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Thursday,22-May-2025
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बिहार चुनाव: प्रतिष्ठा की जंग लड़ रहे मांझी और चौधरी

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Jitan-Ram-Manjhi

बिहार विधानसभा चुनाव में गया जिले के नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है। इस क्षेत्र की लड़ाई मुख्यत: दो दिग्गजों — पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी तथा पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के बीच प्रतिष्ठा बचाने के रूप में देखी जा रही है।

इमामगंज की सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जहां मांझी को उम्मीदवार बनाया है वहीं महागठबंधन ने राजद के कद्दावर महादलित नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। इधर, लोकजनशक्ति पार्टी ने पूर्व विधायक रामस्वरूप पासवान की बहू (पतोहू) शोभा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

पिछले चुनाव में मांझी ने चौधरी को 29 हजार से अधिक मतों से पराजित कर उनके विजयरथ को रोक दिया था। चौैधरी इस चुनाव में मांझी से अपने पुराने हिसाब को बराबर करना चाहते हंै।

चैधरी के करीबी रिश्ते मांझी के मुकाबले उनके सामाजिक समीकरण को भारी बनाते हैं।

सड़क के किनारे ठेला लगाकर चना बेच रहे 50 वर्षीय रामकेवट कहते हैं, यहां कोई भी चुनाव लड़ने आ जाए परंतु हमलोग उदय नारायण चौधरी को ही वोट देंगे। वे लोगों के सुख-दुख मंे शामिल होते रहते हैं।

पिछले चुनाव में चौधरी को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन वे इमामगंज सीट से पांच बार चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं। वर्ष 1990 में जनता दल, वर्ष 2000 में समता पार्टी और फरवरी 2005, अक्टूबर-नवंबर 2005 और 2010 में जदयू के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।

करीब 2.50 लाख मतदाताओं की संख्या वाले इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में मतों की बहुलता की ²ष्टि से महादलित वोट सबसे अधिक है, इसके बाद अतिपिछड़ा व पिछड़ी जातियों के वोट हैं। अगड़ी जातियों का वोट यहां काफी कम है।

बांकेबाजार में रहने वाले युवा संतोष कुमार कहते हैं कि राजनीति की दिशा अब बदल गई है। उन्होंने कहा कि सड़क, पेयजल की बात करने वाली पार्टियों को रोजगार की भी बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा बेहतर कर ही देंगे, तो लोग रोजगार कहां से पाएंगें। उन्होंने कहा कि आखिर बिहार में विकास कहां है?

इधर, गया के एक स्कूल से सेवानिवृत्त होकर डुमरिया के रहने वाले शिक्षक उदयभान सिंह कहते हैं कि सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां हजारों एकड़ भूमि बेकार पड़ी रहती है। सही मायने में प्राइमरी से लेकर इंटर तक के सरकारी स्कूलों की दशा भी खराब है। दूसरी समस्या सड़क और रास्तों की है। पीने का पानी भी इस क्षेत्र की समस्या है।

गया के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल कादिर कहते हैं कि मांझी के लिए सभी बड़ी समस्या लोजपा प्रत्याशी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लोजपा प्रत्याशाी शोभा देवी के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला रोचक हो गया है। मांझी का दांगी व कुशवाहा जैसी जातियों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और मांझी मतदाताओं की संख्या भी 50 हजार से अधिक है, जो उनके पक्ष में है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि मांझी से लोगों की शिकायत भी है।

वे स्पष्ट कहते हैं, इस चुनाव में इमामगंज की सीट हॉट सीट है और चौधरी और मांझी में सीधी टक्कर है, लेकिन लोजपा प्रत्याशी इसे त्रिकोणात्मक बनाने में जुटी है। अगर संघर्ष त्रिकोणात्मक हुआ तो मांझी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बहरहाल, इमामागंज में पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को मतदान होना है। बिहार में 243 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होना है।

राजनीति

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र कर पीएम मोदी बोले, ‘22 अप्रैल का बदला 22 मिनट में लिया’

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बीकानेर, 22 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजस्थान के बीकानेर में एक सभा को संबोधित करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि हमने 22 अप्रैल का बदला 22 मिनट में ले लिया।

पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “22 अप्रैल के हमले के जवाब में हमने 22 मिनट में आतंकियों के 9 सबसे बड़े ठिकाने तबाह कर दिए। दुनिया ने और देश के दुश्मनों ने भी देख लिया है कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने तीनों सेनाओं को खुली छूट दी। तीनों सेनाओं ने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। राजस्थान की ये वीर धरा हमें सिखाती है कि देश और देशवासियों से बड़ा और कुछ नहीं है। 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हमारी बहनों की मांग का सिंदूर उजाड़ दिया था। वो गोलियां पहलगाम में चली थी, लेकिन उन गोलियों से 140 करोड़ देशवासियों का सीना छलनी हुआ था। इसके बाद हर देशवासी ने एकजुट होकर संकल्प लिया था कि आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देंगे। उन्हें कल्पना से भी बड़ी सजा देंगे। आज आपके आशीर्वाद से देश की सेना के शौर्य से हम सब उस प्रण पर खरे उतरे हैं।”

प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए तीन सूत्रों पर भी बात की। पीएम मोदी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद से निपटने के तीन सूत्र तय कर दिए हैं। पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो करारा जवाब मिलेगा। समय हमारी सेनाएं तय करेंगी, तरीका भी हमारी सेनाएं तय करेंगी और शर्तें भी हमारी होंगी। दूसरा- एटम बम की गीदड़ भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है। तीसरा- हम आतंक के आकाओं और आतंक की सरपरस्त सरकार को अलग-अलग नहीं देखेंगे, उन्हें एक ही मानेंगे। पाकिस्तान का ये खेल अब नहीं चलेगा।”

पीएम मोदी ने पाकिस्तान को भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अब भारत ने दो टूक साफ कर दिया है कि हर आतंकी हमले की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। ये कीमत पाकिस्तान की सेना और वहां की अर्थव्यवस्था चुकाएगी। पाकिस्तान ने अगर आतंकियों को एक्सपोर्ट करना जारी रखा तो उसको पाई-पाई के लिए मोहताज होना होगा। पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा। भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ये संयोग ही है कि 5 साल पहले जब बालाकोट में देश ने एयर स्ट्राइक की थी, उसके बाद मेरी पहली जनसभा राजस्थान में ही सीमा पर हुई थी। वीरभूमि का ही ये तप है कि ऐसा संयोग बन जाता है। अब इस बार जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ, तो उसके बाद मेरी पहली जनसभा फिर यहां बीकानेर में आप सभी के बीच हो रही है।

उन्होंने आगे कहा, “एयर स्ट्राइक के बाद मैं जब चुरू आया था, तो मैंने कहा था कि “सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।” आज मैं राजस्थान की धरती से देशवासियों से बड़ी नम्रता से कहना चाहता हूं कि जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया गया है। जो हिंदुस्तान का लहू बहाते थे, आज कतरे-कतरे का हिसाब चुकाया है। जो सोच चुके थे कि भारत चुप रहेगा, आज वो घरों में दुबके पड़े हैं। जो अपने हथियारों पर घमंड करते थे, आज वो मलबे के ढेर में दबे हुए हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये शोध-प्रतिशोध का खेल नहीं, ये न्याय का नया स्वरूप है। ये ‘ऑपरेशन सिंदूर’ है। ये सिर्फ आक्रोश नहीं है, ये समग्र भारत का रौद्र रूप है। ये भारत का नया स्वरूप है। पहले घर में घुसकर वार किया था, अब सीधा सीने पर प्रहार किया है। आतंक का फन कुचलने की यही नीति है, यही रीति है। यही भारत है, नया भारत है।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

‘नफरत और कट्टरता की अमेरिका में कोई जगह नहीं’, इजरायली कर्मियों की हत्या पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

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वाशिंगटन, 22 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात (अमेरिकी समयानुसार) वाशिंगटन में कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे यहूदी विरोधी कृत्य बताया है।

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, पीड़ित इजरायली दूतावास के एक पुरुष और एक महिला कर्मचारी हैं, जिनको अज्ञात हमलावर ने म्यूजियम से बाहर निकलते समय गोली मार दी।

अधिकारियों ने हत्या की पुष्टि की और इसे यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित अपराध मानकर एक बहु-एजेंसी जांच शुरू की।

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “डीसी में ये भयानक हत्याएं, जो स्पष्ट रूप से यहूदी-विरोधी हैं, इन्हें अब खत्म होना चाहिए। नफरत और कट्टरता का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। बहुत दुख की बात है कि ऐसी चीजें भी हो सकती हैं, भगवान आप सभी का भला करे।”

