राजनीति
कुल्लू दशहरा में शामिल होने वाले पहले पीएम बने मोदी
विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा उत्सव के लगभग 400 वर्षों के इतिहास में, नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो इसमें शामिल हुए। पीएम मोदी ने करीब 300 देवी-देवताओं की मौजूदगी में कुल्लू घाटी के प्रमुख देवता भगवान रघुनाथ को नमन किया।
कोरोनो वायरस महामारी के कारण दो साल के लॉकडाउन प्रतिबंधों के बाद एक बार फिर हजारों भक्तों की भीड़ के साथ, भगवान रघुनाथ के रथ को दशहरा या विजय दशमी के पहले दिन यहां के सुल्तानपुर के ऐतिहासिक मंदिर से बाहर निकाला गया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के साथ पारंपरिक हिमाचली टोपी पहने प्रधानमंत्री मोदी ने धार्मिक उत्साह के साथ ‘रथ यात्रा’ देखी।
इस दौरान पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर रघुनाथ जी के रथ तक पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। मोदी कुल्लू दशहरा उत्सव में शामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे तक तुरही और ढोल की थाप के बीच रथ यात्रा को देखा। जब प्रधानमंत्री मुख्य देवता को नमन कर रहे थे, उस समय भीड़ को प्रबंधित करने का कार्य भगवान रघुनाथ के सेकंड-इन-कमांड देवता नाग धूमल के पास था।
त्योहार से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने बताया, सदियों से यह परंपरा रही है कि जब भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है तो नाग धूमल सड़क को साफ करते हैं और भीड़ को नियंत्रित करते हैं। कुल्लू दशहरा के दौरान इकट्ठे देवता, जो आम तौर पर 250 तक होते हैं, जुलूस के दौरान मुख्य देवता के साथ जाते हैं। इस बार वह सभी 11 अक्टूबर को उत्सव के समापन तक ढालपुर मैदान में रहेंगे।
राज्य की राजधानी से करीब 200 किलोमीटर दूर कुल्लू शहर पहुंचने से पहले मोदी ने एम्स बिलासपुर की सौगात दी। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृहनगर बिलासपुर शहर में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन ब्यास नदी के तट पर ‘लंका दहन’ अनुष्ठान के साथ होता है। जिसमें सभी एकत्रित देवता भाग लेते हैं। त्योहार की शुरुआत 1637 में हुई जब राजा जगत सिंह ने कुल्लू पर शासन किया। उन्होंने दशहरे के दौरान कुल्लू के सभी स्थानीय देवताओं को भगवान रघुनाथ के सम्मान में एक अनुष्ठान करने के लिए आमंत्रित किया था। तब से, सैकड़ों ग्राम मंदिरों से देवताओं की वार्षिक सभा एक परंपरा बन गई है। भारतीय रियासतों के उन्मूलन के बाद, जिला प्रशासन देवताओं को आमंत्रित करता रहा है। कुल्लू प्रशासन द्वारा संकलित एक संदर्भ पुस्तक के अनुसार, कुल्लू घाटी में 534 ‘जीवित’ देवी-देवता हैं, जिन्हें लोकप्रिय रूप से देवभूमि या देवताओं के निवास के रूप में भी जाना जाता है।
एक साल के शोध के बाद संकलित 583 पन्नों की किताब कहती है- यहां, देवता आज्ञा देते हैं और लोग आज्ञा मानते हैं। यहां के देवता मूर्तियां नहीं हैं, मंदिरों में विराजमान हैं, वो जिंदा हैं। देवता लोगों के बीच जीवित रहते हैं और अपने अनुयायियों से बात करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उन्हें क्या करना है। उनके परिवार और रिश्तेदार हैं जो समारोह में उनके साथ शामिल होते हैं।
पुस्तक में कहा गया है कि कुल्लू देवताओं के मामलों का प्रबंधन ‘देवता’ समितियों द्वारा किया जाता है, जिसमें एक ‘कारदार’ या मंदिर का प्रबंधक, ‘गुर’ या दैवज्ञ और एक पुजारी शामिल होते हैं। हर साल कुल्लू दशहरा के लिए 250 से अधिक देवी-देवता इकट्ठे होते हैं।
