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Friday,23-May-2025
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बंगाल सरकार पर लगातार बढ़ रहा कर्ज का बोझ, ममता की ‘कल्याणकारी’ योजनाओं पर सवालिया निशान

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 पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के 35 साल के शासन को समाप्त करते हुए 2011 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कन्याश्री योजना की घोषणा की थी। यह वार्षिक और साथ ही एक विशेष आर्थिक वर्ग से आने वाली छात्राओं को एकमुश्त भुगतान, उन्हें उच्च अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करने और जल्दी विवाह को रोकने के लिए लाई गई थी।

इस घोषणा को एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना गया, क्योंकि इसने राज्य में महिला मतदाताओं के बीच ममता बनर्जी की लोकप्रियता को बढ़ाया, विशेष रूप से निम्न और निम्न मध्यम आय वर्ग से आने वाली महिलाओं के बीच वह खासी लोकप्रिय हुईं।

उस समय भी कुछ अर्थशास्त्रियों ने राज्य के खजाने से भारी आवर्ती भुगतान को देखते हुए योजना की वित्तीय स्थिरता पर सवाल उठाया था। लेकिन इस योजना की व्यापक लोकप्रियता के कारण तर्कसंगत आर्थिक तर्क की उनकी आवाज को खामोश कर दिया गया, जिसे अपनी विशिष्टता के लिए संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार भी मिला।

यह सिर्फ शुरूआत थी। कन्याश्री के बाद कई अन्य डोल (खैरात या मुफ्त) योजनाएं जैसे मुफ्त साइकिल, मुफ्त टैबलेट, मुफ्त फसल बीमा और वित्तीय पृष्ठभूमि के बावजूद सभी के लिए मुफ्त मेडिक्लेम योजना भी अमल में लाई गई।

नवीनतम योजना लोकखिर भंडार थी, जो राज्य की महिलाओं के लिए 500 रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक की मासिक सहायता योजना थी। हालांकि शुरू में यह योजना एक विशेष आर्थिक वर्ग की महिलाओं के लिए प्रतिबंधित थी, बाद में मुख्यमंत्री ने सभी महिलाओं के लिए इस योजना को खोल दिया।

यह कहा जा सकता है कि इन मुफ्त योजनाओं ने निस्संदेह तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को अपनी लोकप्रियता और लगातार चुनावों में वोट शेयर बढ़ाने में मदद की। हालांकि, तब तक राज्य के खजाने में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया था, जो तृणमूल कांग्रेस के पिछले 11 वर्षों के शासन के दौरान राज्य सरकार के संचित कर्ज में आसमान छूती वृद्धि से स्पष्ट है।

विभिन्न वित्तीय वर्षों के दौरान राज्य सरकार के बजट दस्तावेजों के आंकड़ों की एक साधारण तुलना राज्य की अनिश्चित ऋण स्थिति को उजागर करेगी। वित्तीय वर्ष 2010-11 के अंत में, जो वाम मोर्चा शासन के तहत अंतिम वित्तीय वर्ष था, पश्चिम बंगाल पर 1.95 लाख करोड़ रुपये का संचित कर्ज था।

अब, मार्च 2022 में, वर्तमान वित्त मंत्री के रूप में, चंद्रिमा भट्टाचार्य ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किया, उन्होंने बजट अनुमानों में अनुमान लगाया कि राज्य का कुल संचित ऋण 2021-22 के संशोधित अनुमानों के अनुसार 5.28 करोड़ रुपये से बढ़कर 5.86 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि मार्च 2023 तक, जब तृणमूल कांग्रेस लगातार 12 साल का शासन पूरा करेगी, तो संचित कर्ज के आंकड़े में 3.90 लाख करोड़ रुपये का भारी इजाफा होगा, जो तृणमूल कांग्रेस को 2011 में वाम मोर्चे से विरासत में मिला था।

इसमें यह सवाल है कि राज्य सरकार कब तक बाजार से उधारी के आधार पर मुफ्त सुविधाएं जारी रख पाएगी? सवाल यह भी है कि क्या एक बार राज्य सरकार को धन की कमी के कारण कई योजनाओं को बंद करने के लिए मजबूर किया जाएगा, तो क्या यह राजनीतिक रूप से सत्ताधारी दल पर उल्टा असर करेगा।

वित्त मंत्री को लगता है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार की अभिनव (इनोवेटिव) सोच की विशिष्टता है कि वाम मोर्चा शासन द्वारा छोड़े गए ऋणों पर ब्याज के दोहरे दबाव और केंद्र सरकार के निरंतर असहयोग के बावजूद केंद्रीय निधियों को प्राप्त करने में, राज्य सरकार कल्याणकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक जारी रखने में सफल रही है। उन्होंने कहा, मैं गारंटी दे सकती हूं कि राज्य सरकार को कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद भविष्य में एक भी कल्याणकारी योजना बंद नहीं की जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस के एक दिग्गज लोकसभा सदस्य ने कहा कि ये कल्याणकारी योजनाएं राज्य की सत्ताधारी पार्टी और केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के बीच अंतर करती हैं।

