राजनीति
मुख्यमंत्री बोले चालू रहेंगी औद्योगिक इकाईयां, एचएएल के सहयोग से एक और बनेगा कोविड अस्पताल
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संक्रमण के कारण शनिवार को रात आठ बजे से राज्य में होंने वाले कर्फ्यू के दौरान औद्योगिक इकाईया चालू रहने के अलावा अन्य कई निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी शनिवार को टीम 11 के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद अधिकारियों को लॉकडाउन के साथ ही 35 घंटे के कर्फ्यू को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं। अलग-अलग स्थानों पर अति शीघ्र 10 नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इस कार्य में डीआरडीओ का सहयोग मिल रहा है। 10 नवीन ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के संबंध में स्थान का चिन्हांकन कर आज से ही युद्धस्तर पर कार्यवाही प्रारंभ कर दी जाए। स्वास्थ्य मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य इस पूरी कार्यवाही पर सीधी नजर रखेंगे। उन्होंने बताया कि लखनऊ स्थित अवध शिल्प ग्राम में एचएएल के सहयोग से एक नया सर्व सुविधायुक्त कोविड हॉस्पिटल तैयार किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग एचएएल से समन्वय स्थापित कर इस अतिमहत्वपूर्ण कार्य को तत्काल क्रियाशील करें।
रविवार को घोषित साप्ताहिक बन्दी कोविड संक्रमण के प्रसार को न्यूनतम रखने के लिए लागू किया जा रहा है। सभी जनपदों में इसे प्रभावी बनाया जाए। इस अवधि में पूर्व निर्धारित परीक्षाएं हो सकेंगी। अभ्यर्थी प्रवेश पत्र दिखाकर आवागमन कर सकेंगे। सार्वजनिक परिवहन आधी क्षमता के साथ संचालित किए जाएं। साप्ताहिक बन्दी के दौरान औद्योगिक इकाइयों को बन्दी से छूट होगी।
सरकारी अस्पतालों में, इमरजेंसी सेवाओं तथा आवश्यक सेवाओं को छोड़कर, जनरल ओपीडी का संचालन स्थगित किया जाए। टेलीमेडिसिन को प्रोत्साहित किया जाए, ई-संजीवनी एप का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। आवश्यकतानुसार अधिकाधिक लोग टेलीमेडिसिन का लाभ ले सकें, इस हेतु चिकित्सकों के नाम, विशेषज्ञता आदि के सम्बंध में विधिवत प्रचार-प्रसार कराया जाए।
साप्ताहिक बन्दी के दौरान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक सेवाएं एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति यथावत जारी रहेगी। इस अवधि में स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन का वृहद अभियान चलाया जाए। पंचायत सामान्य निर्वाचन-2021 के मतदान के लिए पोलिंग पार्टियों की रवानगी का कार्य संचालित होता रहेगा।
साप्ताहिक बन्दी के दौरान शादी-विवाह आदि के पूर्व निर्धारित कार्य कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए सम्पन्न होंगे। बंद हॉल में अधिकतम 50 एवं खुले मैदान पर होने वाले आयोजनों में अधिकतम 100 लोग ही उपस्थित हो सकते हैं। इस आदेश का सख्ती से पालन कराया जाए।
उन्हांेने कहा कि सभी जनपदों के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की अनवरत आपूर्ति बनी रहे। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन की सुचारु आपूर्ति के संबंध में स्थापित कंट्रोल रूम 24़7 सक्रिय रहे। ऑक्सीजन उपलब्धता की दैनिक समीक्षा करें। प्रत्येक जनपद में चिकित्सा कर्मियों, कोविड बेड, दवाओं, मेडिकल उपकरणों तथा ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता हमेशा बनी रहे। एम्बुलेंस सेवाओं का सुचारु संचालन सुनिश्चित हो। किसी प्रकार की आवश्यकता पर शासन को अवगत कराएं।
कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग रेमिडीसीवीर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करें। सभी अस्पतालों में अगले 36 घंटों के लिए अनुमानित ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। रेमिडीसीवीर सहित किसी भी प्रकार की जीवनरक्षक दवाओं की कोई कमी नहीं है। सभी जिलों में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित रखी जाए। इस कार्य में किसी प्रकार की शिथिलता स्वीकार्य नहीं है। राज्य मंत्री अतुल गर्ग इस कार्य की सतत मॉनिटरिंग करेंगे।
निजी मेडिकल कॉलेजों में जहां ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी के कारण आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, ऐसे संस्थानों को राज्य सरकार द्वारा सिलेंडर उपलब्ध कराया जाएगा। डीजी मेडिकल एजुकेशन इस व्यवस्था को सुनिश्चित करेंगे।
योगी ने कहा कि कोविड विभीषिका के बीच भी किसान हितों को सुनिश्चित करते हुए अब तक 29 लाख 50 हजार क्विंटल गेहूं क्रय किया जा चुका है। क्रय केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। कृषि उत्पादन आयुक्त इसकी सतत मॉनिटरिंग करेंगे। किसानों के भुगतान में विलंब न हो। लखनऊ स्थित इंटीग्रेटेड कंट्रोल एन्ड कमांड सेंटर अपनी कार्यशैली में सुधार की आवश्यकता है। संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि यह सेंटर जनता के लिए उपयोगी हो, अन्यथा की दशा में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने सभी अधिकृत निजी एवं सरकारी प्रयोगशालाओं में कोविड टेस्ट का कार्य पूरी क्षमता से किया जाए। कल निजी प्रयोगशालाओं में 19 हजार से अधिक टेस्ट किये गए। कोविड टेस्ट के लिए निजी प्रयोगशालाओं का पूरा प्रयोग किया जाए। सरकारी स्तर पर एकत्रित सैम्पल निजी प्रयोगशालाओं को भेजा जाए। जिला प्रशासन क्वालिटी कंट्रोल सुनिश्चित करें।
महाराष्ट्र
दलवाई का शिवसेना पर निशाना: “मराठी मुद्दा छोड़ हिंदुत्व अपनाना सबसे बड़ी गलती”
कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने शिवसेना पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि मराठी मानुस के मुद्दे को छोड़कर हिंदुत्व को अपनाना शिवसेना की सबसे बड़ी गलती थी। दलवाई के अनुसार, इस गलती के कारण महाराष्ट्र पर संकट आया और मुंबई का गुजरातीकरण तेजी से हुआ। उन्होंने शिवसेना को मराठी मुद्दा दोबारा उठाने की सलाह दी है।
उन्होंने कहा कि शिवसेना की स्थापना के समय महाराष्ट्र और मराठी लोगों का मुद्दा प्राथमिकता में था। लेकिन बाद में शिवसेना ने हिंदुत्व को अपनाकर भाजपा से गठबंधन किया और सत्ता हासिल की। दलवाई का मानना है कि इस कदम से भाजपा को फायदा हुआ और शिवसेना अपने मूल सिद्धांत से भटक गई।
महाविकास अघाड़ी के गठन के दौरान शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद सरकार गिर गई और शिवसेना दो गुटों में बंट गई। दलवाई के इस बयान के बाद महाविकास अघाड़ी में तनाव बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
दलवाई के बयान ने राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। शिवसेना को अपनी पुरानी पहचान वापस लाने की सलाह सही है या नहीं, इस पर नेताओं और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय सामने आ रही है।
राष्ट्रीय समाचार
नगर निगम चुनाव के लिए राकांपा की रणनीति पर असमंजस: वळसे पाटील और प्रफुल्ल पटेल के विरोधाभासी बयान
संवाददाता : शिर्डी में राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के अजित पवार गुट का दो दिवसीय चिंतन शिविर शुरू होने से पहले, पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप वळसे पाटील और प्रफुल्ल पटेल ने नगर निगम चुनावों को लेकर परस्पर विरोधी बयान दिए। इन बयानों ने पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मीडिया से बात करते हुए दिलीप वळसे पाटील ने कहा, “अगर गठबंधन होता है तो ठीक है, अन्यथा राकांपा अकेले चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी गठबंधन पर पूरी तरह आश्रित नहीं है।
