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विधायकों की खरीद-फरोख्त मामला: एससी ने एसआईटी जांच की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को अदालत की निगरानी में बीजेपी एजेंटों द्वारा चार टीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित प्रयासों की जांच करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा: डिवीजन बेंच द्वारा पारित 15.11.2022 के विवादित फैसले और आदेश को रद्द किया जाता है। 15 नवंबर को, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था और पुलिस आयुक्त के अधीन एसआईटी को रिपोर्ट करने के लिए कहा था।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली तीन अभियुक्तों की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, हमने पाया है कि खंडपीठ के न्यायाधीशों द्वारा जारी किए गए कुछ निर्देश कानून में टिकाऊ नहीं हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आत्मसमर्पण करने के निर्देश के खिलाफ तीनों आरोपियों की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, लेकिन उच्च न्यायालय से उनकी जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से विचार करने को कहा।
21 नवंबर को पारित एक आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा कि एकल न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह वर्तमान याचिकाकर्ता (याचिकाओं) द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर अपनी योग्यता और कानून के अनुसार, यथासंभव शीघ्रता से विचार करें और अधिमानत आज से चार सप्ताह के भीतर। इस मामले में आदेश 23 नवंबर को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था।
पीठ ने कहा: याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ प्रतिवादी-राज्य के वरिष्ठ वकील इस बात से सहमत हैं कि खंडपीठ द्वारा की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना इस मामले पर एकल न्यायाधीश द्वारा अपने गुणों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हम पूर्वोक्त अनुरोध करने के इच्छुक हैं क्योंकि हमें सूचित किया गया है कि वर्तमान याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिका उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष 29.11.2022 के लिए पहले से ही निर्धारित है।
पीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा अपने आदेश में की गई टिप्पणी पर भी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें तीनों आरोपियों को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।
साइबराबाद पुलिस ने 26 अक्टूबर को टीआरएस विधायकों को बीजेपी में शामिल होने के लिए लुभाने की कोशिश के आरोप में आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें पुलिस रिमांड पर भेजने से इनकार कर दिया। विशेष अदालत ने कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने विशेष अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और तीनों को साइबराबाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा: न्यायाधीश के प्रति बहुत सम्मान के साथ, इस तरह की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है। हम आगे पाते हैं कि जिस तर्क पर संशोधन की अनुमति दी गई है वह भी टिकाऊ नहीं है। आगे कहा, हम पाते हैं कि वर्तमान मामले से निपटने में उच्च न्यायालय के विद्वान एकल न्यायाधीश का ²ष्टिकोण पूरी तरह से अस्थिर था। हालांकि, यह हमेशा कहा जाता है कि उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय का अधीनस्थ न्यायालय नहीं है। हालांकि, जब उच्च न्यायालय इस न्यायालय के निर्णयों से निपटता है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सभी के लिए बाध्यकारी हैं, तो यह अपेक्षा की जाती है कि निर्णयों को उचित सम्मान के साथ निपटाया जाना चाहिए।
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महागठबंधन का घोषणापत्र बिहार की जनता की ‘उम्मीद’ : मुकेश सहनी

