पिछले सत्र के 83,712.51 के बंद स्तर के मुकाबले 83,625.89 पर नकारात्मक दायरे में खुला। हालाँकि, इसमें कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया और बंद होने से पहले यह 83,781.36 के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।
निफ्टी 46.40 अंक या 0.18 प्रतिशत गिरकर 25,476.10 पर बंद हुआ।
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर वायसराय रिसर्च के आरोपों के बाद, वेदांता और हिंदुस्तान जिंक के शेयर पूरे सत्र में लाल निशान में कारोबार करते रहे। वेदांता 3.29 प्रतिशत गिरकर 441.30 रुपये पर और हिंदुस्तान ज़िंक 2.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 425.30 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी ने सभी आरोपों से इनकार किया है।
आशिका स्टॉक ब्रोकिंग के सुंदर केवट ने कहा, “मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, निफ्टी की शुरुआत सपाट रही। सूचकांक पूरे सत्र के दौरान एक सीमित दायरे में कारोबार करता रहा, जिससे एकतरफा रुख बना रहा।”
केवट ने कहा, “क्षेत्रवार, उपभोक्ता वस्तुओं, ऑटोमोबाइल, उपभोग और वित्तीय सेवाओं में मजबूती देखी गई, जबकि धातु, रियल्टी और आईटी शेयरों में कमजोरी बनी रही।”
सेंसेक्स के शेयरों में बजाज फाइनेंस, पावर ग्रिड, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईटीसी, एनटीपीसी और एचडीएफसी बैंक हरे निशान में बंद हुए।
एक्सिस बैंक, रिलायंस, टाटा मोटर्स, टाइटन, इंफोसिस, भारती एयरटेल, टीसीएस और हैंड सीएल टेक के शेयर नकारात्मक दायरे में कारोबार कर रहे थे।
इस बीच, निफ्टी 50 में 29 शेयरों में गिरावट और 21 शेयरों में तेजी दर्ज की गई।
निफ्टी नेक्स्ट 50, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी 100 जैसे प्रमुख सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी स्मॉल कैप 100 में तेजी दर्ज की गई। इसी समय, क्षेत्रीय सूचकांकों में, निफ्टी बैंक, निफ्टी आईटी, गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि निफ्टी ऑटो और निफ्टी वित्त सेवाएँ बढ़त के साथ बंद हुए।
इस बीच, डॉलर की सौदेबाजी के बीच पिछले तीन दिनों में भारतीय मुद्रा को 85.40 के स्तर को पार करने में भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, “एशियाई मुद्राओं में लगातार जारी कमजोरी ने स्थानीय रुपये पर गहरा दबाव डाला है। अमेरिका की बढ़ती मजबूती ने इस दबाव को और बढ़ा दिया है।”
अंतरराष्ट्रीय
भारत और ग्रीस के बीच रक्षा बातचीत हुई तेज, भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का दिया ऑफर… तुर्की और पाकिस्तान में हड़कंप

अंकारा : तुर्की की मीडिया ने दावा किया है कि भारत ने ग्रीस को Long Range Land Attack Cruise Missile (LR-LACM) की “अनौपचारिक पेशकश” की है। यानि भारत और ग्रीस के बीच LR-LACM क्रूज मिसाइल को लेकर पर्दे के पीछे से बात चल रही है जो तुर्की के लिए खतरे का संकेत है। तुर्की के TRHaber की रिपोर्ट में ग्रीस के साथ भारत की LR-LACM मिसाइल को लेकर हो रही बातचीत को तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत का यह प्रस्ताव ग्रीस के साथ उसके बढ़ते रणनीतिक संबंधों और हालिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन देने के जवाब में हो सकता है।” हालांकि, नई दिल्ली या एथेंस की तरफ से अभी तक ऐसे किसी पेशकश को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की को सबसे ज्यादा डर इस मिसाइल की क्षमता और रेंज को लेकर है। इस मिसाइल को DRDO ने विकसित किया है और ब्रह्मोस मिसाइल की कामयाबी ने भारत की मिसाइल क्षमता का पूरी दुनिया में डंका पीट दिया है। भारत की ये LR-LACM मिसाइल 1,000 से 1,500 किलोमीटर तक की दूरी तक सटीक निशाना साध सकती है और पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सबसे खास बात ये है कि इसे भी ब्रह्मोस मिसाइल की ही तरह दुश्मनों के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
LR-LACM मिसाइल की खतरनाक खासियत इसकी terrain-hugging flight path यानि धरती से काफी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है, जिससे यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को काफी आसानी से चकमा दे देती है। इसकी यही शानदार ताकत तुर्की के लिए इसे परेशानी भरा बनाती है। तुर्की एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है और इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम को ही चकमा देना है। हालांकि तुर्की ने अभी तक एस-400 को एक्टिव नहीं किया है और वो घरेलू एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है, लेकिन अभी तक उसे ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है। एस-400 इसलिए उसने एक्टिव नहीं किया है, क्योंकि वो एफ-35 फाइटर जेट के लिए अमेरिका से डील कर रहा है।
तुर्की मीडिया के मुताबिक, अगर ग्रीस इस मिसाइल को भारत से हासिल कर लेता है तो यह एथेंस को तुर्की के संवेदनशील ठिकानों पर अचूक हमला करने की क्षमता दे सकता है। यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर और भारतीय नौसेना के 30 से ज्यादा जहाजों पर लगे वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से दागी जा सकती है। TRHaber ने यह भी कहा है कि यह मिसाइल तुर्की के S-400 जैसे हवाई रक्षा सिस्टम को भी चकमा दे सकती है। इससे अंकारा (तुर्की की राजधानी) की चिंता बढ़ गई है, खासकर अगर ग्रीस इसे तैनात करता है तो।
इसके अलावा TRHaber की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और ग्रीस के बीच हाल ही में रक्षा बातचीत तेज हुई है। इस सिलसिले में पिछले महीने भारतीय वायुसेना के प्रमुख एपी सिंह ने एथेंस का दौरा किया था और ग्रीक वायुसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दिमोस्थेनीस ग्रिगोरियादिस से मुलाकात की थी। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब भारत ने एथेंस में आयोजित DEFEA-25 रक्षा प्रदर्शनी में LR-LACM को भी प्रदर्शित किया था। भले ही इस मुलाकात में मिसाइल को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया, लेकिन तुर्की मीडिया ने इसे रक्षा सौदे की दिशा में एक संकेत के तौर पर देखा है। तुर्की का यह भी दावा है कि भारत-ग्रीस के बीच का यह संभावित सौदा भारत के ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की की पाकिस्तान को दी गई मदद का जवाब हो सकता है।
TRHaber ने मिसाइल की पेशकश को भारत की क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2023 में ग्रीस और 2025 में साइप्रस की यात्राओं का भी जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दौरे भारत, ग्रीस और साइप्रस के बीच तुर्की के प्रभाव को कम करने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग के संकेत हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे साइप्रस के बंदरगाहों के पास भारतीय नौसेना की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। तुर्की मीडिया के मुताबि, भारत का ग्रीस और साइप्रस के साथ बढ़ता सहयोग पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की के प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक सोची-समझी पहल है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि भविष्य में भारतीय नौसेना की मौजूदगी साइप्रस के बंदरगाहों पर बढ़ सकती है, जिससे तुर्की की समुद्री सुरक्षा को नई चुनौती मिलेगी।
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