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Sunday,14-September-2025
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चीन से बाहर निकलकर भारत आने वाली कंपनियों को मिलेगी सब्सिडी

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जापान ने भारत और अन्य क्षेत्रों में अपना आधार स्थानांतरित करने के लिए जापानी कंपनियों के लिए 22.1 डॉलर की चीन निकास सब्सिडी की घोषणा की है।

यानी जापानी सरकार ने चीन से बाहर निकलने के लिए जापानी कंपनियों को 22.1 करोड़ डॉलर की सब्सिडी या इन्सेंटिव देने का फैसला किया है, जिसका भारत को सीधा फायदा पहुंचने की संभावना है।

अप्रैल में कोरोनावायरस महामारी के बीच, निवर्तमान जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा था, जो चीन पर कम निर्भर हो, ताकि राष्ट्र आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) व्यवधानों से बच सके।

जुलाई के मध्य में जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय ने अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए जापान की विनिर्माण कंपनियों के पहले समूह को चीन से दक्षिण पूर्व एशिया या जापान में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए सब्सिडी देने की योजना का अनावरण किया था।

भारत-जापान शिखर सम्मेलन से आगे, जापान सरकार ने घोषणा की थी कि वह भारत और बांग्लादेश को चीन से बाहर जाने वाले जापानी निमार्ताओं के लिए सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आसियान देशों की सूची में शामिल करेगी।

यह कदम भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार एवं उद्योगों से जुड़े मंत्रियों के बीच हाल ही में एक वर्चुअल बैठक के बाद सामने आया है। इस बैठक में चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने में सहयोग करने पर सहमति बनी थी। दरअसल चीन इन तीनों देशों के साथ एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। चीन के पास बड़ी विनिर्माण इकाइयां होने के साथ ही वह निर्यात के मामले में भी कहीं बेहतर स्थिति में है। उसके इसी वर्चस्व को खत्म करने के लिए तीनों देश आगे आए हैं। एससीआरआई (सप्लाई चेन्स रेजिलिएशन इनिशिएटिव) का उद्देश्य चीन से दूर एक वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि हम विश्वसनीय, दीर्घकालिक आपूर्ति और उचित क्षमता का एक नेटवर्क बनाकर क्षेत्र में मूल्य श्रृंखलाओं को जोड़ने के लिए मुख्य मार्ग प्रदान कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मई 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा था कि यह समय की आवश्यकता है कि भारत को आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।

जापानी सरकार के अनुपूरक (सपलिमेंट्री) बजट ने उन व्यवसायों के लिए 22.1 करोड़ डॉलर की घोषणा की, जो चीन से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अपने उत्पादन को स्थानांतरित करना चाहते हैं।

देश के निर्माता अब पायलट कार्यक्रमों और व्यवहार्यता अध्ययन के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। जापानी सरकार का कार्यक्रम किसी भी आपात स्थिति में चिकित्सा आपूर्ति और बिजली के घटकों जैसे उत्पादों की एक स्थिर आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना है।

वर्तमान में, जापानी कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला चीन पर बहुत निर्भर करती है। कोविड-19 महामारी के दौरान यह मुद्दा सामने आया, जब चीन से आपूर्ति में कटौती की गई।

अनुप्रयोगों के दूसरे दौर में, परियोजनाएं आसियान-जापान आपूर्ति श्रृंखला में योगदान देंगी, यह मानते हुए कि भारत और बांग्लादेश में पुनर्वास होगा। सुविधाओं के प्रायोगिक परिचय के साथ विकेंद्रीकृत विनिर्माण योजनाओं पर व्यवहार्यता अध्ययन भी किया गया है।

सब्सिडी का पहला दौर, जिसे जुलाई में घोषित किया गया था, उसमें जापान ने अपने उत्पादन स्थलों को दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थानांतरित करने वाली 30 कंपनियों को लगभग 10 अरब येन प्रदान किया। अन्य 57 फर्मो को जापान में विनिर्माण सुविधाओं को स्थानांतरित करने के लिए भी समर्थन मिल रहा है।