किताब में कहा गया है कि देवता अपने अनुयायियों के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं और उनकी इच्छा के अनुसार विभिन्न स्थानों पर चले जाते हैं। कभी-कभी वे तीर्थ यात्रा करने का निर्णय लेते हैं। कोई एक-दो साल बाद ऐसा करता है, कोई 30 से 40 साल बाद ऐसा करता है और कुछ सैकड़ों साल बाद विशेष तीर्थयात्रा पर निकल पड़ते हैं।
देवता ‘गुर’ को बुलाते हैं और उसके माध्यम से बोलते हैं। दैवज्ञ समाधि में चला जाता है और देवता से जुड़ जाता है। देवता की इच्छा से अनुयायी पवित्र आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार होते हैं। प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को इसमें शामिल होना होता है। कोई भी देवता के ‘रथ’ या पालकी को नहीं उठा सकता है यदि वह इच्छुक नहीं है।
पुस्तक कहती है कि लंबी और कठिन यात्रा पैदल ही करनी है। इसमें दिन, महीने भी लगते हैं। सख्त नियमों और अनुष्ठानों का पालन करना होता है। देवता यात्रा का समय और गति निर्धारित करते हैं।
राष्ट्रीय समाचार
शिवपुरी में लोगों का ठंड से हाल बेहाल, अलाव का सहारा ले रहे हैं लोग
नई दिल्ली,17 जनवरी। पूरे उत्तर भारत में इस समय ठंड से लोग बेहाल हैं। मध्य प्रदेश में भी इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
शिवपुरी जिले में लोग सर्दी के सितम से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। कोहरे और तेज हवाओं के चलते यहां के यातायात पर भी असर पड़ रहा है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है। घने कोहरे के कारण यहां विजिबिलिटी बेहद कम रही। यहां पिछले कई दिनों से धूप नहीं निकल रही है।
शिवपुरी निवासी राहुल मिश्रा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”यहां पिछले कई दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। पिछले तीन दिनों से हमें सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हुए हैं। सभी लोग बढ़ती सर्दी से परेशान हैं। लोग आग के सहारे सर्दी से बचने का प्रयास कर रहे हैं।”
वहीं एक अन्य शिवपुरी निवासी सौरभ दुबे ने मीडिया से कहा, ”यहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। शिवपुरी शिमला की तरह ठंडा हो रहा है। लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। मगर यह ठंड हमारी फसलों के लिए फायदेमंद है। सर्दी के समय में बाजार में भी थोड़ा उछाल आ जाता है। लोग ऐसे में ज्यादा खरीदारी करते हैं।”
नरेंद्र राठौर ने भी रोजमर्रा की दिक्कतों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”शिवपुरी में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। यहां कई दिनों से धूप नहीं निकली है। लोग आग के सहारे ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। बाजार में मंदी देखने को मिल रही है। मगर यह किसानों के लिए फायदेमंद है। ऐसे में उनकी फसलों को लाभ हो रहा है।”
वहीं पूरे उत्तर भारत में लोग ठंड और कोहरे की मार से परेशान हैं, जिसका असर ट्रेन और उड़ानों पर भी पड़ रहा है। मैदानी इलाकों के अलावा उत्तराखंड और हिमाचल में कई जगहों पर बर्फबारी देखने को मिल रही है। मौसम विभाग ने कहा कि मैदानी इलाकों में अगले कुछ दिनों में बारिश के आसार नजर आ रहे हैं।
अपराध
छत्तीसगढ़: नारायणपुर में आईईडी ब्लास्ट में दो जवान घायल
