राजनीति
पिछले 20 महीनों में 60 ड्रोन देखे जाने की सूचना : पंजाब डीजीपी
												पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिनकर गुप्ता ने साक्ष्य-आधारित और सक्रिय पुलिसिंग की जरूरत पर जोर देते हुए मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर ड्रोन अभियानों का मुकाबला करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। गुप्ता ने कहा, सितंबर 2019 में हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग पहली बार अमृतसर में देखा गया था और तब से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए ऐसी फ्लाइंग मशीन और डिलीवरी प्लेटफॉर्म का अक्सर उपयोग किया जा रहा है। अब ड्रोन के उपयोग से जम्मू में आतंकवादी हमला देखने को मिला है, जो कि प्रमुख सुरक्षा चिंता बन चुका है।
उन्होंने कहा कि पिछले 20 महीनों में बीएसएफ, पंजाब पुलिस और राज्य के लोगों द्वारा 60 से अधिक ड्रोन देखे जाने की सूचना मिली है।
डीजीपी गुप्ता गुरदासपुर और पठानकोट जिलों में तैनात बीएसएफ और पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए गुरदासपुर में बोल रहे थे।
विशेष रूप से रविवार को एक ड्रोन के माध्यम से जम्मू में भारतीय वायु सेना के अड्डे पर हमले के मद्देनजर, सीमावर्ती जिलों में डीजीपी की अध्यक्षता में यह दूसरी उच्च स्तरीय बैठक है।
एडीजीपी (आंतरिक सुरक्षा) आर. एन. ढोके, आईजी, बॉर्डर रेंज एस. पी. एस. परमार और डीआईजी बीएसएफ प्रभाकर जोशी समेत करीब आठ बीएसएफ कमांडेंट बैठक में मौजूद रहे।
बीएसएफ और पंजाब पुलिस के बीच पूर्ण तालमेल और टीम वर्क का आह्वान करते हुए, डीजीपी गुप्ता ने कहा कि यह समय आ गया है कि दोनों सुरक्षा बलों (बीएसएफ और पुलिस) को एक टीम के रूप में काम करना चाहिए और वास्तविक समय की जानकारी एकत्र करके और साझा करके अच्छी पुरानी मानव खुफिया जानकारी एकत्र करना सक्रिय करना चाहिए।
उन्होंने बीएसएफ अधिकारियों से कहा कि वे राज्य पुलिस के साथ संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों के बारे में क्षेत्रवार जानकारी साझा करें, ताकि वे उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख सकें और किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल पाए जाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित कर सकें।
डीजीपी ने गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट के एसएसपी को सीमावर्ती गांवों की सूची बनाने और हर गांव में पुलिस, जनता और गैर सरकारी संगठनों के बीच घनिष्ठ सहयोग सुनिश्चित करके एक मजबूत खुफिया नेटवर्क विकसित करने का निर्देश दिया, ताकि वे पुलिस को तुरंत किसी भी आपराधिक गतिविधि के बारे में सूचित कर सकें।
उन्होंने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में विशेष रूप से रात में पुलिस चौकियों को बढ़ाने और प्रत्येक नाके पर अधिक से अधिक वाहनों की जांच सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए, जिससे आतंकवादी और आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने सलाह दी कि सभी नाकों को इस तरह से सिंक्रोनाइज किया जाना चाहिए कि वे एक ही कॉल पर तुरंत सक्रिय हो जाएं।
डीजीपी ने एसएसपी को एनडीपीएस एक्ट, आर्म्स एक्ट और यूएपीए में सभी घोषित अपराधियों, बेल जंपर्स (जमानत पर छूटने के बाद फरार) और अन्य फरार लोगों को सूचीबद्ध करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को ड्रग्स रिकवरी में तेजी लाने के निर्देश भी दिए।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
गनपाउडर प्लॉट: जब तहखाने से बरामद हुआ ‘बारूद’ और हुआ एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश

नई दिल्ली, 4 नवंबर: ‘गनपाउडर प्लॉट’ ब्रिटेन के इतिहास का ऐसा अध्याय है जो अगर सफल होता तो संसद धूल में मिल गई होती। ये घटना 1605 की है। 5 नवंबर की सुबह लंदन की सर्द हवा में एक साजिश की बू थी। ब्रिटिश संसद के तहखाने से अचानक 36 बैरल बारूद बरामद हुए और उसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास की दिशा बदल गई। यह था गनपाउडर प्लॉट, यानी “बारूद की साजिश”-एक ऐसा प्रयास जिसने इंग्लैंड के राजा, सरकार और कैथोलिक धर्म के संबंधों को हमेशा के लिए बदल दिया।
यह षड्यंत्र किंग जेम्स प्रथम के खिलाफ रची गई थी। उस दौर में इंग्लैंड में कैथोलिक्स पर अत्याचार हो रहे थे और देश पर प्रोटेस्टेंट शासन था। कई कैथोलिक गुट यह मानते थे कि अगर संसद को उड़ा दिया जाए और राजा की हत्या हो जाए, तो देश में दोबारा उनका शासन लौट सकता है। इस योजना का नेतृत्व रॉबर्ट केट्सबी ने किया था, जबकि जिस नाम ने इतिहास में जगह बनाई वह था ‘गाइ फॉक्स’ , जो बारूदों की रखवाली करने वाला सैनिक था।
4 नवंबर की रात, फॉक्स संसद के नीचे स्थित तहखाने में तैयारियों में लगा था। लेकिन गुप्त सूचना मिलने पर वहां छापा पड़ा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने साथियों के नाम बताए, और जल्द ही पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। अगर यह साजिश सफल होती, तो उस दिन इंग्लैंड की संसद, राजा और अभिजात वर्ग सब खत्म हो सकते थे।
फॉक्स और उसके साथियों को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी गई। लेकिन उनकी असफलता ने ब्रिटेन को एक प्रतीक दे दिया — हर 5 नवंबर को बोनफायर नाइट या गाई फॉक्स नाइट के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आतिशबाजी करते हैं और “रिमेम्बर, रिमेम्बर द फिफ्थ ऑफ नवंबर…” की पंक्तियां गाते हैं। यह न केवल उस साजिश की याद है, बल्कि सत्ता, धर्म और विद्रोह के उस संघर्ष की भी याद दिलाती है जिसने इंग्लैंड के राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।
राष्ट्रीय समाचार
एक नए युग में प्रवेश कर रही भारत की ऊर्जा-यात्रा : हरदीप सिंह पुरी

