राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में चल रही पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। झारखंड के गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने राज्य की ग्राम पंचायतों में ओबीसी आरक्षण निर्धारित किये बगैर चुनाव कराने के सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि झारखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है इसलिए बीच में इस पर रोक नहीं लगायी जा सकती।
अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अगले पंचायत चुनाव के पहले तक ट्रिपल टेस्ट के जरिये हर हाल में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था कर ली जाए।
बता दें कि राज्य में चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराये जाने की प्रक्रिया चल रही है। प्रथम तीन चरणों के लिए नामांकन का कार्य भी पूरा हो चुका है। वोट आगामी 14ए 19ए 24 और 27 मई को डाले जायेंगे। राज्य के 24 जिलों के 262 प्रखंडों की 4345 ग्राम पंचायतों के मतदाता के ग्राम पंचायत सदस्यए मुखिया पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के अलग-अलग पदों के लिए वोट डालेंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव का ऐलान विगत 9 अप्रैल को किया था। राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार पंचायतों में इस बार ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गयी है। गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने राज्य सरकार के इसी फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने ड्रग तस्कर अपहरण केस में दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया

मुंबई, 6 अगस्त। मुंबई क्राइम ब्रांच को कुख्यात ड्रग तस्कर साजिद इलेक्ट्रिकवाला के अपहरण केस में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।
मुंबई क्राइम ब्रांच ने ड्रग तस्कर साजिद इलेक्ट्रिकवाला के अपहरण और जबरन वसूली मामले में दो और आरोपियों अरमान मोहम्मद नासिर खान (33) और नीरव सोलंकी (54) को गिरफ्तार किया है। सोलंकी को गुजरात से ढूंढकर गिरफ्तार किया गया, जबकि अरमान खान को क्राइम ब्रांच ने गोरेगांव के ओबेरॉय मॉल से गिरफ्तार किया।
अब इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की कुल संख्या बढ़कर 14 हो गई है। इनमें से 13 को पहले ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि अरमान खान को आगे की पूछताछ के लिए तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
अरमान खान, सरवर खान का एक जाना-माना सहयोगी है, जो भगोड़े अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर छोटा शकील के भाई अनवर बाबू शेख से जुड़ा है। उसका आपराधिक इतिहास रहा है।
आरोपी अरमान खान ने शिकायतकर्ता के अपहरण और जबरन वसूली की मांग करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अपराध शाखा ने मामले में सभी 14 आरोपियों के खिलाफ मकोका लगाने के लिए एक औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। मामले की जांच जारी है।
इससे पहले 16 जुलाई को मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने कानपुर से अपहृत ड्रग माफिया साजिद इलेक्ट्रिकवाला को सफलतापूर्वक कैद से मुक्त कराया था। इसका अपहरण मुंबई के पश्चिमी उपनगरों से कथित तौर पर ड्रग्स और पैसों से जुड़े विवाद के चलते किया गया था।
पुलिस के अनुसार, मुंबई से अंतरराष्ट्रीय एमडी (मेफेड्रोन) ड्रग रैकेट चलाने के लिए कुख्यात साजिद इलेक्ट्रिकवाला का एक रियल एस्टेट एजेंट के साथ अपहरण कर लिया गया था, जो कथित तौर पर उसका सहयोगी था। पुलिस का मानना है कि अपहरण एमडी ड्रग के पैसों को लेकर हुए विवाद के चलते किया गया था।
राजनीति
भारतीय राजनीति की प्रखर आवाज, विदेश मंत्री के तौर पर बेमिसाल रहीं सुषमा स्वराज

SUSHMA SWARAJ
नई दिल्ली, 6 अगस्त। सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की एक ऐसी शख्सियत थीं, जिन्होंने अपनी प्रखर भाषण कला, कूटनीतिक सूझबूझ और जनसेवा के प्रति समर्पण से देश-विदेश में अमिट छाप छोड़ी।
14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। वह न केवल भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं, बल्कि दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और हरियाणा की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री भी रही थीं।