नारायणपुर, 17 जनवरी। छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सली सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की फिराक में लगे हुए हैं। पिछले एक महीने में कई नक्सली हमले की घटनाएं सामने आई हैं। अब बस्तर डिवीजन के नारायणपुर जिले में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार सुबह बीएसएफ की रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) गारपा गांव के पास अपने शिविर से सर्च ऑपरेशन पर निकली थी। रोड ओपनिंग पार्टी शिविर और गारपा गांव के बीच थी। जब नक्सलियों ने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट कर दिया। आईईडी की चपेट में आकर दो कोबरा कमांडो घायल हो गए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तुरंत दोनों जवानों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में गुरुवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 17 नक्सली मारे गए थे। इस मुठभेड़ के दौरान बड़ी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं, जिनमें एसएलआर और अन्य खतरनाक हथियार शामिल हैं।
यह मुठभेड़ बीजापुर के पुजारी कांकेर, मारुरबाका और तेलंगाना सीमा से सटे इलाकों में हुई थी। जानकारी के मुताबिक, गुरुवार सुबह करीब नौ बजे डीआरजी बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा की संयुक्त टीम, कोबरा बटालियन और सीआरपीएफ की टीम और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई थी।
सुरक्षाबलों ने माओवादियों के बड़े कैडरों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद डीआरजी बीजापुर, डीआरजी सुकमा, डीआरजी दंतेवाड़ा, कोबरा 204, 205, 206, 208, 210 और केरिपु 229 बटालियन की संयुक्त टीम के साथ यह ऑपरेशन शुरू किया था।
बीजापुर जिले में गुरुवार को ही नक्सलियों द्वारा लगाए गए एक प्रेशर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के विस्फोट में सीआरपीएफ की कोबरा इकाई के दो कमांडो घायल हो गए थे।
पर्यावरण
दिल्ली एनसीआर : 21 और 22 जनवरी को होगी तेज बारिश, तब तक रहेगा घना कोहरा
नोएडा, 17 जनवरी। मौसम में फिर एक बार बदलाव देखने को मिला है। एक तरफ जहां मकर संक्रांति के बाद मौसम काफी साफ हो जाता है और लोगों को ठंड से निजात मिलती दिखाई देती है, वहीं इसके उलट न्यूनतम पारा लगातार गिर रहा है और घने कोहरे से भी लोगों का सामना हो रहा है।
मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 21 और 22 जनवरी को तेज बारिश से एनसीआर के लोगों का सामना हो सकता है और तब तक लोग घने कोहरे, तेज हवा के कारण कड़कड़ाती ठंड से मुकाबला करेंगे। मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 17 जनवरी को एनसीआर में घना कोहरा छाया हुआ है और अधिकतम तापमान 19 डिग्री और न्यूनतम तापमान 8 डिग्री दर्ज किया गया है।
वहीं पर मौसम विभाग के मुताबिक 18 जनवरी को अधिकतम तापमान 19 डिग्री और न्यूनतम तापमान 7 डिग्री रहने की संभावना जताई गई है। 19 जनवरी को भी मौसम विभाग के अनुसार अधिकतम तापमान 20 और न्यूनतम तापमान 6 डिग्री रहने की संभावना है। इसके अगले दिन 20 जनवरी को मौसम विभाग ने बताया है कि एनसीआर में घना कोहरा छाया रहेगा और अधिकतम तापमान 21 डिग्री और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री बने रहने की संभावना है।
इसके बाद ऐसे ही 21 और 22 जनवरी को भी मौसम विभाग के मुताबिक तेज बारिश से एनसीआर के लोगों का सामना होगा और दोनों ही दिन अधिकतम तापमान 21 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री रहने की संभावना जताई गई है। लगातार पश्चिमी विक्षोभ में हो रही गड़बड़ी के कारण एक तरफ पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी देखने को मिल रही है, तो दूसरी तरफ उसका असर पास के मैदानी इलाकों में भी हो रहा है। इसलिए अचानक एनसीआर में मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है।
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