HARDIP
नई दिल्ली, 4 नवंबर: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि भारत की ऊर्जा यात्रा एक नए युग में प्रवेश कर रही है।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में लिखा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में मिशन अन्वेषण भारत के इतिहास में एक सबसे बड़ा सिस्मिक मैपिंग प्रोग्राम बन गया है, जिसे बीते वर्ष अक्टूबर में 792 करोड़ रुपए के निवेश से लॉन्च किया गया था।”
उन्होंने एक वीडियो शेयर कर जानकारी दी कि कई दशकों से हम अपनी अधिकतर जरूरतों के लिए ऑयल और गैस पर निर्भर रहे हैं। यहां तक कि आज भी इनसे हमारी ऊर्जा की 80 प्रतिशत जरूरत पूरी हो रही है।
उन्होंने बताया कि दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में हमारी मांग समय के साथ लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसी के साथ अनुमान है कि अगले दो दशकों में ग्लोबल एनर्जी डिमांड ग्रोथ में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की ओर से दर्ज की जाएगी और इस फ्यूचर के निर्माण के लिए ही भारत अपने आंतरिक बदलावों पर ध्यान दे रहा है।
हम अपनी ही जमीन और समुद्र के नीचे छिपी दौलत की ओर ध्यान दे रहे हैं और यही मिशन अन्वेषण की भावना है।
इस मिशन को लेकर आगे जानकारी देते हुए वीडियो में बताया गया है कि मिशन का उद्देश्य देश भर में 20 हजार ग्राउंड लाइन किलोमीटर्स से अधिक की मैपिंग करना है।
उन्होंने मिशन की प्रगति को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक कुल 8000 ग्राउंड-लाइन किलोमीटर्स का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
वीडियो में दी गई जानकारी के अनुसार, राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर कृष्णा-गोदावरी बेसिन की गहराइयों तक सात सेडिमेंट्री बेसिन की सबसे एडवांस्ड सिस्मिक टेक्नोलॉजी से स्टडी की जा रही है। इसी के साथ हमारे अंडरग्राउंड रिजर्व की कहानी कैप्चर, प्रोसेस और इंटरप्रेट की जा रही है।
केंद्रीय मंत्री पुरी के अनुसार, नए ऑयल और गैस फील्ड्स को खोजने, घरेलू उत्पादन को मजबूत बनाने, महंगे आयात पर से निर्भरता कम करने और भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के साथ हमारा लक्ष्य स्पष्ट और शक्तिशाली है।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली दंगा: मुझपर UAPA के तहत कोई केस नहीं बनता, शिफा उर रहमान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

नई दिल्ली: दिल्ली दंगे मामले में आरोपी व एक्टिविस्ट शिफ़ा उर रहमान ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें ‘चुनकर फंसाया गया’ है और उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कोई अपराध नहीं बनता। उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और रहमान पर यूएपीए और पुराने आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
आरोपियों पर ये है आरोप
इस मामले में पुलिस का आरोप है कि वे फरवरी 2020 के दंंगों के ‘मास्टरमाइंड’ थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक घायल हुए थे। यह हिंसा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।
किसी भी गवाह ने नहीं की यह बात
रहमान की ओर से पेश सीनियर वकील सलमान खुर्शीद ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की बेंच से कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में रहमान की भूमिका में किसी भी गवाह ने यह नहीं कहा कि वह हिंसा में शामिल थे।
वकील ने कोर्ट में दी दलील
वकील ने कहा कि नागरिकों को उस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने का अधिकार है, जिससे वे असहमत है, और शांतिपूर्ण विरोध को अपराधी आचरण के समान नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, ‘उन्हें चुन-चुन कर आरोपी बनाया गया है।
यूएपीए के तहत नहीं साबित होता आरोप
यूएपीए के तहत कोई आरोप साबित नहीं होता, भले ही हम सभी आरोपों को सही मान लें। उन्होंने मुकदमे में कोई देरी नहीं की। कृपया उनका बैकग्राउंड देखा जाए। उन्होंने स्थानीय निकायों के लिए काम किया है, और जामिया को अपना घर मानते हैं।
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