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भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत, लंबी अवधि में जारी रहेगी तेजी: रिपोर्ट
नई दिल्ली, 15 जनवरी। राजकोषीय समेकन, मजबूत बैंलेस शीट और खपत में रिकवरी से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत बनी हुई है और लंबी अवधि में तेजी जारी रहेगी। चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 10-11 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी मिराए एसेट द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि एक प्रतिशत से कम के एनपीए के साथ बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है। भारतीय कंपनियां का मुनाफा बढ़ रहा है और साथ ही बड़ी मात्रा में फ्री कैशफ्लो भी जनरेट कर रही हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि घरेलू कर्ज भी वैश्विक मानकों के मुकाबले कम है। भारत का जीडीपी के मुकाबले कुल कर्ज 2010 के स्तर के नीचे बना हुआ है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसमें इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “कुछ क्षेत्र, खास तौर पर औद्योगिक क्षेत्र, प्रीमियम पर कारोबार करते रहेंगे।”
खरीफ फसल और प्राइस आउटलुक अनुकूल होने के कारण कृषि में और सुधार आने की संभावना है।
आगामी रबी फसल भी सकारात्मक रहने की संभावना है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन में अब तक विभिन्न रबी फसलों के तहत देश में बोया गया कुल कृषि क्षेत्र बढ़कर 632.3 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 631.4 लाख हेक्टेयर था।
रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी आने की संभावना है। ग्रामीण खपत में तेजी शहरी खपत में नरमी की भरपाई कर सकती है और यह मौजूदा फसल और अगले सीजन की शुरुआत की एक सकारात्मक तस्वीर पेश करती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हम यह भी उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार के कल्याणकारी खर्च से उपभोग में सुधार आएगा। मौद्रिक नीति प्रोत्साहन से निकट-मध्यम अवधि में विकास को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय समाचार
शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 प्रतिशत बढ़कर 16.90 लाख करोड़ रुपये हुआ
नई दिल्ली, 14 जनवरी। भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष के 1 अप्रैल 2024 से 12 जनवरी 2025 के बीच 16.90 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसमें पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 15.88 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यह जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा संकलित किए गए ताजा आंकड़ों से मिली।
समीक्षा अवधि के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.94 प्रतिशत बढ़कर 20.64 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 17.21 लाख करोड़ रुपये था।
इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के 7.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 21.6 प्रतिशत बढ़कर 8.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि कॉर्पोरेट कर संग्रह वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 7.10 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.12 प्रतिशत बढ़कर 7.7 लाख करोड़ रुपये हो गया।
सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) संग्रह, जो प्रत्यक्ष कर का एक घटक है, इस अवधि के दौरान 75 प्रतिशत बढ़कर 44,500 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 25,415 करोड़ रुपये था।
आंकड़ों में बताया गया कि समीक्षा अवधि में 3.74 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 42.5 प्रतिशत ज्यादा है।
कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग प्रणाली में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है। इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक नौकरियों का सृजन होता है।
इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जो अर्थव्यवस्था के आधार को मजबूत करता है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित करता है।
सरकार का लक्ष्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राजकोषीय समेकन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.6 प्रतिशत से चालू वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत तक लाना है।
व्यापार
रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी स्नैपड्रैगन 7एस जेन 3 चिप के साथ देगा जबरदस्त परफॉरमेंस
नई दिल्ली, 13 जनवरी। आज जब डिजिटल तकनीक हमारे जीवन को पूरी तरह बदल रही है, स्मार्टफोन उद्योग भी एक नई क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। पारंपरिक स्मार्टफोन से आगे बढ़ते हुए अब “सुपरफोन” का युग आ चुका है। ये नए डिवाइस सामान्य मोबाइल क्षमताओं से कहीं अधिक उन्नत हैं। इनमें प्रोसेसिंग पावर, शानदार कैमरा क्षमता और बेहतरीन यूजर्स अनुभव का जबरदस्त तालमेल देखने को मिलता है।
