अपराध
1984 सिख दंगों के पीड़ितों को 37 साल बाद भी इंसाफ मिलने का इंतजार

1984 सिख विरोधी दंगों पर राजनीति तो जमकर हुई लेकिन 37 साल से अधिक बीत जाने पर भी पीड़ितों को न तो पूरा इंसाफ मिल पाया है और न ही मुआवजा। अभी भी कई पीड़ित ऐसे हैं जो सरकार द्वारा किये गए वायदों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।
दिल्ली में 1984 दंगों के पीड़ित एक बार फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष से मुलाकात भी करेंगे और करीब 150 पीड़ितों की फाइलों को भी सौंपेंगे, जिन्हें अब तक कोई मकान नहीं मिल सका है।
हालाँकि इससे पहले भी पीड़ितों ने आयोग में जाकर एक ज्ञापन भी सौंपा था जिसमें उनसे किये गए वायदों को पूरा करने की मांग रखी गई। इसपर आयोग ने संज्ञान लेते हुए 9 राज्यों को नोटिस भी जारी किया।
दिल्ली के तिलक विहार में रह रहे 1984 दंगों के पीड़ित 40 वर्षीय सोनू सिंह ने आईएएनएस को बताया, हम उस वक्त दिल्ली के त्रिलोकपुरी रहा करते थे, मेरे पिता और दादा को दंगाइयों ने मार डाला था। उस वक्त मेरी उम्र करीब 5 वर्ष रही होगी। अभी मेरे घर में दो भाई है और हमें मकान का अस्थाई अलॉटमेंट दिया हुआ है, जिसका हमें आज तक मालिकाना हक नहीं मिल सका।
1984 के बाद हम एक वर्ष तक कैम्प में रहें उसके बाद हमें तिलक विहार बसाया गया, वहीं हमसे उस दौरान एक हजार रुपये सरकार ने लेकर यह मकान दिए थे। हमने कई सरकारों से गुजारिश की कि हमें इन मकानों का मालिकाना हक दें
पीड़ित सोनू के मुताबिक, केजरीवाल सरकार द्वारा हमसे वायदे किये गए थे कि आपको सरकारी नौकरी देंगे, बिजली मुफ्त करेंगे और मालिकाना हक देंगे, लेकिन कुछ नहीं दिया गया। कई बार अपनी मांगों को हर किसी के सामने उठाया है। इनमें बिजली के बिल माफी और सरकार द्वारा घोषित नौकरियों को लेकर है।
इसपर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने आईएएनएस को बताया, हमारा मकसद यही है कि पीड़ितों को जल्द न्याय दिला सकें। हमने इसके लिए नौ राज्यों को नोटिस भी भेजा है। हम जल्द ही अपने लोगों को न्याय दिलाने में कामयाब भी होंगे।
इसके अलावा आयोग ने पीड़ितों और उनके परिवारों को मुआवजा और न्याय देने में देरी और पीड़ित परिवारों को अब तक प्रदान किए गए मुआवजे और दंगों के हर दर्ज मामले में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में जानकारी भी मांगी है।
सोनू ने बताया, भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई राहत पैकेजों की घोषणा तो की गई लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जहां घोषित राहत उपाय उन परिवारों तक नहीं पहुँचे हैं। हमारी मांग है कि हमारे मकान फ्री होल्ड हो और बुजुर्गों की 2500 रुपये पेंशन अनाउंस की गई थी, उसे बढ़ाया जाए। साथ ही इस वर्ष अगस्त महीने के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्री द्वारा एक मुआवजा घोषित हुआ था वो मांगे भी पूरी हों।
दूसरी ओर इस मसले पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आईएएनएस को बताया कि, 1984 दंगो के पीडितों के जख्मों पर मरहम इस सरकार ने शुरू से लगाया है। एसआईटी गठित की गई, जो गुन्हेगार थे उन्हें सजाएं मिलना शुरू हुई हैं। इसके अलावा मुआवजे की प्रक्रिया भी शुरू की हुई है।
हालाँकि जब उनसे पूछा गया कि कितने लोगों को मुआवजा मिल चुका है तो इसपर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
दरअसल इस वर्ष अगस्त महीने में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को राहत देने के लिए एक पुनर्वास पैकेज की घोषणा की है। जिसके तहत दंगों में मारे गए लोगों को 3.5- 3.5 लाख रुपये और घायल होने वालों को 1.25- 1.25 लाख रुपये दिए जाएँगे।
इस योजना में राज्य सरकार के लिए मृत्यु पीड़ितों की विधवाओं और वृद्ध माता- पिता को पूरे जीवन के लिए 2,500 रुपये प्रति माह देने का प्रावधान भी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पेंशन के भुगतान पर होने वाला खर्च राज्य सरकार को वहन होगा।