सुषमा स्वराज ने 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1977 में मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती के साथ पार्टी में महिला शक्ति की प्रतीक बनकर उभरीं। 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल 52 दिन का रहा। लगभग तीन महीने के छोटे कार्यकाल के दौरान प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी।
1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इसके बाद 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली 13 दिन की भाजपा सरकार के दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।
2014 से 2019 तक मोदी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने भारतीय कूटनीति को नया आयाम दिया। उन्होंने विदेश नीति को जन-केंद्रित बनाया। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने विदेश में फंसे लोगों की काफी मदद की। चाहे विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने का मुद्दा हो या मेडिकल वीजा दिलाने का मुद्दा, उन्होंने आगे बढ़कर लोगों की मदद की।
सुषमा स्वराज उस विदेश मंत्री का नाम है, जिन्होंने कमान थामते ही मंत्रालय की सूरत बदलकर रख दी। उनके मंत्री रहते यह आम भारतीय का विभाग कहलाने लगा। उनके विदेश मंत्री रहने के दौरान भारत के कई देशों से राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध बेहतर हुए।
सुषमा स्वराज की संयुक्त राष्ट्र महासभा में दी गई स्पीच उनकी कूटनीतिक कुशलता का प्रमाण थी। 2016 और 2017 में उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़े शब्दों में जवाब दिया, जिसने वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा।
स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज का निधन हो गया।
राष्ट्रीय समाचार
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को निधन हो गया। उन्होंने मेघालय, गोवा, ओडिशा और बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है। वह 79 वर्ष के थे।
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने उनके निधन की पुष्टि की। अस्पताल ने कहा, “मरीज को लंबे समय से मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप और रुग्ण मोटापा तथा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी अन्य पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं का इतिहास था।”
अस्पताल ने कहा, “उन्हें 11-5-2025 को दोपहर 12:04 बजे जटिल मूत्रमार्ग संक्रमण के साथ हमारे यहाँ भर्ती कराया गया था और बाद में मूत्रमार्ग संक्रमण के कारण उन्हें रिफ्रैक्टरी सेप्टिक शॉक, अस्पताल में निमोनिया और कई अंगों में शिथिलता हो गई। कई एंटीबायोटिक दवाओं और साइटोसॉर्ब 2 सत्रों सहित सभी उचित और गहन चिकित्सा हस्तक्षेपों, जिनमें वेंटिलेटरी सपोर्ट और गहन देखभाल प्रबंधन शामिल है, के बावजूद उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई। उन्हें क्रोनिक किडनी रोग के साथ डिसेमिनेटेड इंट्रावैस्कुलर कोएगुलेशन (डीआईसी) और एक्यूट किडनी इंजरी भी हो गई, जिसके लिए कई हेमोडायलिसिस सत्रों की आवश्यकता पड़ी।”
अस्पताल ने बताया कि मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को दोपहर 1.12 बजे उनका निधन हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुखी हूँ। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।”
मलिक ने 1960 के दशक के मध्य में राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में प्रवेश किया। वे 2004 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए और 2012 में इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम के सदस्य थे।
राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मलिक उत्तर प्रदेश के बागपत से हैं और उनकी पैतृक जड़ें भी हरियाणा में हैं।
1980 के दशक के मध्य में उन्होंने कुछ समय के लिए कांग्रेस के साथ काम किया। मलिक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे। बोफोर्स घोटाले के कारण 1987 में पार्टी छोड़ने से पहले वे राज्यसभा के लिए चुने गए थे। वे जन मोर्चा के संस्थापकों में से एक थे, जो बाद में 1988 में जनता दल बन गया।
मलिक को 2017 में बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर भेजा गया था। 2019 में आज ही के दिन अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के समय वे ही राज्यपाल थे। अक्टूबर 2019 में उनका तबादला गोवा कर दिया गया। मात्र नौ महीनों के कार्यकाल में ही उन्हें मेघालय भेज दिया गया। वे 4 अक्टूबर, 2022 को मेघालय के राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त होंगे।
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