अंतरराष्ट्रीय
इमरान खान के कार्यकाल में डॉलर के मुकाबले 70 प्रतिशत गिरा पाकिस्तानी रुपया
अगस्त 2018 में प्रधान मंत्री इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद से पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान का रुपया 70 प्रतिशत से अधिक गिर गया है।
सऊदी अरब से हाल ही में 3 अरब डॉलर के ऋण के बाद, देश के नीति निर्माता अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से अपेक्षित सहायता पर अपनी उम्मीदें टिका रहे हैं।
नीति निर्माताओं को आश्चर्य इस तथ्य से हुआ है कि सऊदी अरब से हाल ही में ऋण के बावजूद पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है।
द न्यूज इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, हाल के दिनों में यह स्पष्ट हो गया है कि स्टेट बैंक के भंडार को मजबूत करने के लिए सऊदी ऋण में तीन अरब अमेरिकी डॉलर के आगमन या ऋण को फिर से शुरू करने के लिए पाकिस्तान और आईएमएफ अधिकारियों के बीच एक स्टाफ एग्रीमेंट रुपये पर जारी दबाव को रोकने में व्यावहारिक रूप से विफल रहा है।
एक बेलआउट पैकेज के हिस्से के रूप में, 2019 में आईएमएफ ने संकट जैसी स्थिति में पाकिस्तान को विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
अगस्त 2018 में जब खान को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, तब रुपया लगभग 107 रुपये प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था, जबकि फिलहाल यह गिरकर एक डॉलर के मुकाबले 178 पर पहुंच चुका है। यह क्रिकेट से राजनेता बने खान के लिए दो साल में चुनावों का सामना करने को लेकर बहुत चिंता का विषय बन चुका है।
विश्लेषकों ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि देश की मुद्रा का लगातार गिरना आर्थिक चुनौतियों की तुलना में बड़ी राजनीतिक समस्याओं का प्रतिबिंब हो सकता है।
अनिश्चितता ने देश के व्यापारिक समुदाय को भी प्रभावित किया है।
एक ओर जहां इस्लामाबाद इस आर्थिक गड़बड़ी के लिए बाहरी कारणों को जिम्मेदार ठहरा रहा है, वहीं अधिकांश पाकिस्तानियों को लगता है कि वर्तमान स्थिति सरकार की नीतियों के गलत संचालन के कारण बनी हुई है।
उन्होंने कहा, देश की आर्थिक चुनौतियां तेजी से बढ़ी हैं और अब यह देश को लगभग हर प्रकार से प्रभावित कर रहा है। बड़े सुधार दिन की जरूरत है, लेकिन यह प्राथमिकता के रूप में प्रतीत नहीं हो रहा है, क्योंकि सरकार अब तक अर्थव्यवस्था के अलावा अन्य मुद्दों में ही व्यस्त रही है।
किसी देश की मुद्रा का मूल्य राजनीतिक और मौद्रिक नीतियों में स्थिरता को भी दिखाता है, जो निवेश आकर्षित करते हैं। कुल मिलाकर आर्थिक विकास और निवेश की आमद – विदेशी और घरेलू – मुद्रा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अब जब देश के पंजाब प्रांत में एक खेल उपकरण कारखाने में लगे श्रीलंकाई नागरिक की निर्मम हत्या ने सुर्खियां बटोरीं हैं, तो खान सरकार के लिए हालात और खराब हो गए हैं।
देश की महंगाई भी नवंबर में बढ़कर 11.5 फीसदी हो गई है – इस साल सबसे ज्यादा – जिसने आम लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के सोशल मीडिया फीड युवाओं की टिप्पणियों से भरे हुए हैं, जो नफरत का प्रचार कर रहे हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कह रहे हैं। क्या होगा यदि अगला शिकार (निर्मम हत्या) किसी अन्य मित्र देश का हो? पाकिस्तान में निवेश करने पर कौन विचार करेगा, जब लिंचिंग का खतरा बड़ा हो?