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हत्याओं की निंदा की और कहा, “यह कायराना, यहूदी-विरोधी हिंसा का एक निंदनीय कृत्य था। कोई गलती न करें, हम जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे और उन्हें न्याय के कटघरे में लाएंगे।”

इजरायल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी ने भी घटना पर गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने इसे “आतंक का भयानक कृत्य” बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी शूटिंग के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंची थीं।

संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डैनन ने इस घातक हमले को “यहूदी-विरोधी आतंकवाद का जघन्य कृत्य” करार दिया और कहा कि यहूदी समुदाय को नुकसान पहुंचाना खतरे के लाल निशान को पार करना है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा जताया और इजरायल की अपने नागरिकों व प्रतिनिधियों की वैश्विक स्तर पर रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

वाशिंगटन में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता ताल नैम कोहेन ने हत्याओं की निंदा की और कहा, “हमें स्थानीय और संघीय स्तर पर कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पूरा भरोसा है कि वे शूटर को पकड़ लेंगे और अमेरिका में इजरायल के प्रतिनिधियों और यहूदी समुदायों की रक्षा करेंगे।”

एफबीआई निदेशक काश पटेल ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है और वे मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं।”

उन्होंने कहा, “मेरी टीम और मुझे आज रात कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर और हमारे वाशिंगटन फील्ड ऑफिस के पास हुई शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है। हम एमपीडी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और अधिक जानकारी जुटा रहे हैं। अभी के लिए, कृपया पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करें। हम जनता को अपडेट करते रहेंगे।”

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अंतरराष्ट्रीय

नेतन्याहू ने दोहराया गाजा पर पूर्ण कब्जे का इरादा, ट्रंप से मतभेद की खबरों को बताया बेबुनियाद

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यरूशलम, 22 मई। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को गाजा पर पूरी तरह से कब्जा करने के अपने इरादे को दोहराया और युद्ध समाप्ति के लिए किसी भी प्रकार के समझौते की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि “गाजा में 20 बंधक अब भी जीवित हैं, जबकि 38 अन्य के मारे जाने की आशंका है।”

पश्चिम यरूशलम स्थित अपने कार्यालय में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने अपनी मंशा जाहिर की।

फिलिस्तीनी संगठन हमास ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह युद्ध समाप्ति, गाजा से इजरायली सेना की वापसी और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में इजरायली बंदियों को एकमुश्त रिहा करने के लिए तैयार है।

नेतन्याहू ने इन शर्तों को खारिज कर दिया है। इसके बजाय उन्होंने फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों के निरस्त्रीकरण की मांग की है और गाजा पर पूरी तरह से फिर से कब्जा करने पर जोर दिया है।

नेतन्याहू ने दावा किया कि एक बार ये लक्ष्य हासिल हो जाने के बाद, इजरायल तथाकथित ट्रंप योजना को लागू करने के लिए आगे बढ़ेगा -जिसे व्यापक रूप से गाजा से फिलिस्तीनियों के पुनर्वास की रूपरेखा के रूप में देखा जाता है।

नेतन्याहू ने ट्रंप की खाड़ी यात्रा के बाद अमेरिकी प्रशासन के साथ मतभेद की अटकलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें इजरायल को शामिल नहीं किया गया था।

ट्रंप की सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा ने कई बड़े व्यापारिक सौदे किए। इसे लेकर मीडिया में कई तरह की बातें उठीं। खासकर वाशिंगटन के सबसे करीबी सहयोगी इजरायल को शामिल न किए जाने को लेकर तमाम सवाल खड़े किए गए।

यह यात्रा ट्रंप के यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिकी बमबारी अभियान को समाप्त करने के निर्णय के बाद हुई।

नेतन्याहू, जिन्होंने पहले इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की थी, ने एक समाचार सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि: ” मैं इजरायल के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं।'”

इजरायल पर बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बीच, ट्रंप ने गाजा में युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने और मानवीय सहायता सामग्री की राह बाधित न करने का आग्रह किया था।

कुछ दिनों पहले एक अलग बातचीत में, नेतन्याहू ने कहा था कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने उनसे कहा था: “हमारे बीच पड़ रही दरार को लेकर उठ रही सभी फर्जी खबरों पर ध्यान न दें’।

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