राजनीति
केंद्रीय मंत्री ने कलकत्ता पोर्ट की सुनाई सक्सेस स्टोरी, पोर्ट बिल पर सवालों का दिया जवाब
देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को स्वायत्ता प्रदान कर उनकी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए लाए गए द मेजर पोर्ट अथॉरिटी बिल (महापत्तन प्राधिकरण विधेयक) पर बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान उठे सभी सवालों का केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मांडविया ने जवाब दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर सेक्टर में सुधार होने चाहिए और इसे निजीकरण से नहीं जोड़ना चाहिए। इस बिल से देश के प्रमुख बंदरगाहों की हालत सुधरेगी। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कलकत्ता पोर्ट की सक्सेस स्टोरी भी बताई। केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सवाल उठाते हुए कहा कि केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने क्या अपने पोर्ट को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र को नहीं दिया? सिर्फ मोदी सरकार अगर कुछ सुधार कर रही है तो फिर सवाल क्यों खड़े किए जा रहे है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि वर्ष 1995 से देश में पीपीपी मोड का इंपलीमेंटेशन शुरू हुआ, तब हमारी सरकार नहीं थी। सार्वजनिक सेक्टर में पीपीई आपरेटर आए। लेकिन, क्या पोर्ट को अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए अधिकार देना चाहिए। पीपीई आपरेटर पोर्ट के बीच विवाद सुलझाने के लिए कोई सिस्टम भी होना चाहिए।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने पीपीई मॉडल से कलकत्ता पोर्ट के घाटे से मुनाफे में पहुंचने का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, जब नितिन गडकरी हमारे सीनियर मंत्री थे, तब कलकत्ता के लेबर यूनियन के लोग आकर मिले और बोले कि पोर्ट बंद होने की आशंका है, पेंशन मिलनी मुश्किल है। पोर्ट को बचा लीजिए। तब पीपीपी मॉडल से हमने उसे फिर से विकसित करने की शुरूआत की।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि आज कलकत्ता एयरपोर्ट के सभी कर्मचारियों और पेंशनर्स की लायबिलिटी हमने खत्म कर दी है। जो कलकत्ता पोर्ट घाटा में चल रहा था, वह मुनाफे में पहुंच गया। यह पीपीपी मॉडल के कारण हुआ। मनसुख मांडविया ने कहा कि जब डेवलपमेंट की बात आए तो प्राइवेटाजेशन पर हल्ला नहीं मचाना चाहिए। हमने स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए लेबर यूनियन के साथ भी कंसल्टेशन किया है। बिल से जुड़ीं सभी औपचारिकताओं को पूरा किया है।
महाराष्ट्र
मुंबई की यातायात समस्या गंभीर, उत्तरभारती राज ठाकरे के निशाने पर

RAJ THACKERAY
मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर सरकार की आलोचना की और कहा कि शहरी नक्सलवाद की बजाय शहरी व्यवस्था बहुत जरूरी है क्योंकि मुंबई, ठाणे, नासिक समेत सभी शहरों में ट्रैफिक की समस्या बेहद चिंताजनक है। पहले जहां 50 लोग रहते थे, अब यहां 500 लोग रहते हैं। ट्रैफिक की समस्या बेहद गंभीर हो गई है। नो पार्किंग और पार्किंग की समस्या ऐसी है कि कोई कहीं भी गाड़ी पार्क कर देता है, पार्किंग का कोई प्रबंध नहीं है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के दौरान राज ठाकरे ने नगर नियोजन और पार्किंग समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की और एक खाका भी पेश किया। इसके बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि मुंबई समेत अन्य शहरों में बाहरी लोग भी रहते हैं और उन्हें शहर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे कहीं भी अपनी गाड़ियां पार्क कर देते हैं। ये बाहरी लोग अक्सर रिक्शा, टैक्सी और कार चलाते हैं इसके साथ ही राज ठाकरे ने एक डायग्राम भी जारी किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि फुटपाथ पर पेंट और साइन के ज़रिए पार्किंग और नो-पार्किंग की पहचान कैसे की जा सकती है।
साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि शहर में कई छोटे-छोटे मैदान हैं, इन मैदानों में भी अंडरग्राउंड पार्किंग की व्यवस्था की जा सकती है। इससे मैदान बचेंगे और पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। राज ठाकरे ने एक बार फिर बाहरी लोगों यानी उत्तर भारत के निवासियों की आलोचना की और कहा कि प्रयागराज की आबादी 40 लाख है, ऐसे में अगर यहाँ से कुछ लोग शहरों में जाते हैं तो इससे यहाँ के शहरों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि हमारे पास डीपी तो है लेकिन टीपी यानी टाउन प्लानिंग नहीं है, यह बहुत दुखद है, सरकार को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि शहरों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें कई अवैध निर्माण भी शामिल हैं। धारावी की ज़मीन अडानी को विकास परियोजनाओं के लिए दे दी गई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ पुल और मेट्रो से शहर की ट्रैफ़िक और दूसरी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, इसके लिए वाहनों को नियंत्रित करने पर ध्यान देने की ज़रूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि दूसरे राज्यों का विकास होना चाहिए और प्रवासियों को नियंत्रित किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर सरकार की आलोचना की और कहा कि शहरी नक्सलवाद की बजाय शहरी व्यवस्था बहुत जरूरी है क्योंकि मुंबई, ठाणे, नासिक समेत सभी शहरों में ट्रैफिक की समस्या बेहद चिंताजनक है। पहले जहां 50 लोग रहते थे, अब यहां 500 लोग रहते हैं। ट्रैफिक की समस्या बेहद गंभीर हो गई है। नो पार्किंग और पार्किंग की समस्या ऐसी है कि कोई कहीं भी गाड़ी पार्क कर देता है, पार्किंग का कोई प्रबंध नहीं है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के दौरान राज ठाकरे ने नगर नियोजन और पार्किंग समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की और एक खाका भी पेश किया। इसके बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि मुंबई समेत अन्य शहरों में बाहरी लोग भी रहते हैं और उन्हें शहर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे कहीं भी अपनी गाड़ियां पार्क कर देते हैं। ये बाहरी लोग अक्सर रिक्शा, टैक्सी और कार चलाते हैं इसके साथ ही राज ठाकरे ने एक डायग्राम भी जारी किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि फुटपाथ पर पेंट और साइन के ज़रिए पार्किंग और नो-पार्किंग की पहचान कैसे की जा सकती है। साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि शहर में कई छोटे-छोटे मैदान हैं, इन मैदानों में भी अंडरग्राउंड पार्किंग की व्यवस्था की जा सकती है। इससे मैदान बचेंगे और पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। राज ठाकरे ने एक बार फिर बाहरी लोगों यानी उत्तर भारत के निवासियों की आलोचना की और कहा कि प्रयागराज की आबादी 40 लाख है, ऐसे में अगर यहाँ से कुछ लोग शहरों में जाते हैं तो इससे यहाँ के शहरों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि हमारे पास डीपी तो है लेकिन टीपी यानी टाउन प्लानिंग नहीं है, यह बहुत दुखद है, सरकार को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि शहरों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें कई अवैध निर्माण भी शामिल हैं। धारावी की ज़मीन अडानी को विकास परियोजनाओं के लिए दे दी गई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ पुल और मेट्रो से शहर की ट्रैफ़िक और दूसरी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, इसके लिए वाहनों को नियंत्रित करने पर ध्यान देने की ज़रूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि दूसरे राज्यों का विकास होना चाहिए और प्रवासियों को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति: बेस्ट क्रेडिट सोसाइटी चुनाव में हार के एक दिन बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मुंबई में सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में गुरुवार को एक चौंकाने वाला घटनाक्रम देखने को मिला जब राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया। राज ठाकरे अपने विश्वस्त सहयोगी और पूर्व मंत्री बाला नंदगांवकर के साथ मुंबई के मालाबार हिल स्थित मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास वर्षा गए।
ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस के साथ एक बैठक की, जो कथित तौर पर लगभग 45 मिनट तक चली। इस बैठक के समय ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यह बैठक राज और उद्धव ठाकरे के पहले संयुक्त चुनावी अभियान के पूरी तरह से विफल होने के ठीक एक दिन बाद हुई है।
मंगलवार देर रात, 2025 बेस्ट एम्प्लॉइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी के चुनावों के नतीजे घोषित हुए, जिससे ठाकरे बंधुओं को करारा झटका लगा। उत्कर्ष पैनल के नेतृत्व में लड़ा गया उनका बहुप्रचारित गठबंधन, दांव पर लगी 21 सीटों में से एक भी सीट हासिल नहीं कर पाया। यह सब तब हुआ जब ठाकरे परिवार का इस प्रभावशाली सोसाइटी पर नौ साल से दबदबा रहा है।
इसके ठीक उलट, शशांक राव के नेतृत्व वाले पैनल ने चुनावों में शानदार जीत हासिल की और 21 में से 14 सीटें जीत लीं। महायुति समर्थित सहकार समृद्धि समूह सिर्फ़ सात सीटें ही बचा पाया। रात भर चली मतगणना मंगलवार तड़के तक जारी रही, और आखिरकार एक ऐसे नतीजे की पुष्टि हुई जिसने मुंबई के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