इस फैसले का चीन पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। चीन से बड़ी औद्योगिक इकाइयां बाहर निकलने से उसकी उत्पादन क्षमता पर असर पड़ेगा ही साथ ही कम्युनिस्ट देश में बेरोजगारी भी बढ़ेगी और बड़े पैमाने पर नौकरियों का संकट खड़ा हो सकता है।

अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पहले से ही चीन में लगभग 20 लाख औद्योगिक नौकरियों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। वहीं भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच भारत में भी चीन विरोधी भावनाएं चरम पर हैं। चूंकि चीन के भारत से भी बड़े व्यापारिक हित जुड़े हुए हैं, उसे यहां से भी कई व्यापारिक मामलों में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं, जो कि आने वाले समय में और भी बढ़ सकते हैं।

दीर्घकालिक से मध्यम अवधि के दौरान चीन के उत्पादकता पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है।

व्यापार

भारतीय शेयर बाजार लगातार आठवें दिन तेजी के साथ बंद, सेंसेक्स 355 अंक उछला

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नई दिल्ली, 12 सितंबर। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लगातार आंठवें दिन तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी गई। सेंसेक्स 355.97 अंक या 0.44 प्रतिशत की बढ़त के साथ 81,904.70 और निफ्टी 108.50 अंक या 0.43 प्रतिशत की मजबूती के साथ 25,114 पर था।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 183.65 अंक या 0.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 58,227.20 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 114.70 अंक या 0.64 प्रतिशत की मजबूती के साथ 17,989.90 पर था।

बाजार को ऊपर खींचने का काम डिफेंस, मेटल और फाइनेंस शेयरों ने किया। निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स (4.38 प्रतिशत), निफ्टी मेटल (0.93 प्रतिशत), निफ्टी ऑटो (0.46 प्रतिशत), निफ्टी फाइनेंस सर्विस (0.70 प्रतिशत), निफ्टी फार्मा (0.53 प्रतिशत), निफ्टी प्राइवेट बैंक (0.41 प्रतिशत) और निफ्टी कमोडिटीज (0.41 प्रतिशत) की तेजी के साथ बंद हुआ।

निफ्टी पीएसयू (0.27 प्रतिशत), निफ्टी एफएमसीजी (0.71 प्रतिशत), निफ्टी मीडिया (0.39 प्रतिशत) और निफ्टी कंजप्शन (0.29 प्रतिशत) की कमजोरी के साथ बंद हुआ।

सेंसेक्स पैक में बीईएल, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी, इन्फोसिस, टीसीएस, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, पावर ग्रिड, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप गेनर्स थे। इटरलन (जोमैटो), एचयूएल, ट्रेंट, टाइटन, भारती एयरटेस, एशियन पेंट्स , आईटीसी, एमएंडएम, एचसीएल टेक, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई टॉप लूजर्स थे।

एक्सपर्ट के मुताबिक, अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना के कारण बाजार में तेजी बनी हुई है। यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल खरीदने पर भारत पर अमेरिकी टैरिफ प्रस्तावों को अस्वीकार करने की खबरों से धारणा में और सुधार हुआ। अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में प्रगति से भी निकट भविष्य में सकारात्मक गति बरकरार रहने की उम्मीद है। सत्र में रक्षा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया। इसकी वजह भारतीय खरीद अधिकारियों द्वारा अगली पीढ़ी की छह पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए बातचीत शुरू करने की रिपोर्ट्स का आना है।

भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुआ। सुबह 9.25 बजे तक, सेंसेक्स 114 अंक या 0.14 प्रतिशत बढ़कर 81,663 पर कारोबार कर रहा था और निफ्टी 39 अंक या 0.16 प्रतिशत बढ़कर 25,045 पर था।

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व्यापार

मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच मामूली बढ़त के साथ कारोबार कर रहे सेंसेक्स-निफ्टी

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मुंबई, 11 सितंबर। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में प्रगति और अन्य वैश्विक संकेतों के कारण गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी मामूली बढ़त में रहे।