इससे पहले 2014 में भी केंद्र सरकार ने सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों की राहत बढ़ाकर पांच-पांच लाख रुपये करने की योजना पेश की थी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि वित्त वर्ष 2021- 22 के बजट में 84 के दंगा पीड़ितों को बढ़ी हुई राहत राशि देने के लिए 4.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
कुछ दंगा पीड़ितों को दिल्ली तिलक विहार क्षेत्र में 944 मकान अस्थाई तौर पर अलॉट किये गए। कईयों को मिलना अभी भी बाकी हैं। इसके अलावा दंगों के दौरान जिन मकानों में पहले यह पीड़ित रहा करते थे उनपर भी कब्जा कर लिया गया है, जो अब उन्हें नहीं मिल पा रहें हैं।
पीड़ितों के अनुसार, इन मकानों के केजरीवाल सरकार में ढाई लाख रुपये बिल आ रहें है वहीं अब तक किसी सरकार ने बिजली की मांग तक नहीं कि थी।
50 वर्षीय एक अन्य पीड़ित बलबीर सिंह ने 1984 दंगों के दौरान स्थिति को बयां करते हुए आईएएनएस को बताया कि, करीब 12 वर्ष उम्र रही होगी मेरी जब परिजनों को मार दिया गया। मेरी भी खूब पिटाई की थी। मार लगने के कारण मेरे सर में चोट लगी जिसके बाद मेरे बाल काटे गये और आज भी मैं पगड़ी नहीं बाँध सकता हूं।
हम पीड़ितों से वायदे तो खूब किये गए लेकिन उनमें पूरा बेहद कम हुआ है। जैसे सभी पीड़ितों को मकान मिलने थे लेकिन सबको नहीं मिल सके। मृतक और घायलों में कई लोगों को जो सुविधाएँ मिलनी थी वो नहीं मिल सकी है। वहीं मकान का एलॉटमेंट भी अस्थाई तौर पर हुआ है।
उन्होंने आगे बताया कि, कई घायलों को मुआवजा मिला था मुझे पहले 2 हजार रुपए मिला फिर मनमोहन सरकार के दौरान सवा लाख रुपये दिया गया था जो मुझे मिला भी था।
अपराध
दिल्ली के मालवीय नगर में दो युवकों पर चाकू से हमला, एक की मौत

CRIME
नई दिल्ली, 30 अगस्त। दिल्ली के मालवीय नगर थाना क्षेत्र में शनिवार सुबह एक सनसनीखेज वारदात हुई। खिड़की एक्सटेंशन के जे ब्लॉक में दो युवकों पर चाकू से हमला किया गया। इस हमले में एक युवक की मौत हो गई, जबकि दूसरे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने हत्या, हत्या की कोशिश समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया है। आरोपियों की धरपकड़ के लिए प्रयास जारी हैं।
पुलिस को सूचना मिली थी कि खिड़की एक्सटेंशन के जे ब्लॉक में दो युवकों पर हमला हुआ है और दोनों सड़क पर खून से लथपथ पड़े हैं। इसके बाद मदन मोहन मालवीय अस्पताल से खबर आई कि अस्पताल में लाए गए एक घायल शख्स की मौत हो गई है। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
इस हमले में मारे गए युवक की पहचान खिड़की एक्सटेंशन निवासी विवेक (11) के रूप में हुई। मूल रूप से आगरा (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला विवेक एक रेस्टोरेंट में काम करता था। उसका शव ट्रॉमा सेंटर भेजा गया।
वहीं दूसरे युवक की पहचान गुप्ता कॉलोनी, खिड़की एक्सटेंशन निवासी अमन (21) हुई। अमन डीएलएफ में काम करता था। उसका इलाज ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है।
पुलिस के मुताबिक सुबह एक और कॉल आई, जिसमें बताया गया कि चार लड़कों के हाथ खून से सने थे और चाकू लिए हुए थे और लूटपाट के बाद भागे। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि इन्हीं चारों ने विवेक और अमन पर हमला किया था। पुलिस ने घटनास्थल का दौरा किया और अपराधियों को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।
जांच में पता चला कि यह हमला सुनियोजित हो सकता है। स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा। इस घटना में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इलाके में रहने वाले लोगों को शांतिपूर्ण माहौल मिले और उन्हें दहशत के साए जीने के लिए विवश न होना पड़े।
अपराध