उनके अनुसार, जहां एक ओर केंद्र सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बजट में कटौती कर रही है और बैंक ऋण माफ कर अपने कॉर्पोरेट मित्रों को सुविधा प्रदान कर रही है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार लोगों के कल्याण को सुनिश्चित करके बिल्कुल विपरीत दिशा में जा रही है।

हालांकि, अर्थशास्त्रियों की राय है कि राज्य उत्पाद शुल्क के अलावा राजस्व सृजन के किसी वैकल्पिक स्रोत के बिना मुफ्त योजनाओं पर इस बेलगाम खर्च ने राज्य सरकार को एक आभासी ऋण जाल की ओर धकेल दिया है।

अर्थशास्त्र के शिक्षक पी. के. मुखोपाध्याय ने कहा, राज्य सरकार सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर ऋण की खतरनाक दर के बारे में अनभिज्ञ है, जो पहले से ही 30 प्रतिशत से अधिक है। वह दिन दूर नहीं जब नए ऋणों का उपयोग केवल पुराने ऋण की अदायगी के लिए किया जाएगा और वह आर्थिक ²ष्टि से राज्य सरकार के लिए ऋण जाल की स्थिति होगी।

निवेश सलाहकार और वित्तीय विश्लेषक नीलांजन डे ने कहा कि अगर राज्य सरकार कम से कम इनमें से कुछ कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने के बारे में गंभीर है, तो उसे इस पर विचार करना चाहिए।

महाराष्ट्र

आईएसआई एजेंट ज्योति मल्होत्रा ​​की मुंबई यात्रा, वह किन लोगों से मिली यात्रा के दौरान, कहां रुकी और किसने सहायता प्रदान की, जांच जारी

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मुंबई: मुंबई पाकिस्तानी जासूस ज्योति मल्होत्रा ​​ने भी मुंबई में निरीक्षण किया। ज्योति की जांच के दौरान यह बात सामने आई। ज्योति ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण स्थानों की गुप्त सूचनाएं और विवरण एकत्र किए थे। ज्योति ने यात्रा कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियों को यूट्यूब पर अपलोड करके पाकिस्तान में भारतीय स्थानों का विवरण भी उपलब्ध कराया है। ज्योति की मुंबई यात्रा के बाद अब एजेंसियों ने उनकी यात्रा से संबंधित विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्योति ने 2023 में मुंबई का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने तीन शहरों का भी दौरा किया था।

ज्योति का मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त कर लिया गया है। ज्योति 12 मई 2023 को राजधानी एक्सप्रेस से मुंबई आईं. 14 मई को उन्होंने शहर में कई स्थानों का दौरा किया। वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करती थीं। वह 20 जुलाई 2023 को गरीब रथ एक्सप्रेस से मुंबई पहुंचीं और कुछ दिनों तक कई स्थानों का विवरण रिकॉर्ड किया और एकत्र किया। वह 3 अक्टूबर 2023 को विमान से मुंबई आईं और 22 दिन तक यहां रहीं। इस दौरान उन्होंने मेट्रो ट्रेन और अन्य साधनों से मुंबई की यात्रा भी की। वीडियोग्राफी और ट्रॉपिकल चैनल ने 25 अक्टूबर 2024 को विमान से दिल्ली की यात्रा, मुंबई की तीन यात्राएं और शहर का निरीक्षण और अवलोकन, जुलाई में लक्जरी बस द्वारा मुंबई की यात्रा, अगस्त में कांकोली एक्सप्रेस द्वारा अहमदाबाद की यात्रा और 2024 में पंजाब मेल द्वारा दिल्ली की यात्रा का विवरण भी साझा किया। ज्योति जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे कर रही हैं।

मुंबई यात्रा के दौरान उन्होंने लालबाग के राजा के दर्शन भी किए। मुंबई यात्रा के दौरान उसने यहां किससे संपर्क किया और इसके पीछे क्या मकसद था, इसकी जांच की जा रही है। ज्योति ने न केवल भारत की यात्रा की है, बल्कि उन्होंने विभिन्न देशों की भी यात्रा की है। यहां तक ​​कि पाकिस्तान में आईएसआई ने भी उनकी मेजबानी की है। उसने भारत के बारे में कई गुप्त जानकारियां पाकिस्तान को दी हैं। इतना ही नहीं, यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि ज्योति ने मुंबई यात्रा के दौरान पाकिस्तान को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की क्या जानकारी और विवरण दिया है, तथा ज्योति के सहयोगियों और संपर्कों से पूछताछ की प्रक्रिया भी जारी है। एनआईए भी ज्योति से पूछताछ कर रही है।