व्यापार
बीएसई ने निवेशकों को फर्जी निवेश सलाह से बचने की चेतावनी दी

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मुबंई, 18 दिसंबर: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने गुरुवार को निवेशकों को चेतावनी दी है कि वह सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए आ रहे अनजान निवेश संदेशों से सावधान रहें।
एक्सचेंज ने बताया कि कुछ लोग ‘ए-1 लिमिटेड’ नाम की कंपनी में सोशल मीडिया पर निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहें।
बीएसई ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि निवेशक ऐसी किसी भी सलाह पर भरोसा न करें जो व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, एसएमएस, कॉल या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दी जा रही हो। ऐसी सलाह देने वाले लोग न तो बीएसई से जुड़े हैं और न ही उन्हें निवेश की अनुमति है। निवेशकों को ऐसे लोगों के झांसे में आने से बचना चाहिए।
देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज ने निवेशकों को यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर ज्यादा या गारंटीड रिटर्न देने के दावे अकसर झूठे होते हैं। यूट्यूब, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और एक्स (पहले ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर कई लोग ऐसे दावे करते हैं, जिससे निवेशक ठगे जा सकते हैं।
इससे पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने भी निवेशकों को पांच लोगों — कृष्णम राजू, प्रतिबान, पूजा शर्मा, अमन और एम अमित — के बारे में चेतावनी दी थी। एनएसई के अनुसार, यह लोग यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए निवेश की अनधिकृत सलाह दे रहे थे।
एनएसई ने बताया कि यह लोग निवेशकों से उनका लॉगिन आईडी और पासवर्ड मांगते थे और गारंटीड रिटर्न का दावा करते थे। ये लोग ‘प्रॉफिट ट्रेडिंग’, ‘ट्रेड रूम ऑफिशियल’ और ‘प्रॉफिट मैक्सिमाइजर्स’ जैसे यूट्यूब चैनलों के जरिए काम कर रहे थे और गैरकानूनी तरीके से ट्रेडिंग कराते थे।
एनएसई ने निवेशकों को सलाह दी कि शेयर बाजार में किसी भी ऐसे व्यक्ति या योजना पर भरोसा न करें जो स्टॉक मार्केट में सुनिश्चित रिटर्न का वादा करे, क्योंकि ऐसा करना कानून के खिलाफ है।
राजनीति
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी : एसबीआई रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया दमदार वापसी कर सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी वैल्यू में इजाफा देखने को मिल सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि उसने लंबे समय तक चलने वाली अनिश्चितता, अधिक संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों से निपटने में काफी मजबूती दिखाई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांती घोष ने कहा, “जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 अवधि के लिए इंडेक्स की मौजूदा औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है। यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं।”
घोष ने आगे कहा कि रुपया अभी अपने गिरावट के दौर में है और जल्द यह इससे बाहर निकलेगा।
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला देखा जा रहा है। रुपया अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर चुका है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है।
हालांकि, गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह 90.25 पर पहुंच गया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रुपए में मौजूदा गिरावट (दिनों की संख्या के हिसाब से) सबसे तेज है। एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 पर आ गया है।
2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत (प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) गिर गया है।
हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण बीच-बीच में इसमें तेजी भी देखने को मिली है।
व्यापार
भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद, रि यल्टी और बैंकिंग स्टॉक्स में हुई बिकवाली

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मुंबई, 16 दिसंबर: भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में बड़ी बिकवाली के साथ बंद हुआ। दिन के अंत में सेंसेक्स 533.50 अंक या 0.63 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 84,679.86 और निफ्टी 167.20 अंक या 0.64 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,860.10 पर था।
बाजार पर दबाव बनाने का दाम आईटी और बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी आईटी इंडेक्स 0.84 प्रतिशत और निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स 1.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा, ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, एनर्जी, इन्फ्रा और पीएसई इंडेक्स दबाव के साथ बंद हुआ।
दूसरी तरफ, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और निफ्टी मीडिया इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में टाइटन, भारती एयरटेल, एमएंडएम, एशियन पेंट्स, ट्रेंट, कोटक महिंद्रा बैंक और आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स थे। एक्सिस बैंक, इटरनल (जोमैटो), एचसीएल टेक, बजाज फिनसर्व, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फाइनेंस, इन्फोसिस, एनटीपीसी, टीसीएस, सन फार्मा, एलएंडटी, पावर ग्रिड, एचयूएल, बीईएल, एसबीआई, मारुति सुजुकी और टाटा मोटर पैसेंजर व्हीकल लूजर्स थे।
बाजार में गिराने वाले शेयरों की संख्या अधिक थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,654 शेयर हरे निशान में; 2,523 शेयर लाल निशान में और 158 शेयर बिन किसी बदलाव के बंद हुए।
एलकेपी सिक्योरिटीज के रूपक दे ने कहा कि दिन के दौरान निफ्टी का रुझान नकारात्मक रहा और सेशन के दौरान प्रति घंटा चार्ट पर 200 एसएमए के नीचे कारोबार किया। साथ ही इंडेक्स ऊपरी स्तरों को तोड़ने में नाकामयाब रहा, जो कि दिखाता है कि बाजार पर बिकवाली का रुझान जारी है।
उन्होंने आगे कहा कि निफ्टी ने 25,700 के स्तर को तोड़ दिया है और इससे निफ्टी आने वाले समय में 25,700 तक लुढ़क सकता है। तेजी की स्थिति में बाजार 25,950 से लेकर 26,000 के स्तर को छू सकता है।
बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई। सुबह 9:23 पर सेंसेक्स 306 अंक या 0.36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 84,907 और निफ्टी 92 अंक या 0.40 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,924 पर था।
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