राजनीति
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद सोशल मीडिया पर दिल्ली और यूपी के मुख्यमंत्रियों में छिड़ा वार

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर कोरोना की पहली लहर के बीच लोगों को मुंबई और दिल्ली से अपने-अपने राज्यों को पलायन के लिए मजबूर और प्रेरित करने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि केजरीवाल सरकार की वजह से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी।
प्रधानमंत्री मोदी के इस आरोप के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच ‘ ट्विटर वॉर’ छिड़ गया। दोनों मुख्यमंत्री एक दूसरे पर जमकर राजनीतिक निशाना साधते नजर आए।
लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगाए गए आरोप का वीडियो शेयर करते हुए केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “प्रधानमंत्री जी का ये बयान सरासर झूठ है। देश उम्मीद करता है कि जिन लोगों ने कोरोना काल की पीड़ा को सहा, जिन लोगों ने अपनों को खोया, प्रधानमंत्री जी उनके प्रति संवेदनशील होंगे। लोगों की पीड़ा पर राजनीति करना प्रधानमंत्री जी को शोभा नहीं देता।”
केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी पर किए गए इस तीखे हमले का जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगे आए।
उन्होंने केजरीवाल के बयान को निंदनीय बताते हुए ट्वीट कर कहा, “अरविंद केजरीवाल का आदरणीय प्रधानमंत्री जी के बारे में आज का बयान घोर निंदनीय है। अरविंद केजरीवाल को पूरे राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके जैसे लोगों के बारे में ही कहा है कि..झूठइ लेना, झूठइ देना। झूठइ भोजन, झूठ चबेना।।”
इसके बाद सिलसिलेवार कई ट्वीट कर योगी आदित्यनाथ ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा , “सुनो केजरीवाल, जब पूरी मानवता कोरोना की पीड़ा से कराह रही थी, उस समय आपने यूपी के कामगारों को दिल्ली छोड़ने पर विवश किया। छोटे बच्चों व महिलाओं तक को आधी रात में यूपी की सीमा पर असहाय छोड़ने जैसा अलोकतांत्रिक व अमानवीय कार्य आपकी सरकार ने किया। आपको मानवताद्रोही कहें या..”
योगी ने अपने अगले ट्वीट में कहा, “केजरीवाल को झूठ बोलने में महारथ हासिल है। जब पूरा देश आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा था तब केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से बाहर का रास्ता दिखा दिया।”
योगी ने आगे कहा , “बिजली-पानी का कनेक्शन काटा व सोते हुए लोगों को उठा-उठा कर बसों से यूपी बॉर्डर पर भेजा गया। अनाउंसमेंट कर कहा गया कि आनंद विहार के लिए बसें जा रही हैं, उससे आगे यूपी-बिहार के लिए बसें मिलेंगी। यूपी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम किया और उन्हें सुरक्षित वापस लाई।”
योगी आदित्यनाथ द्वारा एक के बाद एक लगाए जा रहे आरोपों की झड़ी पर पलटवार करते हुए अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, सुनो योगी, आप तो रहने ही दो। जिस तरह यूपी के लोगों की लाशें नदी में बह रहीं थीं और आप करोड़ों रुपए खर्च करके टाइम्स मैगजीन में अपनी झूठी वाह वाही के विज्ञापन दे रहे थे। आप जैसा निर्दयी और क्रूर शासक मैंने नहीं देखा।”
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव का राजनीतिक घमासान मचा हुआ है । आम आदमी पार्टी इन तीनों राज्यों में चुनाव लड़ रही है और इसलिए लोक सभा के पटल पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए आप मुखिया अरविंद केजरीवाल स्वयं सामने आए और चुनाव के इसी मौसम को देखते हुए भाजपा की तरफ से पलटवार करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेते नजर आए।
राष्ट्रीय समाचार
वक्फ परिषद के गठन में हिंदू सदस्यों की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा, गुरुवार को फिर सुनवाई