इस नतीजे को राज और उद्धव ठाकरे दोनों के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त चुनाव के ज़रिए एकता और ताकत दिखाने की उनकी कोशिश ने, इसके बजाय, बेहद अहम बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों से पहले उनकी कमज़ोरियों को उजागर कर दिया है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इन नतीजों ने उनकी विश्वसनीयता को ठेस पहुँचाई है और नगर निगम चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ गंभीर चुनौती पेश करने की उनकी क्षमता पर संदेह पैदा किया है।
इस ड्रामे को और बढ़ाते हुए, भाजपा नेता प्रसाद लाड ने सोशल मीडिया पर ठाकरे बंधुओं का मज़ाक उड़ाने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। उन्होंने लिखा, “ब्रांड के मालिक एक भी सीट नहीं जीत पाए। हमने उन्हें उनकी जगह दिखा दी,” उन्होंने कभी मज़बूत रहे राजनीतिक परिवार पर सीधा तंज कसा।
इस पृष्ठभूमि में, राज ठाकरे की मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाक़ात ने अटकलों को और हवा दे दी है। हालाँकि दोनों पक्षों ने अभी तक बातचीत के एजेंडे या विवरण का खुलासा नहीं किया है, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थों को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है।
बीएमसी चुनावों के नज़दीक आते ही, विश्लेषक पहले से ही इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या यह मुलाक़ात राज की राजनीतिक रणनीति में बदलाव या भाजपा के साथ संबंधों में संभावित नरमी का संकेत है। इस बीच, उद्धव ठाकरे की ओर से अपने चचेरे भाई और मुख्यमंत्री के बीच हुई मुलाक़ात पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनीति
मानसून सत्र के अंतिम दिन भी लोकसभा-राज्यसभा में ही नहीं चल सका प्रश्नकाल

LOKSABHA
नई दिल्ली, 21 अगस्त। मानसून सत्र के अंतिम दिन भी संसद में हंगामा बरकरार रहा। गुरुवार को मौजूदा संसद सत्र का आखिरी दिन था हालांकि हंगामे के कारण सत्र के आखिरी दिन भी लोकसभा और राज्यसभा दोनों की ही कार्यवाही बाधित हुई।
राज्यसभा और लोकसभा दोनों में ही प्रश्नकाल नहीं चल सका और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। गौरतलब है कि प्रश्न काल के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद, सरकार के मंत्रियों से उनके विभाग संबंधी प्रश्न पूछते हैं। केंद्र के मंत्रियों द्वारा इन प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं।
प्रश्नों के लिखित उत्तर भी सदन में प्रस्तुत किए जाते हैं। हालांकि मौजूदा सत्र के अधिकांश कार्य दिवसों में प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया और सत्र के अंतिम दिन भी सदन में यही स्थिति रही। दरअसल विपक्ष संसद में मतदाता सूची खासतौर पर बिहार में चुनाव आयोग द्वारा करवाए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा चाहता है। लेकिन आसन से इसकी मंजूरी नहीं मिली है।
राज्यसभा के उपसभापति का कहना है कि अदालत में विचाराधीन विषयों पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं हैं। गुरुवार को राज्यसभा में ऐसा ही हंगामा देखने को मिला। हंगामे के कारण राज्यसभा में सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने के कुछ देर बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। दरअसल राज्यसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के कुछ ही देर उपरांत उप सभापति ने बताया कि उन्हें 4 अलग अलग विषयों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए गए हैं। ये सभी नोटिस नियम संख्या 267 के अंतर्गत दिए गए थे। उप सभापति ने बताया कि उन्हें दिए गए सभी नोटिसों में से कोई भी नोटिस नियमानुसार नहीं दिया गया है, इसलिए उन्होंने इन सभी नोटिसों को अस्वीकार कर दिया।
वहीं नोटिस अस्वीकार होने पर विपक्षी सांसद अपने स्थानों से उठकर नारेबाजी करने लगे। यह देखकर उप सभापति ने कहा कि आप नहीं चाहते कि शून्यकाल चले। आप शून्यकाल चलाना नहीं चाहते। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। उधर दूसरी ओर लोक सभा में तो सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सांसद बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे।
सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही विपक्षी सांसद अपनी इस मांग को लेकर अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए और एसआईआर पर चर्चा को लेकर नारेबाजी करने लगे। इस पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह इस सत्र का अंतिम दिन है, आप प्रश्नकाल नहीं चलने दे रहे हैं। इसके बाद उन्होंने हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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