आधुनिक उपयोगकर्ता केवल बातचीत करने वाले फोन नहीं चाहते। वे ऐसे डिवाइस चाहते हैं जो गेमिंग से लेकर प्रोफेशनल फोटोग्राफी तक, हर काम को बिना किसी रुकावट के कर सकें। साथ ही, बेहतर बैटरी और मजबूत कनेक्टिविटी की भी जरूरत होती है। इस बढ़ती मांग ने कंपनियों को मोबाइल तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
इस बदलाव की अगुवाई कर रहा है रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी फोन जो स्नैपड्रैगन 7एस जेन 3 5जी चिपसेट पर आधारित है। यह चिपसेट टीएसएमसी की 4एनएम तकनीक से बना है, जिसमें पावर और एफिशिएंसी का बेहतरीन संतुलन है। इसकी परफॉर्मेंस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यह 820,000 से अधिक एएनटीयूटीयू स्कोर हासिल करता है।
यह डिवाइस 12 जीबी + 14 जीबी एलपीडीडीआर4एक्स डायनामिक रैम और यूएफएस 3.1 स्टोरेज के साथ आता है, जिससे ऐप्स तेज़ी से लोड होते हैं और मल्टीटास्किंग में कोई दिक्कत नहीं होती। गेमिंग के लिए यह फोन बेहतरीन है, जहां फ्री फायर और बीजीएमआई जैसे गेम्स 90 एफपीएस पर आसानी से चलते हैं।
इस चिपसेट में स्पेक्ट्रा ट्रिपल आईएसपी इंटीग्रेटेड है, जो कैमरा को जबरदस्त बनाता है। रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी में 50एमपी का सोनी आईएमएक्स896 सेंसर है, जिससे आप बेहद स्पष्ट और डिटेल वाली तस्वीरें ले सकते हैं। इसमें एक ही समय पर फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी है, जिससे क्रिएटिविटी के नए आयाम खुलते हैं।
फोन में 6.83 इंच का 1.5के एएमओएलईडी स्क्रीन है, जो 120 हर्टज रिफ्रेश रेट के साथ आता है। यह स्क्रीन न केवल देखने में शानदार है, बल्कि स्मूद अनुभव भी देती है।
रियलमी 14 प्रो सीरीज 5जी अपने शानदार फीचर्स और दमदार परफॉर्मेंस के साथ प्रीमियम तकनीक को आम लोगों तक पहुंचा रहा है। यह फोन 16 जनवरी को लॉन्च होगा और सुपरफोन युग की शुरुआत का संकेत देगा।
राष्ट्रीय समाचार
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 11 जनवरी। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों, हवाई यात्रियों की संख्या, बढ़ते टोल और जीएसटी कलेक्शन जैसे सकारात्मक सूचकांकों के साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4 प्रतिशत थी। अब तक, रबी की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक रही है और यह कृषि विकास के लिए अच्छा संकेत है।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीएसटी कलेक्शन में भी 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो उपभोग मांग में तेजी का संकेत है।
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि की बेहतर संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा, जबकि शहरी मांग में भी सुधार के संकेत मिलते हैं। दिसंबर 2024 में मुद्रास्फीति में कमी आई और आने वाले महीनों में इसमें और कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, रुपये का अवमूल्यन एक प्रमुख जोखिम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तहत अमेरिकी नीतियों पर अधिक स्पष्टता होने तक वैश्विक और घरेलू फाइनेंशियल सिस्टम में कुछ हद तक अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है। हम 2025 में भारत की विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं।”
कुछ हाई फ्रिक्वेंसी सूचकांकों ने डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, इलेक्ट्रॉनिक आयात और फर्टिलाइजर बिक्री में वृद्धि के साथ मांग में तेजी का संकेत दिया है।
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि त्योहारों के बाद की इन्वेंट्री और सीमित नए लॉन्च के कारण यात्री वाहनों की कुल बिक्री कम रही।
ग्रामीण फ्रंट पर, नकदी प्रवाह के मुद्दों और ईवी बाजार की ओर रुख के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, निजी खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2023-24 के चार प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में 7.3 प्रतिशत रहेगी, जिससे आने वाले महीनों में स्थिर वृद्धि की संभावना बढ़ गई है।
इसमें यह भी बताया गया है कि नवंबर 2024 तक (12 मनी मार्केट अकाउंट के आधार पर) केंद्र का राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत पर स्थिर था। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर 2024 तक कुल व्यय में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर 2024 में भी उसी स्तर पर थी।
राजस्व व्यय की वृद्धि अक्टूबर 2024 तक 8.7 प्रतिशत थी जो नवंबर 2024 तक के आंकड़े में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई। वहीं, इस दौरान पूंजीगत व्यय की गिरावट की दर कम हुई।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आय के मामले में, नवंबर 2024 तक केंद्र की शुद्ध राजस्व वृद्धि भी 8.7 प्रतिशत पर स्थिर रही। प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार हुआ (11.1 प्रतिशत के मुकाबले 12.1 प्रतिशत), जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि थोड़ी धीमी हुई (10.5 प्रतिशत के मुकाबले 9.2 प्रतिशत) जबकि गैर-कर संग्रह स्थिर रहा।
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