नई दिल्ली, 16 अप्रैल। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने मुस्लिम पक्ष और संशोधन समर्थक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान विभिन्न संशोधित धाराओं जैसे कि धारा 3, 9, 14, 36 और 83 पर विशेष चर्चा हुई।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि इन संशोधनों से उनके संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन हुआ है। उनका कहना था कि संशोधन उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल और अधिनियम के समर्थकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन पूरी तरह संविधान सम्मत हैं और इनमें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की कोई बात नहीं है।
सुनवाई के दौरान माननीय न्यायालय ने अपने प्रारंभिक अवलोकन में यह कहा कि अधिकांश संशोधन संविधान के अनुरूप प्रतीत होते हैं। हालांकि, न्यायालय ने ‘यूजर’ की परिभाषा पर स्पष्टता मांगी है। इसके अलावा, वक्फ परिषद के गठन में हिंदू सदस्यों की भूमिका को लेकर भी कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल और हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं से इन दोनों मुद्दों पर विशेष रूप से सहायता और स्पष्टीकरण देने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे होगी।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस अहम मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें रखनी शुरू कीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत की, जिसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश कीं।
अधिवक्ता सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि देशभर में करीब आठ लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से चार लाख से अधिक संपत्तियां ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर दर्ज हैं। उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में थे, तब उन्हें बताया गया था कि वह जमीन वक्फ संपत्ति है। उन्होंने कहा, “हमें गलत मत समझिए, हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाई यूजर संपत्तियां गलत हैं।”
इसके साथ ही बुधवार को दोनों पक्षों के बीच बहस जारी रही और सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो बजे फिर से सुनवाई का समय दिया है।
महाराष्ट्र
‘अंधेरी से बांद्रा तक फास्ट ट्रेन 30 मिनट में!’: बांद्रा और माहिम के बीच गति प्रतिबंध से पश्चिम रेलवे के यात्री परेशान, लोकल सेवाएं 10-15 मिनट तक विलंबित

मुंबई: बुधवार, 16 अप्रैल को मुंबई की पश्चिमी लाइन पर लोकल ट्रेन सेवाएं बांद्रा और माहिम स्टेशनों के बीच गति प्रतिबंध लगाए जाने के कारण देरी से चलीं। इस कदम से हज़ारों दैनिक यात्री प्रभावित हुए हैं, यात्रा में बड़ी बाधाएँ आईं हैं और दफ़्तर जाने वालों में निराशा फैल गई है।
पश्चिम रेलवे ने ट्रेन सेवाओं में देरी पर अपडेट साझा किया
मीठी नदी को पार करने वाले सेक्शन पर चलने वाली ट्रेनें वर्तमान में 20-30 किलोमीटर प्रति घंटे की बेहद कम गति से चल रही हैं। धीमी गति से चलने के कारण उपनगरीय ट्रेनें 15 मिनट तक देरी से चल रही हैं, जिससे तेज़ और धीमी लोकल ट्रेनों के शेड्यूल में गड़बड़ी हो रही है। पश्चिमी रेलवे के मुंबई डिवीजन के डिवीजनल रेलवे मैनेजर (DRM) ने देरी की पुष्टि की और असुविधा के लिए माफ़ी मांगी।
“इससे लोगों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो रही है। अंधेरी से बांद्रा जाने वाली एक तेज़ ट्रेन 30 मिनट से ज़्यादा समय ले रही है। यह क्या बकवास है? तेज़ ट्रेन धीमी ट्रेन से भी धीमी चल रही है!” एक निराश यात्री ने सोशल मीडिया पर लिखा। एक अन्य ने अधिकारियों से अपील करते हुए कहा, “कृपया जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करें।”
अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा गति सीमा अस्थायी है और सप्ताह के अंत तक इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 45 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया जाएगा। प्रतिबंध का कारण मीठी नदी पर बने पुराने रेलवे पुल का हाल ही में किया गया ओवरहाल है। ब्रिटिश काल में निर्मित इस पुल को कास्ट आयरन स्क्रू पाइल्स द्वारा सहारा दिया गया था, जिन्हें अब संरचनात्मक रूप से विश्वसनीय नहीं माना जाता था। सुरक्षा बढ़ाने के लिए अब इन्हें आधुनिक स्टील गर्डरों से बदल दिया गया है।
माहिम-बांद्रा के बीच पश्चिम रेलवे रात्रि ब्लॉक के बारे में
पुनर्निर्माण कार्य शुक्रवार और शनिवार को रात्रि ब्लॉक के दौरान किया गया। प्रत्येक रात, 9.5 घंटे के लिए सेवाएं निलंबित की गईं, जिसके दौरान महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग कार्य पूरे किए गए। इन ब्लॉकों के दौरान, परियोजना के सुचारू निष्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिए कुल 334 लोकल ट्रेन सेवाएं रद्द की गईं।
हालांकि यह अपग्रेड दीर्घकालिक सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए आवश्यक था, लेकिन चल रही देरी ने मुंबई की तेज-तर्रार कामकाजी आबादी को बुरी तरह प्रभावित किया है। पश्चिमी रेलवे ने यात्रियों को आश्वासन दिया कि स्थिति में लगातार सुधार होगा और नए पुल की संरचना नियमित यातायात के तहत स्थिर होने के बाद सामान्य परिचालन फिर से शुरू होने की उम्मीद है। तब तक, यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे देरी को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं।
महाराष्ट्र
महायोति सरकार का लाडली बहनों के साथ धोखा, लाडली बहनों की किस्तों में कटौती विश्वासघात है: अबू आसिम आज़मी

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी ने दिल्ली बहन की किस्त में कटौती को उनके साथ विश्वासघात करार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह चुनाव की रात वोट के लिए अवैध रूप से नकदी बांटी जाती है, प्रति व्यक्ति वोट के लिए 1,000 और 2,000 रुपये इलाकों में बांटे जाते हैं, उसी तरह चुनाव से पहले लाडिली बहन योजना के तहत महिलाओं को लालच दिया गया। यह महायोति सरकार द्वारा एक प्रकार का धोखा है और अब जब इसका अर्थ पता चल गया है, तो वे इसे पहचान नहीं रहे हैं।
उन्होंने पूछा कि क्या महायोति सरकार लाडली बहनों के वोट भी लौटाएगी जो इन बहनों ने चुनाव में उन्हें दिए थे। उन्होंने कहा कि लाडली बहन योजना के कारण सरकारी खजाने पर बोझ पड़ा है। सरकारी कर्मचारियों, डॉक्टरों और अन्य स्टाफ का वेतन भी देरी से दिया गया है, ऐसे में सरकार ने लाडली बहनों के साथ धोखा किया है।
चुनाव के बाद किस्त में बढ़ोतरी की घोषणा की गई और 2100 रुपये देने का वादा किया गया, लेकिन अब इसे 1500 रुपये से घटाकर 500 रुपये कर दिया गया है। सरकार ने लाडली बहन योजना में दो करोड़ से अधिक महिलाओं को शामिल किया था, लेकिन अब बहाने और हथकंडे अपनाकर उन्हें अयोग्य ठहराया जा रहा है। यह वोट देने वाली बहनों के साथ विश्वासघात है।
-
व्यापार5 years ago
आईफोन 12 का उत्पादन जुलाई से शुरू होगा : रिपोर्ट
-
अपराध3 years ago
भगौड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गो की ये हैं नई तस्वीरें
-
अपराध3 years ago
बिल्डर पे लापरवाही का आरोप, सात दिनों के अंदर बिल्डिंग खाली करने का आदेश, दारुल फैज बिल्डिंग के टेंट आ सकते हैं सड़कों पे
-
न्याय8 months ago
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर
-
अनन्य2 years ago
उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने से पहले वन विभाग हुआ सतर्क
-
अपराध3 years ago
पिता की मौत के सदमे से छोटे बेटे को पड़ा दिल का दौरा
-
राष्ट्रीय समाचार2 months ago
नासिक: पुराना कसारा घाट 24 से 28 फरवरी तक डामरीकरण कार्य के लिए बंद रहेगा
-
महाराष्ट्र5 years ago
31 जुलाई तक के लिए बढ़ा लॉकडाउन महाराष्ट्र में, जानिए क्या हैं शर्तें