सुबह 9.25 बजे तक, सेंसेक्स 85 अंक या 0.11 प्रतिशत बढ़कर 81,510 पर और निफ्टी 24 अंक या 0.09 प्रतिशत बढ़कर 24,997 पर कारोबार कर रहे थे।

ब्रॉडकैप सूचकांकों में बेंचमार्क सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन के साथ निफ्टी मिडकैप 100 में 0.16 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

निफ्टी पैक में एनटीपीसी, ओएनजीसी, टीसीएस और एसबीआई टॉप गेनर्स रहे। जबकि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, हीरो मोटरकॉर्प, डॉ रेड्डीज लैब्स, टेक महिंद्रा और ट्रेंट टॉप लूजर्स रहे।

सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी मीडिया 1.46 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था। निफ्टी पीएसयू बैंक 1.11 प्रतिशत और निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.91 प्रतिशत की तेजी में रहे। अन्य सभी सूचकांकों में मामूली बढ़त या गिरावट दर्ज की गई।

अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में उत्साहजनक प्रगति के कारण, निफ्टी ने बीते कारोबारी दिन लगातार छठे सत्र में अपनी तेजी जारी रखी।

मार्केट का सेंटीमेंट सतर्क और आशावादी बना हुआ है, हालांकि लगातार अस्थिरता और मिले-जुले वैश्विक संकेत निवेशकों के विश्वास पर दबाव बना रहे हैं।

विश्लेषकों ने कहा कि 25,160 से ऊपर एक निर्णायक कदम 25,340 की ओर रास्ता खोल सकता है, जबकि तत्काल समर्थन 24,950 और 24,850 के स्तर पर है।

एशिया-प्रशांत बाजारों में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं, जबकि निवेशकों ने चीन के अगस्त मुद्रास्फीति के आंकड़ों का भी आकलन किया। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में चीन में कंज्यूमर प्राइस में सालाना आधार पर 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

सुबह के सत्र में एशियाई बाजारों में शानदार बढ़त दर्ज की गई। चीन का शंघाई सूचकांक 0.92 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 2.32 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 0.99 प्रतिशत बढ़ा, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक 0.41 प्रतिशत की गिरावट में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.31 प्रतिशत की बढ़त में रहा।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 115.69 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 5,004.29 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

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राजनीति

‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करें : राष्ट्रपति मुर्मू

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नई दिल्ली, 8 सितंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को निर्यातकों से अपील करते हुए कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करें। साथ ही, वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके अवसरों में बदलने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय राजधानी में इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) के प्लेटिनम जयंती समारोह में संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा,”प्राचीन काल में भारत ने अध्यात्म और व्यापार दोनों में विश्व का नेतृत्व किया था। भारत को एक बार फिर ज्ञान और व्यापार का अग्रणी केंद्र बनाना सभी नागरिकों का संकल्प होना चाहिए। आर्थिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हितधारक होने के नाते ईईपीसी को यह संकल्प दृढ़तापूर्वक लेना चाहिए।”

राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जताई कि पिछले 10 वर्षों में भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 70 अरब डॉलर से बढ़कर 115 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया है।

उन्होंने कहा कि निर्यात में यह वृद्धि तब और भी प्रभावशाली लगती है, जब हम यह देखते हैं कि पिछले दशक के दौरान अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में कई चुनौतियां रही हैं। उन्होंने इस उपलब्धि में योगदान के लिए ईईपीसी की सराहना की।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि ईईपीसी अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारतीय उत्पादकों के बीच एक सेतु का काम करता है। उन्होंने ईईपीसी से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत और भारतीय उद्यमियों की भूमिका का निरंतर विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में हो रहे बदलावों के कारण इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

राष्ट्रपति के अनुसार, वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके अवसरों में बदलने की आवश्यकता है। पिछले सात दशकों में भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में बड़ा परिवर्तन आया है। ईईपीसी को परिवर्तन की इस प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए और ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करते रहना चाहिए।

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