वहीं दूसरी ओर, प्रफुल्ल पटेल ने गठबंधन की ओर झुकाव दिखाते हुए कहा, “जहां भी संभव हो, वहां महागठबंधन के रूप में चुनाव लड़ने की हमारी तैयारी है।” पटेल के इस बयान ने पार्टी की चुनावी रणनीति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
इन विरोधाभासी बयानों से राकांपा के अजित पवार गुट में चुनावी रणनीति को लेकर मतभेद होने के संकेत मिल रहे हैं। इससे कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस का माहौल बन गया है।
नगर निगम चुनावों के लिए महागठबंधन पर विचार फिलहाल ठोस रूप नहीं ले सका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राकांपा आगामी चुनावों में गठबंधन के साथ जाती है या स्वबल पर। पार्टी के इस रुख पर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
राष्ट्रीय समाचार
भास्कर जाधव का ठाकरे गुट को झटका? शिंदे गुट में शामिल होने की अटकलें तेज
मुंबई प्रतिनिधि : शिवसेना ठाकरे गुट के आक्रमक नेता और कोकण से एकमात्र विधायक भास्कर जाधव के शिवसेना ठाकरे गुट को छोड़ने और शिंदे गुट में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। महाविकास आघाड़ी को विधानसभा चुनावों में मिली असफलता के बाद, भास्कर जाधव ने ठाकरे गुट के नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष रूप से नाराजगी जाहिर की थी।
हाल ही में, जाधव ने कहा था, “शिवसेना ठाकरे गुट अब लगभग कांग्रेस बन चुका है,” और इस बयान के जरिए उन्होंने उद्धव ठाकरे को एक तीखा संदेश दिया था। उनके इस बयान के बाद ठाकरे गुट के भीतर असंतोष और उभरकर सामने आया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कोकण क्षेत्र में ठाकरे गुट को भास्कर जाधव के कारण बड़ा झटका लग सकता है।
शिंदे गुट का दावा: जल्द होगा बड़ा प्रवेश
शिंदे गुट के नेता और मंत्री उदय सामंत ने इस संदर्भ में बड़ा बयान देते हुए कहा, “ठाकरे गुट से अगले 8 दिनों में शिंदे गुट में बड़ा प्रवेश होगा।” सामंत ने यह भी कहा, “24 जनवरी तक राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। रत्नागिरी में ठाकरे गुट की स्थिति कांग्रेस जैसी कमजोर हो गई है, और अब उनके नेता शिंदे गुट में शामिल हो रहे हैं।”
क्या भास्कर जाधव शिंदे गुट में जाएंगे?
भास्कर जाधव के बारे में पूछे जाने पर उदय सामंत ने कहा, “जाधव ने खुद ठाकरे गुट को कांग्रेस जैसा बताया था। अगर वे शिंदे गुट में आते हैं, तो यह बाला साहेब ठाकरे के विचारों की विरासत को मजबूत करेगा। उनका मार्गदर्शन हमारे लिए बहुत लाभदायक होगा।” सामंत के इस बयान ने भास्कर जाधव की राजनीतिक गतिविधियों को और भी चर्चा में ला दिया है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
भास्कर जाधव की हालिया गतिविधियों से संकेत मिलते हैं कि वे ठाकरे गुट से असंतुष्ट हैं। शिवसेना ठाकरे गुट के अन्य नेताओं में भी नेतृत्व को लेकर असंतोष देखा जा रहा है। अगर जाधव शिंदे गुट में शामिल होते हैं, तो इसका कोकण क्षेत्र की राजनीति और शिवसेना ठाकरे गुट के संगठनात्मक ढांचे पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
भास्कर जाधव का अगला कदम महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनाने का काम कर सकता है, और इस पर पूरे राज्य की नजरें टिकी हुई हैं।
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