विरार इमारत हादसा: मामले में 5 लोग गिरफ्तार; जांच अपराध शाखा को सौंपी गई

CRIME
पालघर: विरार में रमाबाई इमारत के ढहने की घटना की जांच, जिसमें इस सप्ताह की शुरुआत में 17 लोगों की जान चली गई थी, अपराध शाखा इकाई 3 को सौंप दी गई है।
शुरुआत में, बिल्डर नित्तल गोपीनाथ साने (48) को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। आगे की पूछताछ के बाद, पुलिस ने दिवंगत ज़मींदार परशुराम दलवी की बेटियों और दामाद शुभांगी भोईर (38), संध्या पाटिल (35), सुरेंद्र भोईर (46) और मंगेश पाटिल (35) को भी हिरासत में ले लिया है। सभी पाँचों आरोपियों को शनिवार को वसई सत्र न्यायालय में पेश किया जाएगा।
जांचकर्ताओं के अनुसार, दलवी ने 2008 और 2011 के बीच डेवलपर साने के साथ इमारत के निर्माण के लिए एक समझौता किया था। 2020 में, नगर निगम ने मरम्मत की आवश्यकता का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया था। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह संरचना अवैध थी।
मंगलवार को एक इमारत ढहने से त्रासदी हुई, जिसमें 17 निवासियों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। जाँच लापरवाही, भूस्वामियों की जवाबदेही और अनधिकृत निर्माण में डेवलपर की भूमिका पर केंद्रित है।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने ड्रग पैडलर को किया गिरफ्तार, 30.595 किलो गांजा बरामद

नई दिल्ली, 30 अगस्त। पूर्वी जिले की पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ड्रग पैडलर को 30.595 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस ने गुरुवार को आईएसबीटी आनंद विहार के पास चेकिंग के दौरान यह सफलता हासिल की। आरोपी की पहचान विवेक कुमार उर्फ किट्टू (19), निवासी जिला पटना, बिहार के रूप में हुई है।
पुलिस के अनुसार, एचसी अजय कुमार और कांस्टेबल रवि क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक युवक को चार बैग लिए हुए संदिग्ध अवस्था में देखा। पुलिस टीम को देखकर वह घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसे तुरंत पकड़ लिया गया। जब बैगों की जांच की गई तो उनमें पैक किया गया गांजा मिला।
पकड़े गए आरोपी विवेक ने पूछताछ में बताया कि यह गांजा उसे उसके गांव के ही सुरंजन कुमार यादव ने दिया था, जिसे दिल्ली के मोती नगर और रघुवीर नगर में सप्लाई करना था। आरोपी पिछले एक साल से गांजा सप्लाई के धंधे में शामिल था। उसने अब तक 9–10 बार बिहार से दिल्ली तक खेप पहुंचाई। डिलीवरी की पूरी प्लानिंग व्हाट्सएप कॉल्स और लोकेशन शेयरिंग के जरिए की जाती थी। हर खेप लाने पर उसे 10 से 20 हजार रुपए मिलते थे। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आरोपी ने बताया कि अक्सर उसके साथ उसका नाबालिग साथी शिव शंकर भी रहता था, ताकि संदेह कम हो। घटना के दिन भी वह साथ था, लेकिन विवेक की गिरफ्तारी से पहले ही फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है।
विवेक कुमार उर्फ किट्टू, 19 वर्षीय युवक, बिहार के पटना जिले के बाढ़ थाना क्षेत्र के गांव सिकंदरा धनवान का निवासी है। वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है, जहां उसके पिता किसान हैं। परिवार में मां, चार बहनें और एक भाई हैं। विवेक की शिक्षा केवल छठी कक्षा तक सीमित रही, जिसके बाद उसने मजदूरी शुरू की। हालांकि, बाद में वह नशा तस्करी के गैरकानूनी धंधे में शामिल हो गया। पुलिस ने उसके कब्जे से कुल 30.595 किलोग्राम गांजा बरामद किया है।
पुलिस ने आगे बताया कि आरोपी विवेक के जरिए पूरे सप्लाई नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है। सप्लायर सुरंजन यादव और दिल्ली में गांजा रिसीव करने वाले लोगों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने साफ किया कि नशा तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
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