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राजनीति

संजय राउत ने राहुल गांधी के सवाल को बताया जनता की आवाज, बोले- पाकिस्तान पर नहीं कर सकते भरोसा

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मुंबई, 23 मई। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो सवाल पूछे हैं, वे देश के 140 करोड़ लोगों के मन की बात है।

संजय राउत ने कहा, “राहुल गांधी ने पूछा है कि पाकिस्तान पर भरोसा क्यों करें? यह सवाल गलत कैसे हो सकता है? पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ भाजपा के ट्रोलर्स को ही शायद यह सवाल नहीं समझ आता।”

संजय राउत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ट्रंप से भारत को क्या फायदा हुआ? ट्रंप ने तो भारत को नुकसान ही पहुंचाया। हमारा आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जमीन हड़पने के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए था। हमने पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने के लिए लड़ाई शुरू की थी, लेकिन ट्रंप ने हमारा साथ देने के बजाय नुकसान पहुंचाया। राहुल गांधी का यह सवाल जनता की आवाज है। अगर राहुल गांधी ने यह सवाल पूछा है, तो मैं समझता हूं कि यह जनता के मन की बात है।”

संजय राउत ने आगे कहा, “हमारा खून खौलता है। हमारी रगों में देशभक्ति और भारत प्रेम का खून दौड़ता है। जब हमारे 26 निर्दोष लोग मारे गए, जब हमारी महिलाओं का सिंदूर मिटा, तब भी हमारा खून खौलता है। हमारे पास खून के अलावा कुछ नहीं, और वही खून देश के लिए बहता है।”

संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या भाजपा डोनाल्ड ट्रंप की पोस्टर बॉय बन गई है? राहुल गांधी ने क्या गलत सवाल पूछा है? पहले सवाल को समझिए। जब आपको सवाल की समझ नहीं होती तो आपको विपक्ष के सांसदों को विदेश भेजना पड़ता है ताकि वे देश की भूमिका स्पष्ट करें।”

उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शरीफ ने कहा था कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने देखा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। यह कहने की हिम्मत उन्हें कैसे हो गई? 1971 में जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को हराया था, तब भी पाकिस्तान की भाषा ऐसी नहीं थी। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में हमने पाकिस्तान को लोहे के चने चबवाए थे। तब भी उनके नेताओं की भाषा इतनी उग्र नहीं थी। लेकिन आज मोदी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कह रहे हैं कि उन्होंने भारत से 1971 का बदला लिया है, यह सरकार के लिए शर्म की बात है।”

तमिलनाडु में टीएएसएमएसी छापों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर राउत ने कहा, “ईडी भाजपा, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का हथियार है। मैं भी ईडी का शिकार रहा हूं। मेरे जैसे कई लोग इससे गुजर चुके हैं। जब तक ईडी है, तब तक मोदी-शाह और भाजपा का राज है।”

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राजनीति

मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की उठी मांग

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भोपाल 23 मई। भारतीय सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर पाकिस्तान को सबक सिखाया है। मध्य प्रदेश के राजनेताओं ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अगली पीढ़ी जान सके।

दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के भाजपा और कांग्रेस के नेता ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की बड़ी सफलता मानते हैं। उनका मानना है कि सेना के शौर्य और पराक्रम को अगली पीढ़ी को भी जानना जरूरी है। यह तभी संभव है जब स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाए।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया है। ऐसे ही भोपाल से भाजपा के सांसद आलोक शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि किस प्रकार से देश की सेना के वीर सैनिकों ने हिंदुस्तान की रक्षा की और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।

उन्होंने आगे कहा कि पूरा देश सिंदूर विजय का उत्सव मना रहा है, जगह-जगह तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं, देश की जनता अपनी सेना का आभार व्यक्त कर रही है और देश के कई हिस्सों के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जा रहा है। इसलिए मध्य प्रदेश में भी इसे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।

वहीं भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि हमारी सेना ने उतनी देर में आतंकवादियों के नौ ठिकानों को नष्ट कर दिया जितनी देर में हम होटल में नाश्ता करते हैं। स्वदेशी हथियारों से दुश्मन के ठिकानों को कब्र में बदल दिया। अगली पीढ़ी इसे जान सके, इसके लिए जरूरी है कि स्कूल के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जाए।

भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा था और इस दौरान भारत की ओर से लड़ी गई आजादी की लड़ाई की याद आ गई। भारत की दो महिला सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह से देश का प्रतिनिधित्व किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। साथ में यह भी शामिल किया जाना चाहिए कि मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों ने किस तरह से महिला सैन्य अधिकारी का अपमान किया था, जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए।

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