राजनीति
नई दिल्ली: सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मिलेंगे दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष

दिल्ली के शाहदरा जिले में गणतंत्र दिवस के दिन हुई एक महिला के साथ बदसलूकी मामले में अब राजनीति होने लगी है और प्रदेश सरकार पर हमला बोला जा रहा है। अब पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने के लिए आज दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष उनके आवास पहुंचेंगे।
हालांकि इस इस घटना के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ कर रही है। दरअसल 20 वर्षीय महिला के साथ आपसी रंजिश में महिला को अगवा कर कुछ लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, वहीं बाद में महिला के बाल काटे गए और मुंह काला कर उसको बाजार में घुमाया गया।
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने आईएएनएस को बताया कि, यह घटना समाज को शर्मसार कर देने वाली है। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली पूरी तरह से हाई एलर्ट पर थी ऐसे में पुलिस क्या कर रही थी ? दिल्ली में शराब माफिया का एक मुद्दा है। उनके कारण यह घटना हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि, सीएम चुनावी पर्यटन में इधर उधर भाग रहे हैं लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया है।
इससे पहले इस घटना पर राष्ट्रीय महिला आयोग व दिल्ली महिला आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया था और आरोपियों पर सख्त कार्यवाही की मांग की थी।
जानकारी के अनुसार, 20 वर्षीय पीड़िता कस्तूरबा नगर इलाके की निवासी है। वहीं कुछ साल पहले उसकी दोस्ती एक करीब 13 वर्षीय लड़के से हुई। हालांकि इस दोस्ती की भनक परिवार जनों को लग गई इसके बाद 16 वर्ष की उम्र में पीड़िता की कहीं और शादी करा दी गई।
हालांकि शादी के बाद भी पीड़िता और उसका दोस्त के बीच मुलाकात होती रही, लेकिन जब पीड़िता ने उससे मिलने से मना कर दिया तो लड़के ने ट्रेन के आगे कूद कर जान देदी।
इसके बाद से ही परिवार के सदस्य पीड़िता पर ही अपने बेटे की मृत्यु की जिम्मेदार समझते थे और परिवार तब से ही पीड़िता को परेशान कर रहा था।
महाराष्ट्र
यूसुफ अब्राहनी घर लौटे और समाजवादी पार्टी में शामिल हुए

मुंबई: महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इस्लाम जिमखाना के चेयरमैन एडवोकेट यूसुफ अब्राहनी कांग्रेस छोड़कर घर लौट आए हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने यूसुफ अब्राहानी के सपा में शामिल होने की घोषणा की है और कहा है कि यूसुफ अब्राहानी महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी में शामिल हुए हैं। समाजवादी पार्टी भाजपा से मुकाबला करने में सबसे आगे है और यह पार्टी सांप्रदायिकता से लड़ने वाली पार्टी है, इसलिए यूसुफ अब्रहानी को पार्टी में शामिल किया गया है। मुझे उम्मीद है कि अब्राहमानी पार्टी के संगठनात्मक मामलों को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहेंगे। यूसुफ अब्राहनी को अभी तक पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया है। यह निर्णय अबू आसिम आज़मी द्वारा लिया जाएगा। यूसुफ के बेटे शहजाद अब्राहानी, ज़ेबा मलिक भी पार्टी में शामिल हो गए हैं।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ सुनवाई आज, सीजीआई बेंच सुनेगी दलील

suprim court
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। शीर्ष अदालत आज वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई करेगी। सीजीआई की अगुवाई वाली पीठ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की दलीलें सुनेगी।
शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर जारी वाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच (जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथ शामिल हैं) इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को दोपहर दो बजे से करेगी।
वक्फ अधिनियम, 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है।
कैविएट एक ऐसा नोटिस होता है जिसे मुकदमे के पक्षकार द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है, जो चाहता है कि विरोधी पक्ष की याचिका पर किसी स्थगन आदेश जारी होने की स्थिति में उसकी बात सुनी जाए। साथ ही, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
इस बिल के संसद द्वारा अप्रैल के पहले हफ्ते में पास होने के बाद, कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया था कि वह इस वक्फ बिल (अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह वक्फ कानून बन गया है) के सामने चैलेंज करेगी। उस समय कांग्रेस ने कहा था कि धर्म के आधार पर देश में ध्रुवीकरण करने और बांटने के लिए यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है।
इसके जवाब में, केंद्र सरकार ने कहा था कि इस बिल के पास होने के बाद करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और किसी भी मुसलमान को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि यह कानून वक्फ की संपत्तियों में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ का विजन लेकर काम कर रही है।
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी व्हिप मोहम्मद जावेद ने शीर्ष न्यायालय में दायर अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 26 (धार्मिक संप्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता का अधिकार) अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन करता है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर एक अन्य याचिका में कहा गया कि यह संशोधन कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30, 300-ए का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं और स्पष्ट रूप से मनमाना हैं।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, आप नेता अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, तैय्यब खान सलमानी और अंजुम कादरी समेत कई अन्य लोगों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की हैं।
इस्लामिक कानूनों और परंपराओं में निहित ‘वक्फ’ की अवधारणा, एक मुसलमान द्वारा धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों, जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के लिए किए गए दान को संदर्भित करती है।
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