पटना, 29 अक्टूबर: विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने महागठबंधन की तरफ से जारी किए गए घोषणापत्र जनता की उम्मीद बताया। सहनी महागठबंधन की ओर से उप-मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में दावा किया कि जो काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 सालों में सत्ता में रहते नहीं कर पाएं, हम लोग सत्ता में आने के बाद उस काम को हर कीमत पर पूरा करके रहेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति विकास से अछूता नहीं रहे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास प्रदेश के विकास के लिए कोई भी विजन नहीं है। अगर होता, तो आज प्रदेश की स्थिति ऐसी नहीं होती। आज की तारीख में हमारे लोगों को दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है। उनकी भी ख्वाहिश है कि वो भी अपने ही प्रदेश में रहे। अपने परिवार के बीच में अपने लोगों के बीच में रहे।
साथ ही, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास बिहार के विकास के लिए कोई योजना भी नहीं है। यही कारण है कि वो हमारे मेनिफेस्टो की नकल कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई विजन नहीं है। आप देख लीजिए, जितनी भी योजनाएं वो वर्तमान में बिहार में चला रहे हैं, उसकी जड़े कहीं न कहीं महागठबंधन से मिलती जुलती है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि इनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई लेना-देना नहीं है। ये लोग कभी-भी बिहार के विकास के बारे में नहीं सोचते हैं। इन लोगों का एकमात्र मकसद सिर्फ सत्ता में बने रहना होता है।
उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि ‘माय बहन मान योजना’ के तहत सभी को 2,500 रुपये दिया जाएगा, तो नीतीश कुमार ने भी इस योजना की नकल शुरू कर दी। उन्होंने बिहार के लोगों को 10 हजार रुपये देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद हमने विधवा पेंशन के तहत 1100 रुपये देने का बात की, तो इन लोगों ने 15,00 रुपये देने का ऐलान कर दिया। जब हमने कहा था कि हम 200 यूनिट बिजली फ्री करेंगे, तो उन्होंने फ्री बिजली देने का ऐलान कर दिया। ये काम तो वो पहले भी कर सकते थे। लेकिन, हमारी घोषणा के बाद ही क्यों किया? इससे यह साफ जाहिर होता कि इन लोगों के पास बिहार के विकास के लिए कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि हमने ऐलान किया है कि बिहार में सभी लोगों को नौकरी दी जाएगी और वो हम देकर रहेंगे। जिस तरह से हमने अब तक सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है, ठीक उसी प्रकार से हम लोगों को बिहार में नौकरी देकर रहेंगे। लेकिन, दुख की बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते हैं कि बिहार के लोगों को नौकरी मिले। ये लोग सिर्फ चाहते हैं कि बिहार के लोग दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाए। लेकिन, अब इस तरह की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने ‘जननायक’ को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोई भी जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से जननयाक होता है। हमें उस रास्ते पर चलना होगा। इस बारे में किसी भी प्रकार की गलत बात का प्रचार करने से बचना होगा, ताकि हमारे लोग गुमराह नहीं हों। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित कई नेता जननायक बन सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको उस रास्ते पर चलना होगा।
उन्होंने कहा कि अब समय आ चुका है कि हम लोग खुलकर विकास करें। लेकिन, यह दुख की बात है कि हमारे नेता 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज देकर कह रहे हैं कि यही विकास है। ऐसा करके ये लोग देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
साथ ही, उन्होंने कहा कि अगर कोई सत्ता में रहते हुए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके किसी को परेशान करेगा, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम भी जब सत्ता में आएंगे, तो इस तरह की स्थिति को हर कीमत पर रोकने की कोशिश करेंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश में किसी भी व्यक्ति के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।
उन्होंने एसआईआर पर कहा कि हम इस पर क्या ही कहेंगे। अब अगर किसी ने मन बना ही लिया है कि वो वोट चोरी करके रहेगा, तो करें। अब क्या ही कर सकते हैं।
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रेलवे ने स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ से निपटने के लिए किए विशेष इंतजाम, तीन स्तरीय वार रूम बनाया : अश्विनी वैष्णव

मुंबई, 23 अक्टूबर : भारतीय रेलवे ने स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं और इसके लिए डिवीजन, जोनल और बोर्ड लेवल पर तीन वार रूम बनाए गए हैं और स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ के हिसाब से निर्णय लिए जा रहे हैं।
मीडिया से बातचीत करते हुए वैष्णव ने वार रूम के काम करने के तरीके पर कहा कि हमने 10,700 ट्रेनों को चलाया है यानी आईआरटीसीटी के जरिए उनकी समय सारणी जारी कर दी गई है, जबकि करीब 3,000 ट्रेनों को रिजर्व में रखा है, जिससे अचानक भीड़ भड़ने पर ट्रेनों की आपूर्ति को बढ़ाया जा सके।
उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सूरत के उधना रेलवे स्टेशन पर 18 अक्टूबर को काफी भीड़ देखी गई थी। उस समय वार रूम से आसपास के स्टेशनों पर रखी गई रिजर्व ट्रेनों को बुलाया गया और तुरंत समस्या को सुलझाया गया।
वहीं, इसी तरह की स्थिति एक दिन अंबाला देखी गई, तो जलंधर और उसके आसपास रिजर्व रखी गई ट्रेनों की आपूर्ति बढ़ाकर भीड़ को स्टेशन पर कम कर दिया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि इस साल बिहार में गंतव्य की संख्या को बढ़ाकर 18 कर दिया गया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 7 था।
भारतीय रेलवे ने यात्रियों की भारी भीड़ पर नजर रखने और उनका प्रबंधन करने के लिए रेल भवन में भी एक वॉर रूम स्थापित किया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह कमांड सेंटर वास्तविक समय पर निगरानी रखने में सक्षम है और अधिकारियों को भीड़भाड़, यात्रियों की शिकायतों और संभावित घटनाओं का तुरंत समाधान करने में सक्षम बनाता है।
वॉर रूम सम्पूर्ण भारतीय रेलवे नेटवर्क की देखरेख करने वाली एक प्रभावी प्रणाली के रूप में विकसित हो चुका है, जिसमें रेलवे बोर्ड, जोनल और डिवीजन स्तर पर 80 से अधिक वॉर रूम सक्रिय हैं।
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यमन के हूती समूह ने दागी बैलेस्टिक मिसाइल, इजरायली सेना ने हवा में किया नष्ट

सना, 26 सितंबर। यमन के हूती समूह ने गुरुवार रात इजरायल पर मिसाइल दागी। इसके बाद बेन गुरियन हवाई अड्डे पर हवाई यातायात अस्थायी रूप से रोक दिया गया। जान बचाने के लिए हजारों इजरायली लोगों को शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शुक्रवार को हूती द्वारा संचालित अल-मसीरा टीवी पर प्रसारित एक बयान में, हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरिया ने कहा कि गुरुवार रात दक्षिणी तेल अवीव के जाफा क्षेत्र में एक ‘संवेदनशील लक्ष्य’ की ओर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई।
यह मिसाइल हमला गाजा पट्टी के फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल के अटैक और यमन की राजधानी सना पर कुछ घंटे पहले हुए इजरायली हवाई हमलों के जवाब में किया गया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सरिया ने चेतावनी दी कि बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य और लाल सागर के संकरे पानी से गुजरने वाले सभी वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों को हूती बलों को अपनी पहचान बतानी होगी। ऐसा नहीं करने पर उन पर हमला किया जाएगा।
गुरुवार रात एक बयान में इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि हवाई रक्षा प्रणालियों ने यमन में हूतियों द्वारा दागी गई एक मिसाइल को रोक दिया।
यह हमला गुरुवार शाम सना में हूती ठिकानों पर इजरायल के कई हवाई हमलों के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 142 लोग घायल हो गए।
आईडीएफ ने कहा कि सना पर हमले दक्षिणी इजरायली शहर ईलात पर 25 सितंबर को हूती ड्रोन हमले के जवाब में किए गए, जिसमें 20 लोग घायल हो गए थे।
सरकारी प्रसारक कान के अनुसार, ड्रोन एक बड़े समुद्र तट परिसर में फटा था। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने ड्रोन को रोकने का दो बार प्रयास किया, लेकिन असफल रही थी। यह हमला यहूदी नववर्ष रोश हशाना के दौरान हुआ था, जब ईलात में इजरायली पर्यटकों की भीड़ थी।
राजधानी सना सहित उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती नवंबर 2023 से इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहा है और